इतिहास में घटित-घटनाएं, हमारे वर्तमान समय से जुड़ी होती हैं और कई घटनाएँ तो इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो जाती हैं.
यदि आज की तारीख पर नजर डालें तो पता चलता है कि, आज ही के दिन 2007 में प्रख्यात पश्चात गायक मन्ना डे को दादासाहेब फाल्के पुरस्कार के लिए मनोनीत किया गया था.
वहीं महाराष्ट्र समेत भारत के अन्य 12 राज्यों में भूकंप के कारण 20000 लोगों की जान चली गई थी. इसके अलावा 1687 में औरंगजेब ने हैदराबाद के गोलकुंडा के किले पर आक्रमण किया. अमेरिकी नौसेना में शामिल हुई विश्व की पहली पनडुब्बी.
तो चलिए जानते हैं, आज के दिन घटित कुछ ऐसी ही देश-विदेश की ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में–
औरंगजेब ने हैदराबाद के गोलकुंडा किले पर क़ब्जा किया
हैदराबाद का गोलकुंडा किला कई साम्राज्यों के बनने और बिगड़ने का साक्षी रहा है. इस किले ने अपने साम्राज्य को कई बार विदेशी आक्रमणों से बचाया है.
कई मशहूर लड़ाईयां यहाँ पर हुई हैं. उनमें से ही एक थी मुगल शासक औरंगजेब और कुतुब शाही के बीच की.
कुतुब शाही और औरंगजेब के बीच 30 सितंबर 1687 में हुए इस युद्ध में मुगल शासक औरंगजेब की जीत हुई.
यह जीत औरंगजेब के लिए इतनी इतनी आसान नहीं थी. इस युद्ध को जीतने के लिए औरंगजेब को बहुत मेहनत करनी पड़ी थी.
बताया जाता है कि 17वीं शताब्दी में गोलकुंडा को हीरों की राजधानी कहा जाता था. कोल्लूर की खदानों में दुनिया के सबसे बेहतरीन हीरे पाए जाते थे.
औरंगजेब ने उसे ही पाने के इरादे से गोलकुंडा पर आक्रमण किया था.
बताया जाता है कि औरंगजेब 90 हजार सैनिक, 240 तोप और 50 हज़ार घुड़सवार के साथ गोलकुंडा पर आक्रमण करने आया था.
हालांकि, गोलकुंडा पर 8 बार आक्रमण करने के बावजूद भी वह किले को भेद नहीं पाया. उसकी सारी कोशिशें नाकामयाब हो रही थीं.
औरंगजेब ने कुतुब शाही के कमांडर को किले के पिछले दरवाजे से घुसने के लिए रिश्वत दी. औरंगजेब की चाल कामयाब रही.
वह गोलकुंडा के पिछले दरवाजे से घुसा और आक्रमण कर दिया. आखिरकार 8 महीने तक चलने वाले इस युद्ध में कुतुब शाही की हार हुई.
मन्ना डे को दिया गया दादा साहब फाल्के पुरस्कार
आज ही के दिन यानी 30 सितंबर 2007 को प्रख्यात पश्चात गायक मन्ना डे को दादासाहेब फाल्के अवार्ड के लिए नामांकित किया गया था. उस समय मन्ना डे 90 साल के थे. उन्हें यह सम्मान भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने 21 अक्टूबर 2007 को पूरे मान सम्मान के साथ प्रदान किया.
मन्ना डे को दादासाहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की खबर सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा दी गई थी. सूचना प्रसारण मंत्रालय के 5 सदस्यों की समिति टीम ने मन्ना डे का नाम इस पुरस्कार के लिए चयनित किया था.
मन्ना डे भारतीय सिनेमा के महान गायकों में से एक थे. उन्होंने अपने जीवन काल में 3500 से अधिक गीत गाए थे.
मन्ना डे 1950 से 1970 के दशक तक संगीत की दुनिया के बेताज़ बादशाह रहे थे. उनके गाए हुए गाने आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं. उनके गानों में मोहब्बत, देशप्रेम और जीवन की सच्चाई झलकती है.
उनके गाने ऐ मेरे प्यारे वतन और जिंदगी कैसी है पहेली आज भी लोग गुनगुनाते हैं. लदादासाहब फाल्के पुरस्कार सिनेमा जगत के लिए सर्वोच्च पुरस्कार माना जाता है. इस पुरस्कार को हर वर्ष राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में दिया जाता है.
यह सम्मान भारतीय सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है. दादासाहब फाल्के पुरस्कार की शुरुआत 1969 में की गई थी और सबसे पहले यह पुरस्कार देविका रानी को मिला था. संस्कृत के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए मन्ना डे को 1971 में पद्म श्री और 2005 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था.
