इतिहास में घटित -घटनाएं, हमारे वर्तमान समय से जुड़ी हैं. और कई घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गईं.
यदि आज की तारीख पर नजर डालें तो पता चलता है कि 16 सितंबर सन 2000 में अतुल्य भारत विज्ञापन को सबसे ज्यादा सृजनात्मक मीडिया अभियान के रूप में सम्मानित किया गया था. इसके अलावा 1975 में पापुआ न्यू गिनिया को ऑस्ट्रेलिया से मुक्ति मिली थी. 2014 को इस्लामिक स्टेट ने कुर्दिश लड़ाकों के खिलाफ युद्ध छेड़ा था. इसी तरह 1978 में तख्तापलट कर जनरल जिया उल हक राष्ट्रपति बने.
तो चलिए जानते हैं आज के दिन घटित कुछ ऐसी ही देश-विदेश की ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में –
'अतुल्य भारत' विज्ञापन बना कैंपेन ऑफ द ईयर
दुनिया भर में पर्यटन के लिहाज से भारत पर्यटन का मुख्य केंद्र बनता जा रहा है. वहीं, भारत सरकार द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम चलाए गए हैं, जिनमें से अतुल्य भारत का विज्ञापन बेहद ही खास रहा है.
अतुल्य भारत अभियान दुनियाभर के सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करने में भी सफल रहा है.
अतुल्य भारत विज्ञापन अभियान ने दुनिया में भारत की छवि और सांस्कृतिक धरोहरों को एक नए रूप में प्रस्तुत किया. यही कारण था कि 16 सितंबर 2009 को अतुल्य भारत विज्ञापन के प्रचार को ब्रिटेन में सबसे ज्यादा सृजनात्मक मीडिया अभियान के रूप में सम्मानित किया गया.
16 सितंबर 2009 को ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने आयरलैंड में हुए टूरिज्म सम्मान समारोह में भारतीय पर्यटन कार्यालय के निर्देशक जगदीश चंद्र को जीजी 2 कैंपेन ऑफ द ईयर पुरस्कार से सम्मानित किया.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2002 में भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने इनक्रेडिबल इंडिया मुहीम चलाई थी.
अतुल्य भारत की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सन 2009 में पर्यटन से जीडीपी की दर लगभग 8.78 हो गई थी. वहीं, 2010 में विदेशी पर्यटकों का आगमन 2.38 बिलियन से बढ़कर 5.58 बिलियन हो गया था.
इसके अलावा घरेलू पर्यटन में भी काफी ज्यादा वृद्धि हुई थी. घरेलू पर्यटक यात्राएं 269.60 मिलियन से बढ़कर 5650.04 मिलियन हो गईं.
यह तमाम आंकड़े इनक्रेडिबल इंडिया अर्थात अतुल्य भारत की सफलता को प्रमाणित करने के लिए काफी हैं.
पापुआ न्यू गिनिया को ऑस्ट्रेलिया से मुक्ति मिली
पापुआ न्यू गिनिया पूर्वी द्वीप समूह का एक हिस्सा है, जो कि ऑस्ट्रेलिया के समीप स्थित है. यहां ज्वालामुखी बेहद ही सक्रिय हैं. आए दिन ज्वारीय लहरें और भूकंप का लोगों को सामना करना पड़ता है.
इस देश पर 1975 से पहले ऑस्ट्रेलिया का आधिपत्य था. आजादी की मांग और लगातार विद्रोह के कारण 15 सितंबर 1975 को ऑस्ट्रेलिया ने इसे स्वतंत्र घोषित कर दिया. उसने पापुआ न्यू गिनिया से अपने सैन्य बलों को वापस लेने के आदेश जारी कर दिए. परिणाम स्वरूप 16 सितंबर 1975 को पापुआ न्यू गिनिया स्वतंत्र राष्ट्र बन गया.
यह दिन वहां के निवासियों के लिए किसी त्यौहार से कम नहीं था. स्वतंत्रता की खुशी लोगों की आंखों से छलक रही थी. ऑस्ट्रेलिया के ध्वज वहां के स्थानीय जगहों से हटा दिए गए.
ऑस्ट्रेलियाई गवर्नर सर जॉन केयर ने अपने बयान में पापुआ न्यू गिनिया के लिए ख़ुशी व्यक्त करते हुए कहा कि हम दोनों देशों के संबंधों को बेहतर बने रहने की कल्पना करते हैं.
16 सितंबर की सुबह पापुआ न्यू गिनिया की आज़ादी की ख़ुशी के अवसर पर, वहां के निवासियों और प्रशासन की ओर से पेड़ लगाने जैसे समारोह आयोजित किए गए. समारोह में वहां के गवर्नर के साथ रक्षा बल और पुलिस आयुक्त कमांडर भी शामिल थे. बाद में फ्लैग मार्च निकाला गया, स्वतंत्रता हिल पर चढ़ाई की गई और वहां अपने राष्ट्र की विजय पताका लहराई गई.
