इस बात से अधिकतर लोग परिचित हैं कि भारतीय इतिहास के मध्यकाल के समय में भारत पर मुगलों का राज था. वैसे तो बहुत से मुगल शासक हैं जो ऐतिहासिक नजरिये से काफी महत्व रखते हैं.
मगर, इन सब में अकबर एक ऐसा नाम है जिसके बारे में शायद हर कोई जानता है. इसकी वजह है अकबर द्वारा किए गए कार्य.
इसके अलावा अकबर के ही समय की एक शख्सियत और थी जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. वह अकबर के जीवन में काफी महत्व रखती थीं. उनका नाम था महाम अंगा.
तो आइये जानते हैं इनके बारें में और उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातों को–
अकबर ने दिया महाम अंगा को 'मां' का दर्जा
महाम अंगा की बात करें, तो वह अकबर की देखभाल करने वाली एक आया थीं. बचपन से ही उन्होंने अकबर की परवरिश की थी.
हालांकि, अंगा खुद राजपूत वंश से ताल्लुक रखती थीं मगर, फिर भी उन्होंने मुगल शासक अकबर की बचपन से लेकर बड़े होने तक परवरिश की.
इस वजह से अकबर ने उन्हें अपनी मां का दर्जा दे रखा था. यहां तक कि अकबर की गैर हाजरी में वह राज्य का सारा कार्यभार भी संभालती थीं.
कहते हैं कि अकबर का महाम अंगा की ओर अधिक झुकाव था. वहीं दूसरी ओर कहा जाता है कि महाम अंगा भी अकबर के प्रति काफी प्रेम व स्नेह रखा करती थीं.
महाम अंगा के जीवन के साथ जुड़ी एक गुत्थी ऐसी है जिसे कभी नहीं सुलझाया जा सका. कहा जाता है कि उसे कभी सुलझने ही नहीं दिया गया.
यह गुत्थी है अकबर की मौत की साजिश रचने की.
खुद अकबर ने जाँच को बीच में रोका!
यह किस्सा था 16वीं शताब्दी का, जब दिल्ली में मुगल शासक अकबर हजरत निजामुद्दीन की दरगाह पर जा रहा था.
अचानक से बाजार में अफरा-तफरी मच गई. ऐसा इसलिए क्योंकि, हवा में से एक तीर आया और सीधे अकबर के दाहीने कंधे में धस गया...
इस दौरान अकबर अपने घोड़े से गिरा और गंभीर रूप से घायल हो गया. उसे घायल अवस्था में तुरंत महल ले जाया गया.
वहां राज वेद फौरन राजा के इलाज में जुट गए. दूसरी ओर सैनिकों ने तीर चलाने वाले व्यक्ति की तलाश शुरू कर दी.
सैनिक बाजार की सभी दुकानों की तलाशी लेने लगे और लोगों का सामान यहां-वहां फेंकने लगे.
तभी सैनिकों ने इलाके में मौजूद मदरसे के छज्जे की जांच की. हमला करने वाला व्यक्ति वहीं पर था. वह भाग पाता इससे पहले ही उसे गिरफ्त में ले लिया गया.
इस दौरान आरोपी को राज दरबार में पेश किया गया. वहां उसने कबूला कि वह मिर्ज़ा शरीफुद्दीन का सेवक है. शरीफुद्दीन अकबर का एक वफादार और पुराना कर्मचारी था.
मंत्रियों ने सुझाव दिया कि इस हमलावर से कड़ी पूछताछ कर पता लगाया जाए कि इस पूरी साजिश के पीछे किस का हाथ था.
इससे पहले की आरोपी से पुछताछ हो पाती, अकबर ने आदेश दे दिया कि दोषी को मृत्यु दंड दे दिया जाए.
हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं हो रहा था जब अकबर पर इस तरह का जानलेवा हमला हुआ हो. इससे पहले भी एक बार महाम अंगा के एक सेवक ने अकबर को मारने का प्रयास किया था.
