सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन ये सच है कि उत्तर कोरिया से लड़ाई के समय तार-तार हो रही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और अपनी मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए दक्षिण कोरिया की महिलाएं अपने बाल काट कर बेच रही थीं. जो विग बनाने के उद्योगों को बढ़ावा दे रहा था.
युद्ध किसी भी तरह से शांति और स्थिरता को खत्म कर गरीबी फैलाता है और अर्थव्यवस्था को तबाह कर मानवीय जीवन स्तर को गिराने का काम करता है.
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि युद्ध किसने जीता.. लेकिन इससे हार हमेशा मानव विकास और समाज की होती है.
ऐसे में जरूरी है ये जानना कि कैसे दक्षिण कोरिया ने अपने जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए युद्ध के हालातों में बालों का व्यापार किया. कैसा रहा होगा उनका जीवन आईये लानने की कोशिश करते हैं –
फेरी वालों से हुई व्यापार की शुरूआत
बात कोरियाई युद्ध की है, जब उत्तर कोरिया के साथ 3 साल से चली लड़ाई में दक्षिण कोरिया में रहने वाले लोगों के सामने ऐसे हालात खड़े हो गए कि उन्हें दो वक्त के खाने के लिए अपने बालों को भी बेचना पड़ा.
जिस तरह कबाड़ खरीदने वाले गलियों में फेरी लगाते हैं, ठीक उसी तरह 1950 के दशक में बालों को खरीदने के लिए फेरीवाले आवाज़ लगाते फिरते थे.
वह रोज वहां जाते, लोगों से बालों को खरीदते और उन्हें दक्षिण कोरिया के जिले गोरू की विग इंडस्ट्री को बेच देते थे.
माना जाता है कि गोरू जिला ही विग इंडस्ट्री का पहला केंद्र बना.
ये वो समय था जब युद्ध के प्रभाव के कारण दक्षिण कोरिया की कई फैक्ट्री बंद होने की कगार पर पहुंच गई थीं. इससे देश में बेरोजगार बढ़ने लगे और लोगों के पास पैसों की कमी ने बाजारों को तबाह कर दिया.
लोग जरूरत की अहम चीजें भी नहीं खरीद पा रहे थे. ऐसे में विग बनाने के उद्योग ने दक्षिण कोरिया को सहारा दिया, और उसकी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने की कोशिश की.
1964 आते-आते विग इंडस्ट्री में लाचार और गरीब महिलाओं के बालों की विग बनाने का काम जोर पकड़ चुका था.
Women with their son in South Korea. (Pic: Pinterest)
तानाशाही से बढ़ा विग व्यापार!
दक्षिण कोरिया के विकास में विग से जुड़े व्यापार ने एक अहम भूमिका निभाई है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1960 के अंत में निर्यात से हुए मुनाफे में दसवां हिस्सा विग्स के निर्यात से ही आता था.
वहीं, 1970 के दशक में विग्स, टेक्सटाइल और प्लाईवुड के बाद तीसरा सबसे ज्यादा निर्यात किया जाने वाला उत्पाद बन गया था. माना जाता है कि उस समय अमेरिका के लोगों द्वारा पहने जाने वाली विग में एक तिहाई दक्षिण कोरिया से ही आती थीं.
अमेरिका में शीत युद्ध के दौरान साम्यवादी देशों से आने वाले उत्पादों की खरीद कम हो गई थी, जिसके कारण चीन में बनने वाली विग्स के बदले दक्षिण कोरिया में बनी विग्स का इस्तेमाल शुरू हो गया था. जिससे दक्षिण कोरिया की विग इंडस्ट्रीज को काफी मुनाफा हुआ और उनकी अर्थव्यवस्था में तेजी की शुरूआत हो गई.
उस समय विग इंडस्ट्री पर सरकार का अधिकार होता था, यहां तक कि इंडस्ट्री की पहचान के लिए और उसके लोगो पर उस समय के दक्षिण कोरियाई तानाशाह पार्क चुंग ही की तस्वीर छपी होती थी. पार्क चुंग ही ने दक्षिण कोरिया पर 18 साल तक शासन किया.
माना जाता है कि विग इंडस्ट्री के चलते ही उसकी सत्ता छिन गई थी.
South Korean strongman Park Chung-hee. (Pic: Huffington Post)
इंडस्ट्री ने दिया पहला लोकतांत्रिक नेता
1960 के बाद विग्स दक्षिण कोरियाई तानाशाही के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक भी बनी. दरअसल जब पार्क चुंग ही सत्ता में आया तो एक विग बनाने वाली इंडस्ट्री वाई एच ट्रेड ने उसका साथ दिया था. 1966 तक कंपनी जो केवल 10 लोगों के साथ शुरू हुई थी, उसने केवल 4 साल में 4000 कर्मचारियों के साथ एक बड़ा बिजनेस एंपायर खड़ा कर लिया.
