इतिहास एक दिन में नहीं बनता, लेकिन हर दिन इतिहास के बनने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है.
27 अगस्त के इतिहास के लिए भी यही मायने हैं. इस दिन इतिहास की कुछ बहुत महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं.
तो आईए नज़र डालते हैं, इस दिन घटी ऐतिहासिक घटनाओं पर-
आतंकी हमले में गई माउंटबेटन की जान
27 अगस्त 1979 के दिन लुईस माउंटबेटन की आयरिश रिपब्लिक आर्मी ने बम से उड़ाकर हत्या कर दी. इस धमाके में उनके साथ दो लोग और भी मारे गए. मरने वालों में उनका 14 वर्ष का पोता भी शामिल था. इस धमाके के तुरंत बाद आयरिश रिपब्लिक आर्मी ने इसकी जिम्मेदारी ले ली. लुईस माउंटबेटन ब्रिटिश भारत के अंतिम वायसराय रह चुके थे.आयरिश रिपब्लिक आर्मी एक उग्रवादी संगठन था.
यह उत्तरी आयरलैंड को आयरलैंड गणराज्य में मिलाना चाहता था, जबकि यूनाइटेड किंगडम इसकी अनुमति नहीं दे रहा था. पहले-पहल शांतिपूर्ण प्रदर्शन हुए थे, लेकिन इन प्रदर्शनों को यूनाइटेड किंगडम ने बलपूर्वक दबा दिया था.आगे आयरिश रिपब्लिक आर्मी ने हिंसा का सहारा लेना शुरू किया था. यह उग्रवादी संगठन यूनाइटेड किंगडम के सरकारी अधिकारियों और सैनिकों को चुन-चुनकर मारता था.
लुईस माउंटबेटन की हत्या करके इस संगठन ने पहली बार शाही परिवार को निशाना बनाया था.हत्या के बात जांच में पता चला कि इस धमाके के पीछे आयरिश रिपब्लिक आर्मी के सदस्य थॉमस मैकमहोन का हाथ है. वह बम बनाने में माहिर था. बाद में उसे पकड़ लिया गया और आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई. हालाँकि 1998 में उसे एक समझौते के तहत रिहा कर दिया गया.
इस हमले के बाद शाम में एक और बम धमाका हुआ था. यह धमाका यूनाइटेड किंगडम की सैन्य टुकड़ी के एक कैम्प में किया गया था. इसमें करीब 18 सैनिक मारे गए थे. आयरिश रिपब्लिक आर्मी ने इसकी भी जिम्मेदारी अपने ऊपर ली थी.
रोमानिया कूदा प्रथम विश्व युद्ध में
27 अगस्त 1916 के दिन रोमानिया प्रथम विश्व युद्ध का हिस्सा बना. यह घोषणा उसने ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य के ऊपर हमला करके की.
प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत से ही रोमानिया के ऑस्ट्रिया के साथ संबंध अच्छे नहीं चल रहे थे. दोनों के बीच सीमा को लेकर विवाद था. इसमें ट्रांसिलविनिया का इलाका विवाद का प्रमुख केंद्र था और यह ऑस्ट्रिया के कब्जे में था. 1916 के आते-आते रोमानिया ने जब देखा कि रूस पूर्वी मोर्चे पर ऑस्ट्रिया पर भारी पड़ रहा है, तब उसने सोचा कि इस मौके का फायदा ट्रांसिलविनिया को जीता जा सकता है.
इसी बात को ध्यान में रखते हुए रोमानिया ने अलाइड ताकतों से एक गुप्त संधि कर ली. इस संधि के तहत रोमानिया ने अलाइड ताकतों को इस शर्त पर समर्थन देने के प्रस्ताव रखा कि उनकी जीत के बाद ट्रांसिलविनिया का इलाका रोमानिया को मिल जाएगा.
