आज का दिन इतिहास में खासा महत्वपूर्ण है. इस दिन घटी बहुत सी घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गईं.
अगर आज की तारीख पर ऐतिहसकि दृष्टि से नजर डालें तो पता चतला है कि 2 अगस्त 1990 को ईराक ने कुवैत पर अधिकार जमा लिया. 1999 में चीन ने लंबी दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल का परीक्षण किया. 2003 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने लाइबेरिया में संघर्ष विराम लागू करने के लिए सेना भेजने के लिए अपनी अनुमति प्रदान की. 2012 में हुए लंदन ओलंपिक में भारत ने कुल 6 पदक जीते, जिसमें से 2 रजत और 4 कांस्य शामिल थे.
तो चलिए जानते हैं, आज के दिन घटित कुछ ऐसी ही देश-विदेश की ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में –
इराक का कुवैत पर हमला
इराक के इतिहास में एक समय ऐसा भी आया, जब इराक भारी कर्ज़ में डूब गया था. इसकी वजह थी तकरीबन 8 वर्षों तक ईरान से चली जंग.
जंग के बाद आर्थिक स्थिति को लेकर वहां का शासक सद्दाम हुसैन काफी चिंतित हो गया था. इन खराब हालातों से बचने के लिए उसने अपने पड़ोसी मुल्क कुवैत से कर्ज माफ़ करने को कहा. वहीं, कुवैत ने इस बात से साफ़ इनकार कर दिया.
इस बात को सद्दाम हुसैन ने अपना अपमान समझा और मौका देखकर इराक ने 2 अगस्त 1990 को कुवैत पर हमला कर दिया.
सद्दाम की सेना ने दो दिनों के भीतर पूरे कुवैत पर कब्जा कर उसे अपना नया प्रांत घोषित कर दिया.
कुवैत सैन्य तौर पर इतना मज़बूत नहीं था कि वह इराक़ से लड़ सके. इधर, इराक की छवि इससे खराब हो रही थी.
इराक ने कुवैत के साथ-साथ उसके तमाम संसाधनों पर भी कब्ज़ा जमा लिया था. इस स्थिति पर विचार करते हुए संयुक्त राष्ट्र ने इराक से कुवैत को आज़ाद कराने का फैसला लिया.
जल्द ही अमेरिका ने कई और देशों की सेनाओं के साथ 24 अगस्त 1991 में कुवैत को आज़ाद करा लिया.
‘भारत सरकार अधिनियम 1858’ पारित हुआ
आज ही के दिन यानी 2 अगस्त 1858 को ब्रिटिश सरकार ने गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट पारित किया था.
यह एक्ट 1857 में हुए विद्रोह के मद्देनज़र पारित किया गया था. 1857 में मंगल पांडे ने ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ मेरठ में विद्रोह शुरू कर दिया था. जनता भी उनके साथ जुड़ी. मगर उस वक्त के मुगल बादशाह बहदुर शाह जफर का नेतृ्तव कमजोर होने की वजह से विद्रोह बिखर सा गया.
आगे ईस्ट इंडिया कंपनी के अफसर विद्रोहियों पर भारी पड़ गए और विद्रोह दबा दिया गया.
इस दौर में ईस्ट इंडिया के हाथों में ही देश को संभालने का जिम्मा था. हालांकि इस एक्ट के द्वारा गुलाम भारत पर शासन करने का अधिकार ब्रिटिश क्राउन के पास आ गया.
इस एक्ट के तहत भारत में एक गवर्नर जनरल की नियुक्ति कर दी गई. जिसे भारत के सैन्य, कानूनी और सामाजिक मसलों पर अपने फैसले लेने का पूरा अधिकार दिया गया.
ये सब कुछ ब्रिटिश सरकार की तरफ से इसलिए किया गया, ताकि विद्रोह छेड़ने वाले लोग शांत हो सकें.
अंग्रेजों के हाथों हार गया ‘मीर कासिम’
2 अगस्त 1763 के दिन पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद के गिरिया नामक स्थान पर हुए युद्ध में मीर कासिम को अंग्रेजों के हाथ पराजित होना पड़ा.
