कोहिनूर की कहानी किसी तिलस्मी चिराग जैसी है. यह अपने अंदर बहुत से राज छिपाए हुए सदियों से लोगों के बीच चर्चित है. ऐसा माना जाता है कि इतिहास में जिसने भी कोहिनूर को अपना बनाया, वह हमेशा आबाद नहीं रह सका. यहां तक कि कोहिनूर कई वंशों-साम्राज्यों के उदय और उनके मिट्टी में मिलने की घटनाओं का साक्षी भी रहा है.
तो आईये कोहिनूर को लेकर प्रचलित अलग-अलग किस्सों और पहलुओं को जानने की कोशिश करते हैं–
कोहिनूर का ऐतिहासिक सफर
माना जाता है कि सबसे पहले यह हीरा काकतीय वंश के शासन में सामने आया. जहां से 1323 ईस्वी में एक तुर्की शासक ग्यासुद्दीन तुगलक शाह प्रथम इसे काकतीय राजा प्रतापरूद्र से जीत कर दिल्ली ले गया.
वहीं एक अन्य किंवदंती के अनुसार सन 1294 ईस्वी के आसपास कोहिनूर ग्वालियर के किसी राजा के पास था. बाबरनामा में बाबर ने लिखा कि पानीपत में इब्राहिम लोदी को हराकर आगरा का सारा शाही खजाना हुमायूं ने ले लिया. वहीं हुमायूं को ग्वालियर के राजा ने एक बहुत बड़ा हीरा दिया.
वैसे यह कह पाना मुश्किल है कि कोहिनूर हीरा पहली बार मुगलों के कब्जे में कैसे और कहां से आया, किन्तु धारणाओं के अनुसार 1628 में मुगल शासक शाहजहां ने एक शानदार, रत्न जड़ित सिंहासन बनवाया. इसे मयूर सिंहासन का नाम दिया गया. कहा जाता है कि इसमें कोहिनूर हीरा लगाया गया था. इस सिंहासन के निर्माण के बाद लगभग एक शताब्दी तक मुगल साम्राज्य ने इस हीरे पर अपना वर्चस्व बनाए रखा.
दूसरी तरफ मयूर सिंहासन की चमक ने विदेशों में बैठे राजघरानों – साम्राज्यों को पागल कर दिया था. वह इसकी चकाचौंध से आकर्षित हो रहे थे. वह इसे पाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने लूट के इरादे से एक-एक करके भारत की तरफ रुख करना शुरू कर दिया.
Kohinoor Diamond (Pic: metro)
नादिर शाह का आक्रमण और…
इसी कड़ी में 1739 ईस्वी में फारसी आक्रमणकारी नादिर शाह ने इस हीरे को ईरान ले जाकर इसे ‘कोह-ई-नूर नाम’ दिया. यह एक फारसी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है चमकता पहाड़.
बाद में नादिर शाह की हत्या कर दी गई और हीरा अफगानिस्तान का सुल्तान अहमद शाह दुर्रानी अपने साथ ले गया. अहमद शाह दुर्रानी की मौत के बाद हीरा उसके उत्तराधिकारी शाह शुजा दुर्रानी के पास रहा.
वहीं जब दुर्रानी को अपदस्थ कर दिया गया, तब वह हीरा अपने साथ लाहौर ले गया और पंजाब के राजा रणजीत सिंह को सौंप दिया. इसके बदले में राजा रणजीत सिंह ने शाह शुजा को अफ़गानिस्तान का शासक बनाया.
आगे रंजीत सिंह ने अपनी मौत से पहले कोहिनूर को उड़ीसा के पुरी मंदिर को देने की बात कही, जिस पर ब्रितानी शासकों ने कभी अमल नहीं किया. फिर समीकरण कुछ ऐसे बने कि 1848 ईस्वी के आंग्ल-सिख युद्ध के बाद नाबालिग शासक दलीप सिंह ने इसे ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया था.
