साल की प्रत्येक तारीख ऐतिहासिक घटनाओं को अपने अंदर समेटे हुए है.
डे हिस्ट्री के इस क्रम में आज हम आपको 14 जुलाई को घटित हुई कुछ ऐसी ही घटनाओं से रूबरू कराएंगे.
इस दिन एक ओर जहां फ्रांस में लुईस अष्टम ने गद्दी संभाली, तो दूसरी ओर बेलग्रेड के युद्ध में हंगरी ने ऑटोमन साम्राज्य को परास्त कर दिया. वहीं, फ्रांस और पुर्तागल ने स्पेन के खिलाफ लियोंस के नौसैनिकों से समझौता किया और दूसरी ओर मुगल सम्राट शाहजहां ने औरंगजेब को दक्कन का सूबेदार बनाया.
बहरहाल, कुछ ऐसे ही रोचक और ऐतिहासिक तथ्यों को जानने के लिए, आइए 14 जुलाई के ऐतिहासिक तथ्यों पर नजर डाल लेते हैं –
बंद हुई 162 साल पुरानी टेलीग्राम सेवा
भारत में 14 जुलाई 2013 को रात 10 बजे से 162 साल पुरानी तार या टेलीग्राम सेवा को बंद कर दिया गया.
सन 1850 में अंग्रेजों के जमाने में कोलकाता और डायमंड हार्बर के बीच शुरू हुई भारतीय तार सेवा का सबसे ज्यादा उपयोग ईस्ट इंडिया कंपनी ने किया. इसके बाद 11 फरवरी 1855 को इसे आम लोगों के लिए शुरू कर दिया गया. जिसके बाद भारतीय लोगों ने भी इस सेवा का इस्तेमाल शुरू कर दिया.
इस बढ़ती सेवा की मांग के कारण सन 1990 के दशक में तार सेवा की जिम्मेदारी बीएसएनएल को सौप दी गई.
उस समय अपनों से बात करने और सरकारी कार्यों के लिए सबसे ज्यादा तार भेजे गए. एक अनुमान के मुताबिक 1980 के दशक में एक दिन में लगभग 6 लाख टेलीग्राम भेजे जाते थे.
वहीं, गुलाम भारत में क्रांतिकारियों के बीच संवाद रोकने के लिए अंग्रेजों ने टेलीग्राम लाइनें ही कटवा दी थीं.
जर्मनी के वैज्ञानिक वर्नर वोन साइमंस ने एक उत्तम किस्म का टेलीग्राफ बनाया, जहां अक्षर के लिए केवल मशीन का डायल घुमाना होता था.
उन्होंने साल 1870 में यूरोप और भारत को 11 हजार किलोमीटर लंबी टेलीग्राफ लाइन से जोड़कर इस सेवा को शुरू किया. जिसके कारण भारत से इंग्लैंड तक जाने वाला तार केवल 30 मिनट में पहुंच जाता था.
बहरहाल, आज के ई-मेल, मोबाइल जैसी अत्याधुनिक तकनीक वाले युग में तार सेवा को कुछ खास पसंद नहीं किया जा रहा था. साथ ही टेलीग्राम सेवा दे रहे बीएसएनएल को भी इससे कोई खास फायदा नहीं हो रहा था.
बीएसएनएस को इस सेवा के लिए प्रत्येक साल लगभग 100 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ रहे थे, लेकिन आमद मात्र 75 लाख रुपए ही थी. ऐसे में राजस्व की कमी के कारण बीएसएनएल ने इस सेवा को बंद करने का फैसला किया था.
हिन्दी फिल्मों की मां लीला चिटनिस का निधन
आज ही 14 जुलाई 2003 को बॉलीवुड अभिनेत्री और हिन्दी फिल्मों की मां लीला चिटनिस का निधन हुआ था.
9 सितंबर, 1909 को कर्नाटक के धारवाड़ में पैदा हुईं लीला की शादी 16 साल की उम्र में ही कर दी गई थी.
इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी भाग लिया था.
लीला चिटनिस बॉलीवुड की पहली शिक्षित महिलाओं में से एक रहीं. साथ ही ये पहली भारतीय अभिनेत्री भी थीं, जिन्होंने लक्स साबुन का विज्ञापन किया.
