साल का हर एक दिन महत्वपूर्ण होता है, प्रत्येक दिन की ख़ासियत हर दिन से अलग होती है.
नई सुबह के साथ शुरू हुआ हर एक दिन अपने साथ कुछ ख़ास यादें लाता है. हर तारीख़ पर कोई मीठी यादें होती हैं तो, किसी तारीख से जुड़े होते हैं न भूलने वाले कड़वे अनुभव.
आज हम ऐसे ही कुछ अनुभवों की बात करेंगे, जो ऐतिहासिक हैं.
आइये जानते हैं 23 फरवरी को घटित इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में–
दुनिया को अलविदा कह गईं ‘मधुबाला’
‘जब प्यार किया ता डरना क्या?.. प्यार किया कोई चोरी नहीं की, छुप-छुप आहें भरना क्या..’
मुगल-ए-आजम फिल्म का यह गाना निश्चित ही आपको ‘अनारकली’ का किरदार निभाने वाली मधुबाला की याद दिलाता होगा. इस गाने को सुनते ही भारतीय फिल्म जगत की मशहूर अदाकारा मधुबाला की तस्वीर आंखों के सामने तैरने लगती है.
मधुबाला ने अपने जीवंत किरदारों से फिल्म जगत में एक अनोख़ी पहचान बनाई थी. बेजोड़ एक्टिंग और सादगी के लिए मशहूर मधुबाला आज ही के दिन यानी 23 फरवरी 1969 को इस दुनिया को अलविदा कह गईं.
मधुबाला के जाने से भारतीय फिल्म जगत को बहुत बड़ा झटका लगा था. पर्दे पर अपने दिलकश अंदाज़ से लोगों के दिलों में जगह बनाने वालीं मधुबाला मरने के बाद भी पर्दे पर एक बार फिर ज़िंदा हुई थीं, जब साल 2004 में पुरानी मुगल ए आज़म फिल्म को रंगीन बनाकर दोबारा से पर्दे पर पेश किया गया.
Indian Legendary Actress Madhubala. (Pic: pinterest)
प्रकाश पादुकोण ने जीती ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैम्पियनशिप
आज का दिन भारत के लिए खेल इतिहास के लिहाज़ से भी काफी यादगार है.
23 फरवरी 1980 को प्रकाश पदुकोण ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैम्पियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने थे.
1962 में एक प्रोफेशनल बैडमिंटन खिलाड़ी के रूप में अपने खेल करियर का आगाज़ करने वाले पादुकोण ने बैडमिंटन में भारत को एक नया मुक़ाम दिलाया था. जब इस महान खिलाड़ी ने अपने हाथ में बैडमिंटन रैकेट थामा था तब भारत के लिए यह खेल बिल्कुल नया था. अपने बेहतर प्रदर्शन के दम पर प्रकाश पादुकोण ने भारत में कई ख़िताब जीते.
1980 का दौर प्रकाश पादुकोण के लिए बेहद यादगार बनकर आया. उन्होंने इस दौरान डेनमार्क और स्वीडिश ओपन जीते थे. इसी साल उनके ख़ाते में सबसे बड़ी उपलब्धि तब आई जब उन्होंने बैडमिंटन का सबसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट जीता.
जानकर हैरानी होगी कि ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप की जीत ने प्रकाश पादुकोण को विश्व का नंबर एक बैडमिंटन खिलाड़ी बना दिया था. वह यह रैंकिग हासिल करने वाले पहले भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी भी बने.
India’s 1st All England champion Prakash Padukone. (Pic: espn)
सिरफिरे ने नदी में डाल दिया ’25 लाख लीटर डीज़ल’
पर्यावरण को सेफ रख़ने के लिए दुनिया भर में मुहीम छिड़ी हुई है. पूरे संसार में सरकारें पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए अपने देश के नागरिकों से सहयोग की अपील करती हैं फिर भी बहुत से लोग जाने अंजाने पर्यावरण के नुक्सान पहुंचाने वाले काम करते हैं.
