देश के सिपाही उस देश की रीढ़ होते हैं, जिनके सिर सुरक्षा का समूचा दायित्व होता है.
आज हम ऐसे ही एक अमेरिकी नौसैनिक की बात करेंगे, जो वियतनाम युद्ध के दौरान वहां फंस गया. उसे वियतनामी सैनिकों ने खूब प्रताड़ित किया, लेकिन उसने हार नहीं मानी और फिर एक दिन वहां से भाग निकला.
जी हां! ये महान सैनिक है 'डाइटर डेंगलर'. डाइटर अमेरिकी नौसेना का एक बहादुर सिपाही था, जिसे वर्ष 1966 में अमेरिका और वियतनाम युद्ध के दौरान वियतनामी विद्रोहियों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था.
डाइटर ने 6 महीने से अधिक समय तक विद्रोहियों की असहनीय पीड़ादायक यातनाओं को सहा और फिर आखिरकार वहां से भागने में सफल रहा.
आज डाइटर का नाम अमेरिकी सेना के जाबाज हीरोज़ में शुमार है.
तो आइए जानते हैं इस नौसैनिक के संघर्ष और साहस से पूरी कहानी –
बचपन से थी सेना में जाने की चाह
22 मई 1938 को जर्मनी में पैदा हुए डाइटर डेंगलर के पिता भी एक फौजी थे. जो दूसरे विश्व युद्ध के दौरान शहीद हो गए, लिहाजा इनकी मां ने ही इन्हें पाला-पोसा.
पिता का प्यार तो इन्हें नहीं मिला, मां से सुने पिता की बहादुरी के किस्सों और कहानियों ने इन्हें सैन्य सेवा की ओर आकर्षित अवश्य कर दिया था.
वह अक्सर अपने घर की छत से आसमान की ओर घंटों देखा करता था, जहां उसे उड़ते हुए हवाई जहाज खासा आकर्षित करते थे.
शायद, यही कारण था कि वह बचपन से ही एक पायलट बनने का ख्वाब बुनने लगा.
डेंगलर थोड़े बड़े हुए, तो उन्होंने जर्मनी में एक दुकान पर अमेरिकी मैगजीन में छपा एक इश्तिहार देखा, जिसमें लिखा था कि अमेरिकी नौसेना को पायलटों की आवश्यकता है.
जिसके बाद डेंगलर ने नौसेना में शामिल होने का फैसला कर लिया.
वह अपने एक रिश्तेदार की मदद से एक वोट के जरिए अमेरिका पहुंचने में कामयाब रहा. और फिर यहां से वह अपने पायलट बनने के सपने को पूरा करने के लिए न्यूयाॅर्क सिटी आ गया.
आखिरकार, जून 1957 में वह अमेरिकी नौसेना के शुरुआती अभ्यास कार्यक्रम में शामिल हो गया और प्रशिक्षण के लिए सैन एंटोनियो में स्थित कैंप लैक्लैंड चला गया.
अपना शुरुआती प्रशिक्षण पूरा करने के बाद अपनी आगे की पढ़ाई के लिए डेंगलर ने सैन फ्रांसिस्को सिटी कॉलेज में दाखिल ले लिया.
अपनी 2 साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह नौसेना के नेवी प्रोग्राम में शामिल हो गया.
...और क्रैश हो गया डेंगलर का विमान
एक फरवरी 1966 को अमेरिकी सेना ने वियतनाम के विरुद्ध हवाई अभियान छेड़ दिया.
नौसेना ने डेंगलर को वहां जाने का आदेश दे दिया. डेंगलर भी तैयार थे और तुरंत वह 3 अन्य एयरक्राफ्ट के साथ हवाई मिशन के लिए रवाना हो गए.
योजना के तहत बमबारी उत्तरी वियतनाम के इलाकों में की जानी थी, लेकिन अचानक से खराब हुए मौसम व कड़कती बिजली के चलते उन्हें अपनी दिशा बदलनी पड़ी. इससे वह अपने दूसरे टारगेट की ओर चल पड़े.
उनका दूसरा टारगेट लाओस शहर का मू गिआ पास था.
इस दौरान जब उनका जहाज लाओस पहुंचा, तो खेतों में लगी आग से उठते धुएं के कारण वह सामने आसमान को नहीं देख पा रहे थे. नतीजतन सभी जहाज रास्ते से भटक गए.
इसी बीच डेंगलर का एयर क्राफ्ट असंतुलित होकर विद्रोहियों के क्षेत्र में गिर गया.
इस प्लेन क्रैश में डेंगलर को छोड़कर अन्य सभी साथी मारे गए.