बाद में प्रिंस चार्ल्स ने आधिकारिक तौर पर पापुआ न्यू गिनिया की पहली राष्ट्रीय संसद की शुरुआत की. प्रिंस चार्ल्स ने वहां के चुने गए प्रतिनिधियों को संबोधित किया और उन्हें उनकी जिम्मेदारियों व कर्तव्यों के बारे में याद दिलाया.
सर जॉन गुइज़ को पापुआ न्यू गिनिया को मुख्य न्यायाधीश के रूप शपथ दिलाई गई. वहीं प्रधानमंत्री के रूप में माइकल व उपप्रधानमंत्री के रूप में अल्बर्ट माओरी को गवर्नर जनरल द्वारा शपथ दिलाई गई.
इस प्रकार पापुआ न्यू गिनिया को संवैधानिक दर्जा मिल गया.
इस्लामिक स्टेट ने कुर्दिश लड़ाकों के खिलाफ युद्ध छेड़ा
2011 में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक साथ मिले. यहीं से इस्लामिक स्टेट के खिलाफ दोनों ने मिलकर जंग करने का ऐलान कर दिया.
इराक में अल-कायदा के जाने के बाद इस्लामिक स्टेट का आतंक शुरू हुआ. धार्मिक कट्टरता के आधार पर चलने वाला यह आतंकी समूह सीरिया और उसके आसपास के क्षेत्रों पर अपने विचारों का आधिपत्य स्थापित करना चाहता था.
2014 के शुरूआत में ही फजूला और रमादी के इलाकों पर अपना कब्जा कर लिया था. कट्टर विचार और आतंक का मंसूबा पाले इस्लामिक स्टेट के मुखिया अबू बकर अल बगदादी ने 16 सितंबर 2014 को सीरियाई कुर्द लड़ाकों के खिलाफ युद्ध छेड़ने का ऐलान किया था.
सीरियाई शासक बशर-अल असद ने रूसी सहयोगी के साथ मिलकर बेहद आक्रामक रुख अपना रखा था. वहीं, दूसरी तरफ अमेरिका और इराक में शिया लड़ाकों का गठजोड़ था. बशर-अल असद के सैनिक और इराक में शिया लड़ाके आईएस को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहते थे. इस लड़ाई में अमेरिका और रूस भी उन दोनों देशों के साथ खड़े थे.
हालांकि आईएस ने सीरिया में कई जगहों पर नरसंहार किया. वहीं, सीरिया की जवाबी कार्यवाही के बाद आईएस के लड़ाके बेबस नज़र आते दिखाई दे रहे थे. स्थानीय लोगों को आईएस के चंगुल से निकाला जा रहा था.
अक्टूबर के महीने में इस्लामिक स्टेट के हाथों से हर हवीजा शहर भी मुक्त कर लिया गया. इस्लामिक स्टेट की हार लगभग दिखाई दे रही थी. इस तरह आईएस का सीरियाई लड़ाकों से भिड़ना उसके लिए गीदड़ भबकी साबित हुआ.
जनरल जिया उल हक़ बने पाकिस्तान के राष्ट्रपति
सन 1948 में कश्मीर के मुद्दे को लेकर भारत और पाकिस्तान में एक भयावह युद्ध हुआ. उस युद्ध में पाकिस्तान की ओर से जिया उल हक़ भी लड़ाई में शामिल थे.
जिया उल हक़ का राजनीतिक सफर एक सिपाही से राष्ट्रपति बनने तक का रहा है. वहीं, 1966 में जिया सेना के 22वीं कैवलरी की कमान संभाल रहे थे. उनकी कार्य निष्ठा देख उन्हें एक बख़्तरबंद डिवीजन का कर्नल स्टाफ बना दिया गया.
अपनी मेहनत और लगन से कर्नल बने जिया उल प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की नज़रों में आए और मार्च 1976 को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने इन्हें पाकिस्तानी सेना का जनरल बना दिया.
प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो का ये फैसला उन्हीं के गले का फांस बन गया, जब उनकी सरकार का तख्तापलट कर दिया गया.
जिस समय जिया को सेना की कमान दी गई, पाकिस्तान की राजनीति में काफी उथल पुथल मची हुई थी. अर्थव्यवस्था में गिरावट लोगों में अशांति और अराजकता का महौल पैदा कर रही थी.
पाकिस्तान सरकार की स्थिति धीरे-धीरे डामाडोल होती जा रही थी. बाद में जिया उल हक़ के इशारे पर सेना का विद्रोह हुआ और 5 जुलाई, 1977 को जिया उल हक ने सत्तारूढ़ प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार को उखाड़ फेंका.
परिणामस्वरूप वहां सेना का शासन स्थापित हुआ और 16 सितंबर 1978 को जनरल जिया उल हक़ ने राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली.
तो ये थीं 16 सितंबर के दिन इतिहास में घटीं कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं.
अगर आपके पास भी इस दिन से जुड़ी किसी महत्वपूर्ण घटना की जानकारी हो, तो हमें नीचे कमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं.
Web Title: Day In History 16 September, Hindi Article
Feature Image Credit: Dawn