इतिहास एक दिन में नहीं बनता, लेकिन हर दिन इतिहास के बनने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है.
4 सितंबर के इतिहास के लिए भी यही मायने हैं. इस दिन इतिहास की कुछ बहुत महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं.
तो आईए नज़र डालते हैं, इस दिन घटी ऐतिहासिक घटनाओं पर-
हुई गूगल की शुरुआत
4 सितंबर 1998 के दिन कालिफोर्निया में लैरी पेज और सर्जी ब्रिन ने गूगल नाम की एक कंपनी के निगमन के लिए आवेदन किया. आगे चलकर गूगल दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजिन बना. धीरे-धीरे गूगल ने सर्च इंजिन के अलावा दूसरे टूल भी विकसित किए.
इनमें वेब ब्राउज़र, नक्शा, ई-मेल और मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम प्रमुख हैं. इससे पहले 1996 में बीस वर्ष के युवा लैरी पेज और सर्जी ब्रिन ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में इन्टरनेट के लिए एक सर्च इंजिन पर काम करना शुरू किया था. अगले साल उन्होंने गूगल डॉट कॉम नाम से एक डोमेन को रजिस्टर करवाया. इसके बाद उन्हें एक इन्वेस्टर से एक लाख डॉलर का इन्वेस्टमेंट मिला. यहाँ से गूगल की शुरुआत हुई.
आगे 1998 में ही कंपनी ने कैलिफोर्निया में ऑफिस खोला. अगले वर्ष तक कंपनी के पास केवल आठ कर्मचारी ही थे. जल्द ही कम्पनी ने मुनाफा कमाना शुरू किया और 2001 में टोक्यो में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय ऑफिस खोला. धीरे-धीरे कंपनी ने ढेर सारा मुनाफा कमाना शुरू किया.
2005 से कम्पनी ने नए टूल लांच करने शुरू किये. इनमें गूगल कैलेण्डर और ट्रांसलेटर प्रमुख रहे. धीरे-धीरे कंपनी और गाए बढ़ी. 2014 में इसकी विपणन पूँजी 390 बिलियन डॉलर की रही. आज यह कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम कर रही है.
भारत को मिला पहला पैरालंपिक पदक
4 सितंबर 2012 के दिन भारत को पैरालंपिक में पहला पदक मिला. यह पदक गिरीश एस नगराजेगौड़ा ने दिलाया. उन्होंने पुरुषों की ऊंची कूद प्रतिस्पर्धा में रजत पदक जीता. इस प्रतियोगिता का नाम एफ 42 रखा गया था. गिरीश एस नगराजेगौड़ा मूल रूप से कर्नाटक से ताल्लुक रखने वाले हैं.
उनके बाएँ पैर में विकृति है. उन्होंने प्रतियोगिता के फाइनल में सिजर्स तकनीक के सहारे कूद लगाई. इस दौरान वे 1.74 मीटर ऊँचा कूदे. इस ऊंचाई ने उन्हें दूसरा स्थान हासिल करवाया और इस प्रकार उन्होंने देश के लिए रजत पदक जीता. फिजी के डेएसा लोएना ने इस प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता.
मजेदार बात तो यह है कि डेएसा ने भी 1.74 मीटर की ही कूद लगाई थी, लेकिन उनकी कूद की संख्या गिरीश के मुकाबले कम थी. वहीं पोलैंड के लुकाज मेमजाज ने इस प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता. गिरीश ने इस प्रतियोगिता में भाग लेने से पहले करीब 35 महीनों तक कड़ी मेहनत की थी.
इसके लिए विकलांगों के लिए काम करने वाले बैंगलोर स्थित एक गैर सरकारी संगठन ने उनकी मदद की थी. इस संगठन का नाम समर्थन है.
