हर रोज़ दुनिया की ऐतिहासिक घटनाएं कैलेंडर पर छपी तारीखों में कैद हो जाती हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को इतिहास से रूबरू कराती हैं. कैलेंडर की प्रत्येक तारीख के पीछे एक इतिहास छिपा है और उस इतिहास के पीछे एक कहानी है!
ऐसी हज़ारों कहानियां इतिहास की किताबों में दर्ज हैं, जो हमें दुनिया के मशहूर किस्सों के बारे में बताती हैं.
ऐसे में इन किस्सों को हर कोई जानना चाहता है! यही कारण है कि आज हम आपके लिए कुछ ऐसी ही ऐतिहासिक घटनाओं को लेकर आए हैं, जिन्होंने 13 मई के दिन को प्रसिद्ध कर दिया.
वह घटनाएं कौन सी थी, आईए जानते हैं–
दिल्ली में ‘लाल किला’ बनकर हुआ तैयार!
इसमें कोई दो राय नहीं कि मुगल शासकों ने भारतवर्ष पर लगभग चार सौ वर्ष तक एक राज किया. इस कालखंड में हर शासक ने अपने दौर के हिसाब से भारत की रियासतों पर राज किया. मुगल राज के सम्राट अकबर से जहाँगीर तक मुगल साम्राज्य काफी समृद्ध हुआ.
मुगलों के इस काल में कला कौशल की अद्भुत उन्नति भी हुई. इस काल में विभिन्नकलाओं को एक नई पहचान मिली, तो भारत में कई ऐतिहासिक इमारतों भवनों का निर्माण हुआ. बताते चलें कि उस दौर की बनी कई इमारतें आज विश्वभर में भारत को एक नई पहचान दिलाती हैं. साथ ही देश की राष्ट्रीय धरोहर बनी हुई हैं!
वैसे तो मुगलों द्वारा अलग-अलग जगह ऐतिहासिक भवनों का निर्माण कराया गया, किन्तु इनमें दिल्ली और आगरा की बात ही अलग है. आगरा के ताजमहल की तरह दिल्ली का लालकिला भी विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारक है, जोकि दिल्ली में यमुना के पश्चिमी तट पर स्थित है.
गौरतलब हो कि आज ही के दिन यानी 13 मई 1648 को लाल किला बनकर तैयार हो गया था. लाल पत्थर से बने होने के कारण इसे लाल किला कहा जाता है. लाल किले में अनेक भव्य इमारतें हैं. इनमें ‘दीवाने आम’ और ‘दीवाने खास’ किले की दर्शनयीय जगह हैं.
साल 2007 में यूनेस्को ने लाल किले को वैश्विक धरोहर स्थल घोषित किया गया था. भारत में लाल किले की विशेषता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर साल भारत के प्रधानमंत्री इस पर से ही स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर पूरे देश को संबोधित करते हैं.
Red Fort Delhi (pic:wikimedia.com)
आज़ाद भारत का पहला ‘संसद’ सत्र हुआ शुरु
भारत के इतिहास के अनुसार 13 मई का दिन काफी ऐतिहासिक है.
लंबे समय से अंग्रेज़ों से आज़ादी की लड़ाई लड़ने वाले भारत को सन् 1947 में अंग्रज़ो से आज़ादी मिली थी. आज़ादी के बाद भारत में कानून व्यवस्था को बरकरार रखने की चुनौती थी.
ऐसे में 13 मई 1952 का दिन भारत के लिए गर्व और खुशी के पल लाया था. आज के दिन ही भारत का पहला संसद सत्र शुरु हुआ था. संसद में देश के नेता पहली बार एक साथ बैठे थे. पहले राज्यसभा सत्र के अध्यक्ष डॉ. एस राधाकृष्णन ने 13 मई 1952 को ऊपरी सदन के बारे में बात की थी.
तो साल 1947 में देश की आज़ादी के बाद भारत की पहली सरकार के सामने लोकतांत्रिक आधारभूत संरचना बनाने की एक चुनौती थी. जिसमें नेता आकर अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को स्पीकर के सामने रख सकें और अपने संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधितत्व कर सकें.
इसी को देखते हुए भारत की संसद का पहला सत्र 13 मई 1952 में शूरू हुआ था. संसद के सबसे पहले अध्यक्ष डॉ.एस राधाकृष्ण थे व देश के पहले वाइसप्रेसिडेंट भी थे.
