हर एक कार प्रेमी के दिल की धड़कन है मस्टैंग. वो भी आज से नहीं कई दशकों से. इस गाड़ी ने फोर्ड को पूरी दुनिया में मशहूर कर दिया था.
अपने पहले ही साल में सेल के सारे रिकॉर्ड इस कार ने अपने नाम कर लिए थे. हर एक पत्रिका, अखबार व पोस्टर पर बस यही छाई हुई थी.
फोर्ड को भी अंदाजा नहीं था कि उसकी ये गाड़ी इतना तहलका मचा देगी. इसकी दमदार बॉन्डी, शेर की दहाड़ जैसी आवाज और तेज गति.
इन तीनों चीजों ने इसे अपने समय की सबसे सर्वश्रेष्ठ कार बना दिया था. अपने लांच होने के कई सालों बाद भी आज फोर्ड मस्टैंग कई लोगों की सबसे पसंदीदा कार बनी हुई है.
प्रसिद्ध गाड़ियों के इतिहास की जब भी कभी बात की जाती है, उसमें मस्टैंग का नाम जरूर आता है. तो चलिए आज जानते हैं कि आखिर क्यों इस कार को इतना खास माना जाता है-
लांच होते ही किया लोगों के दिलों पर राज
17 अप्रैल सन 1964 इतिहास का वो दिन था, जब पूरी दुनिया ने पहली बार मस्टैंग को देखा. इतना ही नहीं कहा जाता है कि इसे देखते ही लोग इसके दीवाने हो गए थे.
दो सीट, मिड-इंजन स्पोर्ट्स कार न्यू यॉर्क के फ्लशिंग मीडोज में वर्ल्ड फेयर में आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी.
17 अप्रैल को ही अमेरिका भर में खरीदारों ने लगभग 22,000 मस्टैंग खरीद ली थी. अपने पहले साल में ही कंपनी ने 400,000 से अधिक मस्टैंग बेचीं. ये बिक्री उनकी सोच से कहीं ज्यादा थी.
उसी दिन से जुड़ी हुई एक बड़ी दिलचस्प कहानी भी है. अमेरिका के कार प्रेमियों में एक होड़ मच गई थी.
सब पर एक जुनून छाया हुआ था कि कौन मस्टैंग सबसे पहले खरीदेगा. कार की कीमत से ज्यादा कीमत लोग देने के लिए तैयार थे.
इतना ही नहीं टेक्सास में तो लोग एक मस्टैंग खरीदने के लिए बोलियाँ लगाने लगे. जिस शख्स ने अंतिम बोली लगाई थी, वो तो अपनी गाड़ी में ही रात को सो गया था.
ऐसा इसलिए ताकी कहीं उसका चेक क्लियर होने तक कोई और आ कर गाड़ी को न ले जाए.
अपने शुरुआती समय में इस कार का दाम 2,368 डॉलर था. उस समय के लिहाज से यह काफी ज्यादा था मगर, फिर भी इसके दीवाने इस दाम को देने के लिए तैयार थे.
शुरुआत में मस्टैंग के दो मॉडल आए थे. एक छत के साथ और दूसरा कंवर्टेबल तीन इंजन और 101 हॉर्स पावर के साथ.
इतना ही नहीं इनका अपग्रेडेड मॉडल तो 200 हॉर्स पॉवर के साथ आया था. इसकी रफ़्तार और पिक अप इतना बढ़िया था कि इसके पीछे भर हर कोई पागल हो गया.
जब, जेम्स बॉन्ड की फिल्म में दिखी मस्टैंग...
मस्टैंग को और भी ज्यादा प्रसिद्धि मिल जब, यह जेम्स बॉन्ड सीरीज का हिस्सा बनी. 1964 में यह पहली बार जेम्स बॉन्ड की फिल्म गोल्डफिंगर में दिखाई दी.
चमकते सफेद रंग की कंवर्टेबल मस्टैंग को जब दर्शकों ने परदे पर देखा तो वह उसे देखते ही रह गए. फिल्म में एस्टन मार्टिन भी थी मगर, लोगों की नजरें तो एक ही गाड़ी पर टिकी हुई थीं.
बुलिट (1968)
1968 में फोर्ड मस्टैंग शेल्बी जीटी 390 स्टीव मैक्वीन की चर्चित फिल्म बुलिट में दिखाई दी. गाड़ियों पर आधारित इस फिल्म में मस्टैंग ने अपनी एक अलग ही पहचान बनाई.
डॉयमड्स आर फॉरएवर (1971)
1971 जेम्स बॉन्ड डॉयमड्स आर फॉरएवर में भी बॉन्ड एक पॉवरफुल मस्टैंग चालते दिखाई दिए.
गोन इन 60 सेकेंड (1974 और 2000)
इस फिल्म के दो पार्ट बने एक 1974 में और एक 2000 में दोनों में ही मस्टैंग एक एहम भूमिका में थी.
अब आप समझ सकते हैं मस्टैंग ने न केवल लोगों के दिलों पर राज किया बल्कि बड़े परदे पर भी इसका बोलबाला रहा.
