इस फरवरी 8 से 25 तारीख तक दक्षिण कोरिया में शीतकालीन खेलों का आयोजन हो रहा है.
चौकाने वाली बात है कि इसमें भाग लेने के लिए उत्तर कोरिया ने भी अपने खिलाड़ियों को भेजा है.
वहीं उत्तर कोरिया के सनकी तानाशाह की बहन किम यो जोंग भी खेलों के उदघाटन समारोह में भाग लेंगी.
ये कुछ ऐसा ही है मानो किसी आयोजन में भाग लेने के लिए मुंबई हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद का कोई रिश्तेदार भारत आए.
अब आश्चर्य तो होगा ही…
क्योंकि आज से 30 साल पहले दक्षिण कोरिया में ही आयोजित ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों का उत्तर कोरिया ने बहिष्कार किया था.
वहीं खेलों को प्रभावित करने के लिए उत्तर कोरियाई जासूसों ने सियोल, दक्षिण कोरिया जाने वाली एक कोरियन एयरलाइंस को विस्फोटक से उड़ा दिया था.
अब जब दोनों देश शीतकालीन ओलंपिक आयोजन को तत्पर हैं तो एक बार 1987 की उस घटना पर नजर डालना जरूरी हो जाता है जिसने कोरियाई प्रायद्वीप में टकराव को बढ़ाने का काम किया–
अंडमान सागर के ऊपर हुआ था जहाज में विस्फोट!
29 नवंबर 1987 को बैंकॉक होकर सियोल जाने वाली कोरियन एयरलाइन संख्या 858 थाईलैंड के पास अंडमान सागर के ऊपर से अचानक गायब हो गई.
इससे पहले कि 11 क्रू मेंबर सहित कुल 115 सवारी लेकर उड़ी ये फ्लाइट अपने तय ठिकाने तक पहुँचती इसमें विस्फोट हो गया. इस धमाके ने सभी यात्रियों की जान ले ली.
मरने वालों में एक भारतीय और एक लेबनान यात्री समेत सभी 113 लोग दक्षिण कोरिया के थे.
वहीं इस हादसे से हजारों किलोमीटर दूर कोई इस घटना को सुनने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था.
ये थी उत्तर कोरिया की खतरनाक जासूस किम ह्योन-हुई जिसने इस प्लेन में विस्फोटक लगाया था.
इस काम में उसका साथ दिया था एक अधेड़ उम्र के दूसरे एजेंट किम संग इल ने.
लेकिन दोनों ही प्योंग्यांग लौटते समय धरे गए, जिसमें से इल ने पुलिस कस्टडी में ही जहर खाकर आत्महत्या कर ली. हालांकि हुई ने भी ख़ुदकुशी करने की कोशिश की थी लेकिन उसे बचा लिया गया था.
KAL Flight 858. (Pic: rokdrop)
ऐसे हुई मिशन की शुरूआत!
उत्तर कोरिया के एक विदेशी भाषा संस्थान में जापानी भाषा सीख रहीं किम ह्योन हुई को डीन कार्यालय से बुलावा आता है.
डीन ऑफिस में हुई के अलावा उत्तर कोरिया सरकार के प्रमुख अधिकारी भी मौजूद थे, जिन्होंने हुई का इंटरव्यू लिया और एक खास सेवा के लिए उनका चुनाव किया.
किम हुई भी इस नियुक्ति से खासी उत्साहित थीं, लेकिन वह ये नहीं जानती थीं कि उन्हें किस काम के लिए भर्ती किया गया है.
उत्तर कोरिया ने हुई को भर्ती के अगले ही दिन चाइनीज भाषा सीखने के लिए मकाऊ भेज दिया. हालांकि कुछ समय बाद इन्हें बता दिया गया कि इनका काम क्या है.
हुई को एजेंट बनाने का मुख्य उद्देश्य सन 1988 में होने वाले ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों को तबाह करना था, जिसके लिए एक होनहार और मासूम से लगने वाले चेहरे की जरूरत थी.