सन 1850 में भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी ने इसे महारानी विक्टोरिया को दे दिया. तब से यह विश्व प्रसिद्ध हीरा ब्रिटेन के राजपरिवार का एक हिस्सा है.
Queen Victoria (Pic: whatistanzanite)
ब्रिटिश राजपरिवार की बना शान
सन 1850 ईस्वी से कोहिनूर ब्रिटेन की महारानी के ताज की शोभा बढ़ा रहा है. महारानी विक्टोरिया ने कोहिनूर को सन 1852 ई. में अपने ताज में जड़वाया था. हालांकि, उनकी वसीयत में ये साफ लिखा है कि कोहिनूर ताज को सदैव महिला ही पहनेगी. यदि कोई पुरुष ब्रिटेन का राजा बनता है तो भी यह ताज उसकी जगह उसकी पत्नी ही पहनेगी.
कोहिनूर हीरा लंदन में टेम्स नदी के किनारे बने लंदन टावर म्यूजियम में सुरक्षित रखा गया है. यहां दुनिया के प्रसिद्ध और बड़े हीरे के सुरक्षा इंतजाम इतने पुख्ता हैं कि कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता. यहां कोहिनूर हीरा जड़ित ताज के साथ शाही हीरे जवाहरात भी सुरक्षित रखे हैं.
कोहिनूर जड़ित ताज 1937 में अपने पति राजा जॉर्ज पंचम के राज्याभिषेक में महारानी एलिजाबेथ द्वारा पहना गया और और फिर 1953 में क्वीन एलिज़ाबेथ द्वितीय ने अपने राज्याभिषेक में इसे पहना था.
कोहिनूर क्वीन एलेक्जेंड्रा और क्वीन मैरी के मुकुट में भी लगा था. यह महारानी एलिजाबेथ के मुकुट में भी था, सन 2002 में उनके अंतिम संस्कार में ताबूत पर लगाया गया था.
Queen Elizabeth (Pic: melty)
भारतीय कनेक्शन!
कोहिनूर सिर्फ 105 कैरेट का पत्थर ही नहीं है, बल्कि ये भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है. कभी राजशाही का प्रतीक रहा कोहिनूर हीरा सदियों तक कहीं इतिहास के गर्त में छिपा हुआ था.
बाद में जब यह गोलकुंडा की खान से बाहर आया तो अपने आकर्षण से सभी को मोहित कर दिया.
वहीं, थियो मेटकाफ की रिपोर्ट के अनुसार, यह हीरा कृष्ण के जीवनकाल के दौरान निकाला गया. इसे सम्यन्तक मणि भी माना गया.
हालाँकि, ज्ञात इतिहास में इसका कोई उल्लेख नहीं है, फिर भी किंवदंतियों के अनुसार कोहिनूर हीरे को महाभारत काल से भी जोड़ा जाता है.
History Of Kohinoor Diamond (Pic: journeyalltheworld)
जिसके पास कोहिनूर गया, उसका…
मान्यता है कि यह हीरा शापित है. इस हीरे ने न जाने कितने ही साम्राज्यों-राजपरिवारों को तबाह कर दिया. यह जिस किसी के पास रहा उसकी जिंदगी बर्बाद हो गई.
किंवदंती के अनुसार, कोहिनूर केवल भगवान या महिलाओं द्वारा पहना जा सकता है. मान्यता है कि इसे पहनने वाला अत्यंत शक्तिशाली हो जाता है, लेकिन अगर कोई पुरूष इसे पहनता है, तो दुर्भाग्य से वह मिट्टी में मिल जाएगा.
14वीं शताब्दी में कोहिनूर का संरक्षक रहा काकतीय वंश 17 साल में दुनिया से मिट गया. 1323 ईस्वी में हुई लड़ाई में काकतीय वंश पूरी तरह समाप्त हो गया. इसके बाद यह हीरा मोहम्मद बिन तुगलक के पास आ गया, जिसके बाद उसका पतन हो गया.
