वर्तमान में हमारे आस-पास जो भी वक्त बीतता है, उसमें दुनिया के किसी न किसी कोने में कुछ न कुछ जरूर घटित होता है. वह बीता हुआ कल हमारे लिए कई यादगार पलों को छोड़कर जाता है, जिससे हम सीखते हैं और जिंदगी में आगे बढ़ते जाते हैं.
उन्हीं में से कुछ ऐसे भी ऐतिहासिक किस्से होते हैं, जो हमारे लिए बहुत खास या दिलचस्प होते हैं.
उन्हीं दिनों में 27 जुलाई का भी अपना इतिहास रहा है, इस दिन एक तरफ किसी क्रांतिकारी को जेल की हवा खानी पड़ी, तो किसी ने देश के लिए लिया जन्म. वैसे तो इतिहास में ‘कभी खुशी कभी गम’ देखने को मिलता ही है.
खैर, ऐसी ही कुछ कड़वी-मीठी यादें 27 जुलाई को भी भारतीय इतिहास से जुड़ीं हुई हैं.
तो आईए जानते हैं कि वह घटनाएं कौन सी रहीं-
दहाड़ते गब्बर ने दुनिया को कहा अलविदा
यूँ तो बॉलीवुड में खलनायक के रूप में कई किरदार मशहूर हुए मगर भारतीय सिनेमा जगत में यदि कोई सबसे ज्यादा खलनायक का रोल मशहूर हुआ तो वो है फिल्म शोले में गब्बर का किरदार , जिसको भारतीय सिनेमा जगत के महान कलाकार अमजद खान ने अदा किया था.
खैर 27 जुलाई 1992 में पूरे भारतीय सिनेमा के साथ देश और विदेश में भी गम का बदल छा गया था, क्योंकि इसी दिन बॉलीवुड की जान, अमजद खान ने इस दुनिया से अलविदा कह दिया था.
हालांकि अपने दमदार अभिनय से लाखों दिलों में आज भी अमजद खान का कोई सानी नहीं, इनके द्वारा गब्बर का किरदार हमेशा के लिए अमर हो गया.
इसी कड़ी में अगर अमज़द खान के फ़िल्मी करियर की बात करे तो इन्होने खलनायक के साथ नायक की भी भूमिका में नज़र आये, अमजद ने लगभग 130 फिल्मों में अपने दमदार अभिनय का जलवा बिखेरा. इन्होने फिल्म ‘दिल्ली दूर नहीं’ से अभिनय की शुरुआत की थी, हालांकि इसमें यह एक बाल कलाकार की भूमिका में नज़र आये थे.
इसी के साथ ही परवरिश, मुकद्दर का सिकंदर, लावारिस, हीरालाल-पन्नालाल, कालिया और हिम्मत वाला जैसी सरीखे फिल्मों में अपने दमदार अभिनय का लोहा हर किसी को मनवाया. इनकी लास्ट फिल्म डिम्पल कपाड़िया और राखी के साथ ‘रुदाली’ थी.
आखिरी पलों में ये बीमारी में मुब्तला हो गए थे और दिल का दौरा पड़ने से 27 जुलाई 1992 में ही इनका इन्तेकाल हो गया और सुपुर्दे ख़ाक हो गए, मगर गब्बर का किरदार में अमजद कल भी मेरे साथ थे और हमेशा साथ रहेंगे.
जब बाल गंगाधर तिलक पहली बार गए जेल!
बाल गंगाधर तिलक का तार्रुफ़ किसी का मोहताज नहीं, लेकिन हमारे लिए ज़रूरी हो जाता है ऐसे महान क्रांतिकारी की जिंदगी से रूबरू होना. वैसे तो देश के महान क्रांतिकारियों में से एक बाल गंगाधर तिलक को कौन नहीं जानता, मगर क्या आप जानते हैं 27 जुलाई ही वह दिन है जब बाल गंगाधर तिलक पहली बार जेल गए.
जी हां, बात 1897 की है, जब ये पूरी तरह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कूद चुके थे और तभी इन्होंने पूना के कुछ नेताओं की आलोचना भी कर दी थी. जिन्होंने जनता को भाग्य बरोसे छोड़ रखा था.
खैर, तिलक की सामाजिक गतिविधियों ने जल्द ही ब्रिटिशों को चुभने लगी और वो अंग्रेजों की निगाह में खटकने लगे थे. इसी बीच 22 जून 1897 को रेंड और लेफ्टिनेंट आय्सर्ट की कुछ अज्ञात लोगों ने हत्या कर दिया था.
इसके बाद बम्बई और पूना में खास तौर पर एंग्लो इंडियन समुदाय में बड़ी उत्तेजना फैलने लगी.
