आज का दिन इतिहास में खासा महत्वपूर्ण है. इस दिन घटी बहुत सी घटनाएँ इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गईं.
28 सितंबर पर नजर डालें, तो पता चलता है कि आज ही के दिन बहादुर शाह द्वितीय ने दिल्ली की सत्ता संभाली थी.
वहीं 1838 में बहादुर शाह ज़फ़र भारत में मुग़लों के अंतिम सम्राट बने और अपने पिता की मृत्यु के बाद सिंहासन के उत्तराधिकारी बने. इसके अलावा 1887 में चीन की ह्वांग-हो नदी में बाढ़ आने से तक़रीबन 15 लाख लोग मारे गए. वहीं इतिहास के पन्नों में कुछ अन्य घटनाएँ और भी दर्ज हैं.
1928 में अमेरिका ने चीन की राष्ट्रवादी च्यांग काई शेक की सरकार को मान्यता दी. दूसरी ओर 1950 में इंडोनेशिया संयुक्त राष्ट्र का 60वां सदस्य बना. 28 सितंबर 1907 को भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगतसिंह का जन्म भी हुआ.
तो चलिए आज के दिन घटित कुछ ऐसी ही देश-विदेश की ऐतिहासिक घटनाओं पर नज़र डालते हैं–
बहादुर शाह ज़फ़र के हाथों में आया दिल्ली का शासन
आज ही के दिन 28 सितंबर 1838 को बहादुर शाह जफ़र ने अपने पिता अकबर शाह द्वितीय के निधन के बाद दिल्ली की शासन संभाला था. बहादुर शाह द्वितीय अकबर शाह और लालबाई के दूसरे पुत्र थे.
उनका जन्म 24 अक्टूबर सन् 1775 ई. को दिल्ली में हुआ था. सन 1857 की लड़ाई में बहादुर शाह ज़फ़र का अहम् योगदान रहा था. बताया जाता है कि सत्ता संभालते ही वह प्रशासनिक कार्यों के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम करने में लग गए थे.
1857 में जब भारत की आजादी का बिगुल बजा तो उस समय राजाओं ने बहादुर शाह ज़फ़र से मदद की गुहार लगाई थी. उस समय बहादुर शाह ज़फ़र ने अंग्रेजी हुकूमत की ईंट से ईंट बजा दी थी.
अंग्रेजी शासन व्यवस्था से परेशान भारतीय सैनिकों ने जब बगावत शुरू की, तो बहादुर शाह जफर का गुस्सा फूट पड़ा.
उन्होंने अंग्रेजी शासन को हिंदुस्तान से उखाड़ फेकने का निर्णय किया. हालांकि, उस समय तक बहादुर शाह काफी बूढ़े हो चुके थे. फिर भी उन्होंने राजधानी दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों से अंग्रेजों को शिकस्त देने में कुछ हद तक कामियाबी पाई.
एक समय को ऐसा भी लग रहा था कि भारत से अंग्रेजी हुकूमत का अंत हो जायेगा. 1857 तक बहादुर शाह की उम्र 82 साल हो चुकी थी. उम्र ज्यादा होने के कारण उनमें निर्णय लेने की क्षमता भी कम होती जा रही थी. वहीं देखा जाय तो पता चलता है कि 1857 के अंतिम समय में अंग्रेजों ने अपनी ताकत काफी बढ़ा ली थी.
उसी समय के अन्तराल में मुगल व्यवस्था डामाडोल होने लगी. मौका पाते ही सितंबर 1857 में अंग्रेज़ों ने दोबारा दिल्ली पर आक्रमण कर बहादुर शाह द्वितीय को गिरफ़्तार कर लिया गया.
बाद में उन्हें रंगून भेज दिया गया जहां, 7 नवंबर 1862 को उनका निधन हो गया.
फ्रांस में संविधान की हुई शुरुआत
फ्रांस का संविधान कई वर्षों की मेहनत का परिणाम है. 28 सितंबर 1958 को फ्रांस ने अपने लिखित संविधान को अपनाया था.
वहीं ऐसा माना जाता है कि फ्रांसीसी क्रांति के बाद फ्रांस का संविधान अपने अस्तित्व में आने लगा था. हालांकि, फ्रांस अपने संविधान में प्रत्येक 12 वर्ष के बाद परिवर्तन कर दिया करता था.
यह भी कारण माना जाता है कि फ्रांस अपने व्यवस्थित संविधान का खाका तैयार नहींं कर पा रहा था! इसलिए संविधान में परिवर्तन होते ही रहे.
फ्रांस का वर्तमान संविधान 1958 में लागू हुआ. यह संविधान लिखित संविधान है. इस संविधान में 15 अध्यायों में 92 धाराएं शामिल हैं और एक प्रस्तावना है.
