विश्वभर के सभी देशों में अपनी खुफिया एजेंसियां हैं, जो तेज-तर्रार और चालाक अधिकारियों-एजेंटों से भरी हुई हैं.
ऐसी ही कुछ एजेंसियां प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बनीं और कुछ उसके बाद, जो विरोधी देशों की महत्वपूर्ण जानकारियों को निकालने में माहिर थीं.
हालांकि आज जब दुनिया भर में आधुनिक तकनीक के बल पर खुफिया तरीके से देशों पर नजर रखी जा रही है, ऐसे में कुछ एजेंसियों को समाप्त कर दिया गया है, या वे अपने खराब ऑपरेशनों के कारण बंद हो गईं.
आज हम ऐसी ही खुफिया एजेंसियों की बात करेंगे, जो कभी विश्वभर में कुख्यात थीं, लेकिन आगे चलकर बंद कर दी गईं –
सावाक (ईरान)
दूसरे विश्व युद्ध के बाद अमेरिका जैसी कुछ और वैश्विक शक्तियां तेल भंडार वाले देशों की ओर उमड़ पड़ीं.
ऐसे देशों की आंतरिक और बाह्य राजनीति में ये देश किसी न किसी प्रकार से दखलअंदाजी करने लगे.
इन्हीं देशों में से एक ईरान भी था, जो इन देशों के रडार पर आ गया. अमेरिका अपनी खुफिया एजेंसी सीआईए के जरिए लगातार ईरान में नई-नई योजनाएं बना रहा था, जिसमें वह ईरान को भी भागीदारी बनाने लगा.
उसके कई कार्यक्रमों में से एक ‘सावाक‘ का गठन भी था.
साल 1957 ई. में अमेरिका ने ईरानी सरकार को सुझाव दिया कि उन्हें भी सीआईए की तरह से अपने देश की एक खुफिया एजेंसी बनानी चाहिए.
अमेरिका के इस सुझाव को अमल में लाते हुए शाह की सेना के कुछ अधिकारियों, यूरोपियन नागरिकों व विश्व युद्ध में हिस्सा रहे ईरानी सैनिकों को एकजुट कर सावाक का गठन कर दिया गया.
इन सभी के प्रशिक्षण के लिए तेहरान में एक खास को चुना गया. इन्हें बातचीत का तरीका, विश्लेषणात्मक कौशल, पूछताछ की प्रक्रियाएं और यहां तक की विश्व इतिहास के बारे में भी जानकारी दी गई.
ईरान हमेशा से ही सोवियत जासूसों से भरा रहता था. ऐसे में सावाक का पहला काम इन्हीं जासूसों की तलाश करना था.
सावाक ने पूरे ईरान में कई खुफिया ऑपरेशन चलाए और जासूसों को ढूंढ कर खूब प्रताड़ना दी.
इतना ही नहीं सरकार ने अपने राजीनितिक फायदे के लिए सावाक का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं के विरुद्ध भी किया. जिसके चलते लोगों में सावाक के प्रति गुस्सा और नफरत की भावना पैदा हो गई.
सावाक की गैर कानूनी गतिविधियों और अति भयभीत करने वाली प्रताड़ना के किस्से जब लोगों में फैले तो प्रधानमंत्री शाहपोर बख्तियार ने बिल पारित कर सावाक को हमेशा के लिए भंग कर दिया.
SAVAK was Iran’s Intelligence Agency. (Representative Pic: La Croix)
एन.के.वी.डी. (सोवियत संघ)
एन.के.वी.डी. सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी थी, जिसका एक समय पर समूचे यूक्रेन पर कब्जा था.
इस एजेंसी का गठन राजनीतिक और विदेशी मसलों पर नजर रखने के लिए साल 1917 में किया गया था. इसके साथ ही इसे सीमा सुरक्षा और जेल प्रशासन को संभालने की जिम्मेदारी भी दी गई थी.
कुछ सालों बाद जब देश में सोवियत संघ का प्रभुत्व कायम हो गया, तो उन्होंने पहले से चल रही अपनी एजेंसी चेका और एन.के.वी.डी. को पूरी तरह से स्वतंत्रता दे दी.
साल 1922 आते आते चेका को एन.के.वी.डी. के अधीन कर दिया गया. 1926 में एजेंसी प्रमुक एफ. द्जेरजहिंसकी की मौत के बाद इस पद पर वी. मेनजहींसकी को नियुक्त किया गया.
सोवियत संघ द्वारा मिली स्वतंत्रता व सुविधाओं की बदौलत धीरे-धीरे इस एजेंसी ने अपना खुद का प्रशासन मजबूत कर लिया, जिसके बाद देश में गुलाम मजदूर, सीमा पर तैनात दस्ते जैसी सभी कार्यों की देख-रेख इसी के द्वारा की जाने लगी.
संघ के मुखिया स्टालिन की मौत के बाद जब दूसरा विश्व युद्ध छिड़ा, तो उस समय पीपल कम्युनिस्ट पार्टी और एन.के.वी.डी. ने मिलकर कई खुफिया ऑपरेशन चलाए.