सुनामी ने मचाई जापान में तबाही
4 सितंबर 1596 के दिन जापान के सबसे दक्षिणी द्वीप क्यूशू पर सुनामी आई. आगे इसने भारी तबाही मचाई. यह रिकॉर्ड की जाने वाली अब तक की सबसे भयावह सुनामी थी. असल में यह सुनामी एक छोटे से भूकंप की वजह से पैदा हुई थी. यह भूकंप बेप्पू खाड़ी में आया था. बेप्पू खाड़ी क्यूशू द्वीप के पूर्व में स्थित है. हालाँकि, इस भूकंप की तीव्रता ज्यादा नहीं थी. लेकिन इससे पैदा हुई सुनामी खतरनाक साबित हुई.
असल में इस भूकंप ने खाड़ी के पास स्थित एक दूसरे छोटे से द्वीप पर भूस्खलन को जन्म दिया था. वहीं भूकंप भी क्योटो और कागोशिमा तक महसूस किया गया था. इस प्रकार करीब 50 फुट लहरों का इस सुनामी से जन्म हुआ. उस समय क्यूशू द्वीप की राजधानी लगभग 5,000 लोगों का निवास स्थान थी. भूकंप का तो लोगों के ऊपर ख़ास कोई प्रभाव नहीं पड़ा, लेकिन सुनामी ने लगभग 1,000 लोगों को अपना शिकार बना लिया.
इस सुनामी की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस सुनामी के बाद भी कई सालों तक यह द्वीप रहने लायक नहीं रहा. इस सुनामी ने आसपास के छोटे-मोटे द्वीपों को भी नष्ट कर दिया. कुल मिलाकर करीब हजार वर्ग मील का क्षेत्र इस सुनामी के बाद गायब हो गया.
मार्क स्पिट्ज ने जीता सातवाँ पदक
4 सितंबर 1972 के दिन अमेरिकी तैराक मार्क स्पिट्ज ने अपना सातवाँ स्वर्ण पदक जीता. यह उपलब्धि उन्होंने 1972 में आयोजित ओलम्पिक में हासिल की. उन्होंने एक ही ओलम्पिक में ये सातों पदक जीते. इस दौरान उन्होंने अनेक रिकॉर्ड बनाए.
मार्क का जन्म 1950 में कैलिफोर्निया में हुआ था. मात्र 6 साल की उम्र में ही उन्होंने तैराकी की शुरुआत कर दी. जब वे दस साल के हुए तो उनके नाम 17 राष्ट्रीय रिकॉर्ड दर्ज हो चुके थे. 16 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली यूनियन चैम्पियनशिप जीती और अगले वर्ष उन्होंने पैन-अमेरिकी तैराकी प्रतियोगिता में पांच पदक अपने नाम किए. जब वे 18 वर्ष के हुए, तो उनके नाम 10 राष्ट्रीय रिकॉर्ड दर्ज थे.
आगे 1968 के ओलम्पिक के लिए उन्होंने घोषणा की वे कम से कम 6 पदक जीतेंगे, लेकिन वे सिर्फ चार पदक ही जीत पाए. इसके बाद वे इंडियाना विश्वविद्यालय में ट्रेनिंग करने के लिए चले गए. ट्रेनिंग के बाद जब वे लौटे, तो वक्त अगले ओलम्पिक आयोजन का हो चुका था. इस ओलम्पिक में मार्क ने धूम मचा दी और सात पदक जीते. अगले दिन कुछ आतंकवादियों ने यहूदी खिलाड़ियों को अपने कब्जे में ले लिया. इनमें स्पिट्ज भी शामिल थे.
बाद में स्पिट्ज छूटे तो अमेरिका में उनका स्वागत एक हीरो के तौर पर किया गया. आगे उन्होंने हॉलीवुड में अपना कैरियर बनाना चाहा, लेकिन सफल नहीं हुए. इस समय तक उन्होंने तैरना बिलकुल बंद कर दिया था.
1992 में एक बार फिर से उन्होंने तैरना शुरू किया, लेकिन इसका कोई फायदा होता हुआ नजर नहीं आया.
तो ये थीं 4 सितंबर के दिन इतिहास में घटीं कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं.
अगर आपके पास भी इस दिन से जुड़ी किसी ऐतिहासिक घटना की जानकारी हो, तो हमें कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day In History 4 September, Hindi Article
Feature Image Credit: Oracle Times