इतिहास एक दिन में नहीं बनता, लेकिन हर दिन इतिहास के बनने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है.
18 जुलाई के इतिहास के लिए भी यही मायने हैं. इस दिन इतिहास की कुछ बहुत महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं.
तो आईए नज़र डालते हैं, इस दिन भारतीय इतिहास में घटीं कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं पर-
लांच हुआ रोहिणी उपग्रह
18 जुलाई 1980 के दिन भारत में निर्मित उपग्रह प्रक्षेपण वाहन एस.एल.वी.- 3 से रोहिणी उपग्रह को कक्षा में भेजा गया। यह एक बहुत छोटा उपग्रह था. इसे 44.7 डिग्री के लोंगीट्यूड पर लांच किया गया था.
लांच के वक्त ही इसकी चारों स्टेज का परिक्षण कर लिया गया था. इसे शार केंद्र से लांच किया गया था.
इस उपग्रह में डिजिटल सन सेंसर, टेम्परेचर सेंसर और मैग्नेटोमीटर लगे थे. इसका निर्माण एल्युमिनियम से किया गया था. इसका वजन करीब 35 किलो था. इसकी शक्ति ग्रहण करने की क्षमता 16 वाट और आयु करीब नौ महीने थी.
इसका निर्माण इसरो ने किया था और इसके पास ही इसके लांच को सफल बनाने की जिम्मेदारी थी.
इसे एक प्रयोग के तौर पर लांच किया गया था. इसे लांच करने के बाद भारत ने उन देशों की श्रेणी में छठवां स्थान हासिल कर लिया था, जो अंतरिक्ष में अपने कृतिम उपग्रह भेज चुके थे.
असल में उपग्रह को लांच करने का एकमात्र उद्देश्य लांच वेहिकल एस.एल.वी की क्षमता का परीक्षण करना था. यह परीक्षण सफल हुआ तो भारत ने और एस.एल.वी का निर्माण किया.
आगे पी.एस.एल.वी का भी निर्माण किया गया. यह पहले के मुकाबले उन्नत था.
वाई. वेणुगोपाल रेड्डी बने गवर्नर
18 जुलाई 2003 के दिन डॉक्टर वाई. वेणुगोपाल रेड्डी भारतीय रिजर्व बैंक के ने गवर्नर बने. इससे पहले वे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत के कार्यकारी निदेशक थे. उन्होंने डॉक्टर बिमल जालान की जगह ली थी.
इससे पहले वे छह सालों तक रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर भी रह चुके थे. वहीँ, वित्त मंत्रालय में वे सचिव का पद भी संभाला था. वर्ष 1964 में वे आइएस अधिकारी बनकर निकले थे.
कहा जाता है कि 1990 के दशक में जब भारतीय अर्थव्यवस्था संकट से जूझ रही थी, वेणुगोपाल रेड्डी ने ही मनमोहन सिंह के साथ मिलकर अर्थव्यवस्था को खतरे से बाहर निकाला था.
इस समय वे डॉक्टर सी. रंगराजन की उच्च-स्तरीय समिति का हिस्सा था.
यह समिति बचे हुए ऋण के कारण अर्थव्यवस्था के ऊपर आए संकट का हल खोज रही थी. बाद में डॉक्टर सी. रंगराजन के नेतृत्व में ही रेड्डी ने रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर का पद संभाला था.
डॉक्टर वाई. वेणुगोपाल रेड्डी की नियुक्ति रिजर्व बैंक के गवर्नर के पद पर होने के बाद इसे राजनीतिक रंग भी दिया गया था. कहा जाता है कि रेड्डी को इसलिए गवर्नर बनाया गया क्योंकि वे तत्कालीन सरकार के बहुत निकट थे. इसी कारण उनसे ज्यादा योग्यता रखने वाले डॉक्टर एस. नारायण और जसवंत सिंह को गवर्नर नहीं बनाया गया था.