उस समय भी अकबर ने इसी प्रकार मामले की जांच नहीं करने दी और दोषी को मरवा दिया. अकबर के फैसले ने हर किसी को हैरत में डाल दिया था.
हर किसी के मन में सवाल था कि आखिर अकबर ने बात जाने बिना ही क्यों दोषी को मरवा दिया?
आखिरकार महाम अंगा की हाथों में आया शासन
बहरहाल, अकबर की गंभीर हालत को देखते हुए राज्य का सारा कार्यभार महाम अंगा को सौंप दिया गया.
यहां तक कि मुगल शासन की सारी न्याय प्रणाली भी महाम अंगा की मुट्ठी में आ गई. शक्ति मिलते ही महाम अंगा ने सबसे पहले अकबर के खास मंत्री बैरम खान को निकाल दिया.
धारणाओं की माने तो, उसे सेवा निर्वित कराने के बाद अंगा ने उसे मरवाने की साजिश रची और वह उसमें सफल भी रहीं.
हर बार की तरह इस बार भी अंगा का यह काम किसी की नजरों के सामने नहीं आया. इतना ही नहीं इतिहासकार मानते हैं कि अकबर पर हुए हमलों के पीछे भी महाम अंगा का हाथ था.
ऐसा करने के पीछे की वजह मानी जाती है कि वह शासन को हथियान चाहती थीं.
हमलों का सिलसिला यहीं नहीं रुका. कुछ समय पश्चात् एक बार फिर से अकबर को मारने का प्रयास हुआ.
इस बार भी अकबर की जान बच गई. इन निरंतर हमलों से एक बात तो साफ थी कि कोई शख्स तो ऐसा था जो अकबर को मारना चाहता था.
बेटे की मौत का गम सह नहीं पाई अंगा
इन हमलों के चलते महाम अंगा को कई बार शासन व्यवस्था को अपने हाथ में लेने का मौका मिला. यहां तक की अकबर के बिल्कुल ठीक होने के बाद भी महाम अंगा का हस्तक्षेप बरकरार रहा.
अंगा का यह अच्छा समय बहुत समय तक बरकरार नहीं रहा. उसके पतन की शुरुआत तब हुई, जब अंगा का बेटा अधाम खान मालवा अभियान पर गया.
वहां उसने लूटे गए धन को चुरा लिया. हालांकि, अधाम खान और अकबर के बीच का फासला तब बढ़ा, जब अधाम खान ने अतगा खान की हत्या कर दी.
कहते हैं कि अकबर के लिए वह बहुत ही अजीज थे. अतगा खान को मारने के बाद अधाम खान के मन में अकबर को मार कर उसकी गद्दी हथियाने का विचार आया.
इसके लिए उसने एक योजना भी बनाई. इससे पहले कि अधाम खान अपनी योजना को अंजाम देता, अकबर ने उसे पकड़ लिया.
कहते हैं कि उसके बाद अकबर ने उसे अपने महल की सीढ़ियों से नीचे फेंक कर मार दिया. हालांकि, इस दौरान अंगा ने अकबर के समक्ष अपने बेटे का पक्ष रखने का प्रयास किया था.
अकबर ने अंगा की एक न सुनी. माना जाता है कि इसके बाद ही अंगा के दिल में अकबर के खिलाफ एक असली आग जली.
इसके बाद भी अकबर को मारने की कोशिश की गई मगर, अकबर हार बार की तरह बच जाता. अंगा कुछ और कर पाती इससे पहले ही उनकी मौत हो गई. इसके साथ ही अकबर पर होने वाले जानलेवा हमले भी रुक गए.
महाम अंगा की मौत के बाद उनसे जुड़े सारे राज़ चले गए. कोई भी नहीं जाना पाया कि आखिर उन हमलों के पीछे क्या वाकई महाम अंगा का हाथ था कि नहीं. आज भी इस विषय पर दो पक्ष हैं. एक के लिए वह दोषी थीं और दूसरे के लिए नहीं. असल सच क्या है यह तो कोई भी कभी नहीं जान पाया.
Web Title: Maham Anga: The Culprit Whose Crime Was Never Proved, Hindi Article
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