कैलेंडर के पन्नों में दर्ज हर तारीख अपने आप में कई ऐतिहासिक घटनाओं को समेटे हुए है. उसके उड़ते हुए पन्नों पर आंख बंद कर के भी किसी तारीख पर हाथ रखेंगे, तो उसमें छिपी कई कहानियां सामने आ जाएंगी.
‘डे’ इन हिस्ट्री के बहाने हम भी आपको ऐसी ही घटनाओं से रूबरू करवा रहे हैं.
कैंलेंडर में आज तारीख है 27 मार्च…
27 मार्च का दिन दुनिया के राजनीतिक इतिहास में कई बड़े फेरबदल के लिए याद किया जाता है. रूस में जहां पहली बार स्वतंत्र चुनाव हुए और लोगों ने कम्युनिस्ट पार्टी को सिरे से नाकार दिया. वहीं दूसरी ओर इराक में हुए संसदीय चुनावों में तत्कालीन प्रधानमंत्री की जबरदस्त हार हुई. इस परिणाम का विरोध बम धमकों से किया गया!
अच्छी बात यह है कि दुनिया ने इस दिन को रंगमंच की खूबसूरत दुनिया के लिए भी यादगार बना दिया. हालांकि, दुनिया का सबसे भयावह विमान हादसा भी इसी तारीख को हुआ था, जिसमें सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी.
आइए और नजदीक से जानते हैं तारीख 27 मार्च को!
विश्व रंगमंच दिवस की शुरुआत
सिनेमा की शुुरुआत से पहले लोगों के मनोरंजन का एक ही ठिकाना था… रंगमंच!
आज जब हिंदी सिनेमा अपने चरम पर है, हर हफ्ते दर्जनों फिल्में रिलीज होती हैं, लेकिन अभी भी एक तबका है जो थिएटर को पसंद करता है.
रंगमंच और उसकी धड़कनों को रफ्तार देते कलाकारों के लिए 27 मार्च का दिन अहम है. यह दिन पूरी दुनिया में विश्व रंगमंच दिवस के रूप में मनाया जाता है.
विश्व रंगमंच दिवस की स्थापना 1961 में इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट द्वारा की गई थी. भरत मुनि ने अपने नाट्यशास्त्र में नाटकों के विकास की प्रक्रिया को लिखा है, “नाट्यकला की उत्पत्ति दैवी है, अर्थात दु:खरहित सत्ययुग बीत जाने पर त्रेतायुग के आरंभ में देवताओं ने स्रष्टा ब्रह्मा से मनोरंजन का कोई ऐसा साधन उत्पन्न करने की प्राथना की जिससे देवता लोग अपना दु:ख भूल सकें और आनंद प्राप्त कर सकें.
पृथ्वीराज कपूर, सोहराब मोदी, गिरीश कर्नाड, नसीरुद्दीन शाह, परेश रावल, अनुपम खेर से लेकर मानव कौल तक कई नाम हैं, जिन्होंने रंगमंच से अपने करियर की शुरुआत की और आज पूरी दुनिया उनकी अदाकारी की कायल है.
World theater day (Pic: novelteaclub)
इराक़ में अयाद अलावी को मिली जीत
27 मार्च 2010 यह इराक के इतिहास का वह दिन है, जब वहां की राजनीति में बड़ा बदलाव आया. पूर्व प्रधानमंत्री अयाद अलावी के नेतृत्व वाले राजनीतिक गुट को देश के संसदीय चुनावों में जीत मिली थी.
यह जीत इस लिहाज से भी खास है, क्योंकि चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी की जबरदस्त हार हुई थी! परिणामों की घोषणा के दौरान बगदाद से उत्तर में खालेस शहर में हुए दो बम धमाके में 40 लोग मारे गए.
इस हमले को चुनाव परिणाम के विरोधियों की साजिश माना जाता है.
नूरी अल मलिकी शिया हैं और उन्होंने चुनावों में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए दोबारा चुनाव की मांग की थी. हालांकि, यह मांगे न तो चुनाव आयोग ने मानी और न ही जनता ने.
इस हार के बाद इराक में राजनीतिक स्तर पर काफी उठापटक हुई, जिसका असर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी देखने को मिला.
Ayad Allawi (Pic: pulitzercenter)
परमाणु हमले में सक्षम मिसाइलों का परीक्षण
एक तरफ जहां इराक चुनाव परिणाम के दौरान बम धमाकों से दहल रहा था. वहीं दूसरी ओर भारत परमाणु हमले की तैयारियों की जांच में व्यस्त था.
27 मार्च 2010 को भारत ने 500 किलोग्राम तक के परमाणु हथियार ढोने में सक्षम पृथ्वी और धनुष मिसाइलों का सफल परीक्षण किया था. दोनों मिसाइलें उड़ीसा के चांदीपुर प्रक्षेपण रेंज से दागी गईं थीं. पृथ्वी-2 295 किलोमीटर की दूरी तक के लक्ष्य को ध्वस्त करने की क्षमता रखती है. यह सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है.