मीर कासिम अंग्रेजों के शासन काल में बंगाल का नवाब था. उसे अंग्रेजों की वजह से ही बंगाल की गद्दी मिली थी. लेकिन उसे नहीं पता था कि एक दिन यही अंग्रेज उसे युद्ध में हरा देंगे.
इससे पहले भी वो अंग्रेजों से एक लड़ाई हार चुका था, लेकिन हर बार वह नई ताकत के साथ लड़ने के लिए तैयार हो जाता था.
इस लड़ाई के पीछे की वजह बहुत दिलचस्प है. मीर कासिम जब बंगाल का नवाब बना, तो उसने बंगाल में अपने हिसाब से कुछ नियम लागू किए. वह अपने प्रशासकों को नियमित रूप से वेतन देने लगा था. इस वजह से खर्चों में बढ़ोत्तरी होने लगी थी. यह सब कुछ अंग्रेज देख रहे थे. देखते ही देखते वो अंग्रेजों के निशाने पर आ गया.
अंग्रेज चाहते थे कि मीर कासिम उनके हिसाब से काम करे, लेकिन ऐसा संभव नहीं था.
धीरे-धीरे संबंध खराब होते चले गए. इसके बाद हालात युद्ध तक आ पहुंचे.
19 जून 1763 को कटवा के युद्ध में कासिम को हार मिली. सिलसिला यहीं नहीं रुका, आगे चलकर एक और युद्ध में उसे हार मिलने वाली थी.
2 अगस्त का दिन आया. अंग्रेज और कासिम की सेना आमने-सामने थीं, जिसमें एक बार फिर मीर कासिम हार गया.
हिटलर का हुआ जर्मनी
हिटलर, दुनिया का सबसे क्रूर शासक, जो विश्व युद्ध शुरू कराने के लिए जिम्मेदार माना जाता है.
आज ही के दिन यानी 2 अगस्त 1934 को हिटलर को जर्मनी का ‘तानाशाह’ घोषित किया गया था और उसने सेना के मुख्य कमांडर की शपथ ग्रहण की.
उसे जर्मनी को मिली पहले विश्व युद्ध की हार का बदला लेना था और शायद इसीलिए उसने क्रूर कार्यों को अंजाम दिया.
हिटलर का जन्म ऑस्ट्रिया में हुआ था. पहले विश्व युद्ध के दौरान एक साधारण सैनिक रहा हिटलर अपने देश को सम्मान दिलाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार था. और उसकी इस जिद ने उसे हिंसक बना दिया.
इसके बाद उसने अपनी नीतियों से यहूदियों को निशाना बनाया और करीब 60 लाख यहूदियों को मौत के घाट उतार दिया.
टेलॉटोग्राफ के आविष्कारक का जन्मदिन
आज ही के दिन यानी 2 अगस्त 1835 ई. को ओहियो में एलिशा ग्रे यानी टेलॉटोग्राफ की खोज करने वाले जाने माने अमेरिकी आविष्कारक का जन्म हुआ था. इनका नाम उन चुनिंदा लोगों में भी आता है जिनके अविष्कार से एक बदलाव आया है.
ग्रे ने अपनी खुद की कंपनी के द्वारा एक अद्भुत आविष्कार टेलॉटोग्राफ की शुरुआत करते हुए 20वीं सदी में डाटा ट्रांसमिशन के काम को आसान बनाया. उनके आविष्कार ने ही डाटा को बहुत आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने का काम किया. इसका इस्तेमाल सबसे ज्यादा हस्ताक्षर भेजने में किया गया.
टेलॉटोग्राफ फैक्स मशीन के लिए एक अग्रदूत था. ये रिकॉर्ड किए गए विद्युत आवेगों को प्रेषित कर अपने काम को करता है. इसका आविष्कार 1888 में एलिशा ग्रे द्वारा किया गया. इस खोज के पेटेंट में दावा किया गया कि यह डिवाइस एक व्यक्ति के हाथ से लिखे को दो तार वाले सर्किट पर दूर भेजने में सक्षम है.
हालांकि बाद में टेलॉटोग्राफ को फोस्टर रिची ने टेलीराइटर में परिवर्तित कर दिया. इस आविष्कार के द्वारा एक ही समय में टेलॉटोग्राफ वाले काम के साथ बात भी की जा सकती थी.
Web Title: Day In History 2nd August, Hindi Article
Featured image credit: timesoftunbridgewells