हर दिन कुछ न कुछ घटता है और उसमें से कुछ इतिहास में अमर हो जाता है.
इसी क्रम में आने वाली पीढ़ियां देखती हैं कि हमारे अतीत में क्या-क्या हुआ है. वो इससे सीखती हैं और आगे बढ़ती हैं.
'डे' इन हिस्ट्री की कड़ी में अाज हम 11 जून को घटित महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में पढ़ेंगे.
तो आइए जानते हैं, 11 जून के नाम इतिहास में क्या दर्ज है –
बौद्ध साधुओं ने किया आत्मदाह
11 जून 1963 को बौद्ध संत क्वांग डक ने सार्वजनिक रूप से आत्मदाह कर लिया.
यह आत्मदाह उन्होंने अमेरिका द्वारा वियतनाम पर थोपे गए युद्ध के विरोध में किया. आगे आने वाले दिनों में दूसरे और बौद्ध साधुओं ने क्वांग डक के समर्थन और अमेरिकी विरोध में आत्मदाह किया.
बौद्ध साधुओं के आत्मदाह का प्रसारण टीवी पर हुआ. इससे अमेरिकी जनता के भीतर अपनी सरकार के खिलाफ रोष पैदा हुआ. इसके बाद अमेरिका का जनसामान्य सड़कों पर उतर आया और अपनी ही सरकार द्वारा वियतनाम पर थोपे गए युद्ध का विरोध करने लगा.
असल में बात यह थी कि अमेरिका ने साठ के दशक में उत्तरी वियतनाम पर हमला कर दिया था. इसकी असली वजह यह थी कि उत्तरी वियतनाम ने फ़्रांस से अपनी आजादी छीन लेने के बाद खुद को कम्युनिस्ट देश घोषित कर दिया था.
यह शीत युद्ध का दौर था और अमेरिका साम्यवाद का कट्टर विरोधी.
इसलिए वह नहीं चाहता था कि किसी भी देश में कम्युनिस्ट सरकार स्थापित हो.
इसी क्रम में आगे अमेरिकी सरकार ने अपने देशवासियों से झूठ बोलकर उत्तरी वियतनाम के ऊपर हमला बोल दिया. अमेरिकी सरकार ने अपने देशवासियों से कहा कि वह यह हमला करके अमेरिकी हितों की रक्षा कर रहा है.
ब्रिटेन ने किया इटली पर जवाबी हमला
11 जून 1940 के दिन ब्रिटेन ने इटली के ऊपर हमला कर दिया. यह हमला उसने इसलिए किया, क्योंकि 10 जून को इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी ने फ़्रांस और ब्रिटेन के ऊपर युद्ध घोषित कर दिया था.
ब्रिटेन ने भी इसके जवाब में कहा कि वह चुप नहीं बैठेगा.
मुसोलिनी ने द्वितीय विश्व युद्ध में हिटलर का साथ निभाने के उद्देश्य से ब्रिटेन और फ्रांस के खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी.
आगे ब्रिटेन ने इसी क्रम में इटली के दो शहरों जेनोआ और तूरिन में बमबारी शुरू की. अफ्रीका भी दोनों देशों के बीच संघर्ष का गवाह बना. दोनों देशों के यहां उपनिवेश थे.
अफ्रीका में शुरुआत इटली ने की.
उसने पहले तो ब्रिटेन के नियंत्रण वाले स्वेज नहर के क्षेत्र में बमबारी और फिर इसके बाद भू-मध्यसागर क्षेत्र में स्थित माल्टा द्वीप पर बमबारी की.
यह द्वीप भी ब्रिटेन के नियंत्रण में था.
जवाब में ब्रिटेन ने एरिट्रिया क्षेत्र में स्थित इटली के सैन्य अड्डों पर हमला कर दिया.
इन दोनों की लड़ाई प्रशांत क्षेत्र में भी फैल गई. यहां ऑस्ट्रेलिया ने इटली के एक जहाज को घेर लिया और उसे नष्ट कर दिया. ऑस्ट्रेलिया ब्रिटेन की तरफ से लड़ रहा था.
