अगर भारत की बात की जाए तो यह देश विश्व में जितना प्रसिद्ध अपनी संस्कृति और कला के लिए है उतना ही अपनी विभिन्न प्रथाओं के लिए भी है.
हालांकि, प्रथाओं का चलन केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी है.
दुनिया भर में इतनी प्रकार की प्रथाएं और परम्पराएं हैं कि उनके बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे. इनमें से कुछ तो बहुत प्रचलित हैं मगर कुछ बेहद ही बदनाम. दरअसल, इसकी एक वजह दुनियाभर में फैली अलग-अलग सभ्यताएं हैं, जिनके रीति-रिवाज समाज से बिल्कुल अलग हैं.
ऐसी ही एक सभ्यता है ‘इन्का’.
इस सभ्यता में एक प्रथा ऐसी है, जिसके जग जाहिर होते ही दुनिया भर के लोगों में इस सभ्यता के बारे में जानने की जिज्ञासा बढ़ गई. यकीनन यह नाम आपके लिए बिल्कुल नया है.
मगर यकीन मानिए यह नाम अपने आप में एक सभ्यता का पूर्ण इतिहास समेटे हुए है.
कहा जाता है कि जुआनिता आधुनिक दुनिया में इसी सभ्यता की एक मम्मी है. इसकी खास बात यह है कि यह इतिहास की सबसे ठीक एवं सही हालत में मिली मम्मी है, जोकि एक बच्ची की है. यह 1995 में माउंट एमपाटो से ढूंढी गई.
ऐसे में सवाल कौधता ही है कि आखिर इस मम्मी में क्या था कि इसका संबंध इन्का सभ्यता से बताया गया. इसे जानने के लिए हमे इतिहास के उन पन्नों को छांटना पड़ेगा, जो इन्का सभ्यता के की जानकारी को संजोय हुए है.
आईए जानते हैं-
पहाड़ी पर मिली छोटे बच्चों की मम्मी
इतिहास में जाने से पहले हमें यह जानना जरुरी है कि जुआनिता कौन है और वह किस प्रकार अस्तित्व में आई और पुरातत्त्व विज्ञान के नजरिए से वह क्यों इतनी मायने रखती है.
दरअसल, इसकी शुरुआत साल 1995 में माउंट एमपाटो से हुई, जब मानव विज्ञान की डॉक्टर जोहान रेनहार्ड और उनकी सहभागी मिग्यूल ज़राटे माउंट एमपाटो पर्वत की 20,700 फीट की उंचाई पर अपने किसी शोध के लिए गई.
इसी बीच उन्हें सफेद बर्फ में लिपटी एक मम्मी जैसी चीज दिखी, जब उन्होंने पास जाकर जांचा तो पता चला कि वह एक बच्ची की मम्मी थी जोकि बर्फ में बुरी तरह से जमी हुई थी. यह मम्मी पर्वत की उंचाई से खिसक कर नीचे आई बर्फ में दबी मिली थी. इससे यह अंदाजा लगाया गया कि शायद इसे चोटी के शिखर पर दबाया गया होगा.
आगे मिग्यूल व उनकी सहभागी ने जब उस पूरे इलाके की जांच की तो उन्हें दो और बच्चों की मम्मी मिली. उनमें से एक मम्मी लड़के की थी और दूसरी लड़की की. इसके बाद पूरे क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन चलाया गया, जिसमें करीब 13 मम्मी और मिलीं.
This Mummy Belongs To Inca Community (representative pic: Wikipedia)
500 साल बाद भी नहीं गला शरीर!
इन सभी मम्मी में सबसे पहले मिली मम्मी बाकी सबसे काफी अलग थी. ऐसा इसलिए था, क्योंकि उसकी त्वचा और सिर के बाल देखकर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता था कि इस मम्मी का संबंध 1440 के आस पास के समय से है.
मगर जब जांच हुई तो यह पता चला कि यह मम्मी करीब 500 वर्ष पहले दफनाई गई थी! इतने वर्ष धरती में दबे रहने के बाद भी उसका शरीर ज्यादा ख़राब नहीं हुआ था. यही बात वैज्ञानिकों को सबसे ज्यादा विचलित कर रही थी.
शोधकर्ताओं ने इस मम्मी का नाम जुआनिता रखा.
