विश्व के इतिहास में कई ऐसे नाम दर्ज हैं, जिनकी तानाशाही आम लोगों के जान की दुश्मन बन गई. जोसेफ स्टालिन भी ऐसा ही एक तानाशाह था. खुद को भगवान का दर्जा देने वाले जोसेफ ने अपने वक्त में इंसान को चीटियों से भी छोटा समझा. उसके हाथ निजी स्वार्थों के लिए लोगों के गले काटने के लिए कभी नहीं कांपे. उस पर लाखों लोगों के खून का आरोप था. तो आईये जानते हैं जोसेफ के इस खूनी खेल की पूरी कहानी:
…पिता की मार में बीता बचपन
जोसेफ का बचपन अच्छा नहीं रहा. आर्थिक रुप से उसके घर की हालत अच्छी नहीं थी. पिता एक मोची थे, तो मां लोगों के घर जाकर बर्तन धोया करती थी. ऊपर से पिता शराब के लती थे. वह हर दिन नशे में चूर होकर घर लौटते और बेटे जोसेफ और पत्नी को पीटते थे. वह अपनी मां से बहुत स्नेह रखते थे, इसलिए पिता का यह रवैया उन्हें क्रोधित करता था. चूंकि, वह बहुत छोटे थे. इसलिए उस वक्त वह मां की मदद नहीं कर सकते थे.
Joseph Stalin Cruelest Dictator Of Russia (Pic: tentofabraham.com)
नास्तिक सोच और क्रांतिकारी समूह में एंट्री
जोसेफ बचपन से ही पढ़ने में काफी अच्छा था. इसी कारण वह स्कूल में स्कॉलरशिप पाने में सफल रहा. उनकी मां चाहती थी कि उनका बेटा भी बड़ा होकर एक पादरी बने. शायद वह नहीं जानती थी कि जोसेफ कुछ और बनना चाहते हैं. माना जाता है कि वह एक नास्तिक था. उसे भगवान पर भरोसा ही नहीं था. वह तो सिर्फ मां की इच्छा पूरी करने के लिए पादरी की पढ़ाई कर रहा था. स्कूल जाकर जोसेफ ने धार्मिक किताबों की जगह क्रांतिकारी किताबों को पढ़ना शुरू कर दिया.
दरअसल, उन दिनों रूस के राजा के खिलाफ कुछ लोग आंदोलन चला रहे थे. वह लोग अपने राजा की नीतियोंं से नाराज थे. जोसेफ के अंदर भी ऐसी आग थी इसलिए वह इन आंदोलनों से जुड़ गया. जैसे-जैसे वक़्त बीतता गया क्रांति की आग बढ़ती गयी. उसने स्कूल जाना तक बंद कर दिया था. उसकी नास्तिकता पूरे चरम पर थी. उनका ज्यादातर समय क्रांतिकारियों के साथ बीतने लगा. अपनी सक्रियता के कारण वह लोकप्रिय होने लगा.
व्लादिमीर लेनिन से मुलाकात
इसी बीच पारिवारिक जिम्मेदारियां उसके कंधों पर पड़ी तो उसने जुगाड़ से एक क्लर्क की नौकरी कर ली. मां को एक पल के लिए लगने लगा था कि शायद अब उनका बेटा सुधर जायेगा. असल में ऐसा नहीं था. उसके अंदर क्रांति की आग बिल्कुल भी कम नहीं हुई थी. वह क्रांतिकारी आंदोलन का अभिन्न अंग बन चुका था. कई सारी हड़तालों में उसकी मुख्य भूमिका रही. अपने इन बढ़ते कदमों के चलते वह पुलिस की नजरों में चढ़ने लगा था.
धीरे-धीरे पुलिस उस पर शिकंजा कसने को मजबूर हो गई. वह उसको पकड़ने के लिए निकली तो वह अंडरग्राउंड हो गया. अब छुपकर उसने अपने मिशन को पूरा करना शुरु कर दिया. इसी दौरान उसकी मुलाकात व्लादिमीर लेनिन से हुई. लेनिन ‘बोलशेविक’ पार्टी का बड़े नेता था. वह जोसेफ के काम से बहुत प्रभावित था. उन्होंने जोसेफ को अपने साथ जोड़ने का फैसला कर लिया. उनकी पार्टी का उद्देश्य था कि वह पूरे रूस के क्रांतिकारियों को एकजुट करके सरकार के खिलाफ आंदोलन करे.
पत्नी की मौत से हो गया था पागल!
अपने इस क्रांतिकारी सफर में एक दिन जोसेफ की नजर केतेवन नाम की एक लड़की पर पड़ी. वह बहुत सुंदर थी. जोसेफ उसको नजरअंदाज नहीं कर सका. कहते हैं पहली ही नजर में वह उसे अपना दिल दे बैठा था. उसने तय कर लिया कि वह इस लड़की को अपनी पत्नी बनायेगा. देरी न करते हुए जोसेफ इस प्रस्ताव के साथ केतेवन के पास गया. दोनों की सहमित बनी तो जल्द ही दोनों ने शादी कर ली.
थोड़े समय बाद ही उनके घर में बच्चे की किलकारियां भी गूंजने लगी. माना जाता है कि जोसेफ की पत्नी ही थी, जो उन्हें शांत रख सकती थी. जोसेफ उससे बहुत प्यार करता था. उसमें कई सारे परिवर्तन हो रहे थे. इसी बीच एक दिन बीमारी के चलते केतेवन की मौत हो गई. जोसेफ के लिए यह एक बड़ा झटका था, जिसे वह झेल नहीं पाया. वह बुरी तरह टूट चुका था. अपने बच्चे को उसने केतेवन के माता-पिता को सौंप दिया था. कहते हैं कि उस दिन के बाद से जोसेफ के अन्दर की इंसानियत ख़त्म हो गई थी.
