इतिहास एक दिन में नहीं बनता, लेकिन हर दिन इतिहास के बनने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है.
25 जुलाई के इतिहास के लिए भी यही मायने हैं. इस दिन इतिहास की कुछ बहुत महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं.
तो आईए नज़र डालते हैं, इस दिन भारतीय इतिहास में घटीं कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं पर-
ज्ञानी जैल सिंह बने देश के सातवें राष्ट्रपति
25 जुलाई 1982 के दिन ज्ञानी जैल सिंह भारत के राष्ट्रपति बने. वे देश के सातवें राष्ट्रपति थे.
ज्ञानी जैल सिंह अब तक भारत के एकमात्र सिक्ख राष्ट्रपति हैं. राष्ट्रपति बनने से पहले वे पंजाब के मुख्यमंत्री भी रहे.
ज्ञानी जैल सिंह ऑपरेशन ब्लू स्टार के समय प्रकाश में आए थे. इस ऑपरेशन में इंदिरा गाँधी ने भारतीय सेना को पंजाब में भेजा था. इस ऑपरेशन का लक्ष्य पंजाब को भारत से अलग करने की मांग कर रहे कट्टरपंथियों के मंसूबों पर पानी फेरना था.
ज्ञानी जैल सिंह का जन्म 5 मई 1916 के दिन संधवन में हुआ था. उनका पालन पोषण लुधियाना के पास एक गाँव में हुआ. मात्र 15 साल की उम्र में वे राजनीति में सक्रिय हो गए. इस समय वे शिरोमणि अकाली दल का हिस्सा बने.
1938 में उन्होंने प्रजा मंडल नाम का राजनीतिक संगठन बनाया और कांग्रेस के साथ मिलकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े. इसके साथ ही उन्होंने सिक्ख धार्मिक ग्रंथों का अध्यन किया. इसी अध्यन की वजह से उन्हें ज्ञानी की उपाधि मिली. भारत जब आजाद हुआ तो वे राज्यसभा पहुंचे. 1972 में वे पंजाब के मुख्यमंत्री बने. आगे वे इंदिरा गांधी की सरकार में मंत्री भी बने.
ज्ञानी जैल सिंह के बाद रामास्वामी वेंकटरमण को कमान
25 जुलाई 1987 के दिन रामास्वामी वेंकटरमण भारत के नए राष्ट्रपति बने. यह दौर भारतीय राजनीति के लिए अस्थिरता का दौर था. इसलिए रामास्वामी वेंकटरमण ने अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में चार अलग-अलग प्रधानमंत्रियों के साथ कार्य किया.
राष्ट्रपति पद पर चुने जाने से पहले वे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के गवर्नर रह चुके थे. इसके अलावा उन्हें संयुक्त राष्ट्र न्यायालय का जीवनपर्यंत अध्यक्ष भी चुना गया था.
रामास्वामी वेंकटरमण का जन्म 4 दिसंबर 1910 के दिन मद्रास में हुआ था. उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा प्राप्त की. भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा.
आगे उन्होंने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 1957 में उन्हें पहली बार लोकसभा आने का मौक़ा मिला. 1967 तक वे मद्रास के श्रम मंत्री रहे. 1980 से लेकर 1982 तक वे केंद्र सरकार में वित्त मंत्री रहे.
राष्ट्रपति बनने से पहले उन्हें 1984 में उप-राष्ट्रपति के पद पर चुना गया था.
शंकर दयाल शर्मा ने ली राष्ट्रपति पद की शपथ
25 जुलाई 1992 के दिन शंकर दयाल शर्मा ने भारत के नौंवे राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली.
शंकर दयाल शर्मा का जन्म 19 अगस्त 1918 को भोपाल में हुआ था. उन्होंने आगरा में अपनी उच्च शिक्षा पूरी की. आगे कानून की पढ़ाई करने के लिए उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में दाखिला लिया.
1940 में वे वापस लौट आए और लखनऊ में वकालत करने लगे.
इस समय देश में आजादी का आन्दोलन पूरे जोरों पर था. शंकर दयाल शर्मा ने भी इसमें हिस्सा लिया. इस वजह से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. वे आठ महीने जेल में रहे. इस समय वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हिस्सा थे.
आजादी के बाद वे राष्ट्र निर्माण में लग गए. 1952 में वे भोपाल राज्य के मुख्यमंत्री बने. 1956 से 1971 तक वे मध्य प्रदेश विधानसभा का हिस्सा रहे. शंकर दयाल शर्मा ने 1971 में राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा. इस दौरान वे लोकसभा के लिए चुने गए. 1972 में वे कोंग्रेस के अध्यक्ष बने. इस पद पर वे दो साल रहे. आगे इंदिरा गाँधी की सरकार के दौरान वे संचार मंत्री बने.
राष्ट्रपति बनने से पहले 1987 में उन्हें उप-राष्ट्रपति के पद पर भी चुना गया था. इसके अलावा वे विभिन्न राज्यों के गवर्नर भी रहे.
के.आर. नारायणन बने भारत के पहले दलित राष्ट्रपति
25 जुलाई 1997 के दिन के.आर. नारायणन ने भारत के दसवें राष्ट्रपति के रूप में सपथ ग्रहण की. इस प्रकार वे देश के पहले दलित राष्ट्रपति बने. के.आर. नारायणन ने इंदिरा गाँधी के आग्रह पर राजनीति में कदम रखा था. आगे उन्होंने लगातार तीन बार लोकसभा का चुनाव जीता था. राजीव गाँधी की सरकार में वे कैबिनेट मंत्री भी बने थे.
1992 में उन्हें भारत का उप-राष्ट्रपति भी चुना गया था.
1997 में हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में उन्हें 95 प्रतिशत मत मिले थे. इतिहास में के.आर. नारायणन को केवल दिखावे का राष्ट्रपति नहीं माना जाता है. उन्होंने समय-समय पर अपनी शक्तियों का समुचित प्रयोग किया.
राष्ट्रपति पद पर रहते हुए के.आर. नारायणन ने त्रिशंकु लोकसभा के दौरान प्रधानमंत्री की नियुक्ति की, एक राज्य की सरकार को निरस्त किया और कारगिल युद्ध के दौरान स्टेट ऑफ इमरजेंसी लगाई.
इतिहास में उन्हें उनकी सादगी के लिए भी याद किया जाता है. बात 1998 के आम चुनाव की है. इस चुनाव में के.आर. नारायणन ने लाइन में लगकर वोट डाला था. इससे पहले किसी भी राष्ट्रपति ने ऐसा नहीं किया था.
के.आर. नारायणन ने अपने कार्यकाल में उत्तर प्रदेश और बिहार की सरकारों को निरस्त करके राष्ट्रपति शासन लगाया था. उस समय उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह और बिहार में राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थीं.
के.आर. नारायणन को प्रगतिशील विचारों के लिए जाना जाता है. वे शिक्षा को सर्वोपरी मानते थे. 2002 में उनका कार्यकाल ख़त्म हुआ और 2005 में उनकी मृत्यु हो गई.
तो ये थीं 25 जुलाई से जुड़ीं कुछ महत्वपूर्ण भारतीय ऐतिहासिक घटनाएं.
अगर आपके पास ऐसी ही किसी घटना की जानकारी हो तो हमें कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day In Indian History 25 July, Hindi Article
Feature Image Credit: Wikipedia