आज अगर पॉपुलर संगीत की दुनिया पर नज़र डालें, तो पंजाबी गाने हर जगह तैरते हुए नज़र आ रहे हैं. रैप से लेकर हिप-हॉप तक, संगीत की सारी विधाएं आज पंजाबी गायकों और संगीतकारों से भरी हुई नज़र आ रही हैं. ये गायक और संगीतकार मात्रा में इतने अधिक हो गए हैं कि अब इनका नाम भी याद रखना मुश्किल हो गया है.
एक ऐसे वक्त में जब प्रत्येक पंजाबी गायक और संगीतकार लगभग एक जैसे गाने ही गा रहा है, तब एक गायक ऐसा भी है, जिसने पंजाबी लोकगीतों को गाना नहीं छोड़ा है. इस गायक ने अस्सी के दशक में पंजाबी संगीत को पहचान दिलाई थी.
हैरानी की बात यह है कि तब से लेकर अब तक इस गायक की फैन फॉलोइंग में जरा सी भी कमी नहीं आई है. उसकी आवाज में एक जादू है, जो श्रोताओं को बांधे रखता है. इस गायक का नाम है- गुरदास मान.
तो आईए गुरदास के सांगीतिक सफ़र को थोड़ा करीब से जानते हैं…
संगीत और खेल में एक साथ आजमाया हाँथ
गुरदास मान का जन्म 4 जनवरी 1957 के दिन मुक्तसर, पंजाब में हुआ. गुरदास जैसे-जैसे बड़े हुए, तो गाँव में आयोजित होने वाले विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उन्हें गायन के लिए बुलाया जाने लगा. वे अच्छा गाते थे, लेकिन उस समय उन्होंने कभी भी संगीत के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने के बारे में नहीं सोचा था.
इस समय वे गायन को बस एक पसंदीदा क्रियाविधि के तौर पर ले रहे थे. उनका मन पढ़ाई में लगता था, इसलिए वे पढ़-लिखकर एक अच्छा सरकारी अधिकारी बनने की बात सोच रहे थे. इसी क्रम में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे पटियाला आ गए. जब वे पटियाला आए, तो उनका मन खेल की तरफ आकर्षित होने लगा.
संयोग से शहर में ‘राष्ट्रीय खेल संस्थान’ भी था. गुरदास ने इसमें दाखिला ले लिया. यहाँ पढ़ाई और ट्रेनिंग के साथ-साथ गुरदास ने संगीत और थिएटर में भी अपना हाथ आजमाना चालू रखा. इस दौरान वे विभिन्न संस्थानों में न केवल खेलों में मैडल हासिल करते, बल्कि संगीत और थिएटर के लिए भी खूब सराहे जाते.
जब वे संस्थान से निकले, तो उनके पास ‘शारीरिक शिक्षा’ में परास्नातक की डिग्री और जूडो में ब्लैक बेल्ट थी.
एक गाने ने रातोंरात बना दिया स्टार
ऐसे ही खेल, कलाकारी और गायकी में गुरदास का जीवन गुज़र रहा था. इसी क्रम में उन्होंने 1980 में एक नाटक के दौरान खुद का लिखा हुआ एक गाना गया. गाने का नाम था, ‘दिल दा मामला है’.
इस नाटक को जालंधर टीवी स्टेशन के एक प्रोड्यूसर भी देख रहे थे. वे गुरदास की गायकी से बहुत प्रभावित हुए. आगे उन्होंने गुरदास से टीवी के लिए इसी गाने को रिकॉर्ड करने की गुज़ारिश की. गुरदास फट से राजी हो गए. 31 दिसंबर 1980 के दिन यह गाना प्रसारित हुए. प्रसारित होते ही इस गाने ने धूम मचा दी और गुरदास का नाम सबकी जुबान पर चढ़ गया.
