इतिहास एक दिन में नहीं बनता, लेकिन हर दिन इतिहास के बनने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है.
8 अगस्त के इतिहास के लिए भी यही मायने हैं. इस दिन इतिहास की कुछ बहुत महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं.
तो आईए नज़र डालते हैं, इस दिन घटी ऐतिहासिक घटनाओं पर-
वाटरगेट घोटाले में निक्सन का इस्तीफ़ा
8 अगस्त 1974 के दिन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया. ऐसा करने वाले वे अमेरिकी इतिहास में पहले राष्ट्रपति बने. उनके ऊपर वाटरगेट घोटाले में शामिल होने के आरोप लगे थे. विपक्षी दल और जनता के घोर दबाव में उन्होंने इस्तीफ़ा दिया था.
इस्तीफ़ा देने से ठीक पहले उन्होंने एक भाषण दिया था. उसमें उन्होंने कहा कि वे शायद इस्तीफ़ा देने वाले प्रथम अमेरिकी राष्ट्रपति बनने वाले हैं. इस्तीफ़ा देने के बाद वे अपने परिवार के साथ कैलिफोर्निया चले गए.
उनके इस्तीफ़ा देने के कुछ ही देर बाद उप-राष्ट्रपति गेराल्ड आर फोर्ड ने अमेरिका के 38वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली.हम आपको बता दे कि वाटरगेट कांड का खुलासा 17 जून, 1972 को हुआ था.
मामला यह था कि राष्ट्रपति निक्सन ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के कार्यालय में होनी वाली बातों को निजी स्वार्थों के लिए टेप करवाया.लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद अमरीका के सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार निक्सन को सारे टेप लौटाने पड़े.
वाटरगेट कांड रिपब्लिकन और डेमोके्रट्स के बीच वर्चस्व की लड़ाई का परिणाम था, जिसे निक्सन ने अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए चुना. वाशिंगटन (डी.सी) स्थित वाटरगेट कांप्लेक्स में डेमोक्रेट नेशनल कमेटी का मुख्यालय था.यहां पर सरकारी मशीनरी का उपयोग करते हुए ऐसे टेप लगा दिए गए कि जिससे सारी बातें सुनी जा सकें.
घटना के दिन सुरक्षाकर्मी फ्रेंक विल्स ने कांप्लेक्स के दरवाजों को खुला पाया और उसने कई टेप बरामद किए. पुलिस को सूचना देने पर पुलिस डेमोक्रेट नेशनल कमेटी के मुख्यालय से पांच आदमियों को गिरफ्तार किया और बाद में दो और को.
निक्सन को 8 अगस्त, 1974 को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.वाटरगेट कांड एक तरह से दूसरे की निजता में दखलअंदाजी और सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग करते हुए अपने हितों की रक्षा करना था.
सिनेमाई अंदाज में लूटी गई ट्रेन
8 अगस्त 1963 के दिन कुछ लुटेरों ने सिनेमाई अंदाज में एक ट्रेन को लूट लिया. इसके बाद लुटेरे एक आर्मी ट्रक और लूटी गई दो लैंड रोवर्स का इस्तेमाल करके भागने में सफल हुए. लुटेरों ने 7 मिलियन डॉलर की लूट को अंजाम दिया.
इस लूट का मास्टरमाइंड ब्रूस रेनोल्ड्स था. वह पहले भी कई बार इस प्रकार की लूट को अंजाम दे चुका था. इस लूट में उसके साथ 13 और लुटेरे शामिल थे. जिस ट्रेन को लूटा गया, वह ग्लासगो से लंदन जा रही थी.
लुटेरों ने ट्रेन रोकने के लिए नकली सिग्नल का प्रयोग किया. आगे उन्होंने ड्राईवर को घायल करके ट्रेन को अपने कब्जे में किया और 7 मिलियन डॉलर की चपत लगा दी.इस लूट में उन्होंने जिन गाड़ियों का प्रयोग किया, वे लंदन से ही चुराई गईं थीं.
