हर दिन कुछ न कुछ घटता है और लोग उसके बारे में लिखते हैं.
बाद में एक तय समय के बाद यह इतिहास बन जाता है. इसी क्रम में आने वाली पीढ़ियां देखती हैं कि हमारे अतीत में क्या-क्या हुआ है. वो इससे सीखती हैं और आगे भी बढ़ती हैं.
तो आईए जानते हैं कि 8 जून के नाम इतिहास में क्या दर्ज है–
आतंकियों ने किया विमान को हाइजैक
14 जून 1985 के दिन हिजबुल्लाह के आतंकवादियों ने एक यात्री विमान को हाइजैक कर लिया. यह जहाज एथेंस से रोम जा रहा था. आतंकियों ने यह जहाज, इसलिए हाइजैक किया था, क्योंकि वे इसमें सवार यहूदी नाम वाले यात्रियों की असली पहचान जानना चाहते थे.
ये आतंकी लेबनान से थे और विस्फोटकों एवं पिस्टलों से लैस थे.
इन्होंने जहाज को बैरत में उतरवा लिया था. जहाज के उतरते ही उन्होंने इजराइली पासपोर्ट के साथ यात्रा कर रहे यात्रियों को उतरने को कहा. किन्तु, उस जहाज में ऐसा कोई भी यात्री नहीं था.
इसके बाद उन्होंने अमेरिकी नेवी डाइवर्स पर अपना ध्यान केन्द्रित किया और रोबर्ट स्थेथम को मार दिया.
आगे इस विमान के एक कर्मचारी ऊली डेरिकस्न ने अपनी चतुराई से बहुत से यहूदी यात्रियों को बचा लिया. असल में आतंकियों ने उससे यात्रियों को पहचानने को कहा. ऐसे में उसने जानबूझकर यहूदी यात्रियों को यहूदी नहीं बताया. इसके चलते ज्यादातर यात्रियों को अगले कुछ घंटों में छोड़ दिया गया.
आतंकियों ने केवल पांच यात्रियों को बंधक बनाया. इनमें से केवल एक ही यहूदी था.
30 जून को बातचीत करके इन पांचों बंधकों को छुड़ा लिया गया. आगे इस पूरे घटनाक्रम में शामिल आतंकी मोहम्मद अली हम्मादी को दो साल बाद जर्मनी के फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तारी के समय पर उसके पास से विस्फोटक सामग्री बरामद की गई. इसके बदले में हिजबुल्लाह ने दो जर्मन नागरिकों का अपहरण कर लिया.
आगे जर्मनी ने मोहम्मद पर मुक़दमा चलाया और उसे उम्रकैद की सजा दी. हालाँकि, 2005 में उसे पैरोल पर छोड़ दिया गया.
अमेरिकी झंडा आया अस्तित्व में
14 जून 1777 के दिन महाद्वीपीय कांग्रेस ने अमेरिकी झंडे का प्रारूप निर्धारित किया. इसके तहत अमेरिकी झंडे में लाल और सफ़ेद रंग की कुल 13 एक के बाद एक पट्टियाँ होंगी. इसके साथ नीले बैकग्राउंड पर सफ़ेद रंग के 13 सितारे उकेरे जाएंगे.
असल में कांग्रेस को झंडे के इस प्रारूप का विचार 1776 में महाद्वीपीय सेना द्वारा धारण किए गए झंडे से ही आया था. महाद्वीपीय सेना के झंडे में भी तेरह सफ़ेद-लाल पट्टियाँ और 13 सितारे थे.
बताते चलें कि इस सेना ने अमेरिकी क्रांति में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
आगे जैसे-जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका में नए राज्य जुड़ते गए, वैसे- वैसे झंडे में नई पट्टियाँ और सितारे भी जुड़ते गए. इसी क्रम में 1818 में अमेरिकी कांग्रेस ने एक नया कानून बनाया. इस नए कानून के तहत अब नया राज्य जुड़ने पर पट्टियों की जगह बस सितारों की संख्या में ही बढोत्तरी किया जाना निर्धारित हुआ.
14 जून 1877 को अमेरिका में पहला फ्लैग डे मनाया गया. इसके बाद 1949 में अमेरिका ने 14 जून को आधिकारिक रूप से फ्लैग डे घोषित कर दिया. फ्लैग डे के दिन अमेरिका की सभी सरकारी इमारतों पर अमेरिकी झंडा फहराया जाता है.
