इतिहास एक दिन में नहीं बनता, लेकिन हर दिन इतिहास के बनने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है.
28 अगस्त के इतिहास के लिए भी यही मायने हैं. इस दिन इतिहास की कुछ बहुत महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं.
तो आईए नज़र डालते हैं, इस दिन घटी ऐतिहासिक घटनाओं पर-
यहूदियों का नृशंस जनसंहार
28 अगस्त 1941 के दिन यूक्रेन में 23,000 यहूदियों का नरसंहार हुआ. ये यहूदी हंगरी के थे और इन्हें नाज़ी जर्मनी के सैनिकों ने मारा था. इस समय द्वितीय विश्व युद्ध अपने चरम पर था और जर्मनी ने सोवियत संघ के ऊपर हमला बोल दिया था. जर्मनी के सैनिक मास्को में घुस चुके थे.
इसी क्रम में उन्होंने यूक्रेन के कुछ भागों पर अपना कब्जा जमा लिया था. 26 अगस्त के दिन हिटलर ने बेनिटो मुसोलिनी को यूक्रेन के तबाह हुए शहर में यह देखने को बुलाया था कि जर्मनी ने यूक्रेन को जीत लिया है.
इस शहर को जर्मन सेना ने पूरी तरह से तबाह कर दिया था. हालांकि, इसमें एक विरोधाभास भी था. यूक्रेन को लगता था कि जर्मनी उसका मित्र है. जब ऐसा नहीं हुआ तो यूक्रेन के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए.
इन प्रदर्शनों को जर्मनी ने बड़ी निर्ममतापूर्वक कुचल दिया. बहुत सारे यूक्रेनवासियों को यातना गृहों में डाल दिया गया. लेकिन असली बर्बरता तो यहूदियों के लिए बचाकर रखी गई थी.
हंगरी ने अपने यहां से हज़ारों की संख्या में यहूदियों को निकाल दिया था. ये यहूदी यूक्रेन में शरणार्थियों की तरह रह रहे थे. पहले तो जर्मनी ने इन्हें हंगरी वापस जाने को कहा, लेकिन हंगरी ने इन्हें अपनाने से मना कर दिया.
आगे जर्मन सेना के एक क्रूर और निर्मम जनरल फ्रांज़ जेकलेन ने एक योजना बनाई. इस योजना के तहत 1 सितंबर तक प्रत्येक यहूदी को मारा जाना था. लेकिन यह काम 28 अगस्त तक ही पूरा कर दिया गया.
28 अगस्त के दिन उसने 23,000 यहूदियों को खुले मैदान में खड़ा किया और उनके ऊपर मशीन गन से गोली-बारी करवा दी. जो यहूदी गोली-बारी से नहीं मरे, उन्हें जिंदा लाशों के नीचे दफना दिया गया.
द्वितीय विश्व युद्ध के खत्म होते-होते यूक्रेन में करीब 6 लाख यहूदियों को इस तरह मार दिया गया.
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को पीटा
28 अगस्त 1968 के दिन शिकागो में पुलिस ने वियतनाम युद्ध के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे अमेरिकी नागरिकों और कार्यकर्ताओं को बुरी तरह पीट दिया. इस घटना से अमेरिका की शीत युद्ध पर आधारित विदेश नीति को बहुत क्षति पहुंची.
असल में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद अमेरिका और सोवियत संघ विश्व की दो बड़ी महाशक्तियों के रूप में उभरे थे. दोनों अपनी-अपनी विचारधारा के तहत दुनिया को चलाना चाहते थे. इसलिए दोनों के बीच शक्ति संघर्ष चल रहा था. इस शक्ति संघर्ष को ही शीत युद्ध की संज्ञा दी गई.
इससे पहले न्यू यॉर्क टाइम्स अखबार ने विएतनाम युद्ध से संबंधित कुछ दस्तावेज़ सार्वजनिक किए थे. इनसे पता चला था की अमेरिकी सरकार विएतनाम युद्ध के सन्दर्भ में जनता से झूठ बोल रही है.