साल 1941 में जब जर्मनी के हमले की शुरुआत हुई, तो उस समय एन.के.वी.डी. ने पश्चिमी यूक्रेन में स्थित अपनी जेलों में बंद हजारों राजनीतिक कैदियों को क्रूरता से मार डाला.
इसके 2 साल बाद एजेंसी के प्रमुख का तबादला कर, मार्च 1946 को एन.के.वी.डी. का नाम बदलकर एम.वी.डी. कर दिया गया.
NKVD Soviet security service killers. (Representative Pic: Pinterest)
सतासी (जर्मनी)
राजनीतिक और विदेशी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के लिए दूसरे विश्व युद्ध के बाद ‘सतासी’ का गठन किया गया था. इस एजेंसी की कमांड जर्मनी की सोशलिस्ट यूनिटी पार्टी के हाथ में थी.
शुरुआत में इस एजेंसी में काफी कम लोग थे, जोकि आमतौर पर जर्मनी में मौजूद सोवियत व पश्चिमी जासूसों को ढूंढते थे. लेकिन कुछ समय बाद सतासी लोगों का अपहरण करने के लिए मशहूर हो गए.
उन्होंने जासूसों के साथ-साथ जर्मनी की आम जनता पर भी नजर रखनी शुरू कर दी. यहां तक की उनके पास जर्मनी की एक तिहाई जनता की हर छोटी बड़ी पर्सनल जानकारी मौजूद थी.
इस समय के दौरान पूर्व जर्मन के जो अधिकारी देश छोड़ गए थे, सतासी के जासूसों ने उनमे से अधिकतर को मौत के घाट उतार दिया.
सतासी के कई आतंकवादी संगठनों के साथ भी रिश्ते थे. जिनसे वह पश्चिमी जर्मनी के क्षेत्रों में बम धमाके व आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते रहे. इसके लिए उन्होंने चरमपंथी संगठनों को पूर्व बर्लिन में एक सुरक्षित स्थान भी मुहैया करवाया था.
मगर साल 1989 में जब बर्लिन को दो हिस्सों में बांटने वाली दीवार गिरी, तो पूर्व जर्मन की सरकार ने एक कानून पास कर बर्लिन की सरकार को नए सिरे से बहाल करने का आदेश दे दिया.
हालांकि लोगों के विरोध के चलते ऐसा नहीं हो पाया, लेकिन सतासी को फरवरी 1990 में बंद कर दिया गया. इस दौरान सतासी द्वारा एकत्र किए गए सभी रिकार्ड्स लोगों को सौंप दिए गए.
STASI was the Secret Agency of East Germany. (Representative Pic: Culture Trip)
दिना (चिली)
चिली की 1974 में बनी ये खुफिया एजेंसी दुनिया की सबसे खतरनाक एजेंसियों में से एक मानी जाती थी.
मगर दिना पर लगे अनगिनत हत्याओं व लोगों को अमानवीय तरीके से प्रताड़ित करने के आरोपों के चलते इसे भंग कर दिया गया. इसकी शुरुआत के समय इसमें 20,000 अधिकारियों की भर्ती की गई थी, जिनका सुप्रीम कमांडर जनरल मारिओ कॉनट्रेरस टापिआ को बनाया गया.
इस एजेंसी को केवल राजनीतिक गतिविधियों के लिए गठित किया गया था, लेकिन धीरे-धीरे एजेंसी को कैदियों व जासूसों को प्रताड़ित कर उनसे खुफिया जानकारी निकलवाने की जिम्मेदारी भी दे दी गई.
जिसके बाद दिना द्वारा लोगों को प्रताड़ित करने और मारने का एक अलग ही दौर चल पड़ा. इस दौरान कई लोगों को तो एजेंसी के सिपाहियों ने लापता कर दिया.
एजेंसी द्वारा जेल में आने वाले कैदियों को शारीरिक प्रताड़ना के साथ-साथ दवाइयों के जरिय भी असहनीय पीड़ा भी दी जाती थी. लोगों द्वारा जब लगातार अपने पारिवारिक सदस्यों की जेल से गुमशुदा होने की शिकायतें बढ़ने लगीं, तो सरकार का ध्यान इस और गया, जिसके बाद इसकी जांच कराई गई.
जांच में पाया गया कि दिना सिपाहियों द्वारा सैंकड़ों लोगों को मौत के घाट उतारा गया और ढेरों कैदियों को अमानवीय तरीके से प्रताड़ित किया गया.
DINA the Secret Agency of Chile. (Representative Pic: NBC News)
एक लंबी जांच में पाया गया कि ‘दिना’ के अधिकारियों ने सैंकड़ों लोगों को मौत के घाट उतारा दिया था और ढेरों कैदियों को अमानवीय तरीके से प्रताड़ित किया गया.
Web Title: Defunct Intelligence Agencies and Secret Police Of The World, Hindi Article
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