कभी धन की इच्छा से तो कभी अपमान का बदला लेने के लिए तो कभी स्त्री के मान के लिए… ‘बदला’ लिया गया है.
हर देश के इतिहास में ऐसी दर्जनों कहानियां हैं जो ‘बदले’ की नींव पर लिखी गईं. बदले की भावना ने इतिहास के पन्नों को खून से रंगा है पर कई कहानियां ऐसी भी रहीं हैं जिन्होंने मिसाल कायम की है.
ऐसे ऐतिहासिक बदले सभ्यता और साम्राज्य के पतन और उद्घाटन के कारण बने. इन्हीं चुनिंदा कहानियों में से हम पांच उदाहरण लेकर आए हैं आपके लिए. इन्हें पढें और जानें कि कई बार छोटा सा अपमान कैसे बड़ी घटना का कारण बनता है–
जूलियस सीजर का उपहास पड़ा महंगा!
25 वर्षीय जूलियस सीजर का समुद्री डाकुओं ने अपहरण कर लिया था. वह सीजर के बदले 20 चांदी के सिक्के की फिरौती मांग रहे थे. सीजर ने डाकुओं से कहा कि इतनी कम फिरौती उनका अपमान है… इसलिए इससे ज्यादा फिरौती मांगी जाए.
डाकुओं को यह बात अजीब लगी पर जूलियस सीजर ने उन्हें 50 चांदी के सिक्के की फिरौती मांगने पर राजी करवा ही लिया. जब तक वह डाकुओं के कब्जे में रहे उन्होंने कई भाषण और कविताएं लिखी और डाकुओं को सुनाईं.
वे उनका उपहास करते रहे. एक दिन मजाक में सीजर ने कहा कि यदि वह यहां से आजाद हो गए तो उन सबको सूली पर टांग देंगे. डाकुओं को यह बात सुनके हंसी आने लगी. उन्हें लगा कि सीजर अभी नौजवान और नौसीखिए हैं इसलिए ऐसी बेतुकी बात कर रहे हैं.
डाकुओं ने सीजर की बातों पर ज्यादा गौर नहीं किया. उन्हें लगा कि वह इतने खतरनाक हैं इसलिए कोई भी उनके सामने फिर से नहीं आना चाहेगा.
खैर कुछ रोज बाद ही डाकुओं को उनकी फिरौती मिल गई. डाकुओं ने सीजर को जाने दिया और दोनों ही अपनी-अपनी जिंदगी में लौट गए. डाकुओं को लगा था कि सीजर उनके बारे में भूल जाएगा मगर यही उनकी गलती थी.
सीजर अपने अपमान का बदला लेना चाहते थे.
इसके बाद जूलियस सीजर ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए डाकुओं पर हमला किया.
सीजर अपनी जुबान के पक्के साबित हुए. उन्होंने पहले ही उन्हें कह दिया था कि वह रिहा होते ही उन्हें सूली पर टांग देंगे. आखिर में हुआ भी कुछ ऐसा ही. डाकुओं पर सीजर ने हमला किया. हमले में सभी डाकू सीजर के हत्थे चढ़ गए.
अंत में सीजर ने अपना वादा निभाया और उन सभी को सूली पर टांग दिया.
Julius Caesar Killed Bandits (Representative Pic: denofgreek)
प्रेमिका की हत्या के लिए पिता से लड़ने निकले…
1344 में राजा अलफोंसो और क्वीन बीट्राइस की एक मात्र संतान डॉन पेड्रो को अपनी पत्नी कॉन्स्टेंसिया की नौकरानी इन डी कास्त्रो से प्यार हो गया. वह उससे शादी करके जीवन भर साथ रखना चाहते थे पर राजा अलफोंसो को यह बात मंजूर नहीं थी.
1345 में कॉन्स्टेंसिया की मृत्यु हो गई. राजा चाहते थे कि प्रिंस दूसरी शादी कर लें, पर उन्होंने एलान कर दिया कि वह किसी राजकुमारी से शादी नहीं करेंगे. पेड्रो के पिता को खानदान की इज्जत पर खतरा महसूस होने लगा.
वह अपने बेटे का तो कुछ नहीं कर सकते थे इसलिए वह उसकी प्रेमिका को अपना निशाना बनाते हैं. राजा अपने हत्यारे भेजते हैं और उस नौकरानी को मार देते हैं.
इस घटना ने प्रिंस पेड्रो को बदला लेने पर मजबूर कर दिया. वह दुखी थे अपनी प्रेमिका की मौत पर. उन्होंने अपनी प्रेमिका की मौत के लिए अपने पिता को मारने का प्लान बनाया.