इसमें आदर्श वाक्य के रूप में स्वतंत्रता, समानता, मातृत्व की बातों को उल्लेखित किया गया है. फ्रांस के संविधान की धारा 2 में बेहद ही महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख मिलता है.
फ्रांस एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक व सामाजिक गणराज्य है. फ्रांस का संविधान भारतीय संविधान से काफी मिलता-जुलता है.
हालांकि, फ्रांस के संविधान का एकात्मक होने के कारण केंद्रीय, स्थानीय व प्रांतीय सरकारों के बीच शक्तियों का कोई बंटवारा शामिल नहींं है.
फ्रांस के इस संविधान में एक राष्ट्रपति के निर्वाचन से लेकर लोकसेवा के चयन तक सभी बातों को उल्लेखित किया गया है.
क्रांति की ज्वाला 'भगत सिंह' का जन्म
आज ही के दिन 28 सितंबर 1907 को महान स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह का जन्म हुआ था. बताया जाता है कि भगत सिंह का जन्म होने से पहले उनके पिता और चाचा को अंग्रेजों के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के जुर्म में जेल में डाल दिया गया था.
भगत सिंह का परिवार पहले से ही क्रांतिकारी स्वभाव का था. 13 अप्रैल 1919 हुए जलियांवाला बाग में हुए हत्याकांड का असर भगत सिंह पर व्यापक रूप से पड़ा था.
भगत सिंह उस ख़ूनी मंजर को भूल नहीं पाए थे. बीए की पढ़ाई करते समय भगत सिंह गांधी के विचारों से जुड़ गए.
जब गांधी ने अंग्रेजी किताबों का बहिष्कार करने का ऐलान किया, तो भगत सिंह नें अंग्रेजी किताबों को ही जला दिया.
उन्होंने गांधी के सत्याग्रह आंदोलन में भी भाग लिया था, लेकिन चोर-चोरी की घटना के बाद गांधी ने असहयोग आंदोलन बंद कर दिया.
इस बात से भगत सिंह बेहद दुखी हुए और उन्होंने गांधी का साथ छोड़ने का फैसला कर लिया. इसके बाद सन 1928 में उन्होंने हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) को ज्वाइन कर लिया.
यहीं से अंग्रेजों की उल्टी गिनती शुरू हो गई. “साइमन वापस जाओ” से शुरू हुआ विरोध ब्रिटिश सरकार की असेम्बली में बम विस्फोट तक रहा.
बाद में अंग्रेजी न्यायालय ने भगत सिंह और उनके अन्य साथियों को फांसी की साज़ सुनाई. परिणाम स्वरूप 24 मार्च 1931 को भगत सिंह और उनके अन्य साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दे दी गयी.
भारत दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था: र्वल्ड बैंक
28 सितंबर 2004 को र्वल्ड बैंक ने भारत को क्रय शक्ति के आधार पर दुनिया की चौथी अर्थव्यवस्था कहा था. हालांकि, इसके बावजूद र्वल्ड बैंक ने प्रौद्योगिकी और कार्यक्षमता के आधार पर भारत के पिछड़ेपन की बात कही थी.
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था में उदारीकरण होने से निजी निवेश और जीडीपी का अनुपात 1981 में 9 प्रतिशत था. वहीं सन 2000 में यह आंकड़ा बढ़कर 15 प्रतिशत हो गया था. वर्ल्ड बैंक इस आकड़े को भी ध्यान में रख कर अपनी रिपोर्ट तैयार की थी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि भारत का विकास दर तेज़ी से बढ़ रहा है.
इसके बावजूद भारत अर्थव्यवस्था, कार्यक्षमता और प्रौद्योगिकी के मामले में पिछड़ा हुआ है!
इसका सबसे बड़ा कारण भारत में उचित एग्जिट पॉलिसी की व्यवस्था न होना है. वहीं एक रिपोर्ट में बताया गया कि, जो उद्योग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, उन्हें बंद कर देना चाहिए.
वर्ष 2005 में वर्ल्ड बैंक ने फिर एक विकास रिपोर्ट जरी की. इसमें भारत की खरीद क्षमता के आधार पर भारत का सकल राष्ट्रीय आय 3068 अरब डॉलर और प्रति व्यक्ति आय 2880 डॉलर रहा.
तो ये थीं 28 सितंबर के दिन इतिहास में घटीं कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं.
अगर आपके पास भी इस दिन से जुड़ी किसी महत्वपूर्ण घटना की जानकारी हो, तो हमें नीचे कमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं.
Web Title: Day In History 28 September, Hindi Article
Feature Image Credit: Live History India