आगे युद्ध हुआ तो जर्मनी ने रोमानिया को बुरी तरह से हरा दिया. इस हार से रोमानिया का सारा क्षेत्र जर्मनी के नियंत्रण में आ गया. उधर रूस ने ऑस्ट्रिया को हरा दिया था और वह रोमानिया को जर्मनी से आजाद कराने के लिए आ ही रहा था कि इसी बीच रूस में क्रांति हो गई. क्रांति के बाद वह इस युद्ध का हिस्सा नहीं रहा.आगे जब युद्ध ख़त्म हुआ तो जर्मनी को भी हार का स्वाद चखना पड़ा.
वर्साय की संधि हुई तो रोमानिया को अपना खोया हुआ क्षेत्र वापस मिल गया. उसे ट्रांसिलविनिया का भी एक हिस्सा मिला. हालाँकि, इस पूरी लड़ाई में उसके करीब साढ़े तीन लाख सैनिकों को जान गंवानी पड़ी.
इतिहास का सबसे भयानक ज्वालामुखी विस्फोट
27 अगस्त 1883 के दिन अब तक के इतिहास का सबसे भयानक ज्वालामुखी विस्फोट हुआ. इस दिन इंडोनेशिया के पश्चिम में स्थित सुमात्रा द्वीप पर क्राकाटोआ नाम के ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ. इस विस्फोट की गूँज तीन हजार मील दूर तक सुनाई दी थी.विस्फोट के बाद हवा में 50 मील तक ज्वालामुखी से निकली हुई राख फैल गई थी. इस विस्फोट ने 120 फुट ऊंची सुनामी लहरों को जन्म दिया था.
कुल मिलाकर इसमें लगभग 36,000 लोग मारे गए थे. इस ज्वालामुखी के फटने के सन्देश 20 मई से ही मिलने शुरू हो गए थे. हालाँकि, किसी को इस बात का बिलकुल भी अंदाजा नहीं था कि यह इतने भयानक रूप में फटेगा. यह विस्फोट इतना प्रबल था कि इसने द्वीप के लगभग दो-तिहाई भाग को पूरी तरह से नष्ट हो गया. इससे निकली राख इतनी घनी थी कि महीनों तक सूर्य की रोशनी जमीन पर नहीं पहुंची.
इससे पूरे विश्व का तापमान कई डिग्री सेल्सियस तक नीचे गिर गया.मारे गए 36,000 लोगों में ज्यादातर लोग सुनामी की वजह से मारे गए थे. इस ज्वालामुखी से इतर इंडोनेशिया में आज करीब तीस सक्रिय ज्वालामुखी मौजूद हैं.
सोनाली बनी प्रथम महिला मरीन
27 अगस्त 1999 के दिन सोनाली बनर्जी भारत की प्रथम महिला मरीन इंजीनयर बनीं. इस प्रकार उन्होंने अपने बचपन का सपना साकार किया. इस पद पर नियुक्त होते समय वे केवल 22 वर्ष की थीं. इससे पहले उन्होंने इस पद पर नियुक्त होने के लिए चार साल का कोर्स किया था.बचपन से ही सोनाली दुनिया की सैर करना चाहती थीं. उनके इसी यही सपना उन्हें इस पद के करीब लाया था. उन्हें समुद्र और जहाजों से एक अलग ही लगाव था.
हालाँकि, सोनाली के लिए यह सफ़र तय करना इतना आसान नहीं था. इससे पहले कोई भी महिला इस पद पर नियुक्त नहीं हुई थी और इस क्षेत्र में पूरी तरह से पुरुषों का प्रभुत्व था. सोनाली ने अपने जज्बे से इस प्रभुत्व को तोड़ा था.कोर्स के दौरान भी उनके पुरुष सहपाठी उन्हें हतोत्साहित करते थे, लेकिन उनके अध्यापकों ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा दी. इसी के दम पर वे आगे भी बढ़ पायीं.
तो ये थीं 27 अगस्त के दिन इतिहास में घटीं कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं.
अगर आपके पास भी ऐसी किसी घटना की जानकारी हो तो हमें कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day In History 27 August, Hindi Article
Feature Image Credit: FRS