ऐसा ही एक मामला देखने को मिला इटली में जहां के लोमबार्डी शहर में बहने वाली मशहूर नदी लैंबरों में किन्हीं अनजान अपराधियों ने 2.5 मिलियन (25 लाख) लीटर डीज़ल और ख़तरनाक हाइड्रोकार्बन पदार्थ डाल दिया था. इससे इस नदी में रहने वाले जीव जंतुओं को नुक्सान हुआ और कई जीव पानी के अंदर ही मर गए, वही इसका असर आने वाले कई सालों तक नदी में देखा गया.
23 फरवरी 2010 को हुई इस घटना को इटली के पर्यावरण के इतिहास में सबसे बड़ी क्राइसिस मानी जाती है.
Lambro River Italy. (Pic: wikimedia)
इवो जिमा में खींची गई यादगार फोटो!
कई बार जीत की खुशी में हम कुछ यादगार लम्हों को अपने कैमरे में कैद करते हैं, समय के साथ ये तस्वीरें इतिहास बन जाती हैं और इनमें से कई ऐतिहासिक न भूलने वाली हो जाती हैं. जी हां, ऐसा ही हुआ जब अमेरिका के इतिहास में उनके सैनिकों द्वारा खींची गई एक तस्वीर इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई.
सैनिकों की यह तस्वीर न सिर्फ इतिहास बनी बल्कि अमेरिकी सेना की ताक़त को भी दर्शाने लगी. ये तस्वीर द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान के इवो जिमा द्वीप पर खींची गई थी.
जब अमेरिकी सैनिकों ने टोक्यो के माउंट सुरबाची में अपने दुश्मनों को परास्त कर इसकी सबसे ऊंची चोटी पर अमेरिकी झंडा लहराया था. अमेरिकी सैनिक लुईस लोवेरी ने अमेरिकी सेना की इस यादगार पल को अपने कैमरे में कैद किया था.
इसके बाद एसोसिएट प्रेस के फोटोग्राफर जो रोसेन्थल ने मोशन तस्वीर को अपने कैमरे में कैद कर लिया. रोसेन्थल ने सुरबाची के ऊपर तीन तस्वीरें लीं, जिसके लिए उन्हें पत्रकारिता के सबसे बड़े सम्मान पुलित्जर अवार्ड से नवाज़ा गया.
Flag Raising on Iwo Jima. (Pic: time)
रूडोल्फ डीजल को मिला इंजन के लिए पेटेंट!
आप हर रोज कहीं न कहीं एक इंजन चलित कार में तो जरूर बैठते होंगे, लेकिन क्या आपको पता है कि इस इंजन को बनाने का श्रेय किसे जाता है? क्या आपने सोचा है कि अगर दुनिया में डीज़ल इंजन न होता तो गाड़ी किस तरह से चलतीं?
अगर ऐसा होता तो संभवतः आज भी गाड़ियां भाप से ही चल रही होतीं!
लेकिन मशहूर जर्मन वैज्ञानिक रुडोल्फ डीज़ल ने ऐसा नहीं होने दिया और अपनी कड़ी मेहनत से उन्होंने दुनिया को एक इंजन दिया.
रुडोल्फ डीजल को आज ही के दिन यानी 23 फरवरी 1893 को आंतरिक दहन इंजन के लिए पेटेंट मिला था, जिसे बाद में डीजल इंजन के तौर पर जाना गया.
दुनिया को डीज़ल इंजन देने का श्रेय रूडोल्फ डीज़ल को ही जाता है. जर्मनी में रहने के दौरान रूडोल्फ डीज़ल ने डीज़ल इंजन का अविष्कार कर लिया था लेकिन 23 फरवरी 1893 को उन्होंने डीज़ल इंजन को अपने नाम से पेटेंट कराया था ताकि उनके समय और उनकी मरने के बाद कोई दूसरा वैज्ञानिक उनके अविष्कार पर अपना दावा न ठोक सके.
उन्होंने अपने द्वारा बनाए गए इंजन को आंतरिक दहन इंजन के नाम से पेटेंट कराया था जो बाद में उनके ही नाम से प्रसिद्ध हो गया.
Rudolf Diesel on A Stamp. (Pic: wikimedia)
तो ये थीं 23 फरवरी से जुड़ी कुछ खास जानकारियां!
अगर आप भी इस दिन से जुड़ा कोई विशेष और ऐतिहासिक किस्सा जानते हैं तो कृपया नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Important Historical Events of 23rd February, Hindi Article
Featured Image Credit: jaipurbeat