रूसी क्रांति के बीच बन गया तानाशाह
जोसेफ ने अपना नाम बदल दिया. उसने अपना नाम ‘स्टालिन’ रख लिया. इसका मतलब था ‘स्टील का बना’. स्टालिन अब लेनिन के ख़ास बन गए थे. लेनिन की पार्टी में स्टालिन का दबदबा बन चुका था. चूंकि, लेनिन की उम्र हो रही थी इसलिए ज्यादातर कामों की जिम्मेदारियां अब स्टालिन के कंधो पर थी. रूस में क्रांति भी पूरे जोर पर थी. स्टालिन ने इसका खूब फायदा उठाया. थोड़े समय बाद जब लेनिन की मौत हो गई, तो पूरी पार्टी बिखरने की कगार पर थी. ऐसे में स्टालिन ने आगे बढ़कर खुद को लेनिन का उत्तराधिकारी बताते हुए कुर्सी हथिया ली. कुर्सी पर बैठते ही उसने खुद को तानाशाह घोषित कर दिया.
Joseph Stalin Cruelest Dictator Of Russia (Pic: reference.com)
तख़्त पर आते ही शुरू हुआ मौत का खेल
तख़्त पर आते ही स्टालिन अपने उद्देश्य के साथ आगे बढ़ा. वह किसी भी कीमत पर अपने लक्ष्य को पाना चाहता था. वह चाहता था कि सोवियत संघ जल्द से जल्द औद्योगिक विकास करे. उसने कोयला, स्टील और तेल का काम शुरु कर दिया. काम सही चल रहा था. मुनाफा भी काफी अच्छा हो रहा था. काम को और जल्दी करवाने के लिय स्टालिन ने मजदूरों से दोगुनी मेहनत करवाना शुरू कर दिया.
कई बार तो वह मजदूरों से पूरा-पूरा दिन काम करवाता था. ऐसे में अगर कोई मजदूर मना करता था या बीमार पड़ता था तो उसे जेल में ठूस दिया जाता था. इसके बाद भी अगर आवाज उठती थी, तो उसे हमेशा के लिए खत्म कर दिया जाता था. उसको लाखों लोगों की मौत का जिम्मेदार माना गया.
हिटलर से दोस्ती और दुश्मनी
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हिटलर ने यूरोप पर हमला बोल दिया था. वह रूस में स्टालिन की ताकत से अनजान नहीं था. शायद यही कारण था कि हिटलर और स्टालिन के बीच एक इकरारनामा साइन किया गया था. इकरारनामे के अंतर्गत नाज़ी और सोवियत में से कोई भी एक दूसरे पर हमला नहीं कर सकता था. हिटलर ने फ्रांस ब्रिटेन पर अपना दबदबा बना लिया था.
हिटलर मजबूत स्थिति में था. इसलिए उसने इकरारनामें की शर्तों को साइड रखते हुए रूस पर हमला कर दिया. रूस इस हमले के लिए बिल्कुल तैयार नहीं था. एक बड़ी संख्या में सोवियत संघ के सैनिकों की मौत हुई. स्टालिन इस बात से बहुत नाराज हो गया. उसने इसका बदला लेने के इरादे से जर्मन पर हमला करने का मन बनाया, लेकिन यह उसको भारी पड़ा. उसने अपने कई और सैनिकों को इस कोशिश में बलि चढ़ा दिया.
जर्मन सैनिक रूस पर कब्ज़ा करने लगे थे. स्टालिन को वहां से चले जाने की हिदायत दी गई, लेकिन उसने मना कर दिया. अब वह किसी भी हालात में हिटलर को रूस से बाहर खदेड़ना चाहता था. इस काम के लिए उसने अपनी पूरी सेना को झोंक दिया. जर्मन के डर से जब सेना पीछे हटने लगी, तो स्टालिन ने हुक्म दे दिया कि कोई एक कदम भी पीछे नहीं हटेगा. अगर कोई भी पीछे हटेगा तो उसे मौत दे दी जायेगी. स्टालिन के इस हुक्म के चलते रूस ने जर्मन सेना को भगा तो दिया, लेकिन इस संघर्ष में लाखों सैनिकों के साथ-साथ अनगिनत आम लोग भी मारे गये.
Joseph Stalin Cruelest Dictator Of Russia (Pic: pinterest.com)
इस तरह हुआ क्रूरता का अंत
जोसेफ़ स्टालिन के हाथों पर लाखों लोगों का खून लग चुका था. माना जाता है कि इसी कारण वह अपने आखिरी समय में पागल सा हो गया था. वह अपनी ही पार्टी के खिलाफ होने लगा था. एक रात वह शराब के नशे में चूर था. वह लड़खड़ाते हुए यहां-वहां टकरा रहा था. तभी अचानक वह जमीन पर गिरा और फिर कभी नहीं उठा. वह मर चुका था. उसका खेल खत्म हो चुका था. यह रुस के लोगों के लिए सुकून की खबर थी. उनके सिर से मौत का साया जो जा चुका था.
अपनी मौत के बाद जोसेफ हमेशा अपनी क्रूरता के लिए याद किया गया. लोगों के लिए वह एक जल्लाद था. उसका जाना उनके लिए एक राहत की खबर थी. सब यही कह रहे थे कि बुरे का अंत बुरा ही होता है. स्टालिन का जाना सबके लिए एक नए युग का उदय था.
Web Title: Joseph Stalin Cruelest Dictator Of Russia, Hindi Article
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