इतिहास! ये शब्द अपने साथ असंख्य कालखंड को लिए हुए होता है. इस शब्द में कुछ यादें ऐसी हैं जो चेहरे पर मीठी मुस्कान ला देती है, तो कुछ यादें ऐसी हैं जो गुस्सा या एक निराशा को जन्म देती हैं.
ऐसे ही, अपने साथ आज की तारीख भी कई सारी यादें संजोए हुए है. आज के दिन मानव जीवन ने एक नई ऊंचाई को छुआ. इसी तारीख में किसी तानाशाह का तख्ता भी पलट हुआ.
यही नहीं बॉलीवुड की अदाकारा सायरा बानो भी आज ही के दिन इसी दुनिया में आईं. ये सब एक ओर, क्योंकि इसी दिन भारत में एक बेहद मशहूर योजना लांच हुई थी.
इन सभी घटनाओं पर जरा पास से नज़र डालते हैं और जानते हैं, 23 अगस्त के इतिहास को-
चंद्रमा से लिया गया पृथ्वी का पहला फोटो
साल 23 अगस्त, 1966 को दुनिया के सामने पहली बार पृथ्वी की तस्वीर सामने आई. इसी दिन नासा के यान ने चंद्रमा के ऑर्बिट से ये फोटो ली थी. यह चन्द्रमा के ऑर्बिट पर नासा द्वारा भेजा गया पहला चंद्र ऑर्बिटर 1 था.
यह स्पेसक्राफ्ट चन्द्रमा के ऑर्बिट में भेजा गया था. इसके साथ ही, यह एक मानव रहित अंतरिक्ष यान था, जिसने पृथ्वी की तस्वीरों को कैद किया. बता दें, इसे तस्वीर खींचने के लिए नहीं भेजा गया था.
इस अंतरिक्ष यान को भेजने का मकसद भविष्य के अंतरिक्ष शिल्प के लिए चन्द्रमा पर लैंडिंग साइटों को दूर करना था.
हालांकि, इस यान से पृथ्वी की ब्लैक एंड वाइट तस्वीरें ली. इसी के साथ, पृथ्वी से लांच हुआ था जो स्पेन के मैड्रिड के पास रोबलेडो डी चावेला में नासा ट्रैकिंग स्टेशन पर प्राप्त हुआ था. यह तस्वीर अंतरिक्षयान की 16वीं ऑर्बिट के दौरान ली गई थी.
लोकसभा में मनरेगा अधिनियम पारित
23 अगस्त 2004 को, लोकसभा ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) पारित किया.
इस स्कीम ने ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों गरीबों के लिए आजीविका सुनिश्चित की. मनरेगा को लोकसभा में 23 अगस्त 2004 को और 25 अगस्त 2005 को राज्यसभा में पारित किया गया था. इसके बाद, 5 सितंबर 2005 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर के बाद यह लागू हुआ.
साल 2010 तक ग्रामीण विकास राज्य मंत्री के अनुसार, कुल 17,943,189 परिवारों को मनरेगा के तहत नियोजित किया गया था.
मनरेगा पहली बार आंध्र प्रदेश के अनंतपुर में 2 फरवरी 2006 को शुरू किया गया था. यह अधिनियम प्रत्येक वित्तीय में एक सौ दिन के रोजगार के लिए कानूनी गारंटी प्रदान करता है. साथ ही, वैधानिक न्यूनतम मजदूरी भी प्रदान करता है.
ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमआरडी), भारत सरकार राज्य सरकारों के सहयोग से इस योजना के पूरे कार्यान्वयन की निगरानी कर रही है. यह अधिनियम ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति में सुधार लाने के उद्देश्य से शुरू किया गया.
यह मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए अर्ध या गैर-कुशल लोगों को रोज़गार प्रदान करता है. यह देश में अमीरों और गरीबों के बीच के अंतर को पुल करने का प्रयास करता है.
लीबिया में हुआ गद्दाफी का तख्ता पलट
1969 में जब लीबिया में सेना ने वहां की तानाशाही का सफलतापूर्वक तख्तापलट किया. तख्तापलट के बाद मुअम्मर अल गद्दाफी एक बड़े नेता के तौर पर उभरा.
उसने अपनी छवि लीबिया के राष्ट्रपिता के तौर पर बनाई. 1942 में जन्मे मुअम्मर अल गद्दाफी ने मात्र 27 साल की उम्र में लीबिया के सबसे बड़े नेता का दर्जा हासिल कर लिया था.
हालांकि, 1980 के आते-आते लीबिया में गद्दाफी के खिलाफ प्रदर्शन होने शुरू हो गए थे. उस पर तानाशाहों की तरह अपना फरमान थोपने जैसे आरोप लगने लग गए थे.
लीबिया की दो जगह बेंगाजी और त्रिपोली गद्दाफी के खिलाफ प्रदर्शन करने में सबसे आगे थे. 1986 में बर्लिन में हुए धमाके, जिसमें दो अमेरिकी सैनिकों की जान भी चली गई थी, उसमें लीबिया को भी जिम्मेदार ठहराया गया था.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के आलोचक गद्दाफी ने संयुक्त राष्ट्र संघ की जनरल असेंबली को संबोधित करते हुए सुरक्षा परिषद की तुलना अलकायदा से कर दी थी. वही गद्दाफी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर तानाशाह होने का आरोप लगाया था.
महात्मा गांधी जी जेल से रिहा हुए
भारत के ब्रिटिश प्रशासकों के खिलाफ शांतिपूर्ण स्वतंत्रता आंदोलन के नेता गांधी जी शराब और विदेशी कपड़े का बहिष्कार का आंदोलन कर रहे थे.
4 अगस्त, 1933 को बॉम्बे में गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें रास की ओर मार्च के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें ब्रिटिश फरमान आया कि वह सुबह 9:30 तक पूना के यर्वदा को छोड़कर चले जाएं. उन्होंने इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया.
जिसके फलस्वरूप, आदेश का पालन न करने की वजह से उन्हें 9.50 बजे गिरफ्तार कर लिया गया. गाँधी जी पर मुकदमा चलाया गया. उन्हें इसके लिए एक साल की कारावास की सजा सुनाई गयी.
उन्होंने जेल में रहते हुए ही 16 अगस्त, 1933 आमरण अनशन शुरू कर दिया. इस दौरान, उनका स्वास्थ्य तेज़ी से गिरने लगा. लिहाज़ा, उनकी गंभीर स्वास्थ्य स्थिति के कारण 23 अगस्त,1933 को बिना किसी शर्त के उन्हें रिहा कर दिया गया.
तो ये थीं 23 अगस्त के दिन इतिहास में घटीं कुछ घटनाएं.
यदि आपके पास भी इस दिन से जुड़ी किसी घटना की जानकारी हो तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day In History 23 August, Hindi Article
Feature Image Credit: planetary