हर रोज़ दुनिया की ऐतिहासिक घटनाएं कैलेंडर पर छपी तारीखों में कैद हो जाती हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को इतिहास से रूबरू कराती हैं. कैलेंडर की प्रत्येक तारीख के पीछे एक इतिहास छिपा है और उस इतिहास के पीछे एक कहानी है!
ऐसी हज़ारों कहानियां इतिहास की किताबों में दर्ज हैं, जो हमें दुनिया के मशहूर किस्सों के बारे में बताती हैं. ऐसे में इन किस्सों को हर कोई जानना चाहता है!
यही कारण है कि आज हम आपके लिए कुछ ऐसी ही ऐतिहासिक घटनाओं को लेकर आए हैं, जिन्होंने 30 मई के दिन को प्रसिद्ध कर दिया. वह घटनाएं कौन सी थी, आईए जानते हैं-
क्रिस्टोफर कोलंबस निकले तीसरी यात्रा पर!
प्राचीन समय के महान लोगों की कहानियां और किस्से हम पढ़ते और सुनते आये हैं. पहले के समय में कोई अपनी निडरता के लिये इतिहास के पन्नों में हमेशा दर्ज हो गया. वहीं कोई अपनी अनोखी खोज के लिये दुनिया के लिये प्रेरणादायक बन गया. बच्चों को महान लोगों के किस्से सुनाने के पीछे एक मकसद होता है. इससे उन्हें एक मार्गदर्शन मिलता है और वह सफलता की ओर बढ़ते हैं.
महान नेविगेटर क्रिस्टोफर कोलंबस भी ऐसे ही एक नायक थे जिनकी यात्राओं ने उन्हें कई कहानियों का नायक बना दिया. कोलंबस ने अपने समयकाल में न सिर्फ समुद्री यात्राएं की, बल्कि कई समुद्री द्वीपों एंव टापूओं को बसाने में मुख्य भूमिका भी निभाई. खास तौर पर उन्हें उनके द्वारा की गई अटलांटिक महासागर की यात्राओं के लिए याद किया जाता है.
14वीं ईसवी का अंत होते-होते दुनिया के सभी कोनों में व्यापार का चलन बढ़ रहा था. कारोबारी अपने व्यापार को बढ़ाने के लिये नये-नये रास्ते खोज रहे थे. यूरोपीय साम्राज्य भी आर्थिक प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर दुनिया भर में व्यापार करने को लालायित थे.
कोलंबस ने यूरोपियन देशों की ओर से समुद्री यात्रा द्वारा दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया का सफर करने का मन बनाया था. 1492 में वह अपनी पहली समुद्री यात्रा के लिए निकले थे. इस समय उनकी उम्र 42 वर्ष के आसपास रही होगी. दो समुद्री यात्रा पूरी करने के बाद कोलंबस ने 30 मई को अपनी तीसरी समुद्री यात्रा शुरु की थी.
स्पेन की रानी को अपनी यात्रा के लिए आश्वस्त करने के बाद क्रिस्टोफर कोलंबस ने 30 मई 1498 को स्पेन छोड़ दिया. वह पिंटा, नीना और सांता मारिया नाम के तीन जहाज़ों के साथ स्पेन की खतरनाक समुद्री लहरों में उतर गये थे. बता दें कि अपने जीवनकाल में कोलंबस तीन समुद्री यात्राएं कर चुके थे.
इन यात्राओं में उन्होंने काफी उतार चढ़ाव देखे. बावजूद उसके कोलंबस की हिम्मत एक पल को भी नहीं डगमगाई. इसके बाद उन्होंने अपनी चौथी समुद्री यात्रा की शुरुआत की. अमेरिकी द्वीपों की सफल यात्रा के बाद क्रिस्टोफर कोलंबस वापिस स्पेन आए. तब वह 53 वर्ष के हो चुके थे.
इसी बीच स्पेन की महरानी रानी इसाबेला की मौत हो गई. कोलंबस के लिए यह बड़ा झटका था. असल में उनकी सभी यात्राओं में रानी का अमूल्य योगदान रहा था. 20 मई 1506 को इस महान यात्री ने दुनिया को अलविदा कह दिया.
भारत का पहला हिन्दी अखबार हुआ प्रकाशित!
