इतिहास एक दिन में नहीं बनता, लेकिन हर दिन इतिहास के बनने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. 12 जून के दिन के इतिहास के लिए भी यही मायने हैं. इस दिन इतिहास की कुछ बहुत महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं.
तो आईए नज़र डालते हैं इस दिन घटी ऐतिहासिक घटनाओं पर...
इंदिरा गाँधी साबित हुईं दोषी
12 जून 1975 के दिन भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के ऊपर चुनाव में धोखाधड़ी करने का आरोप सिद्ध हो गया. आरोप सिद्ध होने के बाद विपक्ष ने उनके ऊपर स्तीफा देने का दवाब डाला. हालांकि इंदिरा गाँधी ने इस्तीफ़ा देने के बजाय देश में आपातकाल लगा दिया. नागरिकों से उनके संवैधानिक अधिकार छीन लिए गए.
इससे पहले इंदिरा गाँधी 1959 में कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष बनी थीं. 1964 में लाल बहादुर शास्त्री की सरकार में उनके पास महत्वपूर्ण पद था. शास्त्री की मृत्यु के बाद वे देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. 1967 में हुए चुनाव में उन्हें बहुत ही छोटे अंतर से जीत मिली थी. हालाँकि, 1971 में हुए चुनावों में उन्होंने विपक्ष को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया.
आगे के शासनकाल में देश में महंगाई बढ़ रही थी और कृषि तथा उद्योगों की हालत खस्ता हो रही थी. इसी दौरान सोशलिस्ट पार्टी ने उनके ऊपर 1971 के चुनावों में धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया. इस आरोप पर सुनवाई करते हुए 1975 में इलाहबाद हाई कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया और छः सालों के लिए राजनीति से बैन कर दिया.
आगे इसके जवाब में इंदिरा गांधी ने पूरे देश में आपातकाल घोषित कर दिया, यह कहकर कि विपक्ष उनकी चुनी हुई सरकार को हिंसा द्वारा गिराना चाहता है. इस दौरान हजारों विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया और नागरिकों की स्वतंत्रता छीन ली गई. यहाँ तक की उनके जीवन का मूलभूत मानवाधिकार भी छीन लिया गया. जनसँख्या को नियंत्रित करने के लिए जगह-जगह नसबंदी केंद्र खोले गए, जिनमें लोगों की जबरन नसबंदी की गई.
आगे 1977 में आपातकाल हटा, तो दुबारा से चुनाव हुए. इन चुनावों में इंदिरा गांधी की हार हुई. आगे 1978 में उन्हें जेल भी जाना पड़ा. इस दौरान जनता पार्टी की सरकार सत्ता में रही. 1980 में आम चुनाव हुए. इन चुनावों में इंदिरा ने जीत हासिल की और एक बार फिर से प्रधानमंत्री का पद संभाला.
नेल्सन मंडेला को मिली उम्रकैद
12 जून 1964 के दिन नेल्सन मंडेला को उम्रकैद की सजा मुक़र्रर हुई. यह सज़ा उन्हें तब की दक्षिण अफ्रीकी सरकार के खिलाफ विद्रोह करने के जुर्म में मिली.
नेल्सन मंडेला अफ़्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता थे. वे सरकार की रंगभेदी नीति के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे. उम्रकैद की सजा मिलने से पहले उन्हें 1956 में राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था.
दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद का इतिहास बहुत पुराना रहा है. 1936 तक यहाँ काले लोगों को वोट देने का अधिकार नहीं था. 1948 में राष्ट्रवादी पार्टी की सरकार आने के बाद रंगभेद और ज्यादा बढ़ गया. अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस रंगभेद के खिलाफ जमकर विरोध कर रही थी. नेल्सन मंडेला इसके प्रमुख नेता थे.
पहले पहल तो अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस ने संघर्ष के लिए अहिंसा का रास्ता अपनाया, लेकिन जब इससे कामयाबी नहीं मिली, तो हिंसा का सहारा लिया गया.
