लोगों को आपने अक्सर कहते हुए सुना होगा कि, जो बीत गया उसे भूल जाओ. पर कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जिनको भूल पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता है. वह घटनाएं लोगों के दिलों में इस तरह घर कर जाती है कि कोई भी उसे भूल नहीं पाता.
13 अप्रैल को भी ऐसी ही कई घटनाएं घटी थीं, जिन्हें आज तक लोग भूल नहीं पाया है. तो चलिए इतिहास के उन पन्नों को फिर से देखते हैं और जानते हैं 13 अप्रैल को घटी ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में.
जलियाँवाला बाग़ में हुआ था नरसंहार
आज का दिन भारत के इतिहास में कोई नहीं भूल सकता है. 13 अप्रैल का दिन भारत के इतिहास के पन्नों में ऐसा लिखा गया कि आज भी जब इस दिन की बात की जाती है, तो लोगों की रूह कांप जाती है. यह बात है 13 अप्रैल 1919 की जब भारत गुलाम हुआ करता था. पंजाब के लोगों में क्रोध भरा हुआ था. महात्मा गांधी ने अपैल की शुरुआत में ही पूरे देश में एक दिवसीय आम हड़ताल की मांग की थी. इसके बाद अमृतसर के प्रमुख भारतीय नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था.
बाद में कई विद्रोह होने लगे जिसमें कई लोग भी मारे गए. सेना लोगों को काबू करने में नाकाम थी. इसलिए पंजाब में जनरल डायर ने दर्जन सैनिकों को जगह-जगह लगा दिया और सार्वजनिक समारोह करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इसलिए कहीं भी सभा करना मुश्किल था. 13 अप्रैल के दिन जलियाँवाला बाग़ में 10,000 पुरूषों, महिलाओं और बच्चों की भीड़ जमा हुई. यह जगह पूरी तरह से दीवारों से घिरी हुई थी. इसलिए यहाँ से निकलने का एक ही रास्ता था.
तभी डायर को इस बात की खबर लगी, तो वह अपनी सेना के साथ जलियाँवाला बाग आ पहुंचा. सैनिकों ने वहां से निकलने का रास्ता बंद कर दिया और उसके बाद वो हुआ जिसके बारे में किसी ने कभी नहीं सोचा था. सैनिकों ने लोगों को किसी भी तरह की कोई चेतावनी नहीं दी और डायर के बोलते ही सैनिकों ने लोगों पर गोलियां चलानी शुरू कर दी. उन्होंने ना बच्चों को देखा ना महिलाओं को और कुछ ही देर में वहां लाशों का ढेर बन गया.
लोग अपनी जान बचाने के लिए कहीं भी नहीं भाग पाए. एक बहुत बड़ी संख्या में लोग उस दिन मारे गए. भारत के इतिहास में यह दिन एक काले दिन के समान माना माना जाता है.
Jallianwala Bagh Massacre (Pic: wikia)
दुनिया से अलविदा कह गए बलराज साहनी
हिंदी सिनेमा के इतिहास की अगर बात की जाए, तो बलराज साहनी के बिना वह अधूरा है. बॉलीवुड में उनका एक अहम योगदान रहा है. इसलिए उनको आज भी याद किया जाता है. बलराज साहनी को दुनिया एक महान कलाकार के रूप में जानती है. इसके अलावा वह एक लेखक भी थे. 1961 में आई उनकी फिल्म ‘काबुलीवाला’ में किए गए उनके अभिनय को लोग आज भी नहीं भूले हैं.
बाजी और सुहाग सिंदूर में उनके अच्छे प्रर्दशन के लिए उनका नाम काफी प्रसिद्ध है. बॉलीवुड को आज के ही दिन बहुत बड़ा सदमा लगा था, जब बॉलीवुड का के इस मशहूर सितारे ने दुनिया को छोड़ दिया.