अपनी जान बचाने के लिए डेंगलर ने जंगल में पनाह ले ली. उसे पूरी उम्मीद थी कि अमेरिकी सेना की बचाव टुकड़ी जल्द ही उस तक पहुंच जाएगी और उसे बचा लिया जाएगा.
डेंगलर ने अपने शुरुआती सैन्य अभ्यास में जंगल में जान बचाने के कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था, जिसके चलते वह जानता था कि जंगल में खुद को किस प्रकार जिंदा रखा जा सकता है.
इस दौरान जंगल में मिले बिजली उपकरणों से उसने एक रेडियो तैयार किया, ताकि वह बचाव टीम को सिग्नल भेज सके.
अपनी इस कोशिश में वह पूरी तरह से सफल रहे, लेकिन इस बीच वियतनामी विद्रोहियों ने उन्हें ढूंढ निकाला.
दुश्मनों ने किया गिरफ्तार और दी यातनाएं
दुश्मनों ने डेंगलर को देखते ही गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. इस दौरान वह दुश्मनों की गोलियों से बचने में तो सफल रहा, लेकिन इस सब में उसका बनाया रेडियो टूट गया.
नतीजतन, अगले दिन जब अमेरिकी हेलीकॉप्टर वहां आया, तो डेंगलर के पास उन्हें सिग्नल भेजने का कोई जरिया नहीं था.
वह अपनी स्थिति बताने के लिए एक खुले इलाके में आ गए, लेकिन इसी बीच दुश्मनों की पैनी निगाहों ने उन्हें देख लिया.
और आखिरकार वह दुश्मन की एक गोली का शिकार बन गए.
गोली से जख्मी हुए डेंगलर काफी देर तक खुद को दुश्मन की नजरों से छिपाते रहे. लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें एक जगह पानी पीते समय गिरफ्तार कर लिया गया.
शुरुआती दिनों में डेंगलर को तरह-तरह की यातनाओं के दौर से गुजरना पड़ा.
उनका हौसला पस्त करने के लिए असहनीय पीड़ा दायक सजा दी गईं, मगर डेंगलर की हिम्मत नहीं टूटी.
इसके बाद डेंगलर को वियतनाम के एक गांव कुंग में स्थित कैदियों की जेल ले जाया गया. जहां उनकी मुलाकात 6 अन्य कैदियों से हुई, जो काफी समय से वहां सजा काट रहे थे.
इन कैदियों में पिसिद्धि इंद्रादत (थाई), फिसित प्रोमसुवन (थाई), प्रासित थानी (थाई), वाय सी टू (चाईनीज) डूयन डब्ल्यू मारटीन (अमेरिका) और इयुगेन डिब्रून (अमेरिका) थे.
यह कैदी भी लड़ाई के दौरान अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किए गए थे.
कुछ ही समय में डेंगलर इन कैदियों के साथ अच्छे से घुल मिल गए.
इन सभी कैदियों और डेंगलर में केवल एक फर्क था, डेंगलर हर समय इस कैद से आजाद होने की सोचते रहते, वहीं उनके साथ वाले कैदी सिर्फ इस उम्मीद में थे कि कभी तो उनकी सजा खत्म होगी.
इन सभी कैदियों को डेंगलर ने उम्मीद की एक किरण दिखाई और उन्हें यहां से भागने के लिए राजी किया.
डेंगलर का हौसला देख अन्य कैदियों में भी जोश आ गया और सभी ने मिलकर जेल से भागने की योजना बना डाली.
बेड़ियां तोड़कर भाग निकले कैदी
आखिरकार, योजना के तहत 29 जून को जब सभी गार्ड्स खाना खाने गए, तो डेंगलर व उसके साथियों ने बड़ी चतुराई के साथ अपनी बेड़ियों को खोला और अपने कमरे के बाहर तैनात सिपाही को पकड़ कर बेहोश कर दिया.
इस दौरान कैदियों ने गार्ड्स के हथियार चुराए और चुपके से कैंप से भागने लगे. इससे पहले कि वो उनसे दूर जाते एक गार्ड ने उन्हें भागते हुए देख लिया और शोर मचा दिया.
हालांकि डेंगलर व उसके साथियों ने उस गार्ड को गोली मार दी और भागने में सफल रहे.
यह सात कैदी जंगल में जाकर तीन ग्रुप में बंट गए.