उन्होंने अपने पिता के खिलाफ युद्ध का एलान कर दिया पर आखिरी समय में उनकी मां ने इस जंग को होने से रोक लिया. 1357 में पिता की मृत्यु के बाद प्रिंस पेड्रो राजा बन गए पर उनके अंदर बदले की आग सुलग रही थी. इसलिए उन्होंने सिंहासन पर बैठते ही उन सब लोगों की हत्या कर दी, जो उनकी प्रेमिका और बच्चे की हत्या में शामिल थे.
Don Pedro Started War With His Father (Representative Pic: ancient)
90 साल की उम्र में लड़ा युद्ध!
12वीं शताब्दी की शुरआत में पूर्वी यूरोप में बाइजेंटाइन साम्राज्य का वर्चस्व था. 1171 तक सब कुछ सही चला, लेकिन कुछ ही सालों बाद बाइजेंटाइन शासक ने वेनिस के लोगों की संपत्तियों को उनकी मर्जी के खिलाफ जब्त करना शुरू कर दिया. वेनिस के लोगों ने 60 वर्षीय एनरिको दंडोलो को प्रतिनिधि बनाकर बाइजेंटाइन शासक से बात करने के लिए भेजा. एनरिको दंडोलो की आंखों की रौशनी नहीं थी.
जब वह बात करने बाइजेंटाइन साम्राज्य में पहुंचे तो वहां के राजा समेत अन्य दरबारियों ने उनकी मांगें मानने से इंकार कर दिया. इससे ज्यादा बुरा तो यह था कि उनके अंधेपन का मजाक उड़ाया गया.
एनरिको वहां से तो वापस आ गए पर बाद में वेनेजुएला सेना की मदद से बाइजेंटाइन की राजधानी कॉन्स्टैन्टिनोप्ल पर हमला कर दिया. उन्होंने युद्ध लड़ा और जीत हासिल की. जब यह जीत हासिल की गई तब उनकी उम्र 90 साल थी.
बूढ़े और अंधे होने के बावजूद भी उन्होंने सब को दिखा दिया कि आखिर वह क्या चीज हैं.
Enrico Dandolo Took Revenge When He Was 90 Year’s Old (Representative Pic: wikipedia)
गलतफहमी के कारण खत्म हो गया साम्राज्य…
ख्वारिज्म वंश का नाम आज बहुत कम लोग जानते हैं. इसकी वजह है चंगेज खान का बदला. जी हां इस बदले की आग ने चंगेज खान के पूरे इतिहास को खून से रंग दिया. 13वीं शताब्दी के दौरान चंगेज खान के मंगोल राज्य की सीमा ख्वारिज्म साम्राज्य तक थी. वहां कई बड़े व्यापारी थे, जिनके सहयोग से मंगोल का भी विकास हो सकता था.
चंगेज खान ने इस योजना को पूरा करने के लिए ख्वारिज्म शासक के पास अपने 500 कामगारों को भेजा. उसके मन में व्यापार की इच्छा थी और चाहता था कि इन कामगारों को शासक स्वीकार करें और साथ में मिलकर व्यापार करें. हालांकि शासक ने चंगेज खान के मंसूबे को गलत समझा और सभी 500 लोगों को गिरफ्तार कर लिया.
इसके बाद चंगेज खान ने अपने दो मंगोल और एक मुस्लिम दूत को शासक के पास संधि के लिए भेजा. दूत ने उन्हें चंगेज खान की व्यापार योजना के बारे में बताया और अपील की कि 500 लोगों को रिहा कर दें पर शासक को गलतफहमी बनी रही. उसने जवाब में मंगोल दूत का सिर मुंडवा दिया और मुस्लिम दूत की हत्या कर दी. इसके बाद चंगेज खान ने उन मौतों का बदला लिया.
उसने ख्वारिज्म वंश के अस्तित्व को ही खत्म करने की ठानी. दो साल तक युद्ध लड़कर उसने पूरे साम्राज्य को तहस-नहस कर दिया. उसने ख्वारिज्म वंश का नामो निशान मिटाने के लिए उनके परिवार के बच्चों तक की हत्या कर दी.
Genghis Khan Ended The Whole Empire For Revenge (Representative Pic: wikia)
यह थे कुछ ऐसे बदले जिन्होंने इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाया है. कोई बदला प्यार के लिए लिया गया तो कोई सम्मान के लिए. इन्होंने दिखाया कि इंसान बदला लेने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है.
आप क्या कहते, सोचते हैं बदले लेने की भावना के बारे में… कमेन्ट-बॉक्स में अवश्य बताएं!
Web Title: Famous Revenge In History, Hindi Article
Featured Image Credit: pintrest