हर तरफ गोलियां चल रही हो. एक गलत कदम पर जान जाने का खतरा हो. ऐसे किसी जंग के मैदान पर शायद ही कोई जाने की इच्छा रखेगा.
हाँ, मगर एक महिला ऐसी भी थीं जिनके लिए यही उनकी जिंदगी थी. वह महिला कोई और नहीं मार्था गेलहोर्न थीं.
अपनी पत्रकारिता और वॉर रिपोर्टिंग के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध मार्था की जिंदगी बहुत से किस्सों से जुड़ी हुई है.
ऐसे में उनकी जिंदगी के कुछ पहलुओं के बारे में जानना जरूरी हो जाता है. तो चलिए जानते हैं दुनिया की पहली महिला वॉर रिपोर्टर मार्था गेलहोर्न के बारे में–
जान हथेली पर रखकर करती थीं मार्था रिपोर्टिंग!
अमेरिका के सेंट लूइस में जन्मी मार्था गेलहोर्न एक यहूदी परिवार से थीं. उन्हें बचपन से ही पत्रकारिता का शौक था.
कहते हैं कि वह इसके जरिए समाज की सच्चाई सामने लाना चाहती थीं. इसके लिए उन्होंने अपनी कॉलेज की पढ़ाई भी बीच में ही छोड़ दी थी.
बाद में उन्होंने अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत 1920 में एक क्राइम रिपोर्टर के तौर पर की.
इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे अपनी पत्रकारिता का दम दिखाना शुरू किया. इसकी बीच 1936 में उनकी मुलाकात अमेरिकी लेखक अर्नेस्ट हेमिंग्वे से हुई.
हेमिंग्वे एक वॉर रिपोर्टर थे और पहले विश्व युद्ध को कवर कर चुके थे. जब उन्होंने मार्था को अपनी कहानियाँ सुनाई, तो मार्था खुद को रोक नहीं पाईं.
इसके बाद मार्था ने हेमिंग्वे के साथ वॉर रिपोर्टिंग शुरू कर दी. माना जाता है कि मार्था से पहले किसी और महिला ने ऐसा काम करने की जहमत नहीं उठाई थी.
उन्होंने सबसे पहले 'स्पेनिश सिविल वॉर' को कवर किया. हेमिंग्वे के नेतृत्व में वह बहुत जल्दी ही वॉर रिपोर्टिंग सीख गईं.
धारणाओं की माने, तो उस जंग के दौरान कई बार मार्था की जान पर खतरा आया था. इसके बावजूद भी वह वहाँ से अपना काम करके ही वापस लौटीं.
वापस आते ही वह और हेमिंग्वे शादी के बंधन में बंध गए. शादी के बाद भी मार्था ने जंग पर जाना नहीं छोड़ा.
उन्होंने वियतनाम वॉर, वर्ल्ड वॉर-2 और अरब-इजराइल वॉर जैसी कई बड़ी जंग कवर की. मार्था ने इन जंगों में न सिर्फ तस्वीरें ली बल्कि, उनके बारे में किताब भी लिखीं.
उन्होंने जंग की वो कहानी लोगों को सुनाई, जो उन्हें पता नहीं लग पाती थी. अपने करीब 60 साल के करियर में मार्था ने न जाने कितने देश घूमे और वहां रिपोर्टिंग की.
उनके लिए यह सिर्फ एक शौक नहीं बल्कि एक जुनून बन गया था. जहां भी किसी जंग की उम्मीद होती वहां मार्था पहुँच जाती.
थोड़े ही समय में पूरी दुनिया में उनका नाम हो गया.
महिला होने की वजह से सुनी कई बातें!
मार्था जब केवल 20 साल की थीं, तब वह अमेरिका को छोड़कर दो साल के लिए पेरिस चली गईं. वहां उन्होंने यूनाइटेड प्रेस ब्यूरो जॉइन कर लिया.
उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि, वह दुनिया को अपना दम दिखाना चाहती थीं. पेरिस जाने से पहले वह न्यू यॉर्क टाइम्स में जॉब के लिए आवेदन देने गई थीं.
हालांकि, वहां उन्हें ऐसे व्यवहार का सामना करना पड़ा जिसके बारे में उन्होंने कभी नहीं सोचा था. कहते हैं कि वहां के ब्यूरो चीफ ने मार्था की खूब खिल्ली उड़ाई थी.
वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि, वह एक महिला थीं. इसलिए वह पेरिस गई ताकि वह वहां से कुछ बनकर वापस लौटें. उन्होंने ऐसा ही किया भी.
फ्रांस में रहते हुए मार्था पैसिफिस्ट आंदोलन से जुड़ गईं. वहां पर उन्होंने अपनी रिपोर्टिंग स्किल्स दिखाई. इसके बाद उनका नाम काफी पहचाना जाने लगा.
