भारत में अलग-अलग कालखंड में अलग-अलग शासकों का शासन रहा. नतीजा यह रहा कि यहां वास्तुकला के एक से बढ़कर एक नायाब नमूने बनते चले गए. इसे भारत की विशेषता ही कहा जाएगा कि यहां के हर राज्य में कुछ न कुछ खास देखने को मिल ही जाता है.
मध्य प्रदेश को ही ले लीजिए, वहां के टीकमगढ़ जिले से कुछ किलों मीटर पर ओरछा नाम का एक नगर बसता है, जोकि अपने किले के लिए खासा मशहूर है.
इसे कुदरत का करिश्मा कहा जाए या फिर कारीगरों की कलाकारी. हजारों साल पहले बना यह किला आज भी अपनी सुंदरता के लिए लोगों की खास पसंद बना हुआ है.
तो आईये इस किले का गौरवशाली इतिहास जानने की कोशिश करते हैं–
सदियों पुराना है यह किला
ओरछा का किला झांसी से लगभग 16 किलोमीटर दूर बेतवा नदी के पास मौजूद है. इतिहास की बात करें तो यह बेहद पुराना माना जाता है. फिर भी अगर इसके निर्माण की बात की जाए तो राजा रुद्र प्रताप सिंह का नाम प्राथमिकता से लिया जाता है.
इस किले का निर्माण वर्ष 1501 में राजा रुद्र प्रताप सिंह ने कराया था. बाद में उनके बाद जो भी ओरछा की गद्दी पर बैठे वह समयानुसार इसकी सुंदरता में चार-चांद लगाते रहे.
इस किले में मौजूद राज महल और राम-मंदिर खासे महत्व रखते हैं, जिनकी स्थापना राजा मधुरकर सिंह ने कराई थी. उन्होंने इस किले पर 1554 से 1591 तक शासन किया था. उनके बाद इस पर वीर सिंह देव का कब्जा रहा. उन्होंने करीब 1605 से लेकर 1627 तक शासन किया.
उन्होंने इसकी सुंदरता में चार चांद लगाते हुए इसके अंदर जहांगीर महल का निर्माण करवाया, जोकि दोस्ती की एक मिसाल के रूप में देखा जाता है.
Orchha Fort (Pic: theculturetrip)
महल जो इसे बनाते हैं खास
इस किले की खासियतों की बात की जाए तो इसका एक बड़ा प्रवेश द्वार सबसे खास प्रतीत होता है. यह लोगों को एक खुले चतुर्भुज यार्ड की ओर लेकर जाता है, जोकि चारों तरफ से महलों से घिरा हुआ है. इनमें जहांगीर महल व राज महल को मुख्य माना जाता है. इसके अलावा यहां के उद्यान, मंडप और मंदिर मुख्य आकर्षण होते हैं.
‘जहाँगीर महल‘ तो अपनी शानदार वास्तुकारी के लिए खासा पसंद किया जाता है. इसके बनने के पीछे एक दिलचस्प कहानी भी बताई जाती है. इसके अनुसार बताया जाता है कि मुगल शासक अकबर ने अपने बेटे जहांगीर को नियंत्रण में लाने के लिए अपने खास अबुल फजल को जिम्मेदारी सौंपी. इसकी जानकारी जब जहांगीर को हुई, तो उसने बीर सिंह नाम के राजा को उसको रोकने को कहा.
बीर सिंह ने न सिर्फ उसे रोका, बल्कि उसका कत्ल करके उसे हमेशा के लिए अपने रास्ते से हटा दिया. इससे सलीम बहुत खुश हुआ और उपहार स्वरूप उसे ओरछा की कमान सौंप दी.
बाद में जहांगीर उनसे मिलने आए तो उसने उनके स्वागत में एक महल का निर्माण करा दिया, जिसे जहांगीर के नाम पर जहांगीर-महल कहा गया. इसके प्रवेश द्वार पर दो झुके हुए हाथी बने हुए हैं, जिसे वास्तुकारी का नायाब नमूना कहा जाता है.
