सोवियत संघ के रूसी मिकोयान-गुरेविच डिजाइन ब्यूरो ने 1959 में मिग-19 विमानों को हटाने के लिए मिकोयान-गुरेविच मिग-21 विमानों का निर्माण शुरू किया था. सुपरसोनिक लड़ाकू जेट विमान ‘मिग-21’ कई खास तकनीकों के मेल से बना था.
मैक 2 की गति से उड़ान भर सकने में सक्षम मिग-21 पल भर में दुश्मनों को चकमा देने में सक्षम है. रूस में इस तरह के लगभग 13,000 फाइटर जेट विमान कई नामों से बनाए गए.
1960 के दशक के दौरान, मिग-21 का इस्तेमाल मध्य पूर्व में बड़े पैमाने पर मिस्र, सीरिया और इराकी वायु सेना द्वारा इजरायली बलों के खिलाफ किया गया.
इस बीच अच्छी तरह से प्रशिक्षित इज़राइली पायलटों और उनके मिराज III और एफ-4 विमान को मिग -21 और इसके साधारण पायलटों ने मारकर गिरा दिया.
देखते ही देखते ये विमान इजरायली सेना के लिए मुसीबत बनने लगे!
लिहाजा इजराइल ने ‘मिग-21’ विमान का तोड़ खोजने की कोशिश की. इसी कोशिश को खुफिया नाम दिया गया ‘ऑपरेशन डायमंड‘!
तो चलिए जानते हैं, कैसे इजराइल की खुफिया एजेंसी ‘मोसाद’ ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया –
मिस्र से हुई ऑपरेशन की शुरूआत
इजराइल की ओर से इस ऑपरेशन की शुरूआत 1960 के दशक में हुई. सबसे पहले अगर किसी शख्स को इस ऑपरेशन की कमान दी गई तो वह थे जीन थॉमस. जीन से कहा गया था कि वह किसी ऐसे पायलट की खोज करें जो मिस्र से मिग-21 विमान को उड़ाकर इजराइल ले आए!
इसके लिए उस पायलट को 10 लाख डॉलर भी देने की बात की गई थी. हालांकि जीन की ये कोशिश सफल नहीं हुई. इसके बाद मिस्र के अधिकारियों को इस ऑपरेशन की जानकारी लग गई.
तत्काल सरकार ने कार्रवाई करते हुए थॉमस सहित उसके 3 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया. साल 1962 में थॉमस और उसके 2 सदस्यों को फांसी दे दी गई.
मोसाद वो एजेंसी नहीं थी, जो एक बार असफल होकर हार मान जाए, बल्कि उसका मकसद कुछ और ही था…
लिहाजा इस ऑपरेशन को दोबारा दोहराया गया. इस बार मोसाद के एजेंटों ने इराकी पायलटों से विमान के अधिग्रहण को लेकर संपर्क किया.
इन पायलटों को भी पैसों का लालच दिया गया. कुछ वक्त के बाद इन्होंने काम के लिए हामी भी भरी, लेकिन बाद में वह अपनी बात से मुकर गए.
Mig-21 Aircraft. (Pic. cdn)
इराकी पायलट बना कड़ी
अब तक मोसाद के शुरूआती दो ऑपरेशन असफल हो चुके थे. लिहाजा अब उनके पास सिर्फ यही एक आखिरी मौका था. उन्हें किसी भी हालात में मिग-21 पर कब्जा कर इजराइल लाना था.
सन 1964 में इजराइल और इराक के बीच राजनीतिक संबंध ठीक थे. इसी दौरान एक यहूदी युवक ने मोसाद के इजराइली अधिकारियों से संपर्क किया. उसे अपने दोस्त के माध्यम से ईसाई मूल के मुनीर रेड्फा के बारे में पता चला.
मुनीर रेड्फा कोई और नहीं बल्कि एक इराकी पायलट था, जो इराकी वायुसेना से काफी दुखी था.
उसे सेना में पदोन्नति नहीं दी जा रही थी, वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि उसने एक ईसाई लड़की से शादी की थी. लिहाजा उसके परिवार को उससे अलग कर दिया गया.
युसूफ ये बात जानता था कि यही शख्स इस ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है. मुनीर भी इराक छोड़ने का मन बना चुका था.
Munir Redfa With Mig-21. (Pic. Historicwings)
महिला जासूस के हुस्न का दीवाना!
मुनीर को एक महिला मोसाद जासूस ने काम के लिए राजी कर लिया था.
महिला जासूस ने पहले मुनीर से दोस्ती की और फिर उसे अपने हुस्न के जाल में फंसाया और इसके बाद उसे यूरोप जाकर इजराइल के जासूसों से मिलने के लिए कहा गया.
मुनीर ने इजराइली वायु सेना के कमांडर मेजर जनरल मोर्देचै होद के साथ मिग-21 विमान के अधिग्रहण की रणनीति गुप्त बैठकों के दौरान तैयार की.
बदले में मुनीर को इस काम को अंजाम देने के लिए वो सभी चीजें दी गईं, जो वह चाहता था.
उसे 10 लाख डॉलर, इजराइल में पूर्णकालिक रोजगार और उसके परिवार के लोगों की सुरक्षा का भरोसा दिया गया.