जुआनिता के बारे में जब जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि इन सभी मम्मी का संबंध इन्का सभ्यता की बलिदान प्रथा से था. यह प्रथा एक ऐसी अंधविश्वासी सोच पर अाधारित है कि इसके पीछे की वजह जानने के बाद हर कोई दंग रह जाए!
कहते हैं कि इस प्रथा को मानने वाले लोगों का विश्वास था कि भगवान को बच्चे की बलि देने से वह उन्हें प्राकृतिक आपदाओं, बीमारी, ज्वालामुखी व अन्य दुख दर्द से बचाएंगे. इसके चलते बचपन के समय ही कुछ बच्चों का चयन किया जाता था और बलिदान से पूर्व उन बच्चों को भरपूर मात्रा में पौष्टिक आहार दिया जाता था.
उनकी दैनिक खुराक में आहार के अलावा कोका और मदिरा जैसे पदार्थ भी शामिल होते थे. इसके चलते बलिदान से 6-8 महीने पहले तक उनकी हालत किसी नशाग्रस्त शख्स के सामान हो जाती थी! यह सारी जानकारी जुआनिता के डीएनए से जुटाई गई. जुआनिता की मौत के बारे में जब शोध शुरु हुआ तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.
They Give Sacrifice Of Their Kids (representative pic: Reddit)
1999 में दुनिया के सामने आई जुआनिता
जुआनिता की मौत से जुड़े सच को उजागर करने की जिम्मेदारी विकिरण चिकित्सक इलियट फिशमैन को सौंपी गई. उन्होंने पता लगाया कि जुआनिता की मौत का कारण उसके सिर के पीछे से किया गया एक जोरदार वार रहा होगा, जिससे उसके सिर में गहरी चोट आई और उसकी मौत हो गई.
मगर मौत से पहले इन्का प्रथा के अनुसार जुआनिता को अच्छे परिधानों से सजाया गया था. उसे गहने इत्यादि पहनाकर पूरी तरह से तैयार किया गया था. शव को दफनाते समय उसके साथ कई अलग-अलग तरह की चीजें रखी गई थी, जोकि इन्का सभ्यता से जुड़ी थीं. इस जांच में शामिल वैज्ञानिक इस चीज से हैरान थे कि 500 साल पुरानी होने के बावजूद भी इस शव की त्वचा सड़ी या गली कैसे नहीं और न ही इसके बालों को ज्यादा नुकसान पहुंचा.
कई सालों तक चले इस शोध के बाद आखिरकार साल 1996 में इस मम्मी को यू.एस में सी.टी स्कैन के लिए भेजा गया और 1999 में इसे जापान में लोगों के समक्ष प्रदर्शित किया गया. इसके बाद लोगों के सामने इंसानी सभ्यताओं की एक अलग मानसिकता का प्रारुप आया.
इससे पता चलता है कि अंधविश्वास अगर प्रथा का रुप ले लें तो वह लोगों से किस प्रकार के कार्य करवा सकता है.
बहरहाल, जुआनिता समेत अन्य मम्मी को अब दक्षिणी अमेरिका में स्थित पेरु देश के अरेकुइपा शहर स्थित म्यूजियम में रखा गया है. यहाँ इन मम्मी को सही सलामत रखने के लिए इन्हें शीशे के बक्सों में संभाल कर रखा गया है, जिनके अंदर का तापमान माइनस 20 डिग्री सेल्सियस रहता है. इसके अलावा मम्मी के साथ मिली अन्य चीजों को भी अच्छे से रखा गया है, ताकि लोग इन्का सभ्यता की कला से परिचित हो सके.
Mummy of woman (Pic: Pinterest)
जुआनिता एक प्रमाण है इंसानों की अजीबो गरीब मानसिकता का. जुआनिता जैसे न जाने कितने ही बच्चे इन्का सभ्यता के अंधविश्वास की बलि चढ़े होंगे.
शायद आज भी बहुत सी जुआनिता माउंट एमपाटो की चोटी पर दफन हैं, जिन्हें न जाने कब और कौन ढूंढेगा.
Web Title: Juanita Proof Of The Limits Of Superstition In A Civilization, Hindi Article
Featured Representative Image Credit: jwfan.com