समाप्त हुआ 'छह दिन का युद्ध'
11 जून 1967 को इजराइल और अरब देशों के मध्य चल रहा छह दिनों का युद्ध समाप्त हो गया.
युद्ध की यह समाप्ति संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सीज फायर की घोषणा के साथ हुई. इस युद्ध में इजराइल को एक साफ़ और निर्णायक जीत हासिल हुई थी.
असल में अरब देशों के समूह ने यहूदियों के देश को ख़त्म करने के उद्देश्य से इजराइल पर हमला किया था. लेकिन इजराइल ने उनका डटकर सामना किया.
इस लड़ाई के बाद इजराइल ने बड़ी जीत दर्ज करते हुए अपना विस्तार दोगुना कर लिया.
इसके साथ ही उसने पुराने येरुशलम शहर को जॉर्डन से छीनकर अपने कब्जे में ले लिया.
इससे पहले पांच जून को छह दिन का युद्ध शुरू हुआ था. अरब देशों के हमले के बाद इजराइली सरकार बिल्कुल भी नहीं घबराई और उसने अपने सैनिकों को करारा जवाब देने का आदेश दिया.
युद्ध के पहले ही दिन इजराइली वायुसेना ने मिश्र, सीरिया, इराक और जॉर्डन की वायु सेना को तहस-नहस कर दिया. वहीं दूसरी ओर जमीनी लड़ाई में भी इजराइल ने अपना परचम फहराया.
5 जून को गाजा पट्टी में इजराइली सैनिक तेजी से घुसे और उन्होंने मिश्र की सेना पर हमला कर दिया.
8 जून तक मिश्र की सेना धराशाही हो गई और गाजा पट्टी से लेकर स्वेज नहर का क्षेत्र इजराइल के नियंत्रण में आ गया.
इसी बीच, पूर्व की ओर से जॉर्डन ने इजराइल पर हमला कर दिया.
इजराइल की सेना ने करारा जवाब दिया और 7 जून को जेरुशलम को अपने कब्जे में ले लिया.
आगे इजराइल ने उत्तर की तरफ सीरिया पर खुद हमला किया और गोलन हाइट्स पर जमकर बमबारी की.
सीरिया ने भी इसका जवाब दिया और 11 जून तक लड़ाई चलती रही.
इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने हस्तक्षेप किया और सीज फायर की घोषणा कर दी. इस प्रकार छह दिनों का युद्ध समाप्त हुआ.
स्वतंत्रता घोषणा पत्र पर बनी समिति
11 जून 1776 को महाद्वीपीय कांग्रेस ने अमेरिकी स्वतंत्रता घोषणा पत्र बनाने के लिए पांच सदस्यों की एक समिति बनाई.
इस समिति में थॉमस जैफरसन, जॉन एडम्स, बेंजामिन फ्रैंकलिन, रोजर सरमन और आर लिविंग्स्टन को शामिल किया गया.
जेफरसन की कलम की शक्ति को जानते हुए एडम ने उनसे घोषणा पत्र का पहला ड्राफ्ट लिखने का आग्रह किया.
इस ड्राफ्ट को फ्रैंकलिन और एडम ने पढ़ा और 28 जून को कांग्रेस को समीक्षा के लिए सौंप दिया.
इस घोषणा पत्र ने मनुष्य के मूलभूत मानवाधिकारों की बहाली की घोषणा की.
इसके सबसे पहले पैराग्राफ में लिखा गया कि प्रत्येक मनुष्य को प्रकृति ने यह अधिकार दिया है कि वह पूर्ण स्वतंत्रता के साथ अपना जीवन जी सके, प्रत्येक मनुष्य को शोषण रहित जीवन जीने का अधिकार है.
तो ये थीं, 11 जून के दिन इतिहास में घटी कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं.
अगर आप भी इस दिन से जुड़ी कोई विशेष और ऐतिहासिक घटना जानते हैं, तो नीचे कमेंट बॉक्स में हमारे साथ अवश्य शेयर करें.
Web Title: Important Historical Events of 11th June, Hindi Article
Feature Image Credit: The Daily Beast