वापस बुलाई गईं अमरीकी सैन्य टुकड़ियां
14 जून 1969 के दिन अमेरिकी हाई कमांड ने घोषणा की वह तीन सैन्य टुकड़ियों को विएतनाम से वापस बुलाने जा रहा है. इन सैन्य टुकड़ियों में कुल मिलाकर 13 से 14 हजार सैनिक शामिल थे. ये टुकड़ियाँ अमेरिका की प्रथम इन्फेंट्री का हिस्सा थीं.
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने दक्षिण विएतनाम के राष्ट्रपति से 8 जून को वादा किया था कि, वे इस साल के अंत तक विएतनाम से करीब 25 हजार सैनिकों को वापस अमेरिका बुला लेंगे. बताते चलें कि साठ के दशक से ही अमेरिका विएतनाम में खूनी युद्ध लड़ रहा था.
बीच में कुछ ऐसी खबरें आईं, जिनसे पता चला कि अमेरिका ने विएतनाम के ऊपर यह युद्ध जबरन थोपा हुआ है.
इस कारण अमेरिकी प्रबुद्ध वर्ग लगातार अमेरिकी सरकार के खिलाफ आन्दोलन चला रहा था. इन आंदोलनों का प्रमुख उद्देश्य विएतनाम से अमेरिकी सेना को वापस बुलाकर युद्ध ख़त्म करना था. आगे फिर कुछ ऐसे दस्तावेज लीक हुए, जिन्होंने अमेरिकी सरकार के झूठ को जनता के सामने उजागर कर दिया. इसके बाद अमेरिकी सरकार को विएतनाम में लड़ाई बंद करनी पड़ी.
पेरिस में घुसी हिटलर की जर्मन सेना
14 जून 1940 के दिन की सुबह जब पेरिसवासी सुबह उठे तो उन्हें लाउडस्पीकर पर कुछ घोषणाएं सुनने को मिलीं. इन घोषणाओं में बताया जा रहा था कि शाम को आठ बजे तक शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया है.
कारण था जर्मनी की सेना द्वारा पेरिस पर हमला बोलना.
इस बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने फ्रांस की सरकार को उम्मीद दी कि जल्द ही अमेरिका उसकी मदद के लिए आगे आएगा. आगे अमेरिका ने फ़्रांस की मदद भी की. उसने फ़्रांस को जरूरी सामग्री के रूप में मदद पहुंचाई.
इस बीच फ़्रांस ने अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूजवेल्ट से संबंध साधा और पूछा कि क्या वो इस मदद को जर्मनी के खिलाफ अमेरिका की सहभागिता समझ सकता है!
इसके उत्तर में अमेरिका ने कहा कि वो ऐसा आधिकारिक रूप से नहीं कर सकता है, क्योंकि ऐसा करने से हिटलर उसके ऊपर सीधे हमला कर देगा. कुल मिलाकर वह अभी जर्मनी से सीधे युद्ध के लिए तैयार नहीं था.
अमेरिका लगातार फ़्रांस की मदद करता रहा, लेकिन उसने इस मदद की सूचना सार्वजनिक नहीं की. हालाँकि, हिटलर को इस बात का अंदाजा हो गया था. आगे जब तक जर्मनी की सेना पेरिस में घुसी, तब तक 20 लाख पेरिसवासी शहर छोड़कर भाग गए. इसमें जो बच गए, उन्हें जर्मनी ने कैद कर लिया और शहर में जगह- जगह अपना झंडा फहरा दिया.
हालाँकि, तब तक पश्चिम की तरफ से कनाडा की सेना फंसे हुए पेरिसवासियों की मदद के लिए आ गई. फिर स्थितियां और बिगड़ीं, तो अमेरिका ने आधिकारिक रूप से खुद को फ़्रांस और ब्रिटेन का सहायक घोषित कर दिया.
तो ये थीं 14 जून को इतिहास में घटी कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं.
अगर आपके पास भी इस दिन से जुड़ी किसी घटना की जानकारी हो तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day In History 14 June: When Germany Invaded Paris, Hindi Title
Feature Image Credit: The National Interest