ऐसे में 26 जुलाई को ब्रिटिश हुकूमत ने तिलक पर राजद्रोह का आरोप लगा दिया और उन पर राजद्रोह का मुकद्दमा चलाया गया. फिर 27 जुलाई को इनको गिरफ्तार करने फरमान सुनाया गया.
27 जुलाई की रात को ही इनको बम्बई से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.
इसके अगले दिन इनको मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया और उसी दिन तिलक के ज़मानत की अर्जी भी दाखिल की गई, लेकिन इनकी अर्जी को अस्वीकार किया गया. आगे 2 अगस्त को मुकद्दमा हाईकोर्ट को सुपुर्द कर दिया गया, जिसके जज बदरुद्दीन तैयब थे. मामला हाईकोर्ट पहुँचने पर फिर से ज़मानत की अर्जी दी गई, जिसका विरोध भी हुआ.
किन्तु, न्यायाधीश ने बाल गंगाधर तिलक के जमानत की अर्जी मंज़ूर कर ली थी और इनको जेल से रिहा कर दिया गया.
जसपाल राणा ने जीता पहला स्वर्ण पदक
वैसे तो निशाने बाज़ी में अभिनव बिंद्रा और राज्यवर्धन राठौड़ के नाम से हर कोई वाकिफ होगा, लेकिन उन्हीं नामों में एक नाम जसपाल राणा का भी है. इनके बारे अगर ये कहा जाए कि भारत में किसी खिलाड़ी ने निशाने बाजी को लोकप्रिय बनाने और इसके बेस को तैयार करने का काम किया है तो वह हैं जसपाल राणा.
खैर, 27 जुलाई ही वह दिन जब जसपाल राणा ने अपना पहला स्वर्ण पदक जीता और देश को गौरान्वित भी किया.
दरअसल इनके पिता सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी थे, इसीलिए इनकी भी रूचि निशानेबाजी में बढ़ने लगी.आगे इन्होंने ट्रेनिंग हासिल की और राष्ट्रीय शूटिंग चैम्पियनशिप में उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्राप्त हुआ. राणा ने इसका भरपूर फायदा उठाया और रजत पदक हासिल करके अपनी निशानेबाजी से ढेर सारी प्रसंशा बटोरी.
साल 1994 में 46 वें विश्व शूटिंग चैम्पियनशिप (जूनियर सेक्शन) में हिस्सा लिया और देश व स्वयं के लिए पहली बार स्वर्ण पदक जीता. यह राणा के करियर में एक मील का पत्थर साबित हुआ और इसी साल इनको अर्जुन पुरस्कार से भी नवाज़ा गया.
फिर तो कामयाबी भी इनके कदम चूमने लगी. आगे राणा ने अपने बेहतरीन निशाने बाजी का जौहर दिखाया और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शूटिंग के क्षेत्र में लगभग 600 पदक जीते.
इसी के साथ ही जसपाल राणा ने साल 1995 कॉमनवेल्थ शूटिंग चैंपियनशिप में भाग लिया और 8 गोल्डमेडल जीतकर नया रिकॉर्ड बनाया था, जो की इनके प्रतिभावान निशानेबाज के गुण को दर्शाता है.
पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का हुआ निधन
रामेश्वरम में जन्मे मिसाइल मैन के नाम से मशहूर व भारत के पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे, अब्दुल कलाम का निधन 27 जुलाई 2015 को हुआ था. दरअसल 27 जुलाई को वो शिलोंग में थे, जहां बच्चों को लेक्चर देते हुए उनकी अचानक तबियत ख़राब हो गई और वो ज़मीं पर गिर गए. इसके बाद उन्हें शिलोंग के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया.
हालत और ख़राब होने की वजह से इनको आईसीयू में रखा गया, लेकिन इनकी तबियत में कोई सुधार नहीं देखने को मिला, फिर भारत रत्न से सम्मानित कलाम साहब ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
इसके बाद 28 जुलाई इनके शव को गुवाहटी से दिल्ली लाया गया. यहां इनके आखिरी दर्शन कराये गए इस शोक सभा में देश के आम व खास लोगों ने शिरकत की. फिर यहां से इनका शव इनके गांव रामेश्वरम लाया गया.
वहां 30 जुलाई को इन्हें सुपुर्द-ए-खाक़ कर दिया गया.
तो ये थे 27 जुलाई के दिन, भारतीय इतिहास में घटीं कुछ ग़मगीन तो कुछ मीठे यादगार पल.
यदि आपके पास भी इस दिन से जुड़ी किसी घटना की जानकारी हो, तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Indian Day History of 27 july, Hindi Article
Feature Image Credit: humsub