वहीं राज महल दूसरा खास महल है, जिसे ओरछा के सबसे प्राचीन स्मारकों में एक माना जाता है. इसके अंदर धर्म ग्रन्थों से जुड़ी कई तस्वीरें देखने को मिलती हैं. इसी कड़ी में शीश महल का नाम भी लिया जाता है. इसे ‘पैलेस ऑफ मिरर’ के नाम से भी जाना जाता है. कहते हैं कि इसका आर्किटेक्चर इतना खास है कि लोगों को नज़रें इससे नहीं हटती.
इसके अलावा राय प्रवीन महल, राज महल और सुन्दर महल भी अपना ख़ास महत्व रखते हैं.
Jahangir Mahal (Pic: mapio)
मंदिर ‘सोने पर सुहागा’
ओरछा किले के पास मौजूद मंदिर इसके लिए सोने पर सुहागा जैसे होते है. खासकर राम राजा मंदिर, जोकि भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर माना जाता है, जहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है.
यह भी जहांगीर महल के तरह अपने अंदर एक कहानी छिपाए हुए हैं. ऐसी मान्यता है कि राजा मधुकर को भगवान राम ने सपने में अपने दर्शन दिए. साथ ही उन्होंने मधुकर को एक मंदिर बनवाने को कहा. इसके चलते मधुकर ने विशेष तौर पर श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या से उनकी मूर्ति मंगवाई और उसे मंदिर का निर्माण होने तक महल में रखवा दिया.
बाद में भगवान मे दोबार सपने में आकर मूर्ति महल से न हटाने के लिए कहा, तो उन्होंने महल को ही मंदिर बना दिया. इस मंदिर चतुर्भुज की वास्तुकला का एक खास और प्रभावशाली टुकड़ा है जो मंदिर में मूर्तियों के लिए बनाया गया था.
ओरछा के पश्चिम में एक पहाड़ी पर बना लक्ष्मीनारायण मंदिर और चतुर्भुज मंदिर भी देखने लायक हैं, जहां चतुर्भुज मंदिर, चार भुजाधारी भगवान विष्णु को समर्पित है. वहीं लक्ष्मीनारायण मंदिर की दीवारों पर बनी झांसी की लड़ाई… अपनी तस्वीरों के लिए प्रसिद्ध है.
Sunder Mahal (Pic: orchaa)
ऐसे पहुंच सकते हैं ओरछा
ओरछा किले के दीदार के लिए वायु, रेल और सड़क तीनों माध्यमों को चुना जा सकता है. अगर आप रेल के माध्यम से यहां पहुंचना चाहते हैं, तो इसके लिए आप झांसी जाने वाली किसी भी ट्रेन को ले सकते हैं. झांसी से इसकी दूरी ज्यादा नहीं है. यह वहां से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है.
वहीं वायु मार्ग की बात की जाए तो इसके लिए आपको खजुराहों एयरपोर्ट पर उतरना पड़ेगा, जहां से यह 140 किलोमीटर के आसपास पड़ेगा. सड़क मार्ग को भी आप चुन सकते हैं.
यह झांसी-खजुराहो रास्ते पर मौजूद है. यहां के लिए अच्छी संख्या में नियमित बसें चलती हैं.
Chaturbhuj Temple (Pic: amarmahal)
ओरछा का किला कोई एकलौता किला नहीं है, जो अपने अंदर इतिहास के साथ-साथ कई सारे आकर्षण का केंद्र रखता हो, ऐसे किलों से भारत का लगभग हर एक राज्य समृद्ध है. साथ ही अपनी कोई न कोई कहानी रखता है.
अगर आप ऐसे किसी और किले के बारे में जानना चाहते हैं, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: History Of Orchha Fort, Hindi Article
Featured Image Credit: outlookindia