हज़ारों कहानियां इतिहास की किताबों में दर्ज हैं, जो हमें दुनिया के मशहूर किस्सों के बारे में बताती हैं. ऐसे में इन किस्सों को हर कोई जानना चाहता है! यही कारण है कि 'डे' इन हिस्ट्री' की इस सीरीज में आज हम आपके लिए कुछ ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं, जिन्होंने लोगों की आंखें नम कर दी.
फिर चाहे वह खुशी का मौका रहा हो या फिर गम का.
वह घटनाएं कौन सी थी, आईए जानते हैं–
शासन के विरोध में आग लगा कर दे दी जान!
शासन जब आम जनता पर जुल्म ढहाता है, तो जनता उग्र हो जाती है. शासन की गलत नीतियों के विरोध में लोग तरह-तरह से सरकार के खिलाफ हो जाते हैं. ऐसा ही एक विरोध आज के दिन दक्षिण वियतनाम में देखने को मिला था, जहां एक नाबालिग लड़की ने शासन के विरोध में खुद को आग लगाकर जान दे दी थी.
31 मई साल 1966 का दिन वियतनाम सरकार के लिए असफलता का दिन साबित हुआ था. इस दिन 17 वर्षीय एक बौद्ध लड़की ने वियतनाम के ह्रयू शहर में सड़क के बीचोबीच खुद हो आग के हवाले कर आत्महत्या कर ली थी.
बता दें कि बौद्ध धर्म के लोग वियतनाम में सैन्य सरकार का विरोध कर रहे थे. बौद्ध लोग सैन्य सरकार के प्रधानमंत्री और एयर वाइस मार्शल और राज्य के जनरल के इस्तीफे की मांग कर रहे थे. बावजूद उनके विरोध के सरकार की ओर से कोई निर्णय नहीं लियी जा रहा था. इसको लेकर बौद्ध धर्म के लोग सड़कों पर उतर आए थे. नतीजा यह रहा कि सैन्य सरकार के इस्तीफे की मांग को लेकर दक्षिण वियतनाम में विरोध के सुर तेज़ कर दिए थे.
आगे सेना और क्षेत्रीय पुलिस ने उनपर लाठी चार्ज भी कर दिया था. इससे आहत होकर बौद्ध लड़की ने आग लगाकर आत्माहत्या कर ली थी. जानकर हैरानी होगी की पांच दिन में खुद को जलाकर आत्माहत्या करने का दक्षिण वियतनाम में यह पांचवा मामला दर्ज किया गया था.
इंग्लिश फुटबॉल टीम पर यूरोप में खेलने पर प्रतिबंध!
31 मई का दिन खेल जगत के लिए काला दिन साबित हुआ था. फुटबॉल एसोसिएशन ने इंग्लिश क्लबों को दो दिन पहले हेयसेल स्टेडियम त्रासदी के बाद यूरोप देशों में खेलने से प्रतिबंधित कर दिया था. हेयसल स्टेडियम में हुए दंगो के दौरान इसमें 39 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी.
यह सभी लोग फुटबॉल मैच देखने के लिए स्टेडियम में मौजूद थे. बता दें कि 29 मई 1985 बेल्जियम में होने वाले यूरोपीयन फुटबॉल मैच के दौरान दोनों टीमों के प्रशंसकों के बीच भिडंत हो गई थी. फुटबॉल जगत के लिए यह काला दिन साबित हुआ था.
ऐसा पहला मौका था, जब किसी खेल में खेल प्रेमी आपस में लड़ गए थेय. इस लड़ाई में इतने लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. यही कारण है कि इस दिन को ‘द डार्केस्ट ऑवर इन द हिस्ट्री ऑफ़ यूएफा’ के नाम से फुटबॉल इतिहास में जाना जाता है.
यह फाइनल फुटबॉल मैच ब्रुसेल्स के हेयसल स्टेडियम में इटली के जुवेंटस एफसी और इंग्लैंड के मशहूर लिवरपूल क्लब के बीच खेला जा रहा था.
मैच शुरु होने के बाद ही स्टेडियम का माहौल गर्म हो गया. लिवरपूल टीम के प्रशंसकों ने स्टेडियम के तारों के घेरे को तोड़ते हुए जुवेंटस टीम के प्रशंसकों पर जानलेवा हमला कर दिया. माना जाता है कि जुवेंटस टीम के प्रशंसकों की संख्या कम थी, इसलिए वह जान बचाने के लिए वहां से भागने लगे.
