हर एक तारीख महत्वपूर्ण है..! इन तारीखों के साथ गुजरती ऐतिहासिक घटनाएं कैलेंडर में कैद हो जाती है.
ऐसी हज़ारों तारीखें इतिहास की किताबों में दर्ज हैं, जो हमें दुनिया के मशहूर किस्सों के बारे में बताती हैं, जिन्हें हर कोई जानना और पढ़ना चाहता है.
‘डे’ इन हिस्ट्री की अगली कड़ी में हम आपको इतिहास के पन्नों को टटोलकर ऐसी ही कुछ कहानियां और रोचक किस्सों के बारे में बताने वाले हैं.
तो चलिये जानते हैं 8 अप्रैल के दिन घटित हुई महत्वपूर्ण घटनाएं –
मंगल पांडे को फांसी
1857 की क्रांति के दौरान मंगल पांडे ही थे जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की अलख जलाई थी. मंगल पांडे ने अंग्रज़ों के खिलाफ विद्रोह की जो पहली गोली चलाई थी उसकी गूंज से ब्रिटिशर्स हिल गए थे.
28 मार्च 1857 को मंगल पांडे ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत के सुर तेज़ कर दिए. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी में सिपाही के पद पर तैनात मंगल पांडे ने एक अंग्रेज अफसर को गोली मारकर उसे मौत के घाट उतार दिया इससे क्रांति की लौ जल उठी. मंगल पांडे ने बैरकपुर के परेड ग्राउंड में ब्रिटिश अफसर को गोली मारी थी.
जिसके बाद अंग्रेजी सेना ने मंगल पांडे को गिरफ्तार करते हुए उन पर हत्या का मुकदमा चलाया और बैरकपुर परेड ग्राउंड में आज ही के दिन 8 अप्रैल 1857 को फांसी पर लटका दिया गया.
असल में इनफील्ड बंदूक में कारतूस डालने के दौरान उसे मुंह से खोलना पड़ता था. इन कारतूस को बनाने में गाय और सूअर की चर्बी का प्रयोग किया जाता था. यही बात मंगल पांडे को नागवार गुज़री.
मंगल पांडे ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे, वहीं सुअर की चर्बी को मुंह लगाना मुस्लिमों के धर्म के खिलाफ था. ऐसे में बंदूक में कारतूस डालते हुए उसे मुंह से खोलने की बात ने हिंदु और मुस्लिम दोनों धर्मों के सिपाहियों को विद्रोह के लिए मजबूर कर दिया.
Mangal Pandey. (Representative Pic: Yahoo Lifestyle)
भगत सिंह ने असेंबली में बम फेंका
”अगर बहरे हो चुके लोगों को सुनाना है, तो आवाज़ को और बुलंद करना होगा”.
इन क्रांतिकारी शब्दों के साथ भारत की आज़ादी में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले क्रांतिकारी भगत सिंह ने अपने साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर आज ही के दिन 8 अप्रैल 1929 को सेंट्रल असेंबली में बम फेंका था.
असल में ब्रिटिश सरकार पुलिस को और अधिक शक्ति देने के लिए भारत रक्षा अधिनियम ला रही थी, जिसका उद्देश्य ही भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों से निपटना था. हालांकि, इस अधिनियम को अध्यादेश के तहत पारित कर दिया गया, और अंग्रेज दावा कर रहे थे कि ये जनता की भलाई के लिए ही लाया गया है.
इस अधिनियम के जवाब में, हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन ने केंद्रीय विधानसभा में बम विस्फोट की योजना बनाई. हालांकि इस बम का मक़सद किसी को मौत के घाट उतारना नहीं था, बल्कि इससे अंग्रेजों के कानों तक क्रांति की आवाज को पहुंचाना था. इसलिए बम केंद्रीय विधानसभा के बीच में फेंके गए, जहां कोई नहीं था.
बम फेंकने के बाद दोनों क्रांतिकारी वहां से भागने की बजाए खड़े रहे और इंकलाब ज़िंदाबाद का नारा बुलंद करते रहे. हालांकि दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया.