हुई उत्तर कोरिया के इन पैमानों पर एकदम सटीक बैठती थीं.
चूंकि हुई एक उम्दा छात्रा थीं वह कुछ-कुछ चाइनीज टोन में भी बात कर लेती थी, इससे किसी को शक नहीं होता कि ये उत्तर कोरिया की एजेंट हो सकती हैं.
मकाऊ में कई साल चाइनीज सीखने के बाद हुई प्योंगयांग आईं और आगे की रणनीति के तहत उसे विस्फोटक पदार्थों के बारे में जानकारी दी गई.
यहां उसकी मुलाकात एक दूसरे एजेंट किम संग इल से कराई गई जो विमान में विस्फोट करने की साजिश तक उसके साथ रहा.
मिशन के लिए दाेनों को 12 नवंबर को प्योंग्यांग से मॉस्को ले जाया गया. उत्तर कोरियाई दूतावास मॉस्को में कुछ देर आराम फरमाने के बाद दोनों बुडापेस्ट रवाना हो गए. फिर वहां से 23 नवंबर को बेल्ग्रेड के लिए निकले.
यहां एक होटल में दोनों को दो अन्य उत्तर कोरियाई एजेंटों ने विस्फोटक दिए, जिन्हें छिपाकर बगदाद ले जाया गया.
ईराक की राजधानी बगदाद में सद्दाम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर दोनों अपने मिशन को अंजाम देने के लिए सियोल जा रही कोरियन एयरलाइन संख्या 858 में सवार हो गए.
हुई ने एक पोर्टेबल पैनासोनिक रेडियो में लगे टाइम बॉम्ब को सैट किया और एक दारू की बोतल में भरे तरल विस्फोटक को एक शॉपिंग बैग में रखकर शीट के ऊपर बनी रैक में रख दिया.
चूंकि यहां तक इनका काम पूरा हो गया था इसलिए दोनों जहाज के अबू धाबी में रुकने पर उतर गए.
इसके कुछ देर बाद ही जहाज अपनी यात्रा पर निकल गया… या फिर कहें कि अपनी अंतिम-यात्रा पर!
Spy on mission. (Pic: trusttour)
….और रास्ते में ही पकड़े गए!
इस बीच दोनों सकुशल अपने देश लौटने की तैयारी में लग गए. प्योंग्यांग लौटते समय उनका जहाज बहरीन में उतरा, यहां के सुरक्षा अधिकारियों को इनकी यात्राओं को लेकर कुछ शक हुआ, तो उन्होंने इनके पासपोर्ट ले लिए.
हालांकि दोनों जासूस प्लान बी के तहत अपनी पहचान बदलना चाहते थे इसी के चलते उन्होंने अपनी टिकट तो बदल दीं लेकिन तब तक दोनों के पासपोर्ट अधिकारियों ने जब्त कर लिए थे. बाद में जब उनकी टिकटों की जांच की गई तो दोनों पकड़े गए.
दोनों को पुलिस के हवाले कर दिया गया और पुलिस रूम में सुरक्षा के बीच बिठा दिया गया.
उत्तर कोरिया ने अपने एजेंटों को पकड़े जाने पर जांच से बचने के लिए सायनाइड कैप्सूल दिए थे, ताकि इन्हें खाकर वो मर जाएं और उत्तर कोरिया पर कोई ऊंगली ना उठा सके.
लिहाजा इल ने पुलिस से सिगरेट पीने की अनुमति मांगी और फिर हुई ने.
पुलिस के ‘हां’ कहते ही दोनों ने पैकेट से एक एक सिगरेट अपने हाथ में ले ली.
और अचानक इल ने सिगरेट में रखे सायनाइड को अपने दांतों में चबा लिया जिससे उसका शरीर यकायक ऐंठने लगा.
इससे पहले कि हुई भी कुछ ऐसा ही करतीं उसके पास खड़े एक पुलिसकर्मी ने तुरंत अपना हाथ बढ़ाते हुए हुई को झटका… हालांकि तब तक सायनाइड की गोली का एक छोटा टुकड़ा उसके मुंह में भी जा चुका था.