भारत के 12 राज्यों में भूकंप में 20000 लोग मरे
आज से 25 साल पहले 30 सितंबर 1993 की सुबह भूकंप के झटकों ने महाराष्ट्र समेत अन्य 12 राज्यों
में कहर बरपाया. इस भयानक त्रासदी में लगभग 20000 लोगों की जान चली गई थी और 35 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए थे. उस भूकंप के भयावह मंजर ने महाराष्ट्र के लातूर को उजाड़ कर रख दिया.
यह भूकंप सुबह 3:00 बज के 56 मिनट पर आया था और इसका असर लगभग 40 मिनट तक रहा. भूकंप ने महाराष्ट्र समेत अन्य 12 राज्यों में अपना कोहराम मचाया था. एक आंकड़े के अनुसार इस भूकंप में 21 लाख मकान जमींदोज हो गए थे. भूकंप के कुछ देर बाद शहर की गलियों में लाशों का अंबार दिखाई दे रहा था.
भूकंप की तीव्रता 6.4 मापी गई थी. भूकंप में देश के लगभग 52 गांव पूरी तरह तबाह हो चुके थे. शुरुआती समय में भूकंप की वजहों का पता नहीं चल पा रहा था.
पहले वैज्ञानिकों को यह लगा कि ज्वालामुखी के फटने से यह भूकंप आया है. हालांकि, लंबे समय के शोध के बाद यह पता चला कि यह भूकंप भूगर्भीय हलचल के कारण आया था.
इस भूकंप में पूरी तरह से तबाह हो चुके लोगों के लिए राहत बचाव कार्य शुरू किया गया. लोगों को तत्कालीन विस्थापन करने के लिए 769 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण की गई.
इस राहत बचाव कार्य में कई गैर सरकारी संगठन भी शामिल थे, जिन्होंने भूकंप पीड़ितों का दर्द बांटने का काम किया था.
परमाणु संचालित पनडुब्बी से बढ़ी अमेरिकी नौसेना की ताकत
नॉटिलस पनडुब्बी को दुनिया की पहली परमाणु संचालित पनडुब्बी के रूप में जाना जाता है. इस पनडुब्बी को यूएसएस नॉटिलस 571 के नाम से भी जाना जाता है.
यह जून 1952 में अपने अस्तित्व में आया था. यूएस की सरकार इस पनडुब्बी को लेकर काफी गंभीर थी. लिहाजा नॉटिलस पनडुब्बी को 30 सितंबर 1954 को यूएस नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल कर लिया गया.
यह माना जाता है कि अमेरिका अपना वर्चस्व दिखाना चाहता था इसलिए नॉटिलस 571 को जंगी बेड़े शामिल किया गया.
हालांकि, अमेरिका सुरक्षा के लिहाज से कोई कोताही बरतना नहीं चाहता था. इसलिए इस परमाणु पनडुब्बी को जल्द से जल्द नौसेना में शामिल कर लिया.
नॉटिलस पनडुब्बी समुद्री सुरक्षा के लिहाज से बेहद शानदार थी. इस पनडुब्बी का निर्माण करते समय वैज्ञानिकों ने खासा ध्यान दिया था. नॉटिलस पनडुब्बी का कुल वजन 2800 टन है और इसकी लंबाई 97.5 मीटर और चौड़ाई 8.4 मीटर बताई जाती है.
नॉटिलस पनडुब्बी 200 से ज्यादा मीटर की गहराई में अपने आप को विस्थापित और संचालित कर सकती है.
यह 50 दिनों का ईंधन एक साथ लेकर चल सकती है और 30 हजार किलोमीटर की यात्रा कर सकने में सक्षम है.
इस पनडुब्बी का 17 जनवरी 1957 को समुद्री परीक्षण भी किया गया था. अमेरिका इस लड़ाकू सबमरीन की बदौलत शीत युद्ध के समय अपना वर्चस्व दिखाने में कामयाब रहा था.
सोवियत संघ के साथ अमेरिका का मनमुटाव पहले से ही जगजाहिर था. लेकिन अमेरिका ने समुंद्र में इस तरह से लड़ाकू सबमरीन उतारकर शीत युद्ध को और बढ़ावा देने का काम किया.
नॉटिलस पनडुब्बी ने अमेरिकी नौसेना की सेवा लगभग 25 साल तक की. इस बीच उसने कई रिकॉर्ड बनाए.
नॉटिलस ने 25 साल के भीतर 500,000 मील तक की दूरी तय की थी. समय के साथ आधुनिक पनडुब्बियों के आने से नॉटिलस को 3 मार्च 1980 को यूएस की नौसेना से हटा दिया गया.
वहीं सन 1982 को राष्ट्रीय ऐतिहासिक चिन्ह के तौर पर इस पनडुब्बी को एक संग्रहालय में रख दिया गया.
तो ये थीं 30 सितंबर के दिन इतिहास में घटी कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं.
अगर आपके पास भी इस दिन से जुड़ी किसी महत्वपूर्ण घटना की जानकारी हो, तो हमें नीचे कमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं.
Web Title: Day In History 30 September, Hindi Article
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