आए दिन दुनिया में तमाम तरह की घटनाएं घटित होती हैं. कहीं युद्ध, तो कहीं शांति के लिए समझौते, कहीं किसी संस्था का उदय, तो कहीं देशों का विघटन.
इन्हीं में से कुछ घटनाएं ऐतिहासिक हो जाती हैं. तारीखें ही ऐसी घटनाओं को याद करने का एक झरोखा हैं.
आइए इसी क्रम में आज हम 13 जुलाई को होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं पर नजर डाल लेते हैं.
13 जुलाई को घटित होने वाली ऐतिहासिक घटनाएं इस प्रकार हैं –
स्कॉटिश चर्च कॉलेज की नींव रखी गई
13 जुलाई, 1830 को भारत के धार्मिक और सामाजिक सुधारक राजा राम मोहन राय और भारत में ईसाई मिशनरी अलैक्जेंडर डफ ने कलकत्ता में स्कॉटिश चर्च कॉलेज की नींव रखी.
इस स्कूल की शुरूआत केवल 5 छात्रों के साथ हुई थी.
स्कॉटिश चर्च कॉलेज भारत में लिवरल आर्ट और विज्ञान का सबसे पुराने कॉलेजों में से एक माना जाता है.
स्कॉटलैंड चर्च के मिशनरी डफ को इस संस्थान की स्थापना के लिए राजा राम मोहन राय से जबरदस्त समर्थन मिला.
19वीं शताब्दी की शुरुआत में ईस्ट इंडिया कंपनी के तहत अंग्रेजी शिक्षा को ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई. हालांकि ईस्ट इंडिया कंपनी ने फारसी, संस्कृत जैसी मूल भाषाओं का समर्थन किया और कलकत्ता मद्रास कॉलेज और संस्कृत कॉलेज जैसे संस्थानों की स्थापना की.
ऐसे में भारतीयों को अंग्रेजी शिक्षा से वंचित होता देख ब्रिटिश इतिहासकार और राजनेता थॉमस मैकॉले द्वारा भारत में अंग्रेजी शिक्षा की शुरूआत की गई.
उस समय अलेक्जेंडर डफ स्कॉटलैंड चर्च की जनरल असेंबली से प्रेरित एक युवा मिशनरी थे. ये एक अंग्रेजी संस्थान स्थापित करने के लिए कोलकाता आए थे. इस कॉलेज की स्थापना में राय के अलावा, डफ को भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने भी मदद की थी. उनके संयुक्त समर्थन के साथ, अलेक्जेंडर डफ ने ऊपरी चितपुर रोड में कमल बोस के परिसर का उपयोग कर वहां स्कॉटिश चर्च कॉलेज खोला.
सन 1836 में, कॉलेज को गोराचंद बिसाक के घर स्थानांतरित कर दिया गया.
इसी के साथ 23 फरवरी, 1837 को स्कॉटिश चर्च कॉलेज की नींव कोलकाता के मुख्य मजिस्ट्रेट मैकफ़ारलॉन द्वारा रखी गई. इस कॉलेज के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी के जॉन ग्रे और कप्तान जॉन थॉम्पसन ने इमारत की डिजाइन तैयार की और सन 1839 में इसका निर्माण कार्य पूरा हो गया.
राजा राम मोहन राय को आधुनिक भारत का जनक भी कहा जाता है. इन्हें मुख्य रूप से सती और बाल विवाह को समाप्त करने के प्रयासों के लिए याद किया जाता है. इसके साथ ही इन्होंने भारत में अंग्रेजी शिक्षा का पूरा समर्थन किया था. उन्हें भरोसा था कि इससे सामाजिक सुधार होगा, अंधविश्वास और अर्थहीन अनुष्ठानों से भारतीय समाज छुटकारा पा सकेगा.
क्रांतिकारी जतिंद्रनाथ दास ने शुरू की ऐतिहासिक भूख हड़ताल
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक जतिंद्रनाथ दास ने अन्य क्रांतिकारियों के साथ लाहौर जेल में भूख हड़ताल की. जिसकी शुरूआत आज ही के दिन यानी 13 जुलाई 1929 को हुई थी.
ये भूख हड़ताल पूरे 63 दिन चली, जिसके बाद 13 सितंबर, 1929 जतिंद्र शहीद हो गए.
27 अक्टूबर, 1904 को कोलकाता में पैदा हुए जतिंद्रनाथ दास के अंदर क्रांति की ज्वाला दहक रही थी. और अपनी 16 साल की उम्र तक ये असहयोग आंदोलन में दो बार जेल जा चुके थे. इन्हें 6 महीने की सजा हुई.