यह मिसाइल द्रवित इंजन से संचालित होती है और एक बार में 500 किलो वजन तक के बम गिरा सकती है. यह मिसाइल नौ मीटर लंबी और एक मीटर चौड़ी है. परीक्षण के दौरान इसने बंगाल की खाड़ी में स्थित लक्ष्य पर सटीक प्रहार किया था!
नौसैनिक जहाज़ से धनुष मिसाइल का भी सफल परीक्षण किया गया था. इसे पृथ्वी—2 का ही दूसरा रूप कहा जाता है, जिसे नौसेना के इस्तेमाल के लिए विकसित किया गया है.
यह 350 किलोमीटर तक की दूरी पर स्थित लक्ष्य को भेद सकती है. दस मीटर लंबी और एक मीटर चौड़ी यह मिसाइल 500 किलो तक के परमाणु हथियार ढ़ो सकती है.
27 March 2010 Indian Nuclear Test (Pic: ajaishukla)
दुनिया का सबसे भयावह विमान हादसा!
तमाम ऐतिहासिक घटनाओं के बीच यह दिन एक दुखद याद भी खुद में संजोए हुए है. 27 मार्च 1977 को टेनरिफ हवाई अड्डे पर दुनिया का सबसे भयानक हवाई हादसा हुआ था…
इसमें 583 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, इसे अब तक का सबसे भीषण हवाई हादसा करार दिया गया है! यह हादसा घने कोहरे और पायलट की नासमझी के कारण हुआ था, जिसमें मिनटों में ही सैकड़ों जिंदगियां तबाह हो गई.
टेनरिफ हवाई अड्डे पर केएलएम बोइंग 747-206B विमान बिना आज्ञा के ही उड़ान भरने के लिए तैयार हो गया. पायलट को सूचना मिल पाती और वह हालात पर काबू करता इससे पहले ही विमान ने गति पकड़ ली और रनवे पर खड़े विमान पैन एम बोइंग 747-121 से टकरा गया.
केएलएम विमान में सवार सभी 248 यात्री मारे गये, जबकि पैन एम बोइंग विमान में सवार 396 लोगों में से केवल 61 लोगों को ही बचाया जा सका था.
रूस में पहली बार हुए स्वतंत्र चुनाव
27 मार्च 1989 का दिन रूस के राजनीतिक इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा गया है. चूंकि इसी दिन देश में पहली बार स्वतंत्र चुनाव हुए थे और जनता ने मतदान कर अपने नेता को चुना.
सोवियत काल में हुए इस चुनाव के शुरुआती नतीजों से ही अंदाजा लगने लगा था कि लाखों मतदाताओं ने कम्युनिस्ट उम्मीदवारों को नकार दिया था. यह काफी चौंकाने वाली बात थी, क्योंकि कम्युनिस्ट पार्टी के दिग्गज नेताओं को अपनी हार पर विश्वास नहीं हो रहा था.
कुल 1,500 सीटों के लिए हुए इस चुनाव में चुने गए अधिकांश उम्मीदवार कम्युनिस्ट पार्टी के बाहर के थे. बोरिस येल्तसिन ने पहली बार देश में नई सरकार बनाई.
सन 1991 तक सोवियत संघ अस्तित्व में रहा. संवैधानिक रूप से तो सोवियत संघ 15 स्वशासित गणतंत्रों का संघ थाम, लेकिन असल में पूरे देश के प्रशासन और अर्थव्यवस्था पर केन्द्रीय सरकार का कड़ा नियंत्रण था.
1989 का साल यूरोप में भी भारी उथल पुथल का साल था. जर्मनी के पूर्वी पड़ोसी देश पोलैंड में भी जून 1989 में पहली बार स्वतंत्र चुनाव हुए.
Election (Pic: wikipedia)
देखा आपने एक दिन अपने अंदर कितना कुछ समेटे हुए रहता है. कुछ अच्छी यादें तो कुछ बहुत ही कड़वी और दुखद यादें.
27 मार्च का दिन भी कुछ ऐसा ही रहा था. इसमें भी कई देशों के लिए तो बहुत कुछ अच्छा हुआ तो कई देशों के लिए इसमें बुरा भी. कहीं नई राजनीति शुरू हुई तो कहीं पर लोगों की मौत.
हालांकि, हर दिन अपने अंदर ऐसी ही मिश्रित यादें समेटे हुए रहता है. 27 मार्च से जुड़ा कोई किस्सा अगर आपको भी याद है तो कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं.
Web Title: Day In History 27 March, Hindi Article
Featured Image Credit: dailymotion