इस दौरान डेंगलर और मार्टिन मेकोंग नदी के रास्ते थाईलैंड जाने के लिए निकल गए. कई मिलों का सफर करने का बाद भी यह दोनों घूम फिरकर उसी नदी के पास पहुंच जाते थे, जिसके बाद उन्हें एहसास हुआ कि वह कहीं नहीं जा रहे, सिर्फ उसी क्षेत्र के चक्कर लगाए जा रहे हैं.
आखिर में दोनों ने फैसला किया कि वह वहीं रुक कर अमेरिकी जहाजों को मदद के लिए संकेत भेजेंगे.
कुछ दिन जैसे-तैसे निकालने के बाद अब दोनों की हालत भूख से बेहाल हो रही थी. साथ ही मार्टिन मलेरिया की बीमारी से ग्रस्त हो गया था.
भूख बर्दाश न कर पाने के चलते मार्टिन खाना चुराने के लिए एक गांव में घुस गया. हालांकि डेंगलर ने उसे ऐसा करने से मना भी किया, लेकिन मार्टिन ने उसकी एक न सुनी.
इस दौरान जब मार्टिन गांव में दाखिल हुआ तो एक बच्चे ने उसे देख कर शोर मचा दिया. जिसके बाद गांव के लोगों ने उस पर हमला कर दिया.
एक शख्स ने अपने तेजधार हथियार से मार्टिन का सिर धड़ से अलग कर दिया.
यह देख डेंगलर जैसे-तैसे वहां से भागने में सफल रहा और वापस जंगल में जाकर छिप गया.
इसके बाद उसने लगातार बचाव संकेत भेजने शुरु किए. ऐसा करते-करते उसे कई दिन बीत गए, लेकिन कोई जहाज डेंगलर की मदद के लिए नहीं आया.
अमेरिकी एयरफोर्स ने किया रेस्क्यू
आखिरकार, 23 दिन जंगल में बिताने के बाद 20 जुलाई 1966 को अमेरिकी एयरफोर्स के बचाव विमान ने डेंगलर के संकेत को देख ही लिया. जिसके बाद उन्हें बचा लिया गया.
हालांकि, शुरुआत में बचाव टीम को शक हुआ कि शायद डेंगलर वियतनामी विद्रोही हैं, लेकिन बाद में डेंगलर की पहचान को पुख्ता किया गया.
डेंगलर को दा नेंग नामक स्थान पर मौजूद एक अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया. इस बीच डेंगलर की कस्टडी को लेकर अमेरिकी वायुसेना और नौसेना के बीच बहस छिड़ गई कि कौन डेंगलर से पूछताछ करेगा.
डेंगलर को हिरासत में लेने के लिए एयरफोर्स के अधिकारी भी अस्पताल में तैनात कर दिए गए, लेकिन नौसेना की एक टीम ने गुप्त तरीके से डेंगलर को अस्पताल से निकाला और उसे अपने साथ नौसेना के जहाज पर ले गए.
यहां डेंगलर की वापसी की खुशी में स्वागत समारोह आयोजित किया गया.
डेंगलर की वापसी से उसके सभी साथियों के अलावा सीनियर अधिकारी भी बेहद खुश थे. जश्न के बाद डेंगलर को डाॅक्टरी सहायता के लिए अमेरिका वापस भेज दिया गया.
अपनी इस जीत के बाद डेंगलर रुके नहीं, वह लगातार सैन्य अभियानों में हिस्सा लेते रहे.
बावजूद इसके कि वह एक जर्मन थे, एक सैनिक के तौर पर वह अमेरिका की सेवा करते रहे. उन्होंने एक बार कहा भी था कि "मैं जर्मनी में पैदा हुआ हूं, लेकिन मैं 100 प्रतिशत अमेरिकी हूं."
डेंगलर के अद्भुत साहस और जांबाजी के लिए उन्हें कई सैन्य पदकों से सम्मानित किया गया.
और फिर एक दिन वियतनाम अमेरिका युद्ध का ये हीरो हमेशा के लिए कहीं खो गया. 7 फरवरी 2001 को इन्होंने आखिरी सांस ली.
देश के लिए डेंगलर का समर्पण अतुलनीय रहा. जिसके चलते साल 1988 में उनके जीवन पर आधारित एक डाक्यूमेंट्री बनाई गई थी.
डेंगलर की मौत के बाद उनके जीवन को बड़े पर्दे पर भी पेश किया गया. इस फिल्म को 'रेस्क्यू डाऊन' नाम दिया गया, जिसमेa अभिनेता क्रिश्चन बेल ने डेंगलर की भूमिका निभाई थी.
Web Title: Lt. Dieter Dengler, First American Pilot to Escape From North Vietnam, Hindi Article