सलमान रुश्दी ने बनाया रिकॉर्ड
18 जुलाई 2008 के दिन भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी ने एक रिकॉर्ड बनाया. उन्होंने एक प्रोमोशनल टूर के दौरान 57 मिनट के भीतर एक हजार किताबों पर हस्ताक्षर किए.
सलमान रुश्दी का जन्म 19 जून 1947 के दिन बम्बई में हुआ था. उन्होंने 1968 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इतिहास में परास्नातक की डिग्री हासिल की. इसके बाद वे लंदन में विज्ञापन लिखने का काम करते रहे.
उनका पहला उपन्यास ग्रीमस 1975 में प्रकाशित हुआ.
आगे उनका उपन्यास मिडनाइट्स चिल्ड्रेन आया. इस उपन्यास ने उन्हें विश्व में ख्याति प्रदान की. यह उपन्यास इतना मशहूर हुआ कि आगे इसपर एक फिल्म भी बनी.
आगे वे लगातार लिखते रहे. इसी क्रम में 1988 में उनका उपन्यास ‘दि सैटानिक वर्सेस’ आया. इस उपन्यास के आने के बाद मुस्लिम समुदाय के धर्मगुरुओं ने उनकी खूब आलोचना की. उन्हें इस्लाम विरोधी तक घोषित कर दिया गया.
असल में इस उपन्यास में पैगम्बर मोहम्मद के जैसा एक किरदार था. इस किरदार को इस उपन्यास में नकारात्मक छवि के साथ पेश किया गया था. इसी कारण मुस्लिम धर्मगुरुओं को यह नागवार गुजर रहा था.
आगे ईरान के सबसे परमुख नेता रूहोल्लाह खोमिनी ने रुश्दी के खिलाफ फतवा जारी कर दिया. रुश्दी को जान से मार देने पर ईनाम देने की घोषणा भी कई. इससे बचने के लिए रुश्दी भूमिगत हो गए.
इन सब बातों के बाद भी रुश्दी ने लिखना नहीं छोड़ा. इसके बाद भी उनके उपन्यास प्रकाशित होते रहे. आगे उन्हें बुकर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.
भारतीय स्वतंत्रता अधिनयम हुआ पारित
18 जुलाई 1947 के दिन भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम को शाही स्वीकृति मिली. यह अधिनियम ब्रिटिश संसद में पास हुआ था. इसके तहत ब्रिटिश भारत को दो नए हिस्सों भारत और पाकिस्तान में बांटा जाना था.
आगे पकिस्तान 14 अगस्त 1947 और भारत 15 अगस्त 1947 को अस्तित्व में आया था.
यह अधिनियम माउंटबेटन योजना को लागू करने के लिए पास किया गया था. माउंटबेटन योजना ने 3 जून को ब्रिटिश भारत के बंटवारे की घोषणा की थी. इस योजना के तहत विभाजन के बाद बनने वाली सरकारों को ब्रिटिश कॉमनवेल्थ से अलग होने का पूरा अधिकार दिया गया था.
इस अधिनयम के लागू होने के बाद जवाहरलाल नेहरु भारत के पहले प्रधानमंत्री बने थे. वहीँ, सीमा के उस पार मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के गवर्नर जनरल बने थे. भारत ने लार्ड माउंटबेटन को गवर्नर-जनरल माना था. लियाकत अली पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री थे.
इस विभाजन के बाद सदी की सबसे बड़ी सांप्रदायिक हिंसा हुई थी. हिंदुस्तान में रहने वाले बहुत से मुसलमान पकिस्तान चले गए थे और पाकिस्तान में रहने वाले बहुत से हिन्दू और सिक्ख भारत आ गए थे. इस हिंसा में वृहद स्तर पर नरसंहार और बलात्कार हुए थे.
तो ये थीं 18 जुलाई के दिन भारतीय इतिहास में घटीं कुछ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं.
अगर आपके पास भी ऐसी किस ऐतिहासिक घटना की जानकारी हो तो हमें कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day In Indian History 18 July, Hindi Article
Feature Image Credit: Newsline