1930 के दशक में जिस समय अभिनेत्रियों को वेश्या माना जाता था, तब भारतीय फिल्मों में प्रवेश कर इन्होंने पुरुष प्रधान समाज को एक जोर का तमाचा मारा था.
लीला चिटनिस ने 52 साल तक भारतीय हिन्दी सिनेमा में अभिनय किया. बॉलीवुड में अपने आखिर दिनों में इन्होंने कई फिल्मों में मां का किरदार किया, जिसे बहुत सराहा गया.
सन 1965 में आई मशहूर पिक्चर गाइड में इनके द्वारा निभाया गया देव आनंद की मां का किरदार जबर्दस्त पसंद किया गया.
कई फिल्मों में ये दिलीप कुमार, राज कपूर की मां की भूमिका भी अदा कर चुकी हैं. इसी के साथ, लीला चिटनिस अभिनेत्री काजोल की मां नूतन की नानी हैं.
औरंगजेब बना दक्कन का सूबेदार
अबुल मुजफ्फर मूहीउद्दीन मुहम्मद बिन औरंगजेब छठा मुगल शासक था, जो औरंगजेब के नाम से प्रसिद्ध हुआ. 4 नवंबर, 1618 को गुजरात के दाहोद में पैदा हुए औरंगजेब को आलमगीर की शाही उपाधि दी गई थी.
आज ही के दिन यानी 14 जुलाई 1636 को मुगल बादशाह शाहजहां ने अपने शहजादे औरंगजेब को दक्कन का सूबेदार बना दिया था.
हालांकि औरंगजेब ने मुगल साम्राज्य का विस्तार तो किया, लेकिन वो विशाल दक्कन को अपने अधीन नहीं कर पाया. दक्कन पर उसका नियंत्रण धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा था. ऐसे में वहां उसके शासन के खिलाफ विद्रोह की आग भड़क उठी, जिसे दबाने के लिए उसने पूरी मुगल सल्तनत को लगा दिया.
नतीजतन मुगल लगभग कंगाल हो गए.
औरंगजेब जब दक्कन में विद्रोह को दबाने में लगा हुआ था, तब शाहजहां ने मुगल दरबार का कामकाज दारा शिकोह को सौंप दिया. वहीं सन 1644 में औरंगजेब की एक बहन आग से जलकर मर गई.
जिसके लगभग तीन हफ्ते बाद आगरा पहुंचे औरंगजेब को गुस्से में बाप ने दक्कन की सूबेदारी से बर्खास्त कर दिया.
हालांकि, बाद में शाहजहां ने उसे गुजरात का सूबेदार बना दिया.
इसके बाद 1652 में शाहजहां के बीमार होने के बाद उसके लड़कों में गद्दी के लिए लड़ाई शुरू हो गई. जिसमें औरंगजेब ने बाजी मारी और जून 1658 में आगरा के किले पर कब्जा कर अपने बाप शाहजहां को किले में ही कैद कर लिया गया.
हालांकि, उत्तराधिकार की इस लड़ाई में इसके हाथ से कई क्षेत्र निकल चुके थे, जिन्हें उसने मरते दम तक अपने साम्राज्य में मिलाने की कोशिश की. इसमें इसे कुछ सफलता भी हासिल हुई, लेकिन उसकी कीमत बहुत ज्यादा थी.
बहरहाल, इसी के साथ धीरे-धीरे अपने साम्राज्य में विद्रोह को दबा कर और सत्ता को हथियाकर 1659 में औरंगजेब मुगल सम्राट बन बैठा.
हालांकि हाथ से निकले दक्कन को पाने का सपना औरंगजेब मरते दम तक देखता रहा. अपने मौत से पहले उसने दक्कन पर कब्जा करने के उद्देश्य से एक बार फिर पूरी मुगल फौज के साथ उधर बढ़ा. लेकिन इसे इसमें भी सफलता नहीं मिली तो इसने बंगाल की खाड़ी किनारे राज्यों पर हमला कर उन्हें अपने साम्राज्य में मिला लिया.
तो ये थीं 14 जुलाई की ऐतिहासिक घटनाएं. अगर आप भी इस दिन से जुड़ी कोई विशेष और महत्वपूर्ण इतिहास से संबंध्ाित घटना जानते हैं, तो कृपया नीचे कमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं.
Web Title: Important Historical Events of 14th July, Hindi Article
Feature Image Credit: USA Today