हर रोज हमारे आस-पास इतनी घटनाएं होती हैं कि उनका हिसाब रख पाना मुश्किल होता है.
ऐसी ही घटनाओं में कुछ घटनाएं ऐसी भी होती हैं, जो हमारे इतिहास का हिस्सा बन जाती हैं और हमारे भविष्य में कहीं न कहीं उनकी एक भूमिका जरूर होती है.
ऐसी बहुत सी घटनाएं हैं, जिन्होनें भविष्य में होने वाली घटनाओं को प्रभावित किया. इसलिए इन घटनाओं को हमारा जानना बहुत जरुरी होता है.
तो आइए जानते हैं क्या हुआ था इतिहास में 10 मार्च के दिन-
ग्राहम बेल ने किया पहला टेलीफोन कॉल
ऐलेक्ज़ैन्डर ग्राहम बेल नाम लगभग सबने सुना है. सभी ये भी जानते ही होंगे कि हमारे हाथ में जो स्मार्ट फोन नामक यंत्र है, इस यंत्र के सबसे शुरूआती चेहरे यानी कि टेलीफोन के आविष्कारक ग्राहम बेल ही थे.
7 मार्च को उन्होंने इसे पेटेंट भी कराया था, लेकिन तब तक उन्होंने टेलीफोन का इस्तेमाल नहीं किया था.
आज का दिन ग्राहम बेल की जिंगदी के लिए बेहद खास दिन था. आज के ही दिन यानि 10 मार्च सन् 1876 को ग्राहम बेल ने अपने बोस्टन स्तिथ लैब से दूसरे कमरे में अपने असिस्टेंट को कॉल किया था और कहा ” यहां आओ – मैं आपको देखना चाहता हूं.” इतना ही नहींं ग्राहम बेल ने अपने असिस्टेंट को दोबारा पूछा कि मैंने क्या कहा बताओ तो उनके असिस्टेंट ने बोला कि सर आप मुझे देखना चाहते थे.
इसके बाद ग्राहम बेल और उनके असिस्टेंट ने अपनी-अपनी जगह बदली फिर दोबारा से उन्होंने फोन कॉल किया और इस तरह हुई आज ही के दिन पहला फोन कॉल किया गया, जोकि अब आम हो चुका है.
इन सभी बातों की पुष्टि मिलती है ग्राहम बेल की डायरी से. ग्राहम बेल रोज डायरी लिखते थे और यह बात भी उसी से पता चली थी और ये दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज कर दिया.
Alexander Graham Bell (Pic: biography)
आतंक के सरताज ओसामा का जन्मदिन
अगर आतंक का कोई नाम होता या कोई चेहरा होता तो वो बिल्कुल ओसामा की तरह दिखाई देता.
ओसामा वो शक्स था, जिसने अमेरिका की रातों की नींद उड़ा दी थी. पूरी दुनिया को ओसामा की दहश्त और शैतानी दिमाग का पता तब चला, जब ओसामा ने अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला करवा दिया.
ओसामा ने क्रूरता की उस हद को पार कर दिया, जिसे कभी कोई सोच भी नहींं सकता था. पूरी दुनिया को हैरत तब हुई, जब एक हवाई जहाज वर्ड ट्रेड सेंटर से टकरा गया और उसने उसे ढेर कर दिया. जोकि दुनिया की सबसे ऊंची और मजबूज बिल्डिंग थी.
इसी ओसामा-बिन-लादेन का जन्म आज यानि कि 10 मार्च 1957 को हुआ था.
ओसामा ही आल कायदा को बनाने वाला इंसान था. ये वो संगठन है, जिसका हाथ बनारस के बम धमाकों के पीछे भी था. ओसामा अमेरिका का इतना बड़ा दुश्मन बन गया था कि अमेरिका किसी भी कीमत पर उसे ख़त्म करना चाहता था.
1 मई, 2011 की रात अमेरिका के नेवी सील कमांडो ने पाकिस्तान के ऐब्टाबाद में स्तिथ ओसामा के घर मे घुस कर उसे मार गिराया था. अमेरिका के अनुसार सन् 1998 में केन्या और तंजानिया में अमेरिकी दूतावास पर हुई बमबारी के पीछे भी ओसामा का हाथ था. यही कारण था कि अमेरिका ओसामा का किस्सा हमेशा के लिए ख़त्म करना चाहता था.
