हर बीतता दिन इतिहास का हिस्सा बन जाता है. हर तारीख अपने साथ एक घटना को संजोते हुए चलती है. अब वो चाहे, किसी के तख्त पलट की बात हो या फिर किसी की ताजपोशी की.
तारीख अपने रूप में किसी की हार या जीत की याद को ताज़ा रखने में मददगार होती है.
आज का इतिहास भी कुछ ख़ास है, जहाँ एक ओर महान योद्धा छत्रपति शिवाजी को राजा या छत्रपति होने की उपाधि मिल गयी वही दूसरी ओर इसी दिन अमरीकी राष्ट्रपति उम्मीदवार कैनेडी की गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी.
किसी के लिए ये तारीख ‘उदय’ का दिन बनी, तो किसी के लिए ‘अस्त’ का.
आज तारीख है ‘6 जून’.
तो जानते हैं, आज की तारीख के इतिहास में दर्ज घटनाओं को–
जब शिवाजी बने 'छत्रपति शिवाजी'!
एक प्रखर योद्धा वीर शिवाजी राव, जिन्हें हिंदुओं को एकजुट करने के लिए जाना जाता है. वहीं दूसरी ओर जिन्हें मुग़लों के सबसे बड़े शत्रु के तौर भी जाना जाता था.
छत्रपति एक बहादुर राजा थे जिन्होंने मराठा साम्राज्य की स्थापना की थी. आज ही के दिन 1674 में इनकी रायगढ़ के छत्रपति के रूप में ताजपोशी हुई थी.
इनके शुरुआती जीवन को जाने, तो भोंसले मराठा वंश से आने वाले शिवाजी ने 12 साल की आयु से ही बैंगलोर से आधिकारिक प्रशिक्षण लिया था.
आगे चलकर उन्होंने एक सेना और संगठित प्रशासन बनाया, जिसमें उन्होंने दौलत खान, इब्राहिम खान समेत कई मुस्लिम लोगों को भी अपनी सेना का अहम हिस्सा बनाया.
उन्हें एक धर्मनिरपेक्ष राजा के तौर पर भी जाना जाता है, जिसने राज्य में सुशासन स्थापित किया था. सिर्फ यही नहीं, कहते हैं कि उन्होंने अपनी सेना दो हज़ार से बढ़ाकर एक लाख सैनिकों की कर दी थी.
इसके अलावा अपने राज में गोवा और कोंकण के समुद्री तटों की रक्षा के लिए नौसेना बनाने का काम भी उन्होंने ही किया था. शिवाजी, ऐसे पहले राजा थे जिन्होंने नौसेना के किलों की अहमियत समझी थी.
लिहाज़ा उन्होंने विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग और जयगढ़ किलों का निर्माण भी करवाया था. वे एक धार्मिक हिन्दू थे, जिन्होंने सभी हिंदुओं को एकजुट करने का काम किया था. इसके अलावा, शिवाजी लोगों को संस्कृति का महत्व भी समझाना चाहते थे.
इसके लिए, इन्होंने मराठी कोर्ट में पर्शियन भाषा का प्रयोग हटाकर संस्कृत में कर दिया था. 1657 तक इन्होंने मुग़लों से शांतिपूर्ण सम्बन्ध बनाकर रखें. हालांकि ये सिलसिला ज्यादा दिनों तक नहींं चल पाया.
इसके बाद दोनों के बीच कई सारे युद्ध ऐसे हुए जिनके कोई नतीजे ही नहीं निकले. शिवाजी को जब अपनी सेना की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पैसों की कमी पड़ी. तब उन्होंने सूरत को लूटने की योजना बनायी, जो मुग़लों के अधीन था.
शिवाजी के बहादुरी के कई किस्से हैं, जिसके लिए इतिहास उन्हें हमेशा याद रखेगा. उनके साहस और बुद्धि की जितनी सराहना की जाए कम है. यही वजह है उनके द्वारा स्थापित किया गया हिन्दू साम्राज्य लगभग दो सदी तक चला.
राष्ट्रपति पद के दावेदार रॉबर्ट कैनेडी की हुई हत्या!
आज ही के दिन, 1968 में अमेरिकी इतिहास में एक तूफ़ान आ गया था. एक सभा को संबोधित करके लौट रहे राष्ट्रपति पद के दावेदार रॉबर्ट कैनेडी को 22 साल के फिलिस्तीनी युवक ने गोलियां मार दी थी.
रॉबर्ट अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति जॉन ऍफ़. कैनेडी के भाई थे. आपको ये बता दें कि, उनके भाई की भी 1963 में हत्या कर दी गयी थी. कैलिफ़ोर्निया के प्राथमिक चुनाव में जीत के बाद अब उनका सामना रिचर्ड निक्सन से होना था.