इसके बाद अमेरिका में युद्ध विरोधी भावनाएं बहुत प्रबल हो गई थीं.
इस बात को लेकर सत्तासीन डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच बहस चल रही थी. इस मुद्दे को लेकर पार्टी दो धडों में विभाजित हो गई थी. एक धड़ा सोवियत संघ के खिलाफ पूरी कड़ाई से पेश आने के पक्ष में था.
जबकि, दूसरा धड़ा विदेश नीति को उदार करने के पक्ष में था. संसद में चली बहस में दूसरा धड़ा जीत रहा था, लेकिन पहले धड़े के नेताओं ने दूसरे धड़े के नेताओं के साथ धक्कामुक्की कर दी थी.
इस धक्कामुक्की के विरोध में युद्ध विरोधी प्रदर्शनकारी शिकागो में इकट्ठे हुए थे.
इनसे निपटने के लिए मेयर ने पुलिस बुला ली. पुलिस ने इस विरोध प्रदर्शन को बुरी तरह से कुचल दिया. इसका प्रसारण टीवी पर हुआ. आगे लोगों ने सरकार और उसकी विदेश नीति की खूब आलोचना की.
इसकी वजह से अमेरिका को विएतनाम युद्ध से पीछे हटना पड़ा.
विमान दुर्घटना में मारे गए 69 दर्शक
28 अगस्त 1988 के दिन जर्मनी में एक विमान प्रदर्शन के दौरान तीन विमान हवा में एक-दूसरे से टकरा गए. इससे इनका मलवा नीचे बैठे दर्शकों के ऊपर आ गिरा. इस कारण 69 दर्शक मर गए. वहीँ सौ से ऊपर दर्शक बुरी तरह से घायल हो गए.
यह प्रदर्शन नाटो की तरफ से आयोजित करवाया गया था. प्रदर्शन के बिलकुल अंतिम क्षणों में इटली की बारी थी. शुरुआत में तो सब अच्छे से हो रहा था. अंत में एक जहाज को दो अन्य जहाज़ों के बीच से गुजरना था.
उसमें बैठे पायलट से चूक हुई, तो जहाज शेष दोनों से टकरा गया.
जोरदार धमाके से तीनों जहाज फट गए. तीनों पायलट तत्काल मर गए. इस हादसे के बाद जर्मन सरकार ने इस तरह के प्रदर्शनों को तीन साल के लिए बैन कर दिया. आगे कड़े सुरक्षा इंतजामों के बाद ही इन्हें दुबारा से चालू किया गया.
मुगलों के कब्जे में आया अहमदनगर
28 अगस्त 1600 के दिन मुगलों ने अहमदनगर को जीत लिया. यह जीत अकबर को अपने दूसरे प्रयास में हासिल हुई. इससे पहले अकबर ने 1596 में इसे जीतने का प्रयास किया था, लेकिन तब चाँद बीबी ने इसे बचा लिया था.
असल में चाँद बीबी के इस शानदार बचाव के बाद उनकी हत्या भीड़ द्वारा करवा दी गई थी. आगे उनकी मृत्यु के बाद नेतृत्व कमजोर पद गया तो मुगलों को इसे जीतने में कोई परेशानी नहीं हुई.
अहमद नगर को जीतने के बाद दक्षिण भारत में मुगल साम्राज्य के प्रसार का रास्ता भी खुल गया.आगे अहमदनगर को लेकर विभिन्न राजनीतिक सत्ताओं के बीच शक्ति संघर्ष चला.
कालांतर में मराठों ने इसके ऊपर अपना नियंत्रण स्थापित किया. फ्रांस और पुर्तागालियों ने भी इसके ऊपर अपना नियंत्रण स्थापित किया. 1803 में हुए ब्रिटिश-मराठा युद्ध में अंतिम रूप से यह अंग्रेजों के नियंत्रण में आ गया.
तो ये थीं 28 अगस्त के दिन से जुड़ीं कुछ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं.
अगर आपके पास भी ऐसी किसी ऐतिहासिक घटना की जानकारी हो, तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day In History 28 August, Hindi Article
Feature Representative Image Credit: Fineartmultiple