वहां से वापस अमेरिका लौटने के बाद मार्था को अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डेलानो रूज़वेल्ट के सलाहकार हैरी होप्किंस ने अपने साथ काम करने का न्यौता दिया.
बिना कुछ सोचते हुए मार्था ने यह प्रस्ताव स्वीकार लिया. उन्हें रियल लाइफ स्टोरीज पर काम करना था. इसमें सबसे पहले उन्हें उस समय की मंदी पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया.
वह देश के कोने-कोने पर गईं अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए. जब मार्था पूरी रिपोर्ट बनाकर वापस लौटीं, तो उन्होंने हर किसी को हैरान कर दिया.
उनकी रिपोर्ट काफी अच्छी और सटीक थी. उनके काम को देखकर फ्रैंकलिन रूज़वेल्ट की पत्नी एलिनोर रूज़वेल्ट काफी प्रभावित हुईं.
वह मार्था को बधाई देने के लिए उनसे मिलीं और उस दिन ही वह दोनों अच्छी दोस्त बन गईं. इसके बाद मार्था ने किताबें लिखने पर जोर दिया.
उन्होंने कई किताबें लिखीं जिन्होंने उन्हें कई लोगों का पसंदीदा लेखक तक बना दिया. जिस पचान को वह पाना चाहती थीं, आखिर में उन्होंने उसे हासिल कर ही लिया.
अच्छे साथी को तरस गईं मार्था...
मार्था गेलहोर्न एक स्वतंत्र महिला थीं. वह कुछ भी करने से कभी डरती नहीं थीं. अपनी पत्रकारिता के साथ-साथ वह अपने अफेयर के लिए भी काफी प्रसिद्ध थीं.
कहते हैं कि वह पूरी जिंदगी प्यार को खोजती रहीं, लेकिन उन्हें वह मिला ही नहीं.
1930 में जब वह केवल 22 साल की थीं तो, उनका अफेयर फ्रांसीसी दार्शनिक बर्ट्रेंड डे जुवेनाइल से शुरू हुआ.
हालांकि, बर्ट्रेंड पहले से शादीशुदा थे. कहते हैं कि वह अपनी पत्नी को तलाक नहीं दे पाए थे. इसलिए मार्था ने उनके साथ अपना रिश्ता तोड़ दिया था.
इसके बाद 1936 में उनकी मुलाकात अर्नेस्ट हेमिंग्वे से हुई, जिनसे गेलहोर्न ने 1940 में शादी कर ली. उनका यह रिश्ता भी ज्यादा दिन तक नहीं चल सका और उनका 1945 में तलाक हो गया.
इसके कुछ सालों बाद ही 1954 में गेलहोर्न ने टाइम्स मैगजीन के भूतपूर्व एडिटर टी. एस. मैथ्यूज से शादी कर ली. वह उनके साथ लंदन में रहने लगीं.
हालांकि, मार्था की किस्मत इस बार भी अच्छी नहीं निकली. एक बार फिर उनके रिश्ते में खटास आनी शुरू हो गई. एक बार फिर उन्होंने तलाक ले लिया.
टूटते रिश्तों से परेशान मार्था ने फिर कभी किसी से दिल नहीं लगाया. वह पूरी तरह से अपने काम में डूब गईं. हाँ, इस बीच 1949 में उन्होंने एक लड़के को गोद भी लिया था.
हालांकि, वह उस लड़के के साथ ज्यादा वक्त नहीं बिता पाई थीं. वह काम के सिलसिले में हर समय बाहर ही रहती थीं.
वह लड़का मार्था के रिश्तेदारों द्वारा पाला गया. मार्था बुढ़ापे की ओर बढ़ती गईं और उसके साथ कई बीमारियाँ भी उनसे जुड़ गईं.
उन्हें कैंसर की बीमारी थी. कई सालों तक वह उससे जूझती रहीं. आखिर में वह इससे पूरी तरह से परेशान हो गईं. इसलिए उन्होंने 15 फरवरी 1998 को लंदन में आत्महत्या कर ली. इसके साथ ही एक बड़ी पत्रकार का अंत हो गया.
मार्था ने अपनी पूरी जिंदगी पत्रकारिता को समर्पित कर दी. वही उनका पहला प्यार था. अपने पूरे जीवन में उन्होंने कई मुद्दों को लोगों के सामने पेश किया. यही कारण है कि आज भी उन्हें पत्रकारिता की दुनिया का मेला का पत्थर माना जाता है.
Web Title: Martha Gellhorn: First Women War Reporter, Hindi Article
Feature Image: robschamberger