कैलेंडर की हर एक तारीख अपने आप में महत्वपूर्ण है. दुनिया के हर कोने में गुजरती ऐतिहासिक घटना कैलेंडर पर छपी इन तारीखों में कैद हो जाती है, जिन्हें आने वाली नस्लें याद रखती हैं. ऐसे में जिंदगी का हर दिन इंसान को कई तरह के अनुभव देकर जाता है. वहीं इस दिन से जुड़े कुछ ऐतिहासिक किस्से भी आपको याद रह जाते हैं.
आज हम ‘डे इन हिस्ट्री’ की इस कड़ी में 9 मई में दर्ज ऐसे ही कुछ किस्सों को इतिहास के पन्नों से निकालकर आपके सामने रखने जा रहे हैं–
वर्ल्ड बैंक ने फ्रांस को दिया अपना ‘पहला लोन’!
विश्व बैंक लोन देने वाला एक ऐसा संस्थान है, जिसका मकसद दुनिया के विभिन्न देशों को संकट के समय में पैसा देकर उनकी मदद करना है. विश्व बैंक की स्थापना साल 1944 में अमेरिका के ब्रेटन वुड्स नामक शहर में हुई थी. विश्व बैंक की स्थापना के पीछे काफी बड़ा कारण था. दूसरे विश्व युद्ध के बाद कई देशों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा था. युद्ध के कारण कई देशों की आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई थी. विश्व बैंक का मकसद आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे देशों की अर्थ दिक्कतों को दूर करना और उस देश को विकासशील देश में शुमार करने का प्रयास करना था.
दूसरे विश्व युद्ध के बाद फ्रांस देश में भी आर्थिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई थी. इसके बाद फ्रांस सरकार ने विश्व बैंक को पत्र लिखकर लोन देने की मांग की थी. फ्रांस सरकार ने विश्व बैंक से 500 मिलियन राशि लोन के रूप में मांगी थी.
फ्रांस की ओर से मांगी गई राशि से फ्रांस में मूलभूत सुविधाओं को पटरी पर लाना था. इनमें कोयला, पेट्रोल और विद्युत सेवा शामिल थी. चूंकि विश्व बैंक का कुछ समय पहले ही विस्तार हुआ था और फ्रांस की ओर से मांगा गया लोन काफी अधिक था. इसलिए बैंक ने फ्रांस देश को 2.6 मिलियन की धनराशि ही लोन के रूप में देना मंजूर किया था. मौजूदा समय में 180 देश विश्व बैंक से सदस्य राष्ट्र के तौर पर जुड़े हुए हैं. दुनिया के विकासशील देशों की मदद से विश्व बैंक धन जुटाता है और इस धन को गरीबी से जूझ रहे देशों पर खर्च करता है.
World Bank Gave First Loan To France (Representative Pic: installmentscredits)
भारतीय नारी को ‘महिला सशक्तिकरण’ पर मिला अवार्ड
भारत ने आजादी के बाद कई देशों में अपना परचम लहराया है. खेल से लेकर विज्ञान तक भारतीयों का डंका विकासशील देशों में बजता है. इस कड़ी में भारतीय नारी वंदना शिवा को ऑस्ट्रेलिया जैसे विकासशील देश में महिला सशक्तिकरण पर काम करने के लिए उच्च सम्मान सिडनी शांति पुरस्कार से नवाजा गया था. विदेश में सिडनी शांति पुरस्कार पाने वाली वंदना शिवा पहली भारतीय नारी थीं. भारत की वंदना शिवा कई विकासशील देशों में महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण के लिए अहम कार्य कर रही हैं.
वंदना शिवा किसानों को जैविक खेती की अहमियत बताने के लिए भारत में कई सराहनीय कार्य कर रही हैं. इससे पहले भी वंदना शिवा को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तहत वैश्विक पुरस्कार मिल चुका है. वंदना शिवा गैर सरकारी संगठन के माध्यम से भारतीय लोगों को पर्यावरण के प्रति भी काफी जागरूक कर रही हैं.
Vandana Shiva (Pic:straight)
चेचन राष्ट्रपति की बम धमाके में हत्या!