इससे उसका साथी तो मर गया लेकिन हुई को समय रहते बचा लिया गया.
खुदकुशी की कोशिश करने के बाद इसके मुंह पर एक पट्टी बांध दी गई जिससे कि वो अपनी जुबान न काट पाए… फिर इसे सियोल ले जाया गया!
पकड़े जाने के बाद हुई ये मानने को तैयार नहीं थीं कि वो एक उत्तर कोरियाई जासूस है.
कुछ साल पहले एक इंटरव्यू में हुई ने कहा, “मैं पकड़े जाने के बाद डर गई थी, मुझे लगा कि अब आखिरी समय आ गया है. फिर भी मैं अपना देशभक्ति गीत गुनगुना रही थी.”
दक्षिण कोरिया की जांच में उत्तर कोरियन वर्कर्स पार्टी की ओवरसीज इंटेलीजेंस को हमले के लिए दोषी ठहराया गया.
पूछताछ में पता चला कि हुई नाम बदलकर मायूमी हैचिया (Mayumi Hachiya) और किम संग इल, शिनिंची हैचिया (Shinichi Hachiya) के नाम से यात्रा कर रहे थे.
इल और हुई दोनों को बाप-बेटी बनकर अपने काम को अंजाम देना था ताकि कोई भी इन पर शक न कर पाए. हुई ने कबूल किया कि इन्हें सन 1984 से ट्रेनिंग दी जा रही थी.
दक्षिण कोरियाई अधिकारियों को पूछताछ में और अमेरिकी अधिकारी को दिए एक इंटरव्यू में हुई ने बताया कि वो सन 1980 से उत्तर कोरिया में एक एजेंट के तौर पर कार्य कर रही थी.
Kim Hyon hui in custody. (Pic: keywordlister)
मिली थी मौत की सजा लेकिन…
जहाज में बम लगाने के आरोप में हुई को सन 1989 में मौत की सजा दी गई लेकिन अगले ही साल राष्ट्रपति रो ताए-वू ने इस खतरनाक एजेंट को माफी दे दी.
राष्ट्रपति का कहना था कि विमान गिराने की साजिश के पीछे उत्तर कोरिया का किम परिवार है, जबकि हुई को केवल एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया गया है.
अब हुई उत्तर कोरिया तो नहीं जा सकती थी उसके पास दक्षिण कोरिया में बसने के सिवाय और कोई चारा नहीं था. इसलिए हुई ने एक दक्षिण कोरियाई एजेंट से सन 1997 में शादी कर ली और वहीं बस गईं.
किम बहुत खुश थीं, जब उसे कॉलेज के बाद देश सेवा करने का अवसर मिला, लेकिन उसे नहीं पता था कि उत्तर और दक्षिण कोरिया की नफरत के तले वो एक कातिल बन जाएगी.
हालांकि आज हुई को अपने किए पर शर्मिंदगी है और वो कहती हैं कि उन्हें दक्षिण कोरिया के खिलाफ जबरदस्त ढंग से भड़काया गया था.
हुई ने हाल ही में खुलासा करते हुए कहा कि उत्तर कोरिया एक ढोंगी है उसको खेलों से कोई मतलब नहीं. वह तो बस अपने परमाणु हथियारों का ज़ख़ीरा बढ़ाने में लगा हुआ है.
फिर भी हम उम्मीद करते हैं कि ये ओलंपिक खेल इन दोनों देशों के बीच की खाई को पाटने का काम करेंगे.
ये थी इस खतरनाक जासूस की दिल दहला देने वाली करतूत!
इससे साफ जाहिर है कि उत्तर कोरिया किस तरह से आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त है और उसे बढ़ावा देता है.
क्या आपके पास उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बारे में ऐसी ही कुछ और जानकारी है?
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Web Title: Kim Hyon-hui: Spy Who Killed 115 people before Korean Olympics, Hindi Article
Feature Image Credit: nbcnews