Osama Bin Laden (Pic: vice)
जब गांधी जी को जाना पड़ा जेल
मोहन दास करमचंद गांधी इस नाम ने इतिहास के पन्नों पर अपनी ऐसी छाप छोड़ी है कि इनसे जुड़ी हर एक घटना अपने आप में इतिहास है. ऐसी ही एक घटना हुई थी गांधी जी के साथ आज यानी कि 10 मार्च के दिन.
10 मार्च 1922 को गांधी जी को अंग्रजी सरकार के सिपाहियों ने उनके अहमदाबाद के आश्रम से गिरफ्तार कर लिया गया था. दरसल हुआ यह था कि कुछ कांग्रेस और खिलाफत कार्यकर्ताओं ने एक पुलिस थाने पर हमला किया. हमले में 22 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी. जब यह खबर अंग्रेजों तक पहुंची तो वह तिलमिला गए.
गांधी जी को अंग्रेज बहुत पहले से गिरफ्तार करने के मौका खोज रहे थे. इसी कड़ी में इस बार कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने अंग्रेजी सरकार के हाथ खोल दिए. उन्होंने इसका फायदा उठाते हुए गांधी जी पर राजद्रोह का आरोप लगाया और उन्हें उनके साबरमती वाले आश्रम से गिरफ्तार कर लिया
गांधी जी की गिरफ्तारी ने पूरे देश में तहलका मचा दिया था. गांधी जी ने अपने स्वभाव के अनूकूल ही कोर्ट में भी बरताव किया.
जज ने जैसे ही गांधी जी से पूछा उऩ्होंने अपना गुन्हा कबुल कर लिया. जज ने उन्हें 6 साल की सज़ा सुनाई औऱ गांधी जी को जेल हो गई. गांधी जी देश के लिए कई बार जेल गए थे. यह भी उन्में से ही एक था.
Mahatma Gandhi (Pic: infobae)
तिब्बत में लगी थी विद्रोह की आग
चीन ने तिब्बत पर अपना कब्जा लगभग सन् 1940 से शुरू कर दिया था. चीन तिब्बत को चाइना में मिलाना चाहता था. इसका तिब्बत के लोग कभी खुल के विरोध नहींं करते थे. एक तो तिब्बत के लोग बहुत शांत किस्म के माने जाते हैं. दूसरा वो जिस धर्म को मानते हैं, यानी कि बौध धर्म, उसमें भी अहिंसा को महत्व दिया जाता था.
हालांकि 10 मार्च 1959 का वो दिन था, जब तिब्बत में लोगों ने अपनी आवाज उठाई. इसी दिन तिब्बत के धर्म गुरू दलाई लामा के लिए चीन की सेना की तरफ से एक न्यौता आया. असल में इस बुलावे के पीछे का सच कुछ और ही था.
असल में चीनी सेना दलाई लामा को अपने कब्जे में लेने चाहती थी, ताकि वह इसका फायदा उठाते हुए तिब्बत पर अपना कब्ज़ा कर ले. तिब्बत के लोगों को जैसे ही इसकी खबर मिली. वह चौकन्ने हो गए. साथ ही एक-एक करके दलाई लामा के घर के बाहर एक जुट होने लगे. धीरे-धीरे दलाई लामा के घर के बाहर लगभग 3,00,000 लोग इकठ्ठा हो गए, जो केवल अपने धर्म गुरू को बचाने नहींं आए थे, बल्कि चीन का विरोध भी कर रहे थे.
जब दलाई लामा और लोगों को लगा कि चीन लामा पर हमला करके ही रहेगा तो दलाई लामा तिब्बत से निकल कर चीन की सेना से छुपते हुए भारत आ गए थे. 17 मार्च को चीन ने अपनी तोपों का रुख लामा के महल की तरफ कर दिया था. 21 मार्च को चीन ने हमला कर दिया.
इस तरह 10 मार्च को शुरू हुए इस विद्रोह में तिब्बत के हजारों लोगों का खून बहा और दुनिया ने देखा कैसे एक शक्तिशाली देश खुद से कमजोर देश को दबाता है.
1959 Rebellion in Tibet (Pic: hongkongfp)
तो ये थीं 10 मार्च से जुड़ी कुछ खास जानकारियां!
अगर आप भी इस दिन से जुड़ा कोई विशेष और ऐतिहासिक किस्सा जानते हैं, तो कृपया नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day In History 10th March, Hindi Article
Featured Image Credit: thoughtco