आगे इसी क्रम में नेल्सन मंडेला को गिरफ्तार कर लिया गया. नेल्सन मंडेला ने कोर्ट में कहा कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. वे चाहते हैं कि एक ऐसे समाज की स्थापना हो जहां सभी मनुष्य समानता के साथ जियें. यही उनका आदर्श है. अगर इस आदर्श के लिए उन्हें मृत्यु को भी गले लगाना पड़े, तो वो भी उन्हें स्वीकार है.
अमेरिका ने दी सोवियत संघ को चुनौती
12 जून 1987 के दिन अमेरिका के राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव को चुनौती दी कि वे बर्लिन दीवार को गिराकर दिखाएँ.
असल में 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी की हार हो गई थी. इस हार के बाद जर्मनी की राजधानी बर्लिन दो भागों में बाँट दी गई. पश्चिमी भाग पर अमेरिका, ब्रिटेन और फ़्रांस का कब्ज़ा था और पूर्वी पर सोवियत संघ का. 1961 में दोनों भागों के मध्य एक दीवार खड़ी कर दी गई. यह दीवार सोवियत संघ ने खड़ी की थी.
अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन 1987 में पश्चिमी जर्मनी आए. उन्होंने यहां पर अपने भाषण में मिखाइल गोर्बाचेव को संबोधित करते हुए कहा कि यदि वे सच में शांति चाहते हैं, तो उन्हें यह दीवार गिरा देनी चाहिए.
इसके साथ ही उन्होंने अमेरिका और सोवियत संघ के बीच चल रही हथियारों की होड़ को कम करने की बात करने के लिए भी मिखाइल गोर्बाचेव को आमंत्रित किया.
आगे दो साल बाद 1989 में बर्लिन की दीवार गिरा दी गई और जर्मनी का एकीकरण हो गया.
असम में आया जानलेवा भूकंप
12 जून 1897 के दिन असम में भयावह भूकंप आया. इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 8.8 मापी गई. इस भूकंप में 1,500 लोगों की मृत्यु हो गई.
असल में 12 जून को पांच बजे शिलांग के पास हिमालयी क्षेत्र में भूगर्भ चट्टानों में हलचल हुई, जिससे व्यापक स्तर पर झटके पैदा हुए. इन झटकों ने ही इस भयानक भूकंप को जन्म दिया.
यह भूकंप इतना भयावह था कि भूकंप केंद्र से हजारों मील दूर स्थित लोगों ने भी इसके झटके महसूस किए. इस भूकंप ने करीब 160,000 वर्ग मील के क्षेत्र को प्रभावित किया.
रिपोर्ट्स की माने, तो धरती कम्पन से तीन फीट तक लहर उठी. उसमें लगे खम्बे 15 फीट तक खिसक गए, एक नदी का तो बहाव ही अवरुद्ध हो गया. वहीं भूकंप क्षेत्र में स्थित दूसरे पानी के स्रोतों से जानलेवा लहरें उठीं.
इस भूकंप ने चेरापूंजी में भूस्खलन पैदा किया. इस भूस्खलन में ही करीब 600 लोग मारे गए. वहीँ भूकंप क्षेत्र के पास स्थित करीब 100 वर्गमील के क्षेत्र में स्थित प्रत्येक बड़ी इमारत गिर गई. भूकंप के बाद महीनों तक छोटे-छोटे झटके आते रहे, इसलिए पुनर्निर्माण का कार्य बार-बार रोकना पड़ा.
तो ये थीं 12 जून को इतिहास में घटी कुछ प्रमुख घटनाएं. अगर आपके पास भी इस दिन से जुड़ी किसी घटना की जानकारी हो तो हमें कंमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day In History 12 June: Indira Gandhi Convicted Of Election Fraud, Hindi Article
Feature Image Credit: The Dialogue