भारत में मीडिया को चौथा स्तंभ कहा जाता है. भारत में पहला अंग्रेजी अखबार बंगाल गैजेट था. समय के साथ पत्रकारिता में काफी विस्तार हुआ है. अब हर भाषा में अखबार छपने लगा है. हालांकि बात कई साल पुरानी करें, तो आज का दिन भारत की हिन्दी पत्रकारिता के लिए काफी विशेष है.
वर्तमान समय में हिन्दी पत्रकारिता का विस्तार काफी तेजी से हो रहा है. हालांकि वह भी एक दौर था जब साल 1826 में पहला हिन्दी अखबार प्रकाशित हुआ था. यह हिन्दी पत्रकारिता युग की एक नई शुरुआत थी. पहले हिन्दी अखबार का नाम था उदन्त मार्तण्ड.
इस तरह 30 मई को पहले हिन्दी समाचार पत्र की शुरुआत हुई. यही कारण है कि हर वर्ष 30 मई को हिन्दी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है. बता दें कि पहला हिंदी समाचार पत्र जुगल किशोर शुक्ला ने शुरू किया था. पहले हिंदी दैनिक अखबार का प्रकाशन ब्रज और खारी भाषाओं में किया गया था.
जुगल किशोर शुक्ला ने पत्रकारिता को भारतीय लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बनाने में काफी मदद की थी. पहला हिन्दी अखबार कोलकाता से ही प्रकाशित हुआ था. हलांकि काफी बाधाओं के बाद यह अखबार लंबे समय तक प्रकाशित नहीं हो सका था. जिसके बाद इस अखबार को बंद कर दिया गया था. मगर 30 मई की तिथि भारतीय पत्रकारिता इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गई.
बांग्लादेश के राष्ट्रपति जियाउर रहमान की हत्या!
बांग्लादेश के लिए आज का दिन काफी कड़वीं यादें लेकर आया था. 30 मई साल 1981 वाले दिन नेता जियाउर रहमान की हत्या कर दी गई थी. जब उनकी हत्या की गई तब वह सरकारी गेस्ट हाउस में अपने अन्य राजनीतिक साथियों के साथ ठहरे हुए थे. इस घटना में करीब आठ लोग मारे गए थे.
राष्ट्रपति की हत्या के बाद पूरे बांग्लादेश में तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी. 30 मई सुबह के 4 बज रहे थे, जब जियाउर रहमान की हत्या की गई. जिन लोगों ने राष्ट्रपति जियाउर रहमान की हत्या को अंजाम दिया, वह सभी लोग बांग्लादेश आर्मी में अफसर के पद पर तैनात थे.
तीन सैन्य अधिकारियों की टीम ने चटगांव के सरकारी वीआईपी गेस्ट हाउस में हमला कर राष्ट्रपति जियाउर रहमान को मौत के घाट उतार दिया था. वह सभी पूरी तैयारी के साथ जियाउर रहमान को मौत के घाट उतारने के लिए गेस्ट हाउस में घुसे थे. कहते हैं कि उनके पास रॉकेट लांचर, ग्रेनेड और खतरनाक राइफल्स थीं.
एक सैन्य अधिकारी ने पहले रॉकेट लांचर से जियाउर रहमान की बिल्डिंग में वार किया. हमला इतना घातक था कि बिल्डिंग में बड़ा सा छेद हो गया था. वहीं एक सैन्य अधिकारी इसके बाद बिल्डिंग में घुसा और सो रहे जियाउर रहमान को ढूंढ निकाला. इसके बाद सैन्य अधिकारी ने आर्मी की बंदूक से जियाउर रहमान पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया.
जियाउर रहमान की हत्या में बांग्लादेश सेना के मेजर जनरल अबुल मंजूर का हाथ माना गया था. जिसके बाद बांग्लादेश आर्मी के चीफ ऑफ आर्मी ने मेजर जनरल को पकड़ने के सख्त निर्देश दिए थे. निर्देश के बाद बांग्लादेश सेना ने मेजर जनरल अबुल मंजूर को ढूंढ निकाला था और उसको मौत के घाट उतार दिया था.
तो ये थे 30 मई से जुड़े कुछ अहम ऐतिहासिक किस्से! अगर आपको भी इस तारीख से संबंधित कोई विशेष घटना याद है, तो कृपया हमें कमेंट बॉक्स में बताएं और अपनी जानकारी को पढ़ने वाले दूसरे लोगों तक पहुंचाए.
Web Title: Day In History 30 May, Hindi Article
Feature Image Credit: funnyordie