इतिहास में हर दिन बहुत अहम होता है. हर दिन से कोई न कोई ख़ास किस्सा जरूर जुड़ा होता है. दुनिया भर में हर दिन कोई न कोई ऐसी चीज होती ही है, जो कई लोगों के लिए यादगार बन जाती है.
ऐसी ही कई यादें लेकर आया है 26 अप्रैल का दिन. इस दिन कहीं किसी महान व्यक्ति का निधन हुआ, तो कहीं पर विज्ञान ने नई सफलताएं पाई. कहीं पर नए राज्य बने, तो कहीं पर आई भारी मुसीबत. ऐसी ही कई घटनाओं से भरा हुआ है 26 अप्रैल का दिन.
तो चलिए इतिहास के पन्ने पलटकर जाने कि इस दिन क्या-क्या ख़ास हुआ था–
सिक्किम बना भारत का 22वां राज्य
सिक्किम की हसीं वादियों को देखकर आज हर किसी का दिल खुश हो जाता है. यह भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक माना जाता है. आज तो यह भारत का एक हिस्सा है मगर एक समय में यह भारत से अलग हुआ करता था. पहले के समय में सिक्किम चोग्याल राजवंश के अधीन था. उन्होंने ही सदियों तक इस राज्य पर अपना राज किया था.
माना जाता है कि भारत की आजादी के बाद कई बार सिक्किम को भारत का हिस्सा बनाने की बात की गई थी मगर चोग्याल राजवंश कभी भी इसके हक में नहीं हुए. भारत की आजादी के बाद सिक्किम भी डगमगाने लगा था. ऐसे में भारत ही सिक्किम की मदद के लिए आया. थोड़े समय में सिक्किम की हालत ऐसी हो गई थी कि उन्हें भारत के साथ की अत्यंत ही जरूरत पड़ गई.
इसके बाद 23 अप्रैल, 1975 को संसद में एक बिल पेश किया गया, जिसमें सिक्किम को भारत का 22वां राज्य बनाने का प्रस्ताव था. इसके बाद 26 अप्रैल तक लोकसभा में यह बिल पास कर दिया गया. आधिकारिक तौर पर उस दिन से सिक्किम भारत का हिस्सा बन गया था. हालांकि 16 मई, 1975 को सिक्किम पूरे तौर पर भारत से जुड़ा. उस दिन के बाद से आज तक भारत और सिक्किम एक हैं.
Sikkim Became 22nd State Of India (Pic: thebetterindia)
रूस ने देखा दुनिया का सबसे बुरा परमाणु हादसा!
परमणु ऊर्जा ने मानव को कई चीजें दी हैं मगर साथ ही इसने कई बेशकीमती चीजें ली भी हैं. हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमले के बाद दुनिया ने देखा था कि आखिर परमाणु ऊर्जा कितनी खतरनाक हो सकती है. वह तो जंग थी इसलिए बात अलग थी मगर रूस ने तो बिना जंग के ही परमणु ऊर्जा का प्रकोप देखा.
यह बात है 26 अप्रैल, 1986 की. रूस में चेर्नोबिल नामक चार परमाणु रिएक्टर थे. हर एक रिएक्टर में करीब 1000 मेगावाट बिजली बनाने की क्षमता थी. 25 अप्रैल की शाम को कुछ इंजिनियर ने मिलकर इसमें से चौथे रिएक्टर में कुछ प्रयोग करने शुरू किए. वह सभी परमणु रिएक्टर के बारे में पूरी तरह से नहीं जानते थे. इसके बावजूद भी उन्होंने अपने टेस्ट जारी रखे. इसके बाद वह चले गए और अगले दिन जैसे ही वह आए रिएक्टर उनके नियंत्रण से बाहर चला गया.
उन्होंने कई कोशिशें की उसे नियंत्रित करने की मगर वह उसे ठीक करने की जगह उसे और भी बेकार बना रहे थे. धीरे धीरे हालत इतने बिगड़ गए कि रिएक्टर से उनका कंट्रोल पूरी तरह से छूट गया. इसके थोड़े ही समय में वहां पर एक बड़ा धमाका हुआ. यह परमाणु धमाका नहीं था मगर इस धमाके ने रिएक्टर के अंदर के केमिकल को बाहर निकाल दिया था. इसके बाद कई जेहरीली गैस भी वहां से निकली.
माना जाता है कि करीब 50 टन रेडियोएक्टिव पदार्थ धमाके के बाद वातावरण में फैल गया. इस हादसे के कुछ ही दिन बाद तक 32 लोगों की मौत हो गई थी. ऐसा माना जाता है कि उस रेडियोएक्टिव पदार्थ के कारण रूस में करीब 5,000 लोगों की कैंसर से मौत हो गई थी. इसके बाद इसे हादसे को दुनिया का सबसे बुरा परमाणु हादसा माना गया था.