रूस देश में चेचन गणराज्य एक छोटे से देश के रूप में विकसित है. यह उत्तरी काकेशस में स्थित है, जो पूर्वी दक्षिणी भाग में स्थित है. चेचन कैस्पियन सागर से सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. 9 मई साल 2004 का दिन इस देश पर कहर बनकर टूटा था. चेचन गणराज्य के राष्ट्रपति अहमद कादीरोव की बम विस्फोट में हत्या कर दी गई. जब यह बम विस्फोट हुआ, तो अहमद चेचन की राजधानी ग्रोजनी में थे.
इस हमले में 24 से अधिक और लोग मारे गए थे. अहमद कादीरोव चेचन देश को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए काफी अहम कार्य कर रहे थे. इसके तहत कई लोग उनके इस कार्य के खिलाफ हो गए थे. जब यह हादसा हुआ तब राष्ट्रपति अहमद कादीरोव अपने लाखों प्रशंसकों के साथ राजधानी ग्रोजनी में दूसरे विश्व युद्ध में जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर की नाजी सेना को मिली हार का जश्न मना रहे थे.
इस हमले के बाद रूस में हालात काफी बेकाबू हो गए थे. राष्ट्रपति अहमद के समर्थक और उनके दुश्मन सड़कों पर आमने सामने आ गए थे. जिसके बाद रूस और चेचन में सरकार को भारी पुलिस फोर्स तैनात करनी पड़ी थी.
Akhmad Kadyrov Assassination (Representative Pic: read)
नाज़ी सेना पर सोवियत संघ की फौज की जीत…
किसी ने सच ही कहा है कि जुर्म के रास्ते कितने ही मख़मली क्यों न हो, एक दिन वह ख़त्म कांटो भरी मंज़िल पर ही होते हैं. जर्मन तानाशाह हिटलर के हाथों करोड़ों लोगों की जान गई, लाखों लोग बेघर हुये थे.
यूरोप के इतिहास में आज के दिन को विजय दिवस के रूप में याद किया जाता है. हिटलर की नाजी सेपा के खिलाफ लड़ते हुए सोवियत संघ ने आज ही के दिन जीत दर्ज की थी. इसके बाद इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. 9 मई से एक दिन पहले नाजी सेना ने यूरोपीय देशों के सामने घुटने टेकेते हुए हथियार डाल दिए थे.
चारों तरफ से खुद को हर तरीके से घिरा हुआ पाकर नाजी सेना झुकने पर मजबूर हो गई थी. नाज़ी सेना को हिटलर की सबसे मजबूत सेना के रूप में देखा जाता था. शुरुआती दौर में अपने सहयोगियों की मदद से हिटलर पूरे जर्मनी में अपनी बादशाहत जमाने में सफल हो गया था. चाहकर भी कोई उसके खिलाफ बोलने को तैयार नहीं था. हिटलर को कोई भी धर्म पसंद नहीं था. यही कारण था कि हिटलर सिर्फ नाज़ी फौज का ही पैरोकार था. नाज़ी सेना के बूते ही हिटलर ने अन्य देशों में अपना परचम लहराने का ख्वाब देखा था.
नाज़ी सेना की ताकत को आज़माने के लिए ही हिटलर बार-बार नये देश पर हमला करता था. दूसरे देशों में हिटलर के हमलों का मिला जुला असर रहा. कभी हिटलर को हमले के बाद अपार सफलता मिली, तो कई बार उसे बुरी हार का स्वाद भी चख़ना पड़ा. दुनिया का सबसे बड़ा तानाशाह माने जाने वाला हिटलर ने इतिहास के बड़े युद्ध अपनी नाजी सेना के दम पर ही लड़े थे. उसने मशहूर युद्ध ‘बैटल ऑफ ब्रिटेन’ जीतने के लिए नाज़ी सेना को ब्रिटेन में उतारा था.
इस लड़ाई में हिटलर परास्त हुआ था. यह लड़ाई उसकी ज़िंदगी की आख़िरी लड़ाई साबित हुई. नाज़ी सेना ने सोवियत संघ की फौज के सामने रूस में आत्मसमर्पण किया था.
Nazi Germany Surrenders (Pic: pinimg)
तो यह थे 9 मई से जुड़े कुछ रोचक किस्से. अगर आपको 9 मई से जुड़ी कुछ अन्य प्रमुख घटनाएं याद हैं, तो कमेंट बॉक्स में हमारें साथ उन्हें ज़रुर साझा करें.
Web Title: Historical Events Of 9 May, Hindi Article
Featured Image Credit: vorply