इतिहास के पन्नों में ना जाने कितने राज छिपे हैं.
इतिहास की हर एक तारीख में कई खास घटनाएं दर्ज हैं, इसिलिए तो हर एक दिन अपने आप में ही खास होता है. पुरानी घटनाएं जानने से हमारा ज्ञान तो बढ़ता ही है, साथ ही यह हमारे विचारों पर भी प्रभाव डालता है.
4 मई को कुछ खास लोगों का जन्म हुआ तो कुछ देशों ने लड़ाई में आत्मसमर्पण कर दिया. आईए जानते हैं आज के बारे कुछ ऐसी ही ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में–
आज ही जन्मे थे ‘महाराजा छत्रसाल’
महाराजा छत्रसाल भारत के महान योद्धा में से एक थे. वैसे तो उन्होंने अपने समय में बहुत से राजाओं को अपनी तलवार से हराया था, पर उनका सबसे प्रसिद्ध युद्ध बुन्देलखण्ड का माना जाता है. तब महाराजा छत्रसाल ने मुगल शासक औरंगजेब को युद्ध में धूल चटाई और बुन्देलखण्ड में अपना राज्य स्थापित किया.
छत्रसाल का जन्म 4 मई 1649 में हुआ था. उनके पिता महाराजा ‘चंपतराय’ थे, जो ओरछा के रूद्र प्रताप के वंशज थे.
छत्रसाल जो ‘छत्रपति शिवाजी’ की बातों से प्रेरित थे. जब वह मात्र 22 साल के थे, तभी उन्होंने बुन्देलखण्ड में मुगलों के खिलाफ विद्रोह शुरू किया था. उनके साथ 16 घोड़े 5 घुड़सवार और 25 तलवार धारियों की सेना थी. उन्होंने अपने विद्रोह के पहले दस वर्षों के दौरान राज्यों को जीत लिया.
इस दौरान छत्रसाल ने मुगलों के कई जनरलों को पराजित किया जैसे राहिला खान, कालिक, मुनवावर खान, शेख अनवर, सैय्यद लतीफ, बहलोल खान और अब्दुस अहमद आदि.
मराठा पेशवा बाजी राव की दूसरी पत्नी ‘मस्तानी’ छत्रसाल की ही बेटी थीं. इतिहासकारों का कहना है कि छत्रसाल और बाजीराव के बीच पिता और पुत्र का रिश्ता था. 20 दिसंबर 1731 में उनकी मृत्यु हो गई थी.
Chhatrasal (Pic: khabrein24)
इंटरनेशनल फायर फाइटर डे
आज के दिन यानी कि4 मई को ‘इंटरनेशनल फायर फाइटर डे’ बनाया जाता है. इसको पहली बार 1999 में मनाया गया था. इसकी शुरुआत एक बेहद ही दुखद घटना से हुई थी. तब 4 जनवरी 1999 में जंगल में लगी आग में ऑस्ट्रेलिया के पाँच अग्निशामक शिकार हो गए थे.
इस घटना के तुंरत बाद ‘जे जे एडमंडसन‘ नामक एक अग्निशामक ने अपने सहयोगियों से बात की, ताकि हर जगह अग्निशामकों के बलिदान और जीत का सम्मान किया जा सके. जिसके बाद 4 मई को लोगों ने पहली बार इंटरनेशनल फायर फाइटर डे मनाया गया था.
पहला इंटरनेशनल फायर फाइटर डे का प्रतीक एक लाल और नीला रंग के रिबन से बनाया गया था. लाल आग का प्रतीक है और नीला पानी का प्रतिनिधित्व करता है. ये रंग दुनिया भर मे आपातकालीन सेवाओं का संकेत भी देते हैं.
इसलिए आप भी इंटरनेशनल फायर फाइटर डे का जश्व मानने के लिए अपने स्थानीय अग्निशामकों का धन्यवाद करें.
International Firefighters’ Day (Pic: simplelifeofafirewife)
मैसूर के चौथे युद्ध का अन्त
भारत के इतिहास में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाले सभी नायकों में टीपू सुल्तान का नाम शीर्ष पर बना हुआ है. मैसूर का चौथा युद्ध टीपू सुल्तान और अंग्रेजों के बीच हुआ था.
जब टीपू सुल्तान ने मैसूर के तीसरे युद्ध में अंग्रेजों को पराजित किया था, तभी से वह टीपू सुल्तान से बदला लेना चाहते थे. इसलिए उन्होंने फ्रांस, तुर्की, अरब और काबुल जैसे देशों के शासकों की मदद मांगी. टीपू ने 1798 में फ्रांस का सहयोग किया था.
