किसी भी देश के लिए उसकी सेना सबसी बड़ी ताकत होती है. युद्ध के मैदान में दुश्मन के खिलाफ मोर्चे की बात हो, या फिर किसी विषम परिस्थिति को काबू करने की बात… हर स्थिति में सेना की भूमिका अहम होती है.
इस लिहाज से जब सेना के जवानों को तैयार करने के बात आती है, तो सरकार की जिम्मेदारी बढ़ जाती है.
ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि देश के लिए तैयार होने वाले सैन्य अधिकारी शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत हों! खुशनसीबी है कि इस बात को समझा गया और ‘एनडीए’ यानी राष्ट्रीय रक्षा अकादमी की स्थापना की गई.
तो आईये जानने की कोशिश करते हैं कि ‘एनडीए’ में किस तरह से तैयार होते हैं देश के जाबांज–
1949 में रखी गई ‘एनडीए की नींव’
एनडीए की स्थापना का विचार ‘दूसरे विश्व युद्ध‘ के बाद किया गया था. यह वह दौर था, जब सभी देश विश्व युद्ध के कारण बिखरे हुये थे. वह किसी भी कीमत पर खुद को मजबूत बनाना चाहते थे. इसी कड़ी में भारत ने ‘नेशनल डिफेंस एकेडमी’ की स्थापना पर संजीदगी से विचार किया. इसके बाद 2 मई 1945 को एक समिति का गठन किया गया.
इस समिति के गठन के बाद एनडीए की स्थापना को लेकर लोगों के प्रयास रफ्तार पकड़ने लगे. इसमें उस समय इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अमरनाथ झा ने अपनी अहम भूमिका निभाई. समिति के उपाध्यक्ष पद पर रहते हुए, उन्होंने 23 जुलाई 1945 से लेकर 12 नवंबर 1946 तक डिफेंस एकेडमी की परियोजना पर काम किया.
उनकी सक्रियता का ही परिणाम था कि लगभग 1 साल बाद ही 6 अक्टूबर 1949 को पंडित जवाहर लाल नेहरु ने ‘नेशनल डिफेंस एकेडमी’ की नींव रख दी. काम तेजी से आगे बढ़ा तो 16 जनवरी 1955 को अकादमी का औपचारिक उद्घाटन कर दिया गया.
एनडीए के बाद युवाओं को मिला रास्ता
एनडीए की स्थापना करने का मुख्य कारण युवाओं के बीच सेना में भर्ती होने के जज्बे को बढ़ाना था. एनडीए की स्थापना का मुख्य कारण विभिन्न क्षेत्रों से कम उम्र के युवाओं को बुलाकर देश की रक्षा के लिए प्रशिक्षण देना था. एनडीए की स्थापना के बाद खाकी रंग की ड्रेस को सभी कैडेट्स के लिए आम किया गया. जिसका मकसद युवाओं के बीच एक समानता को बल देना था.
Joint Services Training Academy ‘NDA’ (Pic: ndacivrect)
तैयार होते हैं ‘सैन्य अधिकारी’
एनडीए को देश में अधिकारियों को प्रशिक्षण देने वाली पहली मिलिट्री एकेडेमी होने का गौरव प्राप्त है. यहां सेना की तीनों फोर्सेस आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाता है.
एनडीए में यंग आफिसर्स को उनकी कम्र उम्र में ही प्रशिक्षण दिया जाता है. प्रशिक्षण की शुरुआत महज 19 साल की उम्र से ही हो जाती है. यूपीएसएसी द्वारा ऑल इंडिया लेवल पर लिखित परीक्षा आयोजित होती है. बारहवीं के बाद होने वाली इस परीक्षा के बाद एनडीए द्वारा शारीरिक एवं अन्य जरूरी परीक्षा होती है. तत्पश्चात चयनित लड़कों की सूची तैयार कर उन्हें आखिर में एनडीए का टिकट दिया जाता है.
जिस उम्र में अन्य लड़के कॉलेज में पहुंचकर अपनी दोस्ती के दायरे को बढ़ाते हुए जिंदगी का आनंद लेने की शुरुआत करते हैं. उस उम्र में एनडीए के युवा युद्ध में दुश्मनों से निपटने का कौशल सीखने में व्यस्त होते हैं.
यहां इनके शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों से तैयार किया जाता है. इसके लिए कुशल रणनीति से जुड़ी ट्रेनिंग के साथ-साथ घुड़सवारी और तैराकी जैसे प्रशिक्षण दिये जाते हैं.
आम अकादमियों से एकदम अलग
नेशनल मिलिट्री अकादमी कैडेट्स के लिए सिर्फ एक प्रशिक्षण संस्थान ही नहीं होता. यह आकदमी कैडेट्स के लिए एक नयी दुनिया की तरह होती है. यहां का वातावरण बाहरी दुनिया से बिल्कुल अलग होता है. बाहरी दुनिया के शोर शराबे से दूर अकादमी में कड़े अनुशासन पर जोर दिया जाता है.
