वर्तमान में हमारे आस-पास जो भी वक्त बीतता है, उसमें दुनिया के किसी न किसी कोने में कुछ न कुछ जरूर घटित होता है.
वह बीता हुआ कल हमारे लिए कई ऐतिहासिक यादगार पलों को छोड़कर जाता है. उन्हीं में से कुछ ऐसे भी ऐतिहासिक किस्से होते हैं, जो हमारे लिए बहुत खास या दिलचस्प होते हैं.
ऐसी ही कुछ खास ऐतिहासिक बातें 2 जुलाई को भी घटित हुई हैं, जिसको जानना दिलचस्प होगा-
भगदड़ मचने से मारे गए लगभग 1400 हज यात्री
2 जुलाई के ही दिन सऊदी अरब में हज के दौरान एक भयानक हादसा हुआ था. 2 जुलाई 1990 को जिस वक़्त यह हादसा हुआ उस वक़्त उस जगह पर हजारों लोग अपने हज के अरकान को पूरा करने के लिए इकठ्ठा हुए थे. इस हादसे की वजह से वहां पर भगदड़ मच गई और जिसकी वजह से लगभग 14,00 लोगों को अपनी जान गवांनी पड़ी.
हर साल की तरह इस साल भी पूरी दुनिया से मुसलमान लाखों की संख्या में हज को पूरा के लिए मक्का-मदीना में इकठ्ठा हुए थे, लेकिन 1990 का यह साल हज यात्रियों के लिए एक दर्दनाक हादसे का गवाह बना.
दरअसल इस बार भी मक्का में कई लाख लोग इकठ्ठा हुए थे और उस दौरान हज के अरकानों में से एक शैतान को कंकरी मारने के लिए एक लंबी सुरंग के अंदर से जाया जाता था. यह घटना इसी 550 मीटर लंबी और 10 मीटर चौड़ी सुरंग में हुई थी .
ये हादसा तब हुआ जब पैदल यात्री पुल के रेलिग के सहारे अपने अरकान को पूरा करने के लिए जा रहे थे कि अचानक पुल की रेलिंग टूट गई, जिससे 6 से 7 लोग ऊपर रेलिंग से नीचे यात्रियों के ऊपर गिरने लगे.
उस दौरान उस भीड़ में भगदड़ मच गई और लगभग 1400 हज यात्रियों को अपनी जान गवांनी पड़ी. कहा जाता है मरने वालों में इंडोनेशिया के लोग ज्यादा शामिल थे इसके साथ ही पकिस्तान और मलेशिया आदि के हज यात्रियों को भी इस हादसे का शिकार होना पड़ा था. जो कि इतिहास में हज यात्रा के दौरान सबसे बड़े हादसे के रूप में जाना जाता है.
सिवाणा दुर्ग पर अलाउद्दीन खिलजी ने किया आक्रमण
2 जुलाई 1308 में अलाउद्दीन खिलजी ने सिवाणा दुर्ग के किले को अपने कब्जे में लेने के लिए एक बड़ी सेना भेजी थी.
हालांकि, जोधपुर में स्थित सिवाणा के दुर्ग का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है. शुरुआत में यह पंवारों के अधीन था इसी वंश के वीर नारायण शासक ने इस दुर्ग का निर्माण कराया था, लेकिन कुछ सालों बाद यह दुर्ग चौहानों के अधिकार में आ गया.
इसी दौरान अलाउद्दीन खिलजी ने गुजरात और मालवा को अपने कब्जे में कर लिया था, जिसके बाद वह इनके रास्तों में आने वाले दुर्गों पर भी अपना अधिकार जमाना चाहता था, जिससे आसानी से वह अपना राज इन पर चला सके.
इस नीति को अपनाते हुए उसने सबसे पहले चित्त्तौड़ और रणथम्भौर के किलों पर अपना विजयी पताका फहराया. अपने विजयी अभियान को जारी रखने के लिए सिवाणा के किले पर भी कब्ज़ा करने के लिए एक बड़ी सेना को भेज दिया.
इस दौरान यहां का शासक शीतलदेव चौहान था. शीतल देव ने चित्तौड़ और रणथम्भौर जैसे शक्तिशाली किले को अलाउद्दीन खिलजी की सेना के सामने ढाते हुए देखा था. उसके मन में अलाउद्दीन के प्रति एक डर था, लेकिन उसने अपने शासनकाल में कई युद्दों का सामना किया था और वो इतनी आसानी से बिना लड़े अपने किले को अलाउद्दीन के हाथों में नहीं सौपना चाहता था.
अलाउद्दीन की सेना ने किले को चारों तरफ से घेर लिया और दोनों सेनाओं के बीच युद्ध का सिलसिला शुरू हो गया. युद्ध के दौरान चौहान की सेना ने खिलजी की सेना का डटकर मुकाबला किया और इस दौरान चौहान की सेना ने शाही सेना को लंबे समय तक किले को भेदने का कोई मौक़ा नहीं दिया. हालांकि, इस दौरान चौहान की सेना को काफी जान माल का नुक्सान हुआ, लेकिन इसी के साथ ही शाही सेना का भी मनोबल गिर चुका था.