Balraj Sahni (Pic: thecinemaholic)
गुरु गोबिंद सिंह ने की ‘खालसा पंथ’ की सथापना
बैसाखी को पंजाब में एक लंबे समय से एक फसल उत्सव के रूप में बनाया जाता है. सिख इस दिन को बहुत धूमधाम से मनाते हैं. आज के ही दिन यानि 13 अप्रैल 1699 को गुरु गोबिंद सिंह ने बैसाखी के लिए चुना था. इस दिन ‘गुरु गोबिंद सिंह’ ने सिखों को सैनिकों के परिवार में परिवर्तित किया और उसका नाम खालसा पंथ रखा. कहा जाता है कि इसके बाद गुर गोबिंद सिंह ने एक के बाद एक आनंदपुर साहिब में हजारों खालसा पंथ की स्थापना की थी.
इसलिए बैसाखी के दिन सिख की पवित्र पुस्तक ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को कपड़े में लपेट कर गुरुद्वारा लाया जाता है. सिख साँस्कृतिक और धार्मिक उत्सवों के अनुसार सड़कों पर जुलूस निकालते हैं. इसके साथ ही कीर्तन करते हुए भजन गायन किया जाता है. इसके साथ ही कई सिख तलवारों से कलाबाजी करते हुए भी नजर आते हैं.
Khalsa Is Celebrated (Pic: pinterest)
वियतनाम के खूनी ‘बैटल ऑफ़ एन लोक्’ की पहल
बैटल ऑफ़ एन लोक् वियतनाम युद्ध के समय होने वाली एक बड़ी लड़ाई थी. इतिहासकारों के अनुसार 66 दिनों तक चले इस युद्ध में दक्षिण वियतनाम पर विजय प्राप्त की गई थी. बैटल ऑफ़ एन लोक् की शुरुआत का पहला हमला आज के दिन यानि 13 अपैल को किया गया था. इसमें सबसे पहले शक्तिशाली तोप से गोलों की बारिश की गई थी. पीएवीएन ने उत्तर की पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया. इसके बाद आगे 8वीं रेजिमेंट के तीसरे रेंजर ग्रुप ने शहर के उत्तरी भाग में प्रवेश किया.
15 अप्रैल को शहर पर दूसरा हमला किया गया था. इसमें एआरवीएन 1 एयरबोर्न ब्रिगेड ने शहर के पश्चिम में हवाई हमले किये थे. यह लड़ाई 18 जून 1972 तक चली जिसमें ना जाने कितने लोग मारे गए. 66 दिनों के इस युद्ध के दौरान वियतनाम में चारों ओर बस मौत का ही मंजर था. जब तक यह लड़ाई खत्म हुई जब तक लाखों लोगों के घर तबाह हो चुके थे.
Battle Of An Lộc (Pic: wikipedia)
अमेरिकी अंतरिक्ष यान अपोलो 13 में विस्फोट हुआ
विज्ञान की दुनिया में अमेरिका का काफी नाम है. उन्होंने अंतरिक्ष की दुनिया में जाने के लिए कई सफल प्रयोग किए हैं. 11 अप्रैल 1970 के दिन नासा ने अपोलो 13 नाम का एक अंतरिक्ष यान तैयार किया था. इस मिशन में नासा तीन अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने का प्लान बना रही थी. 11 अप्रैल को जैसे ही चंद्रमा के लिए यह यान निकला, तो नासा सहित पूरे अमेरिका में खुशी का माहौल था. सब कुछ ठीक चल रहा था. अंतरिक्ष यान चंद्रमा के करीब था. हालांकि 13 अप्रैल के दिन नासा सहित पूरे अमेरिका की खुशी गम में बदल गई…
इसका कारण था अपोलो 13 के सेक्टर 4 में लगा ऑक्सीजन टैंक. कुछ तकनीकी दिक्कतों के कारण उस टैंक में अचानक ही के विस्फोट हो गया. इसके कारण अपोलो 13 लगभग बर्बाद हो चुका था. ऐसे में चंद्रमा पर लैंडिंग करना मुश्किल था. इसलिए अपोलो 13 को बीच रास्ते में ही वापस आना पड़ा और अपोलो 13 मिशन पूरा नहीं हो सका.
Apollo 13 Damage (Pic: moziru)
तो यह थीं 13 अप्रैल की सबसे महत्वपूर्ण घटनाएं. इस दिन से जुडी कोई और ऐतिहासिक घटना अगर आपको पता हो, तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Historical Events on April 13, Hindi Article
Featured Image Credit: goldentempleheavenonearth