ट्रेनिंग के दौरान कैडेट्स को सेना की हर बारीकी से रुबरु कराया जाता है. 7500 एकड़ में फैली इस अकादमी में हर कार्य सेना के तौर तरीके से किये जाते हैं. तीन साल की कठोर ट्रेनिंग के दौरान कैडेट्स को हर छोटी बड़ी जिम्मेदारियों का अहसास कराया जाता है.
अकादमी में कैडेट्स की दिनचर्या की शुरुआत सुबह चार बजे से हो जाती है. सुबह तड़के उठने के बाद सभी कैडेट्स को रात होने तक पढ़ाई के साथ फिजिकल ट्रेनिंग दी जाती है. यह सिलसिला तीन साल बदस्तूर जारी रहता है.
एनडीए में तीन साल की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद कैडेट्स अन्य सैन्य अकादमी में प्रशिक्षण के लिए चले जाते हैं. आर्मी कैडेट्स को उत्तराखंड राज्य के देहरादून में स्थित आईएमए इंडियन मिलिट्री अकादमी भेजा जाता है. एयरफोर्स सेना के प्रशिक्षण के लिए कैडेट्स को हैदराबाद आईएएफ भेजा जाता है और नेवी के लिए केरल के कन्नूर जिले में स्थित एज़ीमाला में भेजा जाता है.
इन तीन महत्वपूर्ण अकादमी से प्रशिक्षण पूरा करने के बाद युवा सेना में अधिकारी बनते हैं.
Life at National Defence Academy (Pic: dnaindia.com)
विदेशी ‘सैन्य अधिकारी’ भी होते हैं तैयार
एनडीए में सिर्फ भारतीय कैडेट्स को ही प्रशिक्षण नहीं दिया जाता, बल्कि यहां पर अन्य देशों के भी सैन्य अफसर तैयार होते हैं. भारतीय कैडेट्स के साथ ही 28 अलग- अलग देशों के विदेशी कैडेट्स को भी ट्रेनिंग दी जाती है.
एनडीए में विदेशी कैडेट्स की ट्रेनिंग के दौरान आने वाले खर्चे का भार उनके देश की सरकार वहन करती है. हर साल अकादमी से कई विदेशी सैन्य कैडेट्स पास आउट होते हैं. भारत में कड़ी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद सभी विदेशी कैडेट्स अपने देश लौटकर अपनी सेना में बतौर अधिकारी जुड़ जाते हैं.
इस तरह से एनडीए भारत के साथ ही अन्य देशों को सेना के जाबांज अधिकारी देने में पिछले कई सालों से एक अहम भूमिका निभा रहा है.
‘एनडीए’ के नाम दर्ज हैं कई गौरव
आसमान पर जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से ही निकले थे. 2 अप्रैल 1984 को उन्होंने आसमान पर पहुंचकर भारत का कद दुनिया में बढ़ा दिया था.
विंग कमांडर राकेश शर्मा ने अपनी सैन्य करियर का शुरुआती प्रशिक्षण एनडीए में ही पूरा किया था. साल 1966 में एनडीए में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वह इंडियन एयर फोर्स एकेडमी हैदराबाद चले गए थे. उनके कीर्तिमान के लिए ‘एनडीए’ में उनके लिए राकेश शर्मा ब्लॉक की स्थापना भी की गयी है.
नेशनल डिफेंस एकेडमी में दिये जाने वाले बेहतरीन प्रशिक्षण का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपने समय में एकेडमी में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले अधिकारी भविष्य में आगे आर्मी चीफ के ओहदे तक पहुंचे हैं. भारतीय सेना की तीनों सेना आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के आर्मी चीफ ने एनडीए से प्रशिक्षण प्राप्त हैं.
नेशनल डिफेंस अकादमी देश को सिफ सेना के सर्वोच अधिकारी देने तक ही सीमित नहीं है. देश को महानत खिलाड़ी देने में भी एनडीए का अहम योगदान रहा है. बहुत कम लोग ही जानते होंगे की मौजूदा सरकार में खेल मंत्री का पदभार संभाल रहे राज्यवर्धन सिंह राठौर भी एनडीए (नेशनल डिफेंस एकेडमी) का हिस्सा रहे हैं.
राठौर एनडीए के 77 कोर्स का हिस्सा थे. एनडीए में कैडेट्स को सिखाई जाने वाली तीरंदाजी में वह काफी माहिर थे. साल 2004 में ऐथन्स में आयोजित ओलंपिक्स में उन्होंने भारतीय सेना की ओर से खेलते हुए सिल्वर मेडल जीता था.
Indian Olympic Shooter Major Rajyavardhan Singh Rathore (Pic: gettyimages.in)
यह कुछ झलकियां थी, जिससे नेशनल डिफेंस एकेडमी की अहमियत को समझा जा सकता है.
Web Title: Joint Services Training Academy ‘NDA’, Hindi Article
Featured Image Credit: amazon.in