ऐसी परिस्थिति को देखते हुए अलाउद्दीन खिलजी ने खुद अपनी बड़ी सेना के साथ सिवाणा के किले को चारो तरफ से घेर लिया और जब किले में एक लंबे संघर्ष के दौरान रसद और खाद्यय सामग्री का अभाव हो गया तो चौहान ने किले का दरवाजा खोल दिया. इसके बाद दोनों सेनाओं के बीच आमने सामने का मुकाबला हुआ . इस दौरान शीतलदेव मारा गया और अलाउद्दीन खिलजी ने सिवाणा के दुर्ग पर अपना कब्ज़ा जमा लिया.
स्वतंत्रता सेनानी युसूफ मेहरअली ने दुनिया को कहा अलविदा
2 जुलाई 1950 को ही कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक और देश की आज़ादी में हिस्सा लेने वाले क्रन्तिकारी नेता युसूफ जफ़र मेहरअली का निधन हुआ. मुंबई में जन्में युसूफ मेहरली एक स्वतंत्रता सेनानी और एक बड़े समाज सुधारक थे. युसूफ ने भारतीय किसानों और मजदूरों की स्थिति को सुधारने और इनको मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
इसी के साथ ही इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कांग्रेस पार्टी से जुड़कर ब्रिटिश साम्राज्यों की खुल कर मुखालिफत की, जिसके लिए इनको कई बार जेल भी जाना पड़ा.
युसूफ मेहर अली ने 1930 के नमक सत्याग्रह में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था, जिसके लिए 1934 में अंग्रेजों ने इनको ब्रिटिश शासन के खिलाफ साजिश रचने के जुर्म में जेल की सलाखों के पीछे धकेल दिया, लेकिन कठोर कारावास की सजा भुगतने के बाद भी युसूफ के क्रन्तिकारी विचारों पर जरा सी नरमी नहीं आई थी
जेल से छूटने के बाद युसूफ ने भारतीय स्वंत्रता संग्राम में हिस्सा लेते रहे और कईयों बार इनको जेल की भी हवा खानी पड़ी और इन्होंने ने ही ‘भारत छोड़ो’ (क्विट इंडिया) और ‘साइमन गो बैक’ का नारा भी दिया था. हालांकि, इनके समर्थकों को तब गहरा दुःख हुआ जब आज़ादी के तीसरे साल ही युसूफ महज 47 साल की उम्र में 2 जुलाई 1950 को इस दुनिया से रुखसत हो गए.
भारत-पकिस्तान के बीच हुआ शिमला समझौता.
आज ही के दिन पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टों और भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के बीच एक बैठक हुई जिसमें शिमला समझौते के तहत इंदिरा और भुट्टो ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था.
1971 में भारत पाकिस्तान के एक बड़ा युद्ध हुआ, जिसमें दोनों देशों को काफी जान-माल का नुक्सान उठाना पड़ा, हालांकि इंदिरा ने योजनाबद्ध तरीके से पाकिस्तान के दो टुकड़े करने में कामयाब रही थी और पाकिस्तान से अलग एक नया देश बांग्लादेश बन चुका था.
कुल मिलाकर दोनों देशों के बीच बटवारे से चली आ रही कड़वाहट अब और भी बढ़ गयी थी, हालांकि दोनों देशों के बीच बहाली और शांति वयवस्था के देखते हुए इंदिरा और भुट्टों ने एक मंच पर आने का फैसला किया.
भारत और पकिस्तान के बीच होने वाली इस शिखर वार्ता को 28 जून से लेकर 1 जुलाई तक ही चलाया जाना था. इसी कड़ी में आगे जुल्फिकार भुट्टो अपनी बेटी बेनजीर भुट्टो के साथ शिमला पहुंचे और दोनों देशों के बीच वार्ता का सिलसिला शुरू हुआ.
दोनों के बीच कुछ समझौते पर राय बनी भी कुछ पर नहीं, ऐसी परिस्थति में दोनों देशों के प्रतिनिधि इस समझौते की उम्मीद छोड़ चुके थे कोई हल सामने नहीं आ रहा था, जिसके लिए इस वार्ता की तारीख को भी बढ़ाया गया.
आख़िरकार जब 2 जुलाई 1972 में इंदिरा और भुट्टो के बीच दोबारा बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ और दोनों देशों के कई आवश्यक मुद्दों पर सहमति बनी और इंदिरा और भुट्टो के बीच हुए शिमला समझौते के दस्तावेज पर दोनों के हस्ताक्षर हुए.
तो ये थीं 2 जुलाई के दिन, इतिहास में घटीं कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं.
यदि आपके पास भी इस दिन से जुड़ी किसी घटना की जानकारी हो, तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day In History 2 July, Hindi Article
Feature Image Credit: Asianet News