आज जर्मनी की मुख्य तीन कार कंपनियां लगभग पूरे विश्व में लोगों के दिलों पर राज कर रही हैं
पहली मर्सिडीज, दूसरी बीएमडब्ल्यू और तीसरी ऑडी!
ऑडी कार की बात करें, तो यह कार निर्माता कंपनी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी है. समय-समय पर बाजार में आए इसके मॉ़डस कार पंसदीदा लोगों को लुभाने में कामयाब रहे.
यही कारण है कि आज 'ऑडी' एक बड़ा ब्रांड है. साथ ही वोक्सवैगन जैसे समूह का सदस्य है.
किन्तु, क्या आप जानते हैं कि इसका नाम ऑडी कैसे पड़ा और कैसे बना इसका लोगों.
अगर नहीं! तो आईए जानते हैं-
होर्च की कंपनी पर मुकदमा होने कारण पड़ा नाम 'ऑडी'!
जिस वक्त मर्सिडीस कार कंपनी ने जर्मन में अपना पैर पसारना शुरू ही किया था. ठीक उसी समय ऑडी की कहानी शुरू होती है. 1899 में जर्मन का एक प्रतिभाशाली इंजीनियर अगस्त होर्च ने होर्च एंड सी कंपनी की स्थापना की.
होर्च ने इस कंपनी की शुरुआत कोलोन शहर से 15 श्रमिकों के साथ की थी, जहाँ इस कंपनी ने अपनी पहली कार बनाई.
1904 में होर्च एंड सी कंपनी ने मोटोवेगनवर्के एजी के साथ मिलकर कार बनाने लगी.
किन्तु, जब अगस्त होर्च को इनका साथ नहीं जमा, तो इन्होंने 1909 में मोटोवेगनवर्के का साथ छोड़ दिया. साथ ही ऑटोमोबाइलवर्के जीएमबीएच नाम की दूसरी कंपनी बना डाली.
चूंकि, दोनों कंपनियों का नाम लगभग एक जैसा था, इसीलिए मोटोवेगनवर्के कंपनी ने इसे ट्रेडमार्क का उल्लघंन बताते हुए अगस्त होर्च पर मुकदमा दायर कर दिया. सुप्रीमकोर्ट के फैसले के अनुसार इनकी कंपनी से पूर्व मोटोवेगनवर्के कंपनी थी.
लिहाजा इनको अपनी कंपनी का नाम बदलने का फरमान मिल गया.
ऐसी परिस्थिति में होर्च को अपनी कंपनी के लिए नये नाम की तलाश थी. इसी क्रम में एक दिन अगस्त होर्च अपने व्यापारिक मित्र के यहां बैठे थे. कंपनी के नाम को लेकर चर्चा चल रही थी. होर्च चाहते थे कि उनकी कंपनी का नाम उन्हीं के नाम पर पड़े.
उसी कमरे में उनके दोस्त का बेटा भी मौजूद था, जोकि लैटिन भाषा का जानकार था. उसने इनकी बात सुनी, तो कंपनी का नाम लैटिन भाषा में ‘ऑडी’ सुझाया, जिसका मतलब ‘सुनना’ होता है.
दिलचस्प बात यह थी कि होर्च शब्द का अर्थ भी ‘सुनना’ होता है!
लिहाजा दोनों नामों का अर्थ समान होने के कारण अगस्त ने अपनी कंपनी का नाम ऑडी जीएमबीएच नाम रख दिया.
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान कंपनी को हुआ भारी नुकसान
विवादों के कारण होर्च कंपनी का नाम बदलकर अब 1909 में ऑडी रख दिया गया था, लेकिन ब्रांड ऑडी को आधिकारिक तौर पर 1910 में पंजीकृत किया गया.
प्रथम विश्व युद्ध से पहले इस ऑटोमोबाइल कंपनी ने कई सर्वश्रेष्ठ कारों का निर्माण किया, जिसमें 1910 में ही ऑडी टाइप ए को मार्केट में लांच किया गया, जो काफी पसंद की गई थी.
