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दुनियाभर में यात्रा कर यह बात समोसे ने साबित की है. यह पकवान जहां भी गया, वहीं का हो गया. भारत की बात की जाए तो यह हमारे संबंधों को नमकीन और चटपटा बनाने वाला सबसे खास स्नैक्स बन चुका है.
कभी शाही पकवान रहा ये आज आमो-खास हो चुका है. भारतीय व्यंजनों में समोसा मिठाइयों के बराबर मुकाम रखता है. हमारा मीठा मुंह, समोसे से नमकीन होता है, तो ये हमारे रिश्तों के निर्माण में एक पहल की तरह शामिल होता है.
कोई पार्टी या परिवारों का जुटना हो तो समोसा मेहमान की तरह हाजिर है. यह चाय का परफैक्ट कपल है. आप भारत में ट्रेन से यात्रा कर रहे हों, शायद ही कोई स्टेशन आए, जहां चाय-समोसे की जोड़ी का ऑफर ना मिले.
कोई चर्चा समोसे के बिना कहां पूरी होती है. और बैठकों का फाइनल समोसा खाते-खाते पूरा हो जाता है. दो-चार यार मिले तो मन में समोसा महक उठता है.
दो समोसे से दिन काटने भर की कैलोरी मिल जाती है.
इसलिए जानना जरूरी है कि आखिर ये समोसा आया कहां से है –
हमारा समोसा हमारा नहीं
अच्छी तरह से मोड़ा गया, टाइट पैक और स्वादिष्ट समोसा सदियों पहले मध्य एशिया से यात्रा करके हमारे यहां पहुंचा, लेकिन यह अपने कमाल के सोशल नेटवर्किंग कौशल, लोकल स्वादों के अनुरूप खुद को ढालता हुआ हमारे पकवानों का साथी बन गया और उनके बीच खास जगह हासिल की.
यह एक ऐसा व्यंजन है, जिसने लंबी-चौड़ी यात्रा की है. ठीक उसी तरह से जैसे कोई लोकप्रिय यात्री अपने पैरों के निशान छोड़ जाता है. जहां गया एक पहचान बनाता गया.
मिस्र से लीबिया और मध्य एशिया से भारत तक तिकोना भरा हुआ अलग-अलग नामों को पाता हुआ यह खूब चर्चित हुआ.
समोसे की उत्पत्ति मध्य पूर्व एशिया में मानी जाती है, जहां इसे संबोसा कहा जाता था.
कुछ इतिहासकारों का कहना है कि 10वी शताब्दी में मध्य एशिया में समोसा एक व्यंजन के रूप में सामने आया.
महान कवि अमीर खुसरो (1253-1325) ने एक जगह जिक्र किया है कि दिल्ली सल्तनत में उस दौरान स्टफ मीट वाला घी में डीप फ्राई समोसा शाही परिवार के सदस्यों व अमीरों का प्रिय व्यंजन था.
14वीं शताब्दी में भारत यात्रा पर आए इब्नबतूता ने मोहम्मद बिन तुगलक के दरबार का वृतांत देते हुए लिखा कि दरबार में भोजन के दौरान मसालेदार मीट, मूंगफली और बादाम भरकर करके तैयार किया गया लजीज समोसा परोसा गया, जिसे लोगों ने बड़े चाव से खाया.
16वीं सदी के मुगल साहित्य आईने अकबरी में भी इसका जिक्र मिलता है.
समोसा एशिया की पहाड़ियों से होता हुआ अफगानिस्तान पहुंचा. लंबे समय बाद हिंदूकुश पर्वत पार कर भारतीय उपमहाद्वीप में इसका प्रवेश हुआ. इसका फारसी नाम संबोसग था.
जानकारों का मानना है कि समोसे का जन्म मिस्त्र में हुआ था, जिसके बाद ये लीबिया पहुंचा. उसके बाद मध्य पूर्व एशिया होते हुए भारत पहुंचा.
1945 में लिखी गई कुकरी बुक में भी समोसे का जिक्र मिलता है. इसमें एक तस्वीर है, जिसमें मांडू के सुल्तान घियात साही को समोसा परोसा जा रहा है.
उत्तर प्रदेश और बिहार में आलू से भरे समोसे खूब पसंद किए जाते हैं, तो गोवा में मांस वाले. पंजाबी समोसा खूब चटपटेदार होता है.