वहीं, अंग्रेज फॉरेंसिक विभाग ने भी अपनी जांच में पाया था कि ये बम इतना ताकतवर नहीं था कि इससे लोगों को हानि पहुंच पाती, लेकिन 12 जून 1929 को भगत सिंह और दत्त को बमबारी से लोगों का जीवन खतरे में डालने के लिए सजा सुना दी गई. जहां बटुकेश्वर को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई, वहीं भगत सिंह को फांसी पर लटका दिया गया.
Bhagat Singh Sculpture. (Pic: wikimedia)
नेहरू-लियाकत समझौता
आज का दिन भारत-पाकिस्तान के लिए अहम है. 8 अप्रैल 1950 को दिल्ली में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान के बीच एक समझौता हुआ. इस समझौते को नेहरू-लियाकत समझौते के रूप में भी जाना जाता है. दोनों देशों के प्रधानमंत्री के बीच यह समझौता दिल्ली में हुआ था, इसलिए कहीं-कहीं इसे दिल्ली समझौता भी कहा जाता है.
विभाजन के बाद दोनों देशों में काफी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग रह रहे थे. ऐसे में इस समझौते का मुख्य मकसद दोनों देशों के अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों को सुरक्षित करना था, ताकि भविष्य में दोनों देशों में इन लोगों के कारण युद्ध की संभावना न हो.
इस महत्वपूर्ण समझौते पर दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच 6 दिन तक बात चली थी. जिसके बाद इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.
समझौते के तहत विभाजन के दौरान पीड़ितों से लूटी गई संपत्ति को वापस करना और जबरन दबाव डालकर धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने की बात तय की गई थी. वहीं समझौते के बाद दोनों देशों में अल्पसंख्यक मामलों के निपटारे के लिए अल्पसंख्यक आयोग गठित करने पर भी सहमति बनी थी.
Jawaharlal Nehru and Liaquat Ali Khan Signing Minorities Protection Pact. (Pic: The Wire)
अंतरिक्ष में भेजा गया पहला मानव रहित यान
आज तकनीकी क्षेत्र में उन्नति का भी महत्वपूर्ण दिन है. इस दिन नासा ने नई इबारत लिखते हुए अंतरिक्ष में पहला मानव रहित यान लांच किया था.
8 अप्रैल 1964 को नासा के वैज्ञानिकों ने बिना किसी अंतरिक्ष यात्री के पहला अंतरिक्ष यान प्रक्षेपित किया था. इस यान को जेमिनी-I के नाम से लांच किया गया.
हालांकि इसे बतौर टेस्ट फ्लाइट के रूप में वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में भेजा था. बिना अंतरिक्ष यात्री के जेमिनी-I को लांच करने का मकसद अगले अंतरिक्ष मिशन के लिए नई ट्रैकिंग और संचार प्रणालियों का परीक्षण करना था.
जेमिनी-I कार्यक्रम का उद्देश्य 1970 तक चंद्रमा पर एक अंतरिक्ष यात्री के लैंडिंग कराने के राष्ट्रपति कैनेडी के लक्ष्य को पूरा करने के लिए आवश्यक तकनीक का विकास करना था. इसके साथ ही यान में लगे ग्राउंड सपोर्ट कैमरों की मदद से अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण प्रदान करना था. ताकि मिशन पर अंतरिक्ष में जाने से पहले अंतरिक्ष यात्री कैमरों की मदद से वहां की परिस्थितियों से वाकिफ हो सकें.
नासा का यह पहला यान सभी प्राथमिक और माध्यमिक उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल रहा, और लांचिंग के 3 से 5 दिन बाद स्वयं विघटित हो गया.
First unmanned test flight of America’s Gemini-I. (Pic: Drew Ex Machina)
अगर आप भी इस दिन से जुड़ी कोई और ऐतिहासिक घटना से वाकिफ हैं, तो हमें नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Important Historical Events of 8th April, Hindi Article
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