आगे इन्हें पकड़ लिया गया. इन्हें कुल मिलकर 300 सालों की सजा मिली. इनमें से एक लुटेरा 15 महीने बाद ही जेल से भाग गया. आगे उसने प्लास्टिक सर्जरी करवा ली. इसी क्रम में उसने देश छोड़ दिया.
किन्तु, कुछ सालों के बाद उसने भी आत्मसमर्पण कर दिया.
जॉन कीट्स लौटे घर
8 अगस्त 1818 के दिन विश्व प्रसिद्ध कवि जॉन कीट्स एक टूर को बीच में ही छोड़कर वापस घर लौट आए. टूर के बीच में उन्हें क्षय रोग के लक्षणों ने घेर लिया था. इस कारण ही उन्हें वापस आना पड़ा.
इस समय उनकी उम्र मात्र 22 वर्ष थी. आगे इसी रोग ने उनकी जान ले ली.जॉन कीट्स अपने पिता की पांच संतानों में सबसे बड़े थे. उनके पिता ने ही उन्हें थिएटर और कविता से परिचित करवाया था. बहुत छोटी उम्र से ही वे कविताएँ लिखने लगे थे.
कीट्स जब केवल आठ साल के थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया. इसके बाद उनका पूरा जीवन घोर गरीबी में बीता. आगे उन्होंने लंदन में एक सर्जन के साथ काम करना शुरू किया.
यहीं उन्होंने साहित्य का भी अध्ययन किया.यहीं पर उनकी मुलाक़ात महान कवि पी.बी शेली से हुई. उन्होंने कीट्स को कविता लिखने के लिए प्रेरित किया. आगे 1817 में कीट्स का ‘पोयम्स’ नाम से पहला कविता संग्रह प्रकाशित हुआ.
इसके बाद वे प्रेम के कवि के रूप में पहचाने जाने लगे. 1818 में उनकी सेहत गिरने लगी. अपनी ख़राब सेहत में भी वे कविता लिखते रहे. आगे 1821 में मात्र 25 वर्ष की उम्र में उनका देहांत हो गया.
शुरू हुआ भारत छोड़ो आन्दोलन
8 अगस्त 1942 के दिन महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आन्दोलन शुरू हुआ. यह आन्दोलन बम्बई से शुरू किया गया. इसका मुख्य लक्ष्य अंग्रेजों को भारत से निकलना था. ‘करो या मरो’ इस आन्दोलन का प्रमुख नारा था.
यह एक सविनय अवज्ञा आन्दोलन था.
इस आन्दोलन की शुरुआत में गांधी जी ने एक भाषण दिया था. इसके तुरंत बाद अनेक कांग्रेसी नेताओं को जेल में बंद कर दिया.
ये नेता आगे तीन साल तक जेल में रहे. यह द्वितीय विश्व युद्ध का समय था, इसलिए बड़े उद्योगपतियों को युद्ध में प्रयोग होने वाले उत्पादों को बनाने से फायदा हो रहा था. इसलिए उन्होंने इस आन्दोलन को समर्थन नहीं किया था.
वहीँ मुस्लिम लीग, हिन्दू महासभा और कम्युनिस्ट पार्टी भी इस आन्दोलन के समर्थन में नहीं थे. मुस्लिम लीग और हिन्दू महासभा जहां हिन्दुओं और मुसलमानों के लिए अलग देश की मांग के कारण इस अन्दोलन में शामिल नहीं हुए. वहीं कम्युनिस्ट पार्टी का कहना था कि हिटलर अंग्रेजो से ज्यादा खतरनाक है, इसलिए हमें अंग्रेजों का साथ पहले हिटलर को हराने में देना चाहिए.
आगे यह आन्दोलन सफल तो नहीं हुआ लेकिन इसने भारत को स्वतंत्रता दिलाने की राह में प्रमुख भूमिका निभाई.
तो ये थीं 8 अगस्त के दिन इतिहास में घटीं कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं.
अगर आपके पास भी इस दिन से जुडी किसी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना की जानकारी हो, तो हमें कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day in History 8 August, Hindi Article
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