Russian Nuclear Disaster (Pic: stateofthenation)
चाँद पर पहुंचा अमेरिका का पहला अंतरिक्ष यान
1959 में जब रूस ने अपना अंतरिक्ष यान चाँद तक पहुंचाया, तो दुनिया को एहसास हुआ कि इंसान के लिए अंतरिक्ष में जाना मुश्किल नहीं है. रूस के यह काम करने के बाद अमेरिका भी बेताब था इस रेस में अपनी हिस्सेदारी देने के लिए. उन्होंने भी अपना अंतरिक्ष यान बनाना शुरू कर दिया. 1962 में उनका यह यान बनकर तैयार हुआ और उन्होंने इसे अंतरिक्ष में भेजा. इसके चाँद पर पहुँचने से पहले तक हर कोई बस यही दुआ कर रहा था कि यह मिशन कहीं विफल नहीं हो जाए. हालांकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.
26 अप्रैल, 1962 को यह यान सफलतापूर्वक चाँद पर पहुँच गया. रेंजर 4 नामक यह अमेरिका का पहला अंतरिक्ष यान था जिसने चाँद की ज़मीन को छुआ. हालांकि इसकी लैंडिंग बहुत अच्छी नहीं हुई और यह जमीन से टकरा गया. उस टक्कर से यान के कंप्यूटर में काफी खराबी आ गई जिसके कारण वह कोई भी डेटा नहीं भेज सका.
America’s First Spacecraft On Moon (Pic: picsaboutspace)
महान गणितज्ञ रामानुजन का निधन
भारत में जब भी बड़े गणितज्ञों की बात होती है, तो उसमें रामानुजन का नाम जरूर आता है. उन्होंने अपने गणित के ज्ञान से पूरी दुनिया को चौंका दिया था. उनकी सबसे ख़ास बात तो यह थी कि उन्होंने यह कहीं से सीखा नहीं था. बचपन से ही उनके अंदर गणित को लेकर जिज्ञासा थी. यही जिज्ञासा उन्हें कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी तक लेकर गई. वहां उन्होंने अपने हुनर को और भी ज्यादा निखारा. वहां पर उन्होंने अपनी खुद की थ्योरम और फार्मूले बनाए. माना जाता है कि उनके बनाए कितने ही फार्मूले अब तक लोग हल नहीं कर पाए हैं.
वह गणित की दुनिया में नाम कमा ही रहे थे कि उन्हें टीबी की बीमारी हो गई. धीरे धीरे गुजरते वक़्त के साथ उनकी तबियत खराब होने लगी. इसके बाद 26 अप्रैल, 1920 को उनकी टीबी के कारण मौत हो गई.
Srinivasa Ramanujan (Pic: thebetterindia)
शुरू हुआ पोलियो की ‘दो बूँद’ का सफ़र
बस दो बूँद… पोलियो विज्ञापन की यह लाइन तो हर किसी को पता होगी. बस दो बूँद में पोलियो किसी बच्चे से उसका बचपन खोने से बचा लेता है. सालों पहले कभी लोगों को खबर भी नहीं थी कि आखिर पोलियो होता क्या है और इससे बचा कैसे जा सकता है. पोलियो की जानकारी न होने के कारण कितने ही बच्चों को अपंगता की जिंदगी जीनी पड़ी थी. हालांकि विज्ञान की मदद से आखिर में इसकी दवा खोज ही ली गई.
इसके बाद पोलियो को एक अनिवार्य दवाई के रूप में लोगों के सामने पेश किया गया. उन्हें बताया गया कि अगर यह दवाई उन्होंने नहीं ली, तो उनके बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है. पोलियो पिलाने का यह सिलसिला अमेरिका से शुरू हुआ था. 26 अप्रैल, 1954 को पहली बार अमेरिका में पोलियो पिलाने का काम किया गया. माना जाता है कि करीब 1.8 मिलियन बच्चों ने उस दिन पोलियो की दवा ली. उस दिन के बाद से यह सिलसिला आज तक जारी है और दुनियाभर में इसे इस्तेमाल किया जाता है.
Polio Vaccination Started This Day (Representative Pic: brecorder)
तो यह थीं 26 अप्रैल से जुडी महत्वपूर्ण घटनाएं. इस दिन से जुड़ी कोई और बात आपको याद है, तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Historical Events On April 26, Hindi Article
Featured Image Credit: sickchirpse