रोजाना दुनिया में इतना कुछ होता है कि कोई न कोई घटना ऐतिहासिक बन ही जाती है. यह घटनाएं किसी के लिए आम होती हैं, तो किसी के लिए बेहद ही ख़ास. दुनिया के किसी कोने में लोग किसी पुरानी घटना को याद करके हँसते हैं, तो कहीं पर लोगों की आँखों में आंसू होते हैं.
हर दिन ऐसी ही मिली जुली चीजों से बना होता है. ऐसा ही एक दिन है 17 अप्रैल का. इस दिन दुनिया में इतनी महत्वपूर्ण चीजें हुई हैं कि उनके बारे में जानना बेहद ही जरूरी हो जाता है. तो चलिए आज क्यों ना 17 अप्रैल के इन ख़ास वाखियों के बारे में जाने–
आध्यात्मिक गुरु निसर्गदत्ता महाराज का जन्म
निसर्गदत्ता महाराज आज ही के दिन जन्मे थे. वह भारत के सबसे प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरुओं में से एक माने जाते थे. निसर्गदत्ता महाराज शुरुआत से ही आध्यात्मिक नहीं थे. यह तो किस्मत का खेल था, जो वह इस मुकाम पर पहुंचे. अपने शुरूआती जीवन में वह कसी आम व्यक्ति की तरह ही थे. अपने पिता की मौत के बाद वह घर के लिए पैसा कमाने मुंबई आ गए.
मुंबई आकर निसर्गदत्ता ने बहुत से काम किए. कई जगह उन्होंने नौकरियां की पैसे कमाने के लिए. धीरे-धीरे उन्होंने छोटे-छोटे कामों से ही अपना व्यापार शुरू किया. उनका व्यापार बहुत बड़ा तो नहीं था मगर उससे उनकी जिंदगी ठीक ठाक चल रही थी. 1933 में उनके एक दोस्त के कहने पर वह सिद्धरामेश्वर महाराज के पास गए. उन्होंने निसर्गदत्ता को ध्यान लगाने को कहा. इसके बाद, तो उनकी जिंदगी ही बदल गई.
हालांकि सिद्धरामेश्वर महाराज के निधन के बाद सब बदल गया. वह इतने टूट गए कि सब छोड़कर हिमालय की ओर निकल पड़े. कहते हैं कि वहां पर एक साधू ने उन्हें वापस मुंबई जाकर अध्यात्म के लिए जीवन व्यतीत करने को कहा. इसके बाद वह मुंबई आए और अपना व्यवसाय और परिवार छोड़ दिया. इसके बाद ही 1938 में वह एक आध्यात्मिक गुरु बन गए. उस दिन के बाद से उन्होंने पूरा जीवन लोगों को आंतरिक शांति का पाठ पढ़ाया.
Nisargadatta Maharaj (Pic: patheos)
भारत में ईजाद हुआ ‘स्नूकर’ का खेल
स्नूकर वह खेल है जिसे भारत में बहुत ज्यादा प्रसिद्धि नहीं मिली मगर यह शुरू ही भारत में हुआ था. यह वक़्त था 1875 का जब भारत अंग्रेजी हुकूमत का हिस्सा था. उस समय ब्रिटिश अफसरों के पास खाली समय में करने को ज्यादा कुछ नहीं होता था.
नेवेल चैम्बरलेन नामक एक ब्रिटिश अफसर अक्सर इसी कारण बोरियत महसूस करता था. वह उस समय जबलपुर में तैनात था. वहां पर उसने पुराने ब्लैक पूल गेम में कलर बॉल्स डालकर उसे एक नए खेल का रूप दे दिया. उस समय सेना में नए जवानों को ‘स्नूकर्स’ कहकर बुलाया जाता था. इसलिए नेवेल ने भी इस नए खेल को स्नूकर का नाम दिया.
इसके बाद इस खेल को नेवेल अपने साथ ऊटी लेकर गए. वहां पर उन्होंने इस खेल के नियम और खेलने के तरीके को स्थापित किया. उस दिन के बाद से यह खेल लगातार चलता आ रहा है. आज दुनिया भर में इसके प्रशंसक हैं.