First Rajya Sabha was Held (pic: indianexpress)
सर्वपल्ली राधाकृष्णन बने देश के दूसरे ‘राष्ट्रपति’
भारत की राजनीति के लिए आज का दिन काफी महत्वपूर्ण है.
आज ही के दिन भारत को दूसरा राष्ट्रपति मिला था. भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के बाद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन आज़ाद भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने थे.
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म एक बेहद साधारण तेलुगू ब्राह्मण परिवार में तिरुतनी में हुआ था. उनका बचपन तिरूपति धार्मिक स्थलों पर ही बीता. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने बचपन के शुरुआती आठ वर्ष तिरुतनी में ही गुजारे.सर्वपल्ली राधाकृष्णन बचपन से ही पढ़ाई में काफी होशियार थे. उनका अधिक पढ़ने का शौक उन्हें राजनीति की तरफ ले आया.
जानकारी के लिए बता दें कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन उस समय भारत के पहले ऐसे प्रेसीडेंट थे जो पीएचडी की डिग्री हासिल किए हुए थे. उनकी शुरुआती शिक्षा तिरूपति में हुई थी. उसके बाद वह मद्रास आ गए थे. मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में उन्होंने शिक्षा ग्रहण की. उन्होंने दर्शन-शास्त्र में एमए किया और साल 1916 में मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में छात्रों को पढ़ाना शुरु किया.
वह छात्रों को दर्शन-शास्त्र पढ़ाते थे.सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने पढ़ाई को शुरुआत से ही काफी महत्व दिया. माना जाता है कि वह हर समय कुछ नया पढ़ते रहते थे या फिर लिखते रहते थे. बता दें कि डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन 13 मई 1952 से 12 मई 1962 तक भारत के उप-राष्ट्रपति भी रहे.
इसके बाद वह 13 मई 1962 से 13 मई 1967 तक भारत के राष्ट्रपति भी रहे. सर्वपल्ली राधाकृष्णन स्वतंत्र भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने थे.
उनके पढ़ाई के शौक और एक अच्छे शिक्षक के रूप में बच्चों को पढ़ाने के कारण आज पूरे भारत में उनके जन्मदिन को 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में स्कूलों में मनाया जाता है. 86 वर्ष की उम्र में यह महान नेता इस दुनिया को अलविदा कह गया.
former President of India Dr. Sarvepalli Radhakrishnan (pic: pinimg)
भारत की सुंदरी ‘लारा दत्ता’ बनीं मिस यूनिवर्स..!
अंग्रज़ो से मिली आज़ादी के बाद भारत का डंका पूरी दुनिया में बजा है. विज्ञान से लेकर खेत खलिहान तक भारत ने दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. आज के दिन भारत के लिए एक खास गौरव का दिन दर्ज हुआ था.
साल 2000 में मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भारतीय सुंदरी लारा दत्ता ने भारत का मान बढ़ाया था. 13 मई साल 2000 में मिस यूनिवर्स का ताज लारा दत्ता के सिर पर सजा था. लारा दत्ता जब मिस यूनिवर्स बनीं तब उनकी उम्र 21 साल थी. मिस यूनिवर्स बनने के बाद लारा दत्ता ने कहा था कि उन्हें आज सबसे बड़ा तोहफा मिला है. क्योंकि इत्तेफाक से उस दिन उनके पिता का जन्मदिन था.
लारा दत्ता के पिता भारतीय वायु सेना से सेवानिवृत्त हुए थे. लारा दत्ता के मिस यूनिवर्स चुने जाने के बाद उनके लिए बॉलीवुड के दरवाजे खुल गए थे. मिस यूनिवर्स के चुने जाने के बाद कई फिल्मों में लारा दत्ता ने अभिनय किया.
लारा दत्ता ने साल 2011 में मशहूर टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति से शादी की है.
Lara dutta (pic: blogspot)
तो ये थे 13 मई से जुड़े कुछ अहम ऐतिहासिक किस्से!
अगर आपको भी इस तारीख से संबंधित कोई विशेष घटना याद है, तो कृपया हमें कमेंट बॉक्स में बताएं और अपनी जानकारी को पढ़ने वाले दूसरे लोगों तक पहुंचाए.
Web Title: Day in History May 13, Hindi Article
Feature Image Credit: viralbox.us