हालांकि इसके पहले ही उनकी हत्या कर दी गयी. वो अमेरिका के लोगों को एकजुट करने में सफल रहने की वजह से काफी चर्चा में आये थे.
एम्बेसडर होटल से अपनी जीत के बाद समर्थकों का अभिवादन कर लौट रहे कैनेडी को गोलियों से छलनी कर दिया गया. गोली लगते ही वे खून से लथपथ हो गए.
उनके अलावा उनके सुरक्षा कर्मियों को भी गोली लगी और उनकी भी मौत हो गयी. कैनेडी को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन अगले दिन यानी 6 जून को उनकी मौत हो गयी.
गोली मारने वाले सिरहन सिरहन को गिरफ्तार कर लिया गया और उसे मौत की सजा सुनाई गई. हालांकि 1972 में अमेरिकी कानून में बदलाव होने के बाद उसकी मौत की सजा आजीवन कारावास में तब्दील हो गयी.
हत्यारे सिरहन ने बताया कि वो कैनेडी को फिलिस्तानियों के शोषण लिए ज़िम्मेदार मानता था. इसलिए उसने यह नापाक काम किया.
ऑपरेशन ब्लू स्टार और ‘भिंडरावाले’ की मौत
धर्म के नाम पर जब ‘खालिस्तान’ राज्य की मांग तेज़ थी. इसके लिए लोग धरना प्रदर्शन कर रहे थे. इस दौरान प्रदर्शन उग्र हो गया. सिख कट्टरपंथी नेता जरनैल सिंह ‘भिंडरावाले’ और उनके समर्थक हिंसा का प्रयोग करने लगे. इसमें कई मासूमों की जान भी चली गयी.
ऐसे में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने इस पर काबू लाने और बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया.
भारत के इतिहास में, सैन्य ऑपरेशन ब्लू स्टार विशेष रूप से दर्ज है. 6 जून, 1984 को भारतीय सेना अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के सामने ‘अकाल तख़्त’ में तोप लेकर विद्रोहियों का सफाया करने घुसे.
इस परिसर में, सिख कट्टरपंथी नेता जरनैल सिंह ‘भिंडरावाले’ और उनके समर्थक थे, जो खालिस्तान की मांग कर रहे थे. भिंडरावाले के साथ उसके हथियारबंद प्रशिक्षित समर्थक भी भारी संख्या में मौजूद थे.
भारतीय सेना और भिंडरावाले सेना के बीच करीब नौ घंटे भीषण लड़ाई हुई. इसके बाद सेना ने आतंक फ़ैलाने वालों को ख़त्म करके सफलता प्राप्त की. इस दौरान ऑपरेशन ब्लू स्टार सफल रहा और भिंडरावाले की भी मौत हो गयी.
800 लोग जब काल के गाल में समा गए
आज के दिन, 1981 में भारत में एक बड़ा रेल हादसा हुआ था, जो इतिहास के पन्नों पर काली स्याही के साथ दर्ज किया गया है. इस हादसे के दौरान करीब 800 लोगों की मौत हो गयी थी. यह भयानक हादसा तब हुआ जब ट्रेन बिहार के मानसी से सहरसा जा रही थी.
ट्रेन में यात्रियों की काफी संख्या थी. उन्हें इस बात का अंदाजा भी नहींं था कि ये उनका आखिरी सफ़र साबित होगा. ट्रेन अपनी रफ्तार से दौड़ रही थी और अचानक ट्रेन के ड्राइवर ने ब्रेक लगा दिया. इससे पैसेंजर ट्रेन की सात बोगियां पुल से बागमती नदी में गिर गयीं.
ट्रेन बागमती नदी को पार कर रही थी. हादसे के बाद भी कई लोगों के शव कई दिनों तक बोगियों में फंसे रहे. यह बहुत दर्दनाक हादसा था. ड्राइवर के ब्रेक लगाने की वजह का पता नहीं चल पाई. हालांकि लोगों की माने, तो ट्रैक पर गाय आ गयी थी जिसे बचाने के चक्कर में ड्राइवर ने ब्रेक मारा.
आज की तारीख देश-विदेश की इन घटनाओं को संजोए हुए है. जहाँ शिवाजी के छत्रपति के बनने की ख़ुशी की यादें है, तो वहीं रेल हादसे में 800 यात्रियों के मरने की दुखद यादें भी इसमें मौजूद हैं. इस दिन से जुड़ी कोई और घटना अगर आपको याद है, तो कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं.
Web Title: Day in History, 6 June: Shivajirao Crowned as Chhatrapati, Hindi Article
Feature Image Credit:happyhindi