टीपू सुल्तान और फ्रांसीसीयों के बीच बढ़ती मित्रता अंग्रेजों को पसंद नहीं आई. इसलिए इसे रोकने के लिए ‘लॉर्ड वेलेज़ली’ ने टीपू सुल्तान के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी. अंग्रेजों ने अपनी सेना को टीपू सुल्तान के राज्य की ओर भेजा.
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के पास लगभग 50,000 सैनिक थे, जिसमें दस बटालियन और 16,000 से अधिक घुड़सवारों को शामिल किया गया था. दूसरी ओर टीपू सुल्तान के पास केवल 30,000 सैनिक थे.
अग्रेजों ने टीपू सुल्तान को तीन ओर से घेर लिया, जिसके बाद अंग्रेजों और टीपू सुल्तान के बीच युद्ध हुआ. टीपू सुल्तान एक अच्छे शूरवीर योद्धा थे, पर अग्रेजों की सेना बहुत बड़ी थी. लड़ाई करते-करते उनकी मृत्यु हो गई. 4 मई को मैसूर पर अंग्रेजों का कब्जा हो गया था.
Fourth Anglo-Mysore War (Pic: wikipedia)
महान संगीतकार त्यागराज का जन्म
महान संगीतकार त्यागराज का जन्म 4 मई को मद्रास में हुआ था. वह दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत के सबसे प्रमुख संगीतकारों में से एक थे. वह कर्नाटक संगीत के महान संगीतज्ञ और कवि थे. उन्होंने भक्ति गीत और रागा में उच्चकोटी का ज्ञान हासिल किया था. कहा जाता है कि त्यागराज ने हजारों कृतियों के संगीत और शब्दों की रचना की है. उनकी आधिकारिक भाषा तेलुगू थी, इसलिए उनके गीत तेलुगू में हैं.
उनके अधिकांश गीत भक्ति संगीत के ही थे, क्योंकि वह कम उम्र में ही वैष्णव भक्त बन गए थे. उन्हें अपनी भक्ति से इतना प्यार था कि वह अपनी भक्ति दिखाने के बजाय अपने संगीत माध्यम से उसे रूप देते थे.
कर्नाटक शास्त्रीय संगीत के इतिहास में उनका नाम सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. 6 जनवरी 1847 को त्यागराज ने इस दुनिया को छोड़ दिया था.
Indian Composer Tyagaraja (Pic: dnaindia)
केंट स्टेट शूटिंग
4 मई 1970 का दिन था. विश्वविद्यालय के कुछ छात्र और लोगों ने मिलकर विरोध प्रदर्शन शुरू किया. उस समय सुबह के 11 बजे थे. लगभग 3,000 प्रदर्शनकारी और दर्शक वहां मौजूद थे. विरोध प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने वियतनाम युद्ध पर राष्ट्रीय गार्ड की उपस्थिति में उनके खिलाफ बात शुरू कर दी. सब कुछ शांतिपूर्ण तरीके से हो रहा था.
जनरल ‘रॉबर्ट कैंटरबरी‘ ने नेशनल गार्ड को प्रदर्शनकारियों को फैलाने का आदेश दिया. प्रदर्शनकारियों ने इनकार कर दिया और गार्ड पर पत्थर फेंकने लगे. कैंटरबरी ने गार्ड को हथियार लोड करने और भीड़ पर आंसू गैस के गोले दागने का आदेश दे दिया.
भीड़ पर काबू पाना मुश्किल था, इसलिए गार्ड ने एम-1 राइफलों को निकालकर सीधे प्रदर्शनकारियों की भीड़ में 13 सेकंड में कुल 70 शॉट चलाए. जिसमें चार केंट राज्य के छात्र मारे गए और नौ अन्य घायल हो गए. शुटिंग के बाद विश्वविद्यालय को तुरंत बंद कर दिया गया था.
इसकी जांच में पाया गया कि नेशनल गार्ड्स को हथियारों के इस्तेमाल की आवश्यकता इसलिए महसूस हुई, क्योंकि उन्हें अपने जीवन का खतरा था.
अदालत में केंट स्टेट शूटिंग घायल छात्रों और उनके परिवारों ने 1979 में समझौता कर लिया. इसके बाद घटना के दौरान घायलों को भुगतान के तौर पर कुल 675,000 डॉलर दिए गए.
Kent State Shootings (Pic: time)
डे इन हिस्ट्री में यह थी आज की कुछ खास घटनाएं जिन्होंने आज के दिन इतिहास में खुद को दर्ज करवाया. इसी तरह की रोज कई ऐतिहासिक घटनाएं होती हैं, जिसके बारे में हम आपको आगे बताएंगे. आपको हमारा लेख कैसा लगा कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Historical Events On May 4, Hindi Article
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