भगदड़ के दौरान स्टेडियम की दीवार गिरने से सौ से अधिक लोग उसमें घायल हो गए. इस दर्दनाक हादसे में 39 लोगों की मौत हो गई. रोचक बात यह रही कि इतनी भगदड़ के बीच मैच जारी रखा गया और इटली की जुवेंटस एफसी की टीम ने 1-0 से मैच जीत लिया था.
घटना के बाद फुटबॉल एसोसिएशन ने मामले में संज्ञान लिया और 31 मई को इंग्लिश फुटबॉल टीम पर यूरोप देश में कहीं भी खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया. हालांकि, कुछ समय बाद यह प्रतिबंध हटा लिया गया था, लेकिन 29 मई का दिन फुटबॉल इतिहास के लिए काला दिन साबित हुआ था.
मिक्की माउस का बोलता कार्टून हुआ रिलीज
मिकी माउस किरदार से कौन परिचित नहीं है. बच्चे हो या घर के बूढ़े सब अपने जीवन में एक बार कहीं न कहीं इस कार्टून किरदार को देखकर इसकी हरकतें देखकर मुस्कराए जरुर होंगे. 31 मई का दिन मिकी माउस के इतिहास के लिए काफी महत्वपूर्ण दिन था.
31 मई साल 1929 में मिकी माउस का बोलता हुआ कार्टून कार्निवाल किड रिलीज किया गया था.
इससे पहले, जो मिकी माउस का किरदार था. वह सिर्फ खामोश रहता था और पर्दे पर बस हाव भाव प्रकट करता था, लेकिन इस दिन के बाद जब भी किसी ने मिकी माउस को देखा तो वह इस किरदार से और करीब से रू-ब-रू हो पाया.
बता दें कि साल 1927 में मशहूर कार्टूनिस्ट वॉल्ट डिज्नी ने एक खरगोश कागज के पन्ने पर बनाया था. इस खरगोश का नाम ओसवॉल्ड दि लकी रैबिट रखा गया. डिज्नी के इस पहले कैरेक्टर ने धूम मचा दी थी.
बच्चे इस कार्टून को खूब पसंद करने लगे और इसके दीवाने हो गए. इस किरदार को बाद में यूनिवर्सल पिक्चर ने खरीद लिया और इस पर अपना अधिकार जमा लिया. इसके बाद डिज्नी ने मिकी माउस का किरदार बनाया था.
सबसे पहले साल 1928 में इस कैरेक्टर पर प्लेन क्रेज़ी फिल्म बनी, जिसने कार्टून की दुनिया में धूम मचा दी. लोग मिक्की माउस के दीवाने हो गए. फिल्म की अपार सफलता के बाद इसप अन्य फिल्में बनाई गईं.
फिल्मों की अपार सफलता के बाद 31 मई साल 1929 को मिक्की को आवाज़ दी गई. इस तरह मिक्की पहला बोलने वाला कार्टून बना था.
अमेरिकी सरकार ने डॉलर के सर्कुलेशन को घटाया!
31 मई के दिन अमेरिका की अर्थव्यवस्था को देखते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया था. 1878 को अमेरिकी सरकार ने डॉलर की सर्कुलेशन को काफी हद तक कम कर दिया था. असल में उस दौर में जब डॉलर की छपाई होती थी, तब मशीनों से महंगे कागज़ पर छपाई होने के कारण खर्चा अधिक आता था. इसका असर सरकार के बजट पर पड़ रहा था.
इसके साथ ही साल 1878 के दौर में अमेरिकी जतना पेपर करेंसी से ज्यादा सिक्कों पर ही निर्भर थी, जिस कारण से बैंक से पेपर करेंसी की डिमांड जनता के बीच काफी कम थी. इन सारी चीजों को ध्यान में रखते हुए अमेरिकी सरकार ने 31 मई को डॉलर की सर्कुलेशन को बाजार में और बैंक में कम करने का फैसला लिया था. इस फैसले के पीछे का मुख्य कारण यही था कि सरकार को डॉलर की छपाई में आने वाले नुकसान से बचाया जा सके.
हालांकि, 19 का दशक आते-आते डॉलर की डिमांड बढ़ गई थी. लोग सिक्कों से अधिक अब पेपर करेंसी पर ज्यादा निर्भर होने लगे थे. वहीं अमेरिकी अर्थव्यवस्था भी तेजी से रफ्तार पकड़ रही थी. इस कारण से सर्कुलेशन 19वीं शताब्दी में बढ़ गई थी.
तो ये थे 31 मई से जुड़े कुछ अहम ऐतिहासिक किस्से!
अगर आपको भी इस तारीख से संबंधित कोई विशेष घटना याद है, तो कृपया हमें कमेंट बॉक्स में बताएं.
Web Title: Day In History 31 May, Hindi Article
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