हमारे आस-पास जो भी वर्तमान में वक़्त बीतता है, उसमें दुनिया के किसी न किसी कोने में कुछ न कुछ ज़रूर घटित होता है.
वह बिता हुआ कल हमारे लिए कई ऐतिहासिक छड़ छोड़कर जाता है, इन यादगार पलों को हम इतिहास के रूप में जानते हैं. मगर कुछ ऐसे भी ऐतिहासिक किस्से होते हैं, जो हमारे लिए बहुत खास या दिलचस्प होते हैं.
हर एक तारीख में कुछ न कुछ ऐतिहासिक किस्से बसे होते हैं. ऐसी ही कुछ खास घटनाएं आज हम पढ़ेंगे, जो 5 जून को घटित हुई हैं.
तो चलिए जानते हैं, 5 जून की कुछ दिलचस्प घटनाओं के बारे में –
विश्व पर्यावरण दिवस
कई सालों से पूरे विश्व में विश्व पर्यावरण दिवस मना जा रहा है. हमारे जीवन का पेड़ पौधों या प्रकृति से बहुत महत्वपूर्ण संबंध है. उन्हीं संबंधों और ज़रूरतों के बारे में मानव को जागृत करने के उद्देश्य से विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है.
विश्व पर्यावरण के इतिहास की बात करें, तो पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने और उसकी समस्या को देखते हुए 5 जून 1972 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व के कई देशों के साथ एक सम्मलेन किया, जिसमें लगभग 119 देशों ने हिस्सा लिया था.
इसी सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम को स्थापित किया गया और लोगों को पर्यावरण की समस्याओं के प्रति जागृत करने के मकसद से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस आयोजित किया गया.
तभी से हर साल 5 जून को पूरे देश में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है.
इसका मकसद लोगों को वनों की कटाई ग्लोबल वार्मिंग का बढ़ना आदि जैसी पर्यावरण की बड़ी समस्याओं के बारे में अवगत कराना है.
कहा जाता है कि इसे पहली बार 1973 में कुछ ही जगह मनाया गया था, मगर 1974 से दुनिया के कई देशों के अलग-अलग शहरों में इस उत्सव को मनाया गया.
विश्व पर्यावरण दिवस पर कई देश अपने नागरिकों को इसमें सक्रियता से भाग लेने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, जिससे लोग अपने आसपास के माहौल को सुरक्षित और स्वच्छ रख सकें.
'6 डे वार' की शुरूआत
जी हां, 5 जून 1967 को इजराइल ने मिस्र और सीरिया पर एक साथ हमला किया. इसी हमले के तहत इजराइल ने अरब देशों को अपनी ताकत दिखाकर उसके कई क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया था.
5 जून को इस युद्ध की शुरुआत हुई, जिसमें पहले ही दिन इजराइल ने मिस्र के लगभग 400 विमानों को नष्ट कर दिया था. और इस तरह इजराइल ने इस युद्ध में अपनी पकड़ मजबूत कर ली.
हालांकि, संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रभाव से यह युद्ध 11 जून को रोक दिया गया. जबकि 6 दिन तक चले इस युद्ध को '6 डे वार' (6 दिन का युद्ध) के नाम से भी जाना जाता है.
कहते हैं कि इजराइल का विमान मिस्र के क्षेत्र में घुस जाने के कारण इस युद्ध की शुरुआत हुई थी. हालांकि इन मतों पर मतभेद भी हैं.
इस मिशन के तहत इजराइल ने मिस्र के काहिरा पर हमला कर दिया, जिसके बाद काहिरा का एयरपोर्ट बंद कर दिया गया और मिस्र में इमरजेंसी लगा दी गई.
इजराइल ने इस युद्ध में अपनी शक्तियों से पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था.
वहीं 6 दिन चले इस युद्ध में अपनी जीत के साथ जार्डन शासन के गाजा पट्टी, मिस्र के सिनाई द्वीप और सीरिया के गोलन हाइट की पहाड़ियों व पूर्वी जेरूशलम के साथ-साथ कई अरब क्षेत्रों पर इजराइल ने अपना कब्ज़ा कर लिया था.
इस युद्ध के दौरान अरब देशों के लगभग 20 हज़ार सैनिकों को अपनी जान गवांनी पड़ी और अरब देशों खास तौर पर सीरिया व मिस्र में भारी तबाही हुई.
हालांकि इस युद्ध के बाद इजराइल विश्व स्तर पर अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहा.
डी-डे मिशन ने तोड़ा हिटलर का अहंकार
द्वितीय विश्व अपनी चरम सीमा पर था. जर्मनी ने फ़्रांस को लगभग चारों ओर से घेर रखा था, यहां तक कि अमेरिका को भी वहां तक पहुंचने में दिक्कत हो रही थी.