इसके बाद उन्हें बड़ी-बड़ी कंपनियों की तरफ से ऑफर आने लगे. इन्हीं कम्पनियों में से एक थी ‘एचएमवी’. गुरदास ने इसके साथ मिलकर 1981 में अनेक गाने रिकॉर्ड किए. उस समय म्यूजिक इंडस्ट्री में ज्यादातर कम्पनियाँ दो गायकों को एक साथ मिलकर गाने बनाती थीं, लेकिन गुरदास केवल अकेले गाना पसंद करते थे. ये मौका उन्हें ‘एचएमवी’ ने दिया.
यहाँ से वे आगे बढ़े, तो फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. वे पंजाब की जनता के दिल में घर बनाकर तो बैठे ही, बल्कि विदेशों में भी उन्होंने पंजाबी संगीत को अलग पहचान दिलाई. इसी दौरान उन्होंने फ़िल्में बनानी भी शुरू कीं. आगे उन्हें इस क्षेत्र में भी बड़ी सफलता मिली. एक फिल्म में उन्होंने भगत सिंह का किरदार भी निभाया.
इसके लिए उन्हें आलोचकों और दर्शकों से खूब सराहना मिली. गुरदास मान ने जो भी किया, दिल से किया. यही कारण रहा कि वे अपने फैन्स से दिल का रिश्ता बनाए रख पाए. 1984 में जब सिख जनसंहार हुआ, तब उन्होंने एक बहुत ही संवेदनशील गीत लिखा. इसके बोल ये थे, “ मैं धरती पंजाब दी, लोको वसदी उजर गई”. इस गाने ने पूरे पंजाब को ग़मगीन कर दिया.
आगे उन्होंने एक गाना और गाया. इस गाने का नाम था- अपना पंजाब. इसे माखन बरार ने लिखा था. इस गाने ने आगे गुरदास को बेस्ट इंटरनेशनल सिंगर का अवार्ड जितवाया. इसी गाने ने उन्हें विदेशों में रह रहे पंजाबियों के दिलों में निर्विवाद रूप से बैठा दिया.
औरों से अलग है गुरदास की पहचान
गुरदास मान आज के जैसे व्यवसायिक गायकों और गीतकारों के जैसे उथले नहीं हैं. उनकी आवाज और गीतों में एक गहराई है. आज नए गायक आते हैं, महीने- दो महीने वे छाए रहते हैं और फिर अचानक से वे गायब हो जाते हैं. उनकी जगह उनके ही जैसा कोई फूहड़ गायक फिर आ जाता है. यह सिलसिला चलता रहता है. गुरदास के साथ ऐसा कभी नहीं रहा.
उन्होंने एक कलाकार के रूप में अपनी जिम्मेदारी समझी और संवेदनशील कला का निर्माण किया. यही वजह रही कि आज लगभग तीन दशकों के बाद भी उनके चाहने वाले कम नहीं हुए हैं. आज उनके फैन्स में बूढों से लेकर नवयुवक तक शामिल हैं.
गुरदास मान की एक और बात, जो उन्हें आज के पंजाबी गायकों और संगीतकारों से बिलकुल अलग बनाती है, वह है उनकी समाज के प्रति प्रतिबद्धता. आज जहां ज्यादातर संगीत बेचने के लिए फूहड़ता से भरा व्यावसायिक संगीत बना रहे हैं, ऐसे में गुरदास समाज को जोड़ने वाला संगीत बना रहे हैं.
बाकी संगीतकारों के संगीत में जहाँ अश्लीलता,शराब और दूसरे व्यसनों का महिमामंडन होता है, वहीं गुरदास के गानों में सामाजिक सौहार्द और एक-दूसरे को सम्मान देने की बातें होती हैं. वे बाकी कलाकारों को ऐसी हिदायत भी देते हैं कि वे एक जिम्मेदारी के साथ अपनी कला का निर्माण करें.
अंत में यही कहा जा सकता है कि गुरदास मान ने पंजाबी गीत-संगीत को एक अलग पहचान दिलाई. अपने टैलेंट के बल पर उन्होंने बड़ी-बड़ी हस्तियों के साथ उम्दा काम किया और खोब शोहरत कमाई. आज भी वे अपने पुराने जज्बे के साथ काम करने में लगे हुए हैं.
Web Title: Gurdas Maan: The Legendary Singer Of Punjab, Hindi Article
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