हर दिन अपने आप में एक नई पहेली है. कब क्या हो कुछ पता नहीं.
कहने को तो एक दिन महज़ एक तारीख है लेकिन इसी एक तारीख में दुनिया में कितना कुछ बदल जाता है. कभी कोई नेता उभरता है, तो किसी का सूरज अस्त हो जाता है.
ऐसी ही कुछ ऐतिहासिक घटनाओं पर आज हम नजर डालेंगे.
तो चलिये इतिहास के पन्ने पलटकर देखते हैं 16 फरवरी के कुछ खास किस्सों को –
फिदेल कास्त्रो का उदय!
‘क्रांति कोई गुलाबों की सेज नहीं है, यह भूत और भविष्य के बीच का संघर्ष है.’
क्यूबा के नेता फिदेल कास्त्रो के ये शब्द उस क्रांति से निकले जिसने उन्हें सन 1959 में सत्ता पर काबिज़ कर दिया.
1956 में उन्होंने क्यूबा क्रांति का शंखनाद किया और तमाम उठापटक के बाद 1959 में तानाशाह बतिस्ता का तख्तापलट कर दिया. जिसके बाद वे आज ही के दिन यानी 16 फरवरी को क्यूबा के 16वें प्रधानमंत्री बने.
कास्त्रो उस वक्त एक राष्ट्रीय हीरो के रूप में लोगों के सामने आए.
महज़ 32 साल की उम्र में क्यूबा के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले कास्त्रो 1976 में देश के राष्ट्रपति भी बने. उनका राजनैतिक सफर काफी लंबा रहा. कास्त्रो ने साल 2008 में स्वास्थ्य कारणों की वजह से इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद उनके भाई राउल कास्त्रो ने सत्ता संभाली.
आधी दुनिया के लिए फिदेल कास्त्रो एक तानाशाह और क्रूर शासक थे, वहीं अधिकांश क्यूबावासियों में लोकप्रिय भी थे जिनका लोहा अभी भी क्यूबा में माना जाता है.
Cuban Leader Fidel Castro (Pic: globalresearch)
भारतीय सिनेमा के जादूगर ‘दादासाहेब फाल्के’ का निधन
भारत को सिनेमा के सफर पर ले जाने वाले दादासाहेब फाल्के उर्फ धुंड़ीराज गोविंद फाल्के का निधन आज ही के दिन हुआ था. भारतीय सिनेमा के ‘पितामह’ कहे जाने वाले दादासाहेब फाल्के का भारतीय फिल्म जगत में अतुलनीय योगदान है.
फाल्के का जन्म महाराष्ट्र के त्रयम्बकेश्वर में 30 अप्रैल, 1870 को हुआ था. बचपन से ही उनका कला के प्रति रुझान उन्हें सिनेमा की दुनिया तक ले गया.
फाल्के के जीवन में फिल्म निर्माण से जुड़ा रचनात्मक मोड़ 1910 में ‘लाइफ ऑफ क्राइस्ट’ देखने के बाद आया. इसी से उन्हें फिल्म निर्माण की प्रेरणा मिली.
जब सिनेमा में इस्तेमाल होने वाली तकनीकों और मशीनों के लिए भी हम विदेश पर निर्भर थे, उस समय फाल्के भारत की पहली मूक फीचर फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ लेकर आए.
‘सिर्फ तीन आने में देखिए दो मील लंबी फिल्म में 57 हजार चित्र’ की टैगलाइन के साथ फाल्के ने इस फिल्म का प्रमोशन किया.
तीन मई, 1913 को मुंबई के कोरोनेशन थियेटर में फिल्म को रिलीज़ किया गया. इस फिल्म के रूप में दर्शकों के सामने मानो एक नई दुनिया आ गई थी. एक पौराणिक गाथा के चलते-फिरते दृश्यों को देखकर लोग वाह-वाह कर उठे थे.
अपने यादगार फिल्मी सफर के तकरीबन 25 वर्षों में उन्होंने ‘राजा हरिश्चंद्र’ के अलावा सत्यवान सावित्री (1914), लंका दहन (1917), श्रीकृष्ण जन्म (1918), कालिया मर्दन (1919) सहित 100 से ज्यादा फिल्में बनाईं.
भले ही आज दादासाहेब फाल्के हमारे बीच नहीं हैं पर अपनी उम्दा फिल्मों के दम पर वो हमेशा हमारे दिलों में ज़िंदा रहेंगे.
Father Of Indian Cinema ‘Dadasaheb Phalke’ (Pic: bollywoodgoogly)
खुला तुतनखामुन की कब्र का राज!
आज के दिन ही सन 1923 में मिस्त्र देश के राजा तुतनखामुन की कब्र को खोला गया था. ब्रिटिश पुरातत्वविद हॉवर्ड कॉर्टर की अगुवाई में इस कब्र की खुदाई की गई.
तुतनखामुन जिसे लोग राजा तुत के नाम से भी जानते है, 18वें राजवंश का प्राचीन इजिप्टियन शासक था. इसने 9 वर्ष की छोटी उम्र में मिस्र की बागडोर संभाली और लगभग 10 वर्षों तक शासन किया.