इसके तुरंत बाद ऑडी कार रेसिंग में भी भाग लेने वाली कारों का निर्माण शुरू कर दिया. साथ ही रेसिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हुए अंतरराष्ट्रीय आस्ट्रेलियन अल्पाइन प्रतियोगिता में लगातार तीन सालों तक जीतता रहा. इसी के साथ ऑडी ने टाइप ए की सफलता के बाद 5720सीसी, 4680 सीसी और 3564सीसी माडल को भी पेश किया, जिसे लोगों ने हाथों-हाथ लिया.
बताया जाता है ऑडी टाइप ए के बाद टाइप बी कार का माडलों का उत्पादन किया, जोकि लगभग 4 सालों में सिर्फ 500 के आसपास ही बेचे गए थे.
इसी सफर में जब प्रथम विश्वयुद्ध हुआ, तो कंपनी को युद्ध में वाहन बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा. कंपनी ने जर्मन के लिए अपने कई कारों के उपकरण सैन्य वाहन बनाने में लगा दिए. इसका परिणाम यह हुआ की कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ा.
अगली कड़ी में अगस्त होर्च ने 1920 में कंपनी का साथ छोड़ दिया, लेकिन ऑडी के ट्रस्टी बोर्ड के सदस्य बने रहे.
हालांकि, यहां तक पहुंचते-पहुंचते इन्होंने कंपनी को एक ब्रांड के तौर पर मशहूर कर दिया था.
चार कंपनियों के मर्ज होने पर बना नया 'लोगो'
ऑडी ने 1921 में बाएं हाथ से ड्राइव करने वाली कार ‘ऑडी टाइप के’ को मार्केट में लांच किया. इसी के साथ बाएं हाथ से ड्राइव करने वाली कार को बनाने वाली पहली कार निर्माता कंपनी बन गई.
हालांकि, कंपनी 1927 से 1930 के आसपास मुश्किल दौर से गुज़र रही थी, तभी प्रबंधन ने कंपनी को खींचने का प्रयास किया. ऐसी स्थिति में इस कंपनी को अन्य कंपनियों के साथ विलय करने का फैसला करना पड़ा.
1932 में ऑडी यूनियन जीएमबीएच ने होर्च, डीकेडब्ल्यू और वंडरर के साथ मिलकर कार बनाने का निर्णय लिया. इस तरह चार कंपनियों का एक साथ आने के बाद ऑडी यूनियन जीएमबीएच का लोगो चार अंगूठियों (छल्लों) के रूप में प्रदर्शित किया गया.
यह आज भी ज्यों का त्यों बना हुआ है!
द्वितीय विश्व युद्ध से पहले तक कंपनी कई सर्वश्रेष्ठ कारों को पेश कर चुकी थी. साथ ही एक उच्च कार ब्रांड बन चुकी थी. बावजूद इसके द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उसे दोबारा युद्ध के लिए सैन्य वाहन बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा.
वोक्सवैगन समूह का बनी हिस्सा और…
इस सफर में एक वक्त ऐसा भी आया, जब कई कार निर्माता कंपनियों को छतिग्रस्त कर दिया गया था. इसमें ऑडी का नाम भी शामिल था. सोवियत संघ ने युद्ध के दौरान इसके कारखानों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था.
द्वितीय विश्व युद्ध की इस तबाही से कंपनी को दोबारा नुकसान हुआ. हालांकि, कंपनी ने हार नहीं मानी और 1949 के आसपास खुद को इंगोल्स्ताट में स्थापित किया गया, जो आज भी कंपनी का मुख्यालय है.
इसी के साथ 1951 में इस कंपनी को स्थापित करने वाले इंजीनियर अगस्त होर्च की 83 साल की उम्र में चल बसे.
आगे 1964 में वोक्सवैगन द्वारा ऑटो यूनियन को ख़रीदा गया. इसके बाद 1965 में ऑडी ने दो स्ट्रोक इंजन के स्थान पर चार स्ट्रोक इंजन का उपयोग करने लगी, जोकि ऑटोमोबाइल क्षेत्र के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पल था.
वोक्सवैगन समूह से जुड़ने के बाद ऑडी ने आसमान की नई बुलंदियों को छुआ और बड़े ब्रांड के रूप में स्थापित हुई.
तो ये थे ऑडी कार से जुड़े कुछ दिलचस्प पहलू.
अगर आपके पास भी इससे जुड़ी कोई जानकारी है, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं!
Web Title: Audi Car History, Hindi Article
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