यही मुनीर चाहता भी था. उसके लिए उसका परिवार बहुत ज्यादा जरूरी था. लिहाजा उसने इस काम को अंजाम देने के बारे में अपना मन पक्का कर लिया.
अब वक्त था काम को अंजाम देने का.
Tatiana Romanova & James Bond (Pic: Pinterest)
…और इजराइल पहुंच गया विमान
मुनीर को भले ही इराक में लंबी दूरी के लिए मिग-21 विमान चलाने की इजाजत नहीं दी जाती थी. मगर उसे विमान के बारे में अच्छी-खासी जानकारी थी. इसी का फायदा उसे हुआ.
16 अगस्त 1966 को इराक में रेड्फा ने मिग-21 विमान में ईंधन भरकर वहां से उड़ान भरी.
रणनीति के मुताबिक वो पश्चिम की ओर निकल गया. हालांकि जैसे ही वह जॉर्डन क्षेत्र के पास पहुंचा उसे इराकी वायुसेना की तरफ से चेतावनी मिली कि वह विमान को इससे आगे न लेकर जाए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. विमान इजराइल के सीमा क्षेत्र में पहुंच चुका था.
यहां दो इजराइली हवाई जहाजों ने मुनीर के विमान को सुरक्षा दी और आखिरकार मिग-21 विमान को दक्षिणी इजराइल के एयरबेस पर उतरा गया.
दूसरी ओर रेड्फा के परिवार को छुट्टियों के बहाने मोसाद के जासूस इजराइल लेकर आ गए.
मुनीर रेड्फा ने जब मिग-21 विमान एयरबेस पर उतारा, उस वक्त विमान में ईंधन की आखिरी बूंद बची थी.
Movie based on the Operation Diamond: ‘Steal the Sky’. (Pic: Amazon)
नाम बदलकर हुआ ‘007’
जैसा की अब मिग-21 विमान इजराइल पहुंच चुका था, इराकी और रशियन अथॉरिटी को इस बात का पता चल चुका था. लिहाजा उन्होंने विमान को लौटाने की मांग की.
हालांकि मोसाद ने इस विमान को लौटाने के लिए थोड़ी न कब्जा किया था. इजराइल ने तुरंत इसका उपनाम बदला दिया और जेम्स बॉन्ड की फिल्म 007 से प्रेरित होकर विमान का नाम ‘007’ कर दिया गया.
इसके बाद विमान के अध्ययन की जिम्मेदारी डैनी शैपिरा को मिली. उन्होंने इसकी टेस्ट फ्लाइट ली और इसकी बारीकियों के बारे में जाना.
शैपिरा ने इस विमान को इजराइली वायु सेना में शामिल विमानों से भी मापा. शैपिरा ये जानना चाहते थे कि आखिर मिग-21 विमान किन बातों में यहां की वायुसेना में शामिल विमानों से अलग है.
यही नहीं इजराइल के पायलटों को इस विमान को चलाने की ट्रेनिंग भी दी गई, ताकि भविष्य में अगर कभी इस विमान को चलाने की बात सामने आए तो वायु सेना के पायलट पूरी तरह से तैयार रहें.
F-16 007 Fighting Falcon. (Pic: JetPhotos)
अरब-इजराइल युद्ध में दिलाई जीत
इजराइल के लिए मिग-21 आने वाले युद्धों में बहुत फायदेमंद साबित हुआ. 1967 में जब इजराइल ने सीरिया से गोलन की पहाड़ियों पर युद्ध किया तब इस विमान का जौहर सबने देखा.
7 अप्रैल 1967 को इजराइल सेना ने इसी मिग-21 विमान की मदद से अपने शत्रु देश सीरिया के 6 मिग-21 विमानों का खात्मा कर दिया गया. सबसे खास बात ये थी कि इस युद्ध में इजराइल को किसी भी तरह का नुकसान नहीं झेलना पड़ा.
इसके बाद 1967 से 1973 के बीच चले अरब-इजराइल युद्ध में भी मिग-21 विमान इजराइल के लिए सहायक बने. इस युद्ध में इजराइल को इसी विमान की मदद से जीत मिली.
जनवरी 1968 में इजराइल ने मिग-21 विमान जिसे 007 का नाम दिया गया था, अमेरिका को सौंप दिया.
इसके बदले में अमेरिका ने भी इजराइल को तोहफे में मैकडोनल डगलस एफ-4 फैंटम दिया. ये इजराइल के लिए दोहरी खुशी थी, क्योंकि इससे पहले 1965 में यही विमान अमेरिका ने उसे देने से मना कर दिया गया था.
McDonnell Douglas F-4 Phantom II. (Pic: GTA5)
बहरहाल मिग-21 आज कई देशों की सैन्य शक्ति को बढ़ा रहा है. भारत ने भी इसी विमान से कई बार पाकिस्तान को धूल चटाई है. ऐसे में अगर इजराइल इस जेट को पाने के लिए उतावला था, तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं.
Web Title: Operation Diamond: The Time Israel stole MIG-21 from Iraq, Hindi Article
Featured Image Credit: Wallpaper Cave