तभी कई सारे देशों ने मिलकर जर्मनी पर हमला करने की ठानी.
5 जून 1944 को ही ब्रिटेन ने हिटलर के खिलाफ 'डी डे' के रूप में इतिहास के सबसे बड़े युद्ध आपरेशन करने की तैयारी की थी. इस आक्रमण के लिए अंतरराष्ट्रीय गठबंधन किया गया, जिसमें मित्र राष्ट्र जर्मनी के खिलाफ एकजुट हो गए.
कहा जाता है कि हिटलर की सेना से मुकाबला करने के लिए लगभग 12 से अधिक देशों के 20 लाख से ज्यादा सैनिक ब्रिटेन में मौजूद थे.
इस डी-डे में सहयोगियों के तौर पर मुख्यतः अमेरिका, ब्रिटिश, कनाडाई सैनिक शामिल थे, लेकिन इन्हें आॅस्ट्रेलिया, बेल्जियम, डच, फ़्रांस, ग्रीक, न्यूज़ीलैंड, नार्वेजियन आदि देशों की भी सैन्य शक्ति का समर्थन प्राप्त था.
खैर, हमला करने के लिए रातों रात कुछ सैन्य दस्ते फ्रांस के लिए रवाना कर दिए गए. इस दिन एक हजार से अधिक ब्रिटिश हमलावरों ने जर्मनी के नोर्मंडी क्षेत्र में 5 हज़ार टन बम गिराए.
बताया जाता है कि हमले का प्लान मई से बन रहा था, लेकिन मौसम ख़राब होने की स्थिति में मई से लगातार कार्यक्रम स्थगित किया जा रहा था.
5 जून को भी मौसम की स्थिति ठीक न होने के कारण जनरल ड्वाइट आइजनहाउवर की अगुवाई में 6 जून यानी अगले दिन हमला करने का प्लान बनाया गया.
माना जाता है कि जर्मनी को इस युद्ध की भनक तक नहीं थी, जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ा. इसमें दोनों तरफ से जानमाल का भी अधिक नुकसान हुआ. मित्र देशों के लगभग 57 हज़ार सैनिकों व जर्मनी के 2 लाख सैनिकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था.
फ़िलहाल मित्र देशों का डी-डे मिशन कामयाब रहा, जिसमें जर्मनी के हाथों से फ़्रांस को अलग कर दिया गया.
अंजाम तक पहुंचाया गया 'ऑपरेशन ब्लू स्टार'
वैसे तो पंजाब में कट्टरपंथियों के खिलाफ ब्लू ऑपरेशन की शुरुआत 3 जून, 1984 को हो चुकी थी, लेकिन 5 जून को भिंडरावाले और उनके समर्थकों को जो स्वर्ण मंदिर में छुपे थे उनको चारों तरफ से घेर लिया गया.
हालांकि शायद देश में पहली बार 1984 की उस रात ऐसा हुआ था, जब इन कट्टरपंथियों को सिखों के सबसे बड़े आस्था के मंदिर से आजाद कराने के लिए मजबूरन उस पर हमला किया गया.
शाम को इस मिशन की शुरुआत होती है, मंदिर के अंदर की कई बिल्डिंगों पर इन कट्टरपंथियों का कब्ज़ा था.
हालांकि जल्द ही कुछ कट्टरपंथियों को आत्मसमर्पण करना पड़ा.
कमांडिंग ऑफिसर मेजर जनरल के एस बरार मिशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए सेना को मंदिर के पूर्वी हिस्से में बढ़ने को कहते हैं.
दोनों तरफ से गोलियां चलती हैं, हालांकि मेजर को मंदिर पर हमले से मना किया गया था, लेकिन विरोधियों ने लगातार बमबारी करते हुए सेना के कई जवानों को शहीद कर दिया.
तब जनरल को सरकार से टैंक से हमला करने की इजाज़त लेनी पड़ी. उधर से भी एक धमाका हुआ, कुल मिलाकर 5 जून की रात से सुबह लगभग 11 बजे तक चली, इस मुठभेड़ में भिंडरावाले और उसके सहयोगियों को सेना ने मार गिराया.
तो यह थीं 5 जून की कुछ प्रसिद्ध घटनाएं. अगर इस दिन से जुड़ी कोई और घटना आपको याद है, तो कृपया कमेंट-बॉक्स में हमारे साथ अवश्य शेयर करें.
Web Title: Important Historical Events of 5th June, Hindi Article
Feature Image Credit: alexandrina