चाइनीज क्यूजीन पसंद करने वालों के लिए नूडल्स स्टफ समोसे भी उपलब्ध हैं. बच्चे और बूढ़े दोनों में समोसे की दीवानगी भुनाने के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियां इसे फ्रोजेन फूड के रूप में बाजार में पेश कर रही हैं.
History Of The Samosa. (Pic: hararu)
मुगलों का मेहमान बना
समोसा अफगानिस्तान से गुजरता हुआ हमारे देश में उस समय मुगलों के शाही महलों में पहुंचा.
अब यह अपने तरीके का एक भारतीय व्यंजन बन चुका था.
आज यह पूरे भारत में घर-घर की कढ़ाई में महकता पकवान है. इसका अंग्रेजी नाम भी समोसा है.
इसे अरबी में सम्बुसग, बांग्ला में सिंघाड़ा, असमिया में सिंगाड़ा, उड़िया में शिंगाड़ा, गुजराती में सुमोस, कन्नड़, मलयालम व मराठी में समोसा, फारसी, तमिल, उर्दू में सम्बुसक, तुर्की व मध्य एशिया में सम्सा या सोम्सा, अरब ईरीट्रिया, इथियोपिया सोमालिया आदि में सम्बुसा कहा जाता है.
समोसे का पहली बार जिक्र 11वीं शताब्दी में अबुल फजल बेहकी के साहित्य तारीख-ए-बेहाघी में हुआ है. वह इसे एक सभ्य व्यंजन कहते हैं, जो महान गजनवी साम्राज्य के महल में नाश्ते के रूप में पेश होता था. लेखक के अनुसार यह छोटी पेस्ट्री की तरह मीट, नट और फल से भरा होता था और फिर उसे कुरकुरा होने तक तला जाता था.
लेकिन समोसे को बदलना था, क्योंकि यह भारत में प्रवासियों की लगातार लहरों द्वारा की गई महाकाव्य यात्रा का पालन करता था. इसे भारत की महान नदियों के उपजाऊ मैदानों में उतरने से पहले आर्यों द्वारा मध्य एशिया से और फिर अफगानिस्तान में महान पहाड़ों पर 2000 साल पहले लाया गया था.
और जैसे ही प्रवासियों की लहरों से भारत को दोबारा बदला गया, समोसे में भी बदलाव आया था.
Mughal Army. (Pic: fancyfrindle)
भारत ने इसे कैसे अपनाया
भारतीय खाद्य पदार्थों के विश्व विशेषज्ञ कहते हैं कि समोसा खुद ये बताता है कि भारत ने उसे कैसे अपनाया.. और उसे जरूरत के हिसाब से बदल दिया.
भारत ने भी इसे अपनाया और स्थानीय स्वाद के अनुरूप बनाया, जो दुनिया का पहला फास्टफूड बन गया.
समोसे को किसी भी रूप में ढाला जा सकता है.
भारत ने इसे अपने मसालों से बनाया. धनिया, काली मिर्च, कैरेवे बीज, अदरक और बाकी चीजें इसमें जोड़ीं. और सबसे खास भारतीय संस्कृति के अनुसार इसमें मांस की जगह सब्जियां भरी गईं.
…और बदला गया इसका स्वाद
इसको नई दुनिया ने भी अपने तरीके से खोजा है.
16वीं शताब्दी में इसमें भरी जाने वाली सामग्री पुर्तगालियों ने पेश की. अब समोसा आलू से भरा हरी मिर्च का स्वाद वाला हो गया और तब से यह विकसित हो रहा है. भारत की अलग-अलग जगहों पर यह बदलता जाता है.
हर क्षेत्र का इस पर असर दिखता है. यहां तक कि कंपटीशन में दुकानदार इसमें नए-नए प्रयोग करते रहते हैं.
आज कल पंजाब में समोसा बिना पनीर के नहीं बनता, वहीं दिल्ली में तो स्वादिष्ट चॉकलेट समोसा भी परोसा जाता है.
Samosa Wala (Pic: hiveminer)
अंग्रेजों ने भी इससे प्यार किया और इसे भारतीय नवाचार के रूप में फैलाया. जैसा कि पिछली कुछ शताब्दियों में भारतीय दुनिया भर में फैले तो समोसे को भी अपने साथ ले गए.
अब इसका पृथ्वी के लगभग हर देश में आनंद लिया जा सकता है.
Web Title: History Of The Samosa, Hindi Article
Featured Image Credit: sssweetsgkp