मुगल बादशाह बाबर की मौत के बाद कोहिनूर हुमायूं के पास रहा, जिसके बाद हुमायूं को शेरशाह सूरी ने हरा दिया. बाद में शेरशाह सूरी भी धीरे-धीरे तबाह हो गया. इसी कड़ी में शाहजहां के मयूर सिंहासन में कोहिनूर जड़ने के बाद मुगल सल्तनत लगभग खत्म सी हो गई. रही सही कसर ताजमहल ने पूरी कर दी, जिसने मुगल सल्तनत को कंगाल कर दिया.
आखिरकार ईरान का शासक नादिर शाह कोहिनूर अपने साथ ले गया. जहां 8 साल के भीतर ही उसकी हत्या कर दी गई. उसके वंशज कोहिनूर अफगानिस्तान ले गए, लेकिन ये अफगानिस्तान से लौटकर भारत आ ही गया. यह पंजाब के राजा रणजीत सिंह के हाथ लगा तो उनकी सल्तनत को ले डूबा.
ऐसा मानना है कि कोहिनूर कहीं भी हो अपना असर डालना नहीं छोड़ता. ये सत्य है कि जबसे कोहिनूर ब्रिटेन राजपरिवार के नियंत्रण में गया है, तभी से ब्रिटिश साम्राज्य के अंत की भी शुरुआत हुई.
हालांकि, यह अपने आप में एक संयोग ही है, जबसे कोहिनूर ब्रिटेन राजपरिवार का हिस्सा बना है, इसे ब्रिटिश राजपरिवार में किसी पुरुष सदस्य द्वारा नहीं पहना गया. माना जाता है कि अगर ऐसा होता तो शायद आज ब्रिटिश राजपरिवार भी इतिहास ही होता.
Maharaja Ranjit Singh ji (Pic: chicwall)
‘कोहिनूर’ एक… दावेदार अनेक!
भारतीय चाहते हैं कि कोहिनूर को भारत में वापस लाया जाए. वहीं भारत के अलावा पाकिस्तान, ईरान भी इस हीरे पर अपना दावा जता चुके हैं. सन 2015 में भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद कीथ वाज ने अपनी सरकार से आग्रह किया था कि कोहिनूर हीरे को भारत को लौटा दिया जाए.
हालांकि, हीरा वापसी के मामले में भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने कोई भी कदम नहीं उठाया है. इससे पहले भी सन 2010 में यूपीए सरकार ने कहा था कि कोहिनूर को भारत लाने की उसकी कोई योजना नहीं है.
वहीं सन 1976 में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने ब्रिटेन से इसे लौटाने का आग्रह किया था. फरवरी 2016 को पाकिस्तान के लाहौर उच्च न्यायालय ने कोहिनूर पर पाकिस्तान का अधिकार होने और उसे ब्रिटेन से वापस लाने की मांग से संबंधित याचिका को मंजूरी भी दी थी.
याचिका में उसने कहा कि कोहिनूर हीरा अफ़ग़ानिस्तान के बादशाह ने लाहौर के बादशाह रंजीत सिंह को तोहफ़े में दिया था. रंजीत सिंह के बेटे दलीप सिंह को जब हटाया गया, तब वह पाकिस्तान के पंजाब के राजा थे. इसलिए इस पर उनका हक है.
History Of Kohinoor Diamond (Pic: dailymail)
कुल मिलाकर सदियों बाद भी कोहिनूर की चमक बरकरार है और उसे अपना बनाने की होड़ भी. हाँ, इस बीच मर्दों को बर्बाद करने वाली धारणा से उसका डर भी बरकरार है.
आप क्या सोचते हैं इस कोहिनूर के बारे में?
Web Title: History Of Kohinoor Diamond, Hindi Article
Feature Representative Image Credit: wikipedia