प्राचीन मिस्र में राजाओं को देवता के रूप में देखा जाता था. उनकी मृत्यु के बाद उनके पार्थिव शरीर को सावधानी से संरक्षित किया जाता था. उनके लिए भव्य कब्रें बनाई जाती थीं जिन्हें खज़ानों के साथ विशाल मकबरें में दफना दिया जाता था. ताकि वे अपनी मृत्यु के बाद के जीवन को आराम से व्यतीत कर सकें.
राजा तुत के रहस्य और जीवनशैली को जानने के लिए 19वीं शताब्दी में दुनियाभर से पुरातत्वविद मिस्र आए, जहां उन्होंने कई कब्रों को खोला. इसमें से ज्यादातर मकबरों को लुटेरों ने पहले ही खज़ाने के लालच में तोड़ दिया था.
पर जब राजा तुत की क्रब को खोजा गया तो पुरातत्वविदों ने पाया कि उनकी कब्र लगभग 3000 साल बाद भी वैसी ही है. उसमें कोई छोड़खानी नहीं की गई. पुरातत्वविदों ने कब्र को खोदना शुरु किया तो उसमें बेशकीमती हीरे जवाहरात, रथ, पलंग, कुर्सी, सिंहासन आदि मिले. यहां से 3 ताबूत भी मिले जो एक-दूसरे से सटे हुए थे. अंतिम ताबूत सोने का बना हुआ था, जिसमें राजा के शरीर पर ममी का लेप लगाया गया था. राजा तुत के इस खजाने को मिस्त्र के एक संग्रहालय में रखवा दिया गया है.
14वीं शताब्दी ईसा पूर्व में बना राजा का यह मकबरा मिस्र के इतिहास में सबसे कीमती योगदान माना जाता है.
King Tutankhamun (Pic: nationalgeographic)
अस्तित्व में आई क्योटो प्रोटोकॉल!
क्योटो संधि दुनिया के कई प्रमुख देशों के राज़ी होने के सात साल बाद आख़िरकार इसी दिन अस्तित्व में आई. पर्यावरण के संबंध में 1992 में एक समझौते के तहत कुछ मानदंड निर्धारित किए गए थे जिनके आधार पर 1997 में क्योटो संधि हुई.
क्योटो संधि के अनुसार उन सब देशों को इस संधि की पुष्टि करनी है जो धरती के वायुमंडल में 55 प्रतिशत कार्बनडाइऑक्साइड छोड़ते हैं. और उन्हें यह मात्रा सन 2008 से 2012 के बीच घटाकर पांच प्रतिशत तक लानी है.
रूस शुरू में क्योटो संधि पर हस्ताक्षर करने में झिझक रहा था लेकिन अंतत: राष्ट्रपति पुतिन ने रूस को क्योटो संधि से जोड़ दिया.
लेकिन दुनिया के सबसे बड़े प्रदूषक देश अमेरिका ने क्योटो संधि पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया. अमेरिका का कहना था कि यह संधि उसे बहुत ही महंगी पड़ेगी और इस संधि में कई मूलभूत गलतियां हैं.
साल 2012 में क़तर में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन को लेकर हुई बातचीत में क्योटो संधि को वर्ष 2020 तक बढ़ाने पर सहमति बनी.
Kyoto Protocol Came Into Force (Pic: surveyandtest)
लेखक ‘शरतचंद्र चट्टोपाध्याय’ का निधन
वे किरदारों को कुछ इस तरह गढ़ते थे कि मानो असल जीवन के सारे किरदार किताब में सजीव उभर आए हों. उनकी लेखनी में एक जादू था जो ख़ासतौर पर फिल्म निर्माताओं को आकर्षित करता था.
शरत चंद्र चट्टोपाध्याय अकेले ऐसे भारतीय कथाकार हैं, जिनकी अधिकांश कालजयी कृतियों पर फ़िल्में और धारावाहिक सीरियल बने हैं. इनकी कृतियां देवदास, चरित्रहीन और श्रीकांत की कहानी को फिल्मी पर्दे पर कई बार दिखाया जा चुका है.
आज के दिन ही ये महान लेखक दुनिया को अलविदा कह गया.
भारत के प्रसिद्ध उपन्यासकारों में से एक शरतचंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म 15 सितंबर 1876 को पश्चिम बंगाल के देवानंदपुर में हुआ था. उन्होंने जो लिखा वो लीक से हटकर था. उनकी कहानियां और उपन्यास यथार्थवादी थे. जिन्होंने सामाजिक रूढ़ियों पर गहरा प्रहार किया.
शरतचंद्र चट्टोपाध्याय को यह गौरव हासिल है कि उनकी रचनाएं हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाओं में आज भी चाव से पढ़ी जाती हैं. लोकप्रियता के मामले में शरतचंद्र बंकिम चंद्र चटर्जी और रवीन्द्रनाथ टैगोर से भी आगे हैं.
Bengali Writer Sarat Chandra Chattopadhyay (Pic: learningandcreativity/librarything)
तो ये थीं 16 फरवरी से जुड़ी कुछ ख़ास घटनाएं. अगर आप भी इस दिन से जुड़ी किसी ऐतिहासिक घटना की जानकारी रखते हैं तो कृपया कमेंट बॉक्स में ज़रूर शेयर करें.
Web Title: Important Historical Events of 16th February, Hindi Article
Featured Image Credit: nbcnews