हालांकि, 1979 में ज्यादा कर्ज के बोझ के चलते कंपनी ने सैकड़ों लोगों को काम से निकाल दिया. बेराजगार हुए लोगों ने कंपनी के इस कदम का विरोध किया और हर्जाना न दिए जाने के लिए प्रदर्शन करने लगे.
विरोध को बढ़ता देख पुलिस ने फैक्ट्री पर हमला बोल दिया, जिसमें एक 21 वर्षीय कर्मचारी की मौत हो गई.
ऐसे में आंदोलन तेज हो रहा था और उसी समय एक नेता किम यंग सैम ने प्रदर्शनकारियों का साथ दिया. उन्होंने अपने पार्टी ऑफिस को प्रदर्शनकारियों को इस्तेमाल करने के लिए दे दिया.
हालांकि उन्हें इसका फायदा भी मिला, जब 1993 में दक्षिण कोरिया की जनता ने खुद का लोकतांत्रिक नेता चुना तो वह किम यंग सैम ही थे.
Former South Korean President Kim Young-sam. (Pic: Los Angeles Times)
विग बनाने से रोजगार तो मिला लेकिन…
विग उद्योग में काम करने वालों के हालात इतने खराब थे कि वो रात-रात भर काम करने को मजबूर थे.
प्रदर्शन के दौरान जिस कर्मचारी की हत्या हुई थी, वह उन लाखों लोगों में से थी, जो रोजगार के लिए अपना घर छोड़कर दक्षिण कोरिया की राजधानी सिओल आई थी. ऐसे कई और लोग थे, जो भूख और अपने परिवार के लालन पालन के लिए ऐसी फैक्ट्रियों में काम करने वहां आए और समय के पहिये के तले दब कर अपनी जान गंवा बैठे.
कुछ ने तो अपनी प्राइमरी की पढ़ाई के बाद ही फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया था. विग बनाने के काम से मिलने वाले पैसे वह अपने घर भेज दिया करते थे. हालांकि ये ज्यादा दिनों तक नहीं चला और कई फैक्ट्रियां अब बंद होना शुरू हो गईं.
Women Working in a Wig Factory. (Pic: South China Morning Post)
बाल बेचने वाले ही बने खरीदार!
अब दक्षिण कोरिया में ऐसे बेचारे मजदूर देखने को नहीं मिलते. लेकिन किसी समय में ये इस देश की हकीकत थी. अब हालात दूसरे हैं, दक्षिण कोरिया का प्रति व्यक्ति आय इटली के लगभग बराबर है. वहीं वहां अब लोकतंत्र है, प्रदर्शन करने की आजादी है.
बालों के विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिण कोरिया में लोगों के बालों के झड़ने की मुख्य वजह प्रदूषण भी है, जिसने दक्षिण कोरिया में विग्स इंडस्ट्रीज को अरबों डॉलर की इंडस्ट्री बना दिया है.
कुछ साल पहले एक आलीशान दक्षिण कोरियन होटल में काम करने के लिए एक कॉलेज छात्र का इंटरव्यू के बाद चुनाव कर लिया गया और इससे पहले की वह ज्वाॅइन कर पाता उसे वहां से निकाल दिया गया. असल में होटल को उसके गंजेपन के बारे में पता चल गया था. बहरहाल, ऐसी घटनाओं के चलते दक्षिण कोरिया की सबसे बड़ी विग फैक्ट्री ने कॉलेज खत्म करने के बाद नौकरी के लिए इंटरव्यू देने वालों को फ्री में विग्स देने की शुरूआत की.
माना जाता है कि दुनिया भर में बनने वाली विग्स का सबसे ज्यादा उत्पादन दक्षिण कोरिया में ही होता है.
Wig Shop in a Market. (Pic: The Wilson Times)
हालांकि आज हालात ये हैं कि दक्षिण कोरिया की महिलाएं ही इसकी सबसे बड़ी खरीददार हैं. आज ही-मो विग के व्यापार से जुड़ा एक बड़ा ब्रांड माना जाता है, वह हजार डॉलर प्रति विग की दर पर महिलाओं को विग बेच रहा है.
Web Title: How Wigs Saved South Korea after War with North Korea, Hindi Article
Featured Image Credit: otcbeautymagazine