Snooker Invented In India (Representative Pic: topofthecue)
वर्ल्ड हीमोफीलिया डे की शुरुआत
दुनिया में करीब 4 लाख लोग हीमोफीलिया से ग्रस्त हैं. यह बीमारी इतने कम लोगों में होती है कि अधिकांश लोगों को अंदाजा भी नहीं होता है कि उन्हें यह बीमारी है. यह बीमारी भले ही आम न हो मगर जानलेवा जरूर है. सदियों से इसके कारण कई लोग मरते रहे हैं. यह एक खून से जुडी बीमारी है. इसमें खून का रिसाव बंद नहीं होता है. हीमोफीलिया से ग्रस्त व्यक्ति के लिए एक छोटी सी चोट भी जान का खतरा बन जाती है.
माना जाता है कि इसे 10वीं सदी में खोजा गया था. हालांकि उस समय इसका नाम कुछ और ही था. तकनीकी मदद न होने के कारण उस समय लोग इस बीमारी को समझ ही नहीं पाते थे. हालांकि वक़्त के साथ साथ चिकित्सा का क्षेत्र बढ़ा और हीमोफीलिया के लिए इलाज ढूंढें जाने लगे. इसका कोई परमानेंट इलाज, तो नहीं मिला मगर इसे काबू में रखने के लिए कई उपचार बनाए गए.
सबसे बड़ी परेशानी थी कि लोग इस बीमारी के बारे में सही से जानते नहीं थे. इसलिए ‘वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ़ हीमोफीलिया’ ने 1989 में 17 अप्रैल का दिन हीमोफीलिया के नाम कर दिया. इस दिन लोगों को हीमोफीलिया से परिचित किया जाता है ताकि कोई भी इसका शिकार न बने.
World Hemophilia Day Started (Pic: laopinionpuebla)
पहली सीनों-जापानीज जंग पर विराम लगा
1894 से 1895 तक चीन और जापान के बीच एक बड़ा ही भीषण युद्ध चला था. इस युद्ध में दोनों ही देशों ने अपना पूरा जोर लगा दिया था दूसरे को हारने में. माना जाता है कि इस जंग में जापान का पलड़ा भारी रहा. उन्होंने दुनिया के आगे अपनी ताकत दिखाई. इस जंग का कारण था कोरिया. एक अरसे से चीन कोरिया के जरिए व्यापार किया करता था. इसके कारण जापान को काफी नुक्सान हो रहा था.
इसके बाद दोनों देशों के बीच कोरिया को लेकर बहस शुरू हो गई. दोनों ही इसपर अपना अधिकार ज़माना चाहते थे. यही कारण था कि दोनों देशों के बीच जंग छिड़ गई. दोनों ही देशों की सेना कोरिया में जाकर लड़ाई करने लगी. माना जाता है कि जंग में जापान चीन से आगे रहा. उन्होंने जमीन और समंदर दोनों ही जगहों पर जीत हासिल की. जब चीन को दिखा की वह हारने लगे हैं, तो उन्होंने शांति से इस जंग को ख़त्म करने का प्रस्ताव रखा.
इसके बाद दोनों ही देशों के बीच शांति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए. जंग पर विराम लगा. जापान ने तो इस जंग में बहुत कुछ नहीं खोया मगर चीन ने इस जंग के बाद कोरिया से अपना अधिकार खो दिया. इस जंग को जीतने के बाद जापान का नाम दुनिया भर में हो गया.
First Sino Japanese War Ended (Representative Pic: reddit)
एक दिन अपने अंदर कितना कुछ समेटे हुए होता है हमें कभी पता भी नहीं चलता. 17 अप्रैल भी ऐसा ही एक दिन था. इस दिन भी इतनी बड़ी-बड़ी चीजें हुई हैं. इस दिन से जुडी कोई और प्रसिद्ध घटना अगर आपको याद हो, तो कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं.
Web Title: Historical Events on April 17, Hindi Article
Featured Image Credit: worldsnooker