आज भी फिल्मों में मस्टैंग का वैसा ही दबदबा है जैसा पहले था. वक्त के साथ इसकी दीवानगी बढ़ी और लोगों के बीच इसका पागलपन और भी ज्यादा देखने को मिला.
वक्त के साथ बदलती गई मस्टैंग
वक्त के साथ बदलना बहुत जरूरी होता है. नहीं तो लोग पुरानी चीजों को जल्दी भूल जाते हैं. फोर्ड मोटर्स ने इस बात को बखूबी समझा.
इसलिए मस्टैंग में वह समय-समय पर बदलाव करते ही रहे. शायद वह भी नहीं चाहते थे कि उनके ग्राहकों को मस्टैंग से कोई शिकायत हो.
अपने लांच के महज एक साल बाद 1965 में ही फोर्ड मस्टैंग में सबसे पहली तबदीली आई थी. इसे पूरी तरह से कार रेसिंग के लिए तैयार कर दिया गया.
रेस के लिए गए नए मॉडल के अंदर 289 क्यूबिक इंच का इंजन था, जो 306 हॉर्स पॉवर की ताकत देता था.
यह मॉडल केवल दो रंगों में उपलब्ध हुआ करता था, सफेद और नीला. इसके अलावा गाड़ी को रेसिंग लुक देने के लिए इसमें दूसरे रंग की लाइन्स बनाई जाती थी.
इस मॉडल का नाम जीटी 350 रखा गया था. 1965 के बाद सबसे बड़ा बदलाव आया 1969 में जिसके बाद इस कार को मस्टैंग मेच के नाम से जाना गया.
उस समय सिर्फ सका नाम ही नहीं बदला गया था बल्कि, इसकी पॉवर भी बढ़ा दी गई थी. कहते हैं कि उस समय कोई और थी ही नहीं, जो इसे टक्कर दे सकती थी.
स्पीड, पॉवर, और ताकत हर चीज में यह बाकी गाड़ियों से आगे थी.
हालांकि, इसकी सफलता के बाद मार्केट में कुछ नयी गाड़ियाँ आईं जिन्होंने पुरानी मस्टैंग को काफी टक्कर दी.
इसके जवाब में फोर्ड ने मस्टैंग को पहले से और भी बेहतर बनाने पर जोर देना शुरू कर दिया.
फोर्ड के नए मॉडल में 428 सुपर कोबरा जेट वी8 इंजन लगा दिया गया. इससे कार को 335 हॉर्स पावर की ताकत मिली.
माना जाता है कि मस्टैंग के इस इंजन की डिमांड आज भी है. इसकी ताकत को आज भी लोग अपनी कार्स में आजमाना चाहते हैं.
फोर्ड के इस मॉडल ने 15 साल तक राज किया इसके बाद सन् 1984 में नया मॉडल आया जिसका नाम मस्टैंग एस वी ओ रखा गया था. इस बार फिर से फोर्ड ने अपना डिजाईन बद दिया था.
इसके बाद सीधे सन् 2000 में कंपनी को अपना डिजाईन बदले की जरूरत मेहसूस हुई और आई मस्टैंग कोबरा फोर्ड नें इसमें वी8 इंजन लगाया था जो 385 होर्स पावर की ताकत देता था.
इतना ही नहीं फोर्ड ने इस बार अपनी मस्टैंग को अंदर से भी बढ़िया बनाने का काम किया. उन्होंने इसे अंदर से पहले से भी ज्यादा आरामदायक बनाने की कोशिश की.
जब, भारत आई फोर्ड मस्टैंग...
मस्टैंग को भारत में 2016 के ऑटो एक्सपो में फोर्ड ने लांच किया और भारतियों के दिलों की धड़कने बढ़ा दी.
भारतियों को करीब 52 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा इस कार को अपना बनाने के लिए. भारत में मस्टैंग का सबसे लेटेस्ट मॉडल फोर्ड मस्टैंग शेलबी लांच किया गया.
शेलबी में 5.2 लीटर का इंजन है, जो 500 हॉर्स पॉवर की ताकत देता है.
माना जाता है कि भारत में लोग एक लम्बे समय से मस्टैंग के आने का इंतज़ार कर रहे थे. यह इस बात से जाहिर हो जाता है कि 2017 में इंडिया में बेस्ट स्पोर्ट्स कार का अवार्ड इसे ही मिला.
आज भारत के कई शहरों की सड़कों पर मस्टैंग अपनी दहाड़ती आवाज के साथ चलती दिखाई दे ही जाती है.
अधिकाँश गाड़ियों का वजूद बस कुछ सालों का ही होता है. हालांकि, मस्टैंग का वक्त अभी तक ख़त्म नहीं हुआ है. तब भी लोग इसके दीवाने थे और अब भी इसके दीवाने हैं. आने वाले कई सालों तक यह कार मार्केट पर ऐसे ही राज करेगी.
Web Title: Story Of Ford Mustang, Hindi Article
Feature Image: pixelstalk