गांधीजी के असहयोग आंदोलन को वापस लेने के बाद ये अन्य क्रांतिकारियों के साथ हो लिए. और फिर शचीन्द्र नाथ सान्याल के साथ हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य बन गए.
सन 1928 को हुई कोलकाता कांग्रेस में जतिंद्र नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सहायक बने थे.
यहीं इनकी मुलाकात भगत सिंह से हुई और फिर क्रांति के लिए इन्होंने बम बनाए. जिनका इस्तेमाल 8 अप्रैल, 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने केन्द्रीय असेंबली में किया.
इसके बाद 14 जून, 1929 को जतिंद्रनाथ को गिरफ्तार कर लाहौर षड्यंत्र केस में मुकदमा चलाया गया.
इस दौरान जेल में इनके साथ अनुचित व्यवहार किया जाता था. जिसके विरोध स्वरूप इन्होंने भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त जैसे क्रांतिकारियों के साथ लाहौर की जेल में भूख हड़ताल शुरू कर दी.
इनका मनोबल काफी ऊंचा था, जिसे अंग्रेज लाख कोशिश के बावजूद नहीं तोड़ पाए. ये किसी भी तरह से या तो विजय चाहते थे, या मृत्यु. इसी कड़ी में भूख से कमजोर हुए जतिंद्रनाथ दास के शरीर ने हड़ताल के 63वें दिन छोटे भाई किरण की गोद में दम तोड़ दिया.
3 बम धमाकों से दहल उठी थी मुंबई
आज ही के दिन यानी 13 जुलाई 2011 को मुंबई में हुए 3 बम धमाकों से पूरा देश दहल उठा था. ये धमाके मुंबई के झावेरी बाजार, ओपेरा हाउस और दादर में हुए थे.
इन बम धमाकों में 20 से ज्यादा लोगों की मौत और लगभग 130 लोग घायल हुए थे.
18 राज्यों में की गई मामले में जांच के दौरान 180 सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए, साथ ही कुल 12 हजार 373 लोगों से पूछताछ की गई थी.
वहीं, इन हमलों का मास्टरमाइंड आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का प्रमुख यासीन भटकल था.
सिर्फ 15 मिनट के अंदर शहर के तीन सबसे व्यस्त इलाकों में ये धमाके किए गए थे. पहला धमाका 6 बजकर 45 मिनट पर झावेरी बाजार में हुआ. दूसरा 6 बजकर 55 मिनट पर दादर में और तीसरा धमाका 7 बजे ओपेरा हाउस के पास हुआ था. वहीं पुलिस को ग्रांट रोड सांताक्रूज में दो जिंदा बम भी मिले थे.
न्यूयॉर्क सिटी में हुई इस्कॉन की स्थापना
13 जुलाई 1966 को कलकत्ता में पैदा हुए अभय चरणारविन्द या भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद ने न्यूयॉर्क सिटी में इस्कॉन की स्थापना की थी.
यहीं से इस्कॉन के प्रचार की शुरूअात कही जा सकती है. इस्कॉन (ISKCON) या इंटरनेशनल सोसायटी फॅार कृष्णा कॉन्सियसनेस कृष्ण भक्ति के लिए प्रेरित संस्था बताई जाती है. इसका हिन्दी अनुवाद अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ कहा जा सकता है.
एक सितंबर, 1896 को जन्मे अभय चरणारविन्द ने अपने गुरु श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर के कहने पर भारतीय हिन्दू शास्त्रों और कृष्ण साहित्य का प्रचार अंग्रेजी में करना शुरू कर दिया. इन्होंने 1959 में सन्यास ले लिया और श्रीमद्भागवत पुराण का अंग्रेजी अनुवाद किया.
इसके बाद ये 1965 में अपने गुरु के साथ अमेरिका चले गए, जहां एक साल बाद ही इन्होंने इस्कॉन की शुरूआत कर दी.
जगन्नाथ पुरी की तर्ज पर और कृष्ण-बलराम को समर्पित इस्कॉन मंदिर, जिन्हें कई बार अंग्रेजों का मंदिर भी कह दिया जाता है, भारत के दिल्ली, मुबई जैसे बड़े शहरों से लेकर छोटे शहरों तक और दुनिया भर के तमाम देशों में फैले हुए हैं.
Web Title: Important Historical Events of